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अग्नि अप्सरा साधना

नमस्कार दोस्तो धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । आज मैं आप लोगों के लिए लेकर आया हूं अप्सरा साधना  पर यह बाकी अप्सराओं से हटके है जो संसार में प्रचलित हैं ।अप्सरा साधना उनसे यह अलग है जो देवी देवताओं की अप्सरा होती है जो उनकी शक्तियां होती है उनकी निजी अप्सरा होती है उनके बारे में मैं आज आप लोग के लिए लेकर आया हूं यह अप्सरा है अग्नि अप्सरा चलिए पहले जान लेते हैं कि अप्सरा साधना कैसे होती है इनकी क्या विधियां होती है ।

अप्सरा साधना ऐसी होती है जिनकी वजह से मनुष्य बहुत सारी शक्तियोँ का स्वामी बन जाता है, चमत्कार दिखाना उसे आ जाता है और आकर्षक व्यक्तित्व की चाहत उसमे होती है उसकी इच्छा को अप्सरा पूर्ण करती है । रुप है सौंदर्य है यौवन है यह सब चीजें मिलने लगती है कहते हैं कि अप्सरा साधना में प्रेम का संबंध प्राप्त होता है और अगर आपके विवाह में कोई रुकावट आ रही हो तो इनकी साधना से वह सब दूर होती हैं । इसलिए अप्सरा साधना से व्यक्तित्व को शांति प्राप्त होती है और संतुष्टि मिलती है भौतिक जीवन में, क्योंकि भौतिक जीवन में मनुष्य हर समय सोचता रहता है काम कौन कौन सा करे वह निर्णय नहीं ले पात ऐसे में अप्सरा साधना स्वरुप भौतिकता में सुख समृद्धि प्रदान करती है ।

जैसा कि सभी जानते हैं अप्सराएं स्वर्गलोक की सुंदरियां हैं और देवराज इंद्र की दरबार में रहती हैं और समय-समय पर या ऋषि-मुनियों की तपस्या भंग करने जाया करती हैं । इस वजह से तांत्रिक व्यक्तियों ने सोचा कि जब अप्सराएं स्वयं ही लोगों की तपस्या भंग कर में आती है तो क्यों न उनकी साधना की शुरुआत की जाए और ऐसा होने भी लगा । इस संबंध में मेनका रंभा उर्वशी  कुंडल हारिणी घुताची बहुत सारी अपसराऐ अप्सराएं धरती पर आती है और लोग इनकी साधना करके अपने जीवन को सुखमय बनाते हैं । हालांकि कुछ अप्सराओं को इंद्रदेव की आज्ञा लेकर आना होता है वह उनकीआज्ञा के बिना नहीं आ सकती इसलिए वह अपने साधक की परीक्षाएं भी लेती है उसके बाद ही सिद्धि प्रदान करती हैं । देवी शक्ति से संपन्न होने के कारण यह अपने साधक की हर प्रकार की इच्छा को पूर्ण करती है जब इनकी साधना पूरी हो जाती है तब यहां दर्शन देती हैं और साधक के इच्छाओं की पूर्ति करती हैं ।

कहते हैं कि इनकी साधना से साधक का रूप सुंदरता की प्राप्ति होती है और कला के क्षेत्र में भी वह आगे बढ़ता है इसलिए इन्हें कला की देवी भी कहा जाता है । अप्सरा साधना जल्दी ही सफल हो जाती है पर साधना का मतलब होता है कि जब तक वह चीज सध ना जाए तब तक उसकी साधना करते रहने चाहिए । चाहे आपको साल ही क्यों न लगते जाये जितना ज्यादा समय आपको अपनी साधना में लगेगा उतनी ही प्रबल शक्ति के साथ वह आएगी चाहे वह कोई भी साधना हो । आपको बस लगे रहना चाहिए बिना किसी प्रकार के नागा किए, पूर्ण विश्वास  दृढ़ संकल्प एकाग्रता और योग्य गुरु ही सफलता की कुंजी मानी जाती है । लेकिन एक बात हमेशा ध्यान रखे कि कोई भी साधना करने से पहले आपको अपना जीवन साधु संतों की तरह व्यतीत करना चाहिए ।जब तक आप साधना करेंगे तब तक आपने आपको नियम पूर्वक ब्रहमचर्य का पालन करना होगा और अपनी इच्छाओं पर काबू पाना होगा । काम- भाव से बचाव कीजिये बिल्कुल एक संयासी की जब तक आप की साधना पूरी ना हो जाए।

