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भलुनी देवी यक्षिणी का रहस्य भाग 2

भलुनी देवी यक्षिणी का रहस्य भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग भलुनी देवी यक्षिणी साधना के दूसरे भाग के विषय में जानेंगे। पिछली बार हम लोगों ने जाना था कि कालूनाथ नाम के एक व्यापारी जंगल में डाकू के हमले से फस जाते हैं और अपना धन खो देते हैं। अपने उसी धन को प्राप्त करने के लिए एक साधु की सहायता से अब उन्हें एक यक्षिणी को सिद्ध करने का परामर्श मिलता है।

अब क्योंकि कालूनाथ के पास कोई अन्य विकल्प मौजूद नहीं था इसलिए उन्होंने! सिद्ध राम नाम के उस साधु के कहने पर अब उस विशेष यक्षिणी की कृपा प्राप्ति के लिए उसकी साधना के लिए हामी भर दी। उन्होंने कहा कि आप ही मेरे गुरु रहेंगे। इस साधना के दौरान, सिद्ध राम साधु ने कहा ठीक है। मैं तुम्हारी हर प्रकार से सहायता करूंगा। सबसे पहले मुझसे गुरु मंत्र की दीक्षा लो तब उन्होंने उसे यक्षिणी के ही सिद्ध मंत्र की दीक्षा प्रदान की और इसे कैसे करना है, इसकी विधि भी बताई। लेकिन?

जैसे ही कालू नाथ ने इस विधि के विषय में सुना। वह घबरा गया और सिद्ध राम। साधु से कहने लगा। आपने तो कहा है कि इस साधना में भालू के शरीर की आवश्यकता पड़ेगी। लेकिन भालू जीवित अवस्था में अपनी खाल क्यों देगा और मरा भालू मुझे कहां मिलेगा यह तो बहुत बड़ी समस्या है। पर आप ने यह भी कहा कि इसके बिना साधना संपन्न नहीं हो पाएगी।

क्या कोई और अन्य मार्ग नहीं है जिससे मैं यह साधना कर पाऊं? तब स्पष्ट शब्दों में सिद्ध राम साधु ने कहा नहीं। इसका अन्य कोई विकल्प नहीं है।

तुम्हें यह साधना इसी प्रकार करनी होगी।

तब?

कालूनाथ ने कहा, ठीक है लेकिन मेरी इसमें सहायता कीजिए। तब सिद्ध राम ने कहा सिद्धि के चरण के हिसाब से तुम्हें स्वयं ही भालू की खाल को प्राप्त करना होगा। इसके लिए तुम भालुओ के क्षेत्र में जाओ। अवश्य ही वहां पर कोई ना कोई।

भालू मृत्यु को प्राप्त हुआ होगा तुम्हें बस उसकी खाल को उतारकर यहां लाना होगा। क्योंकि साधना में गुरु आपकी सहायता नहीं कर सकता है। इसलिए!

आपको यह सारा कार्य स्वयं ही करना होगा।

मैं आपको एक गोपनीय मंत्र दे रहा हूं। इस मंत्र को जपते हुए ही यह सारा कार्य संपन्न करना होगा। अन्यथा प्राणों पर भी खतरा आ सकता है।

कालूनाथ व्यापारी व्यापार करने वाली बुद्धि रखता था। उसका पूजा-पाठ और साधना से कोई दूर-दूर तक संबंध नहीं था। इसी कारण से उसके लिए यह कार्य बहुत अधिक कठिन था। लेकिन उसके पास कोई अन्य विकल्प था ही कहां जो वह कुछ और कर पाता? अगर वह इस धन को छोड़कर यहां से बाहर निकलने की सोचता। तो डाकू उसे अवश्य ही मार डालते और जंगल में भालू ओं का खतरा तो वैसे ही बना हुआ है।

और बिना? धन संपदा लिए अगर किसी प्रकार से घर भी पहुंच जाए तो घर वाले भी इज्जत नहीं देंगे। इसलिए यह आवश्यक है कि अपना धन वापस प्राप्त किया जाए।

इसलिए उसने हामी भरी और।

साधु सिद्ध राम द्वारा दिए गए एक विशेष चाकू को अपने पास रख कर।

भालूओ के रहने के मूल स्थान की ओर चलने लगा। मन में बहुत अधिक भय था उसके। उसे यह भी नहीं पता था कि भालू अगर हमला करेंगे तो वह क्या करेगा लेकिन गुरु की आज्ञा थी कि? तुम्हें मंत्र जपते हुए ही यहां से और वापस अपने मूल स्थान पर भालू की खाल लेकर आना है।

और इसी प्रकार मंत्र का जाप करते हुए वह पहुंच गया। एक विशेष स्थान पर जहां पर उसे बहुत सारे भालू घूमते हुए नजर आ रहे थे।

तभी उसने एक वृद्ध भालू को देखा जो शायद मरने ही वाला था। उसके चारों तरफ काफी संख्या में भालू उपस्थित थे। शायद वह सारे जानते थे कि इसकी मृत्यु होने वाली है।

इस बात के लिए कालूनाथ ने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया कि उसे अब भालू की खाल तो मिल ही जाएगी। कुछ ही देर बाद।

