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अनुरागिनी यक्षिणी सिद्धि का चमत्कारिक अनुभव 4 अंतिम भाग

अनुरागिनी यक्षिणी सिद्धि का चमत्कारिक अनुभव 4 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अनुरागिनी यक्षिणी सिद्धि का चमत्कारिक अनुभव अब आगे की इस कथा के विषय में जानते हैं और जानेंगे कि किस प्रकार साधक महोदय ने अनुरागिनी और उनकी पत्नी के बीच संबंध स्थापित करने की कोशिश की।

नमस्कार गुरु जी, अब मैं आपको आज इस विषय में बताऊंगा कि उसके आगे क्या घटित हुआ था?

तो गुरु जी जैसे कि अब मेरे सामने स्वयं को भैरव बनाना और अपनी पत्नी को भैरवी बनाना था। तभी भैरवी के अंदर कोई भी शक्ति विराजमान हो सकती है। यह बात मुझे उस शक्तिशाली यक्ष पुरुष के माध्यम से पता लगी थी। इसीलिए तंत्र में भैरव और भैरवी संसार की कोई भी सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

स्वयं उस व्यक्ति ने मुझे इसकी विधि बताई। अब भैरव चक्र और भैरवी चक्र बनाकर मुझे उस में बैठकर साधना करनी थी। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि क्या तुम मेरे साथ इस तांत्रिक कार्य में सहयोग दोगी तो उसने कहा, आप अगर मुझसे कुछ करवाते हैं तो मैं अवश्य ही आपका साथ दूंगी। मेरी पत्नी में सबसे अच्छी विशेषता यही है कि वह डरती नहीं है। लेकिन शायद उसे भी नहीं पता था कि जो! तांत्रिक कार्य करने के लिए मेरा साथ देने वाली है। वह कोई साधारण कार्य नहीं है। बड़े-बड़े लोग भी इस कार्य को संपादित नहीं कर पाते हैं। यह मुझे उस प्रयोग के बीच में ही पता लगा। अब हमने एक निश्चित दिन का चयन किया। और उसके बाद फिर साधना के लिए अपनी पत्नी को मैंने कुछ तांत्रिक मंत्र जपने के लिए कहा। उसने रात्रि में लगभग 11 बजे से सुबह प्रकाश निकलने तक उन मंत्रों का जाप किया। मैंने अगले दिन उससे पूछा कि क्या तुम्हें अनुभव हुआ है तो उसने मुझे बताया कि मैंने नीले रंग का प्रकाश देखा जो मेरे अंदर समा गया और मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर बहुत अधिक शक्ति विराजमान हो गई है। मैंने अपने चारों तरफ किसी विचित्र स्त्री को घूमते हुए भी देखा। और मैं समझ गई कि यह कोई शक्ति है जो मेरी मदद करने के लिए आई है।

उसकी यह बातें सुनकर अब मुझे विश्वास हो रहा था कि यह निश्चित रूप से सिद्धि प्राप्त करने योग्य है। इसीलिए अब मैं तैयार था।

मेरे सामने अब ऐसे स्थान का चयन करना जरूरी था जहां पर मैं यह साधना अत्यंत गोपनीय तरीके से कर सकूं।

बताई गई विधि के अनुसार सबसे बड़ी जो विशेष बात थी जिसके कारण से मुझे।

गोपनीय रह कर के ही साधना करनी थी। वह थी दोनों का नग्न होना। शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं होना चाहिए था हालांकि मैं उसका पति हूं और वह मेरी पत्नी है। इसलिए इस बात से विशेष फरक नहीं पड़ता कि हम दोनों एक दूसरे के सामने नग्न होकर के साधना करें, लेकिन समाज में अगर किसी की नजर पड़ जाए तो भयंकर बदनामी के साथ लोग हमें गलत दृष्टि से देखेंगे। इसीलिए मुझे ऐसी जगह का चुनाव करना था जो एकदम एकांत में हो।