ज्यादातर लोग अप्सरा साधना करने से पहले अपने मन में कामना रख लेते हैं ऐसाना करे ।अब हम बात करेंगे अग्नि अप्सरा साधना के बारे में तो जैसा कि हम लोग देवताओं के बारे में जानते ही हैं अग्नि देवता का बहुत बड़ा  महत्त्व है इनके पास से हमारे अंदर तेजस्वीयता दृढ़ता और शुद्धता आती है । इनकी अप्सरा भी इनकी तरह सब कुछ देने में सक्षम है । इनकी साधना करने से पहले आप एक बात के बारे में विशेष रूप से ध्यान देंगे तभी आपको सफलता मिलेगी । अग्नि अप्सरा साधना के लिए आप अग्नि देव को अपना गुरु मान लीजिए तभी आपको सफलता मिलेगी ।आप उनसे प्रार्थना करेंगे कि हे अग्नि देव आप मेरे गुरु हैं इस साधना में और आप मुझे सफलता का प्रदान करे और उनका जो बीज मंत्र है रं ॐ रं अग्नि देवताय नमः कह सकते हैं इस मंत्र का आपको एक माला जाप करना आवश्यक है । जब भी आप अग्नि अप्सरा की साधना करेंगे उससे पहले आप अवश्य ही एक माला इस मंत्र की करेंगे तभी आपको सफलता मिलेगी।

उनकी अप्सरा हैं यहां इसलिए आपको इनकी आज्ञा आवश्यक है आप एक बात और ध्यान रखेंगे की मां बहन पत्नी प्रेमिका या दोस्त जब तक आप की साधना संपन्न हो जाए तब तक आप इनसे कोई भी रिश्ता नहीं बनाएंगे,न हीं विचार करेंगे मन में । क्योंकि अगर आप उनसे कोई भी रिश्ता बना लेंगे मन में भी तो आपकी परीक्षा उसी रिश्ते में हो जाएगी । इसलिए आप जब इनकी साधना का आखिरी दिनों में हो तभी आप इनसे अपना जो भी आपके मन में हो रिश्ता कायम करें । यह आपको संकेत दे देती हैं यह उतना ही बहन के रूप में पसंद करती हैं उतना ही जितना कि यह प्रेमिका या पत्नी के रुप में । क्योंकि ज्यादातर अप्सरा का स्वभाव होता है कि वह प्रेमिका या पत्नी के रुप में ही सिद्ध होती है लेकिन अग्नि अप्सरा मैं ऐसा नहीं है आग जलाने के शक्ति शरीर में ऊर्जा उत्पन्न करने की शक्ति आपकी कुंडलिनी शक्ति जागृत करने की शक्ति है क्योंकि जब आपके शरीर में अग्नि तत्व प्रबल होने लगता है तब आप की कुंडलिनी शक्ति भी जागृत होने लगती है ।

इसलिए इनकी साधना से आपको आपकी कुंडलिनी भी जाग्रत हो सकती है इनकी साधना कैसे करेंगे ? चलिए जानते हैं सबसे पहले आप एक योग्य गुरु का चुनाव कर लेंगे और उनसे मंत्र ले लेंगे उसके बाद आप गणेश पूजन, गुरु पूजन, भगवान शिव का एक माला मंत्र का जाप करेंगे उसके बाद जो मैंने आपको अग्नि देव का मंत्र बताया है उसकी आपको एक माला करनी होगी । यह प्रतिदिन का आपका नियम होगा उसके बाद आपको 51 माला अप्सरा मंत्र की करनी होंगी । यह साधना 51 दिन तक चलेगी और इसके लिए आपको शुभ मुहूर्त देख लेना होगा- रवि पुष्य योग या गुरु पुष्य योग इसके लिए उत्तम है आपको यह साधना रात्रि काल में करनी है । आपको इसमें साधना के बाद रोज हवन करना होगा ।रोज हवन करना आपको अनिवार्य है आप लाल फूलों से इनका हवन कर सकते हैं । आपको 501 बार रोज हवन करना होगा। यह साधना लंबी है पर बहुत ही शक्तिशाली है आपको इसमें फायदा ही फायदा होगा अगर यह देवी आपको प्रत्यक्ष नहीं होती तो भी यह आपके सारे कार्य बनाती रहेगी और सिद्धि के लिए तो आपको अपने घर में एक एकांत कमरे का चुनाव करना होगा ।