वह भालू मृत्यु को प्राप्त हो गया और उसके चारों ओर घूमते फिरते भालू अब उससे दूरी बना कर इधर उधर टहल रहे थे। लेकिन अब सबसे बड़ी समस्या इस बात की थी कि किस प्रकार कालूनाथ उस मरे हुए भालू तक पहुंचे। और उस भालू के शरीर को भी काट कर उसकी खाल निकाले।

यह कोई साधारण कार्य नहीं था और ना ही इसमें उसे कोई पारंगतता थी। इसीलिए अब यह कार्य कठिन था। जब उसने देखा सारे भालू आराम कर रहे हैं तो वह चुपचाप उस मरे हुए भालू के पास पहुंच गया। मंत्र का जाप करते हुए उसके शरीर को वह काटने लगा।

एक तरफ उसे देखता और दूसरी तरफ यह शमशानी कार्य कर रहा था।

लेकिन उसे तो यह करना ही था इस प्रकार उसने लगभग सारी! खाल उस भालू की वही उतार कर रख दी। और? केवल उसे! लेकर चलना था। पर अचानक से ही उसका पैर फिसला और वह वहीं पर धड़ाम से गिरा। इससे आवाज बहुत तेज हुई और चारों तरफ शोर हुआ भालू अचानक से जाग गए। उन सब की नजर अब कालूनाथ पर थी जो की खाल लिए हुए उन्हें दिखाई दे रहा था। सभी क्रोधित होकर उसकी ओर लपकने लगे।

अब! उसे वहां से भागना ही था। वह भी भालू की खाल अपने कंधे पर रखकर। और वह तेजी से दौड़ने लगा। लेकिन भालूओं की संख्या बहुत ज्यादा थी।

चारों तरफ से भालूओ ने उन्हें घेर लिया। अब मृत्यु का समय नजदीक जानकर कालूनाथ ने ईश्वर को याद करते हुए। गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का जोर जोर से उच्चारण करना शुरू कर दिया।

तभी चारों तरफ से भालू वहीं आकर स्तब्ध हुए ।

कालूनाथ को देखने लगे।

कालूनाथ को यह बात समझ में नहीं आई कि आखिर यह सारे रुक क्यों गए हैं? लेकिन तभी उसे अपने पीछे से एक स्त्री निकलती हुई सी दिखाई दी। और वह स्त्री अब!

जैसे-जैसे आगे कदम बढ़ाती। भालू दूर हटकर। उसे घूरते जाते कालूनाथ ने भी इस स्त्री के ठीक पीछे चलना सही समझा और वह उस स्त्री के पीछे पीछे चलने लगा। एक! पोखर यानी तालाब के नजदीक पहुंचकर उस स्त्री ने निर्वस्त्र होकर उस जल में प्रवेश किया।

यह देखकर कालूनाथ अचंभित रह गया।

और अब वह भी उसी पोखर में अंदर जाने की इच्छा रखने लगा क्योंकि ऐसी स्त्री और ऐसा रहस्य उसने अभी तक नहीं देखा था।

और वह यह भी जानता था कि अगर वह यहीं रुका तो भालू उसे मार डालेंगे।

लेकिन उसके सामने इससे भी बड़ा एक अन्य चमत्कार उसी समय घटित हुआ।

सामने वह पोखर मे जैसे जैसे वह स्त्री अंदर उतरती गई पोखर और स्त्री दोनों ही गायब होते चले गए इस प्रकार वह स्थान पूरी तरह। सूखे गड्ढे में बदल गया।

यह बात कालूनाथ को समझ नहीं आई तब तक सारे भालू भी वहां से चले गए और सामने से साधु महोदय आते हुए नजर आए। तब कालूनाथ ने अपने इस गुरु से पूछा। इस जगह का क्या रहस्य है। मैंने एक स्त्री को निर्वस्त्र होकर इस जगह पर इस जल में उतरते हुए देखा। लेकिन यहां तो ना तो कोई जल रह गया और ना ही कोई स्त्री।

आखिर वह जल गया कहां और वह स्त्री कौन थी? तब सिद्ध राम ने कहा। मैं किसी स्त्री के विषय में तो नहीं जानता किंतु यह स्थान बड़ा ही चमत्कारी है। इसी स्थान पर बैठकर ही तुम्हें मंत्र जाप के बाद हवन करना होगा।

आज से! कई हजार वर्ष पूर्व इसी स्थान पर भगवान परशुराम ने अपनी साधना संपन्न की थी।

इसी पोखर में उन्होंने अपना हवन किया था। इसीलिए ऐसी जगह तुम्हें बैठकर मंत्र साधना के बाद हवन करना होगा।

अब कालूनाथ यह सब सुनकर बड़ा ही आश्चर्य में था क्योंकि जीवन में उसने चमत्कार कभी घटित होते नहीं देखे थे। पर यहां तो सब कुछ चमत्कारिक था वह स्त्री जो कि भालुओ को अपने वश में कर ली थी। वह पोखर जो स्वयं भगवान परशुराम का था।

और वहीं बैठ कर उसे साधना करनी थी।

आगे क्या घटित हुआ जानेंगे अगले भाग में तो अगर यह कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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