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अनुरागिनी यक्षिणी साधना और धन प्राप्ति अनुभव 2 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अनुरागिनी यक्षिणी साधना और धन प्राप्ति अनुभव यह दूसरा अंतिम भाग है। चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं। इनके साथ आगे क्या घटित हुआ था?

पत्र-नमस्कार गुरु जी, पिछले पत्र में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैं पानी के अंदर कूद गया था। गुरुजी उसके बाद। मैं जब अंदर गया तो थोड़ी देर। पता नहीं कैसे? मेरा पैर किसी जगह फंस गया। अब मैंने अपना पैर छुड़ाने की कोशिश की। लेकिन मेरा पैर बाहर नहीं आ पा रहा था। मैं इस बात से परेशान होने लग गया। क्योंकि पानी के अंदर ज्यादा देर तक सांस नहीं ली जा सकती है। मैं छटपटाने लगा।

मैंने सोचा लगता है यक्षिणी ने। मुझे मारने के लिए यह सब कुछ किया है। मैंने भगवान को याद किया। लेकिन? कोई फायदा नहीं हुआ। फिर पता नहीं कहां से मेरे मन में यक्षिणी के उसी मंत्र के जाप का ख्याल आया और मैंने उसी समय तेजी से उसके मंत्रों को।

मन ही मन बोलना शुरु कर दिया। मैंने कहा, अगर तुम सच में हो तो मेरी मदद करो। मेरी जान बचाओ क्योंकि पानी के अंदर बोल पाना संभव नहीं था। केवल मानसिक मंत्र जाप किया जा सकता था। लेकिन अगले ही पल जो हुआ वह एक आश्चर्य से भरा था। पहली बार मुझे सच में एक अति सुंदर स्त्री पानी में तैरती हुई मेरे पास आती दिखाई पड़ी। और वह मेरे पास पहुंचकर जैसे ही उसने मुझे छुआ। मेरे अंदर! पानी से जुड़ी सारी छटपटाहट और भय निकल गया। मेरी सांस की गति भी बढ़ गई थी।

मैं पानी के अंदर!

आपने आप स्वस्थ महसूस कर रहा था। शरीर! थकने से जो समस्याएं आती हैं, वह एकदम से खत्म हो गई थी।

मेरा पैर छूट गया।

जैसे ही मेरा पैर छूटा। तभी मैंने उससे कहा, पर वह कुछ बोली नहीं। उसने उंगली से इशारा किया। सामने एक छोटा सा सिर दिखाई दिया वह किसी प्रतिमा का सिर था मैं।

अब सबसे पहले ऊपर गया। मैंने सांस ली।

थोड़ी देर हल्का तैरा और उसके बाद मैंने फिर से तालाब के अंदर! पहुंचकर उस प्रतिमा को जमीन से बाहर निकाला।

और इस प्रकार मैंने! उस प्रतिमा को। ऊपर लाकर बाहर रख दिया। जब मैंने वह प्रतिमा देखी तो वह एक स्त्री की प्रतिमा थी। वजन तकरीबन 1 किलो था।

मैंने सोचा आखिर! यक्षिणी ने मुझे इस प्रतिमा के विषय में क्यों बताया है? और आखिर क्या रहस्य है इस प्रतिमा का?

पर मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैंने सोचा अब क्या करूं? चलो इसे घर लेकर ही चलता हूं। मैंने वह प्रतिमा उठाई और अपने साथ लेकर चल पड़ा। थोड़ी दूर जाने पर अचानक से ही मुझे एक बहुत ही सुंदर लड़की दिखाई पड़ी।

वह चारों ओर वीडियो बना रही थी। मैंने उसे देखा। तो उसकी नजर भी मुझ पर पड़ी। मुझे देखकर वह मुस्कुराने लगी जैसे उस पर कोई आकर्षण हुआ हो। मैंने! अपने एक दोस्त से जाते-जाते पूछा, यह लड़की कौन है? उसने कहा, यह मुंबई से आई है।

और क्योंकि वह बहुत ही अधिक सुंदर थी तो पूरी गांव के लड़के! उसी के पीछे पड़े हुए थे लेकिन उसकी आंखें मुझसे दोस्ती कर रही थी।

इसके बाद हमारी अगली मुलाकात गांव की शादी में हुई। जहां से उसने पहली बार मुझसे बात की। मैंने और उसने! काफी देर बात करने के बाद अपने मोबाइल नंबर एक दूसरे को दे दिए। और फिर हमारी रोजाना बात होने लगी। दोस्ती प्यार में बदल गई। एक दिन। मैं उसे बाहर! खेतों में लेकर गया था। तभी उसके मन में न जाने क्या हुआ उसने मुझे किस किया और उसके बाद हम लोगों के बीच देखते ही देखते संबंध बन गए, वहां से वापस आकर। मैं रोजाना जो जाप करता था वह कर रहा था। लेकिन? यक्षिणी का कोई अनुभव मुझे नहीं हो रहा था। तब मैंने क्रोध पति मंत्र प्रयोग किया।