तो मैंने एक जंगल के बीच! एक! पुरानी साधु की कुटी जैसे मकान में इस बात को करने के विषय में सोचा। वह साधु अधिकतर तीर्थ यात्रा पर जाता था। मैंने उससे बात की। उसने कहा, आप अगर कोई साधना करना चाहते हैं तो मेरे मकान में आराम से कर सकते हैं और उसने वहां की चाबी मुझे पकड़ा दी। और कहा मैं एक महीने बाद लौट कर आऊंगा तब तक आप मेरे मकान का ख्याल रखिएगा और यहां पर कोई भी साधना या तांत्रिक प्रयोग करना चाहे तो इसकी इजाजत मैं आपको देता हूं। क्योंकि वह जगह। ठीक जंगल के बीच में थी इसी कारण से वहां पर तांत्रिक साधना करना बहुत ही उत्तम था। ना तो कोई वहां आने वाला था। और ना ही कोई किसी भी प्रकार से डिस्टर्ब कर सकता था।

यही सोच कर मैंने उस स्थान का चयन किया था। अब हम लोग! शाम की बस पकड़ कर उस स्थान की ओर जाने लगे। तकरीबन 8 बज चुके थे। मेरी पत्नी जब जंगल में चल रही थी तो वह डरते हुए कहने लगी। आप कैसी जगह मुझे लेकर आए हैं। यहां तो जान का खतरा है। आप मुझसे कौन सी विशेष तांत्रिक साधना करवाना चाहते हैं तो मैंने उससे कहा कि तुम मुझ पर विश्वास रखो।

मैं इस बात से खुश था कि जब से मैं तांत्रिक साधना और यह सारी बातें करने के विषय में अपनी पत्नी से बात करनी शुरू की तब से उसका मन बदल गया था और वह मायके छोड़कर ससुराल आ गई थी। यह एक विशेष बात है। अब मेरे सामने एक विचित्र बात थी। अब मुझे इस साधना को करना था। यह एक गुप्त तांत्रिक साधना है, लेकिन इसके नियम बड़े ही कठिन थे। मैं धीरे-धीरे उसके साथ दबे पांव चलते हुए उस स्थान पर पहुंचा। मैंने दरवाजा खोला और हम लोग उस कमरे में अंदर प्रवेश कर गए। पूरा कमरा अव्यवस्थित था। इसलिए सबसे पहले मुझे और मेरी पत्नी को वह स्थान साफ करना था।

दोनों ने उस स्थान को अच्छी प्रकार से साफ किया और हम लोग अब आगे बढ़ गए। उस क्रिया के लिए साथ में लाए गए सिंदूर, कटार और मुंडमाला सारी चीजों को हमने व्यवस्थित किया और रात्रि गहराते ही यानी रात्रि के 11 बजे के बाद हमने इस तांत्रिक प्रयोग को करने के लिए पूरी तैयारी कर ली थी। अब मेरे सामने सबसे बड़ा प्रश्न था कि क्या मैं सही प्रकार से यह कार्य कर पाऊंगा लेकिन अब मैं इसके लिए तैयार था। सामने लालटेन जला ली ताकि धीमा प्रकाश उपस्थित हो सके। उस समय चारों और जुगनू की आवाज! घर के बाहर विभिन्न प्रकार के जानवरों की आवाज आ रही थी।

समय और काल उस वक्त हमारा साथ दे रहा था। लेकिन विचित्र बात यह थी कि उस अंधेरी रात में भी हमको बहुत ज्यादा डर लग रहा था और यह होना भी स्वाभाविक था क्योंकि यह सारी चीजें। किसी भी साधना के लिए आदमी को भयभीत कर देने वाली होती हैं।

इसलिए मेरे सामने अब और कोई विकल्प नहीं था कि बिना डरे मैं यह साधना शुरू कर सकूं।

मैंने नग्न रूप में और मेरी पत्नी ने पूरी तरह नग्न होकर नर मुंडो की माला पहन ली। और हम दोनों?

मंत्र का जाप करने लगे। तभी अचानक से दरवाजे पर खटखट हुई और वह खटखट बाद में बढ़