आप उस कमरे में पूर्व दिशा की ओर एक चौकी बिछाए और उस पर लाल वस्त्र बिछाए और उसके ऊपर आप अप्सरा का चित्र स्थापित करें अगर ना मिले तो आप किसी भी सुंदर स्त्री का चित्र स्थापित कर सकते हैं । उसके बाद इस फोटो को फूलों की माला पहना कर और पंचमेवा का भोग रखें और जल से भरा एक लोटा भी वही रख ले । हाथ में जल लेकर संकल्प लें और उसके बाद आप 51 माला जाप को संपन्न कर ले । जैसी मैंने आपको विधि बताई है उसी हिसाब से आप करेंगे और जब देवी आपके सामने प्रकट हो जाए तब आप उनको लाल गुलाब की फूलों की माला पहनाएंगे । उनको जिस भी रुप में आप चाहते हैं मां बहन पत्नी प्रेमिका उसी रुप में अपने साथ रहने का वचन ले ले । ज्यादातर इन्हें मां के रूप में स्वीकार करना उत्तम होता है तभी आपके सारे कार्यों का संपादन करती है अग्नि देवता का स्वरुप होने के कारण अगर आपके अंदर अग्नि को धारण करने की छमता नहीं है तो आप इनको पत्नी या प्रेमिका के रूप में स्वीकार मत करिए अब सबसे महत्वपूर्ण बात आ जाती है कि इनका मंत्र कौन सा है तो मंत्र से इस प्रकार है-

मँत्रः ॐ रं वह्रिचैतनयाय अग्नि अप्सराये नमः स्वाहा।। 


 इसी मंत्र का आपको जाप करना होगा इसमें आप माला रुद्राक्ष की या सफेद हकीक की ले सकते हैं और रही बात वस्त्रों की तो आप साधारण पूजा में जो वस्त्र धारण करते हैं वही वस्त्र धारण कर सकते हैं । चाहे तो आप लाला केसरिया कपड़े भी पहन सकते हैं । आप का आसन ऊन का होना चाहिए। अगर आपने इनकी साधना निर्विघ्नंता के साथ कर ली तो आपके अंदर अदभुत तेज सामर्थ्य आ जाता है । जिसकी वजह से आपके सामने लोग झुकने लगते हैं ।आपकी कही बात और आपका क्रोध किसी भी व्यक्ति के लिए झेलना मुमकिन नहीं होता । आपके अंदर कितनी तीव्रता आ जाती है। इसलिए इनको पत्नी के रुप में धारण करने के लिए आप पहले जान लीजिए की क्या आप इन की तीव्रता को  सहन कर पाएंगे अगर आपने इन को धारण कर लिया और इनकी तीव्रता को सहन कर लिया तो आप अद्भुत रुप से शक्तिशाली हो जाएंगे । अगर आप इन को सहन नहीं कर पाए तो आप का विनाश भी हो जाएगा क्योंकि अग्नि की तीव्रता सहन  करना आम बात नहीं है । अगर आप इनकी साधना करना चाहते हैं तो सबसे पहले एक योग्य गुरु को ढूंढिए जिसने 1 साल तक पंच देव में से किसी भी एक देवता की संपूर्ण विधि विधान से साधना उपासना कि हो।  उसी को आप गुरु बनाइए अन्य किसी को नहीं । यह था अग्नि अप्सरा साधना पोस्ट अगर आपको यह साधना पसंद आई है तो धन्यवाद।

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