अगली सुबह जब मैं घर से बाहर निकला तभी एक काले कुत्ते की पूंछ पर मेरा पैर पड़ गया और उसने मुझे काट लिया। इसके बाद मुझे इंजेक्शन लगवाने जाना पड़ा। उसी रात वापस आकर मैंने साधना की और सो गया। तभी स्वप्न में यक्षिणी ने मुझे दर्शन दिए।

और उसने कहा, तुमने नियम भंग कर दिया है। मैं अब तुमसे कभी सिद्ध नहीं होंऊगी। तुमने एक तो नियम भंग किया ऊपर से क्रोध पति मंत्र प्रयोग मुझ पर किया। मैंने क्रोध पति से इस बारे में विचार किया है। उन्होंने कहा है तुम्हारा कोई दोष नहीं है, सारा दोष लड़के का है। इसीलिए अगले दिन काले कुत्ते ने तुम्हें काट भी लिया। किंतु तुमने मेरी बहुत ही गहरी और? प्रेम पूर्वक साधना की है। मैं इससे बहुत अधिक प्रसन्न हूं। और उस दिन भी तुमने। साधना भंग होने से पहले पूछा था। कि मुझ में और।

उस धन में क्या प्राप्त करना चाहते हो?

तब तुमने धन कहा था?

इस मूर्ति के माध्यम से तुम्हें धन बहुत बड़ी मात्रा में प्राप्त हो जाएगा।

उसने कहा इस मूर्ति को साधारण मत समझना। यह अष्ट धातु की बनी है।

यह कहकर!

वह चुप हो गई। तब मैंने उनसे पूछा, मेरी साधना कहां भंग हुई तब उसने कहा, तुमने किसी और कन्या से प्रेम किया है। इसी कारण से तुम्हारी साधना भंग हो गई।

लेकिन मैं फिर भी तुम्हें इस मूर्ति के माध्यम से। धन का एक बड़ा साधन देकर जा रही हूं। इस प्रकार गुरुजी वह गायब हो गई। तबसे मैंने कई बार उसकी साधना करने की कोशिश की है पर कोई फायदा नहीं हुआ।

गुरु जी अब मैं आपसे एक प्रश्न पूछता हूं और सिर्फ आपसे ही नहीं। सारे दर्शकों से। मुझे आप अष्टधातु की मूर्ति की पहचान बताइए?

क्योंकि मैं नहीं जानता कि अष्ट धातु।

की पहचान क्या होती है और इसके बिना मैं? धन नहीं कमा पाऊंगा।

मैं सभी दर्शकों से कहता हूं कि कमेंट के माध्यम से मुझे बताएं कि अष्टधातु की वास्तविक पहचान क्या है?

नमस्कार गुरु जी!

संदेश-देखिए अष्ट धातु 8 धातुओं का मिश्रण मानी जाती है। क्योंकि अष्ट धातु जो होती है वह बहुत ही दुर्लभ होती है।

और? अष्ट धातु की बनी मूर्तियां बहुत अधिक महंगी भी होती हैं। आपको पता है इंटरनेशनल मार्केट में।

अष्ट धातु।

1 किलो की मूर्ति की कीमत इस वक्त। 1करोड़ रुपए से लेकर 4 करोड़ रुपए तक है।

इसलिए यह कोई साधारण बात नहीं है। लेकिन इसकी पहचान! बहुत ही गुप्त रखी जाती है ताकि लोग इसका फायदा ना उठा सके। अगर कोई व्यक्ति इसकी पहचान के विषय में अच्छी तरह जानता है तो नीचे कमेंट बॉक्स में।

बता सकता है ताकि इनकी सहायता हो जाए। और अब? आपने जो प्रार्थना थी कि? किसी भी प्रकार से आपकी कोई भी सामग्री अथवा पहचान गोपनीय रखी जाए। मैंने उसका पूरी तरह से ध्यान रखा है।

आशा करता हूं कि देवी अनुरागिनी की कृपा आप पर बनी रहे।

तो यह था आज का अनुभव! अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें, शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

अष्टधातु –अष्टधातु, (शाब्दिक अर्थ = आठ धातुएँ) एक मिश्रातु है जो हिन्दू और जैन प्रतिमाओं के निर्माण में प्रयुक्त होती है। जिन आठ धातुओं से मिलकर यह बनती है, वे ये हैं- सोना, चाँदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा (रस) की गणना की जाती है। एक प्राचीन ग्रन्थ में इनका निर्देश इस प्रकार किया गया है:

स्वर्ण रूप्यं ताम्रं च रंग यशदमेव च।

शीसं लौहं रसश्चेति धातवोऽष्टौ प्रकीर्तिता:।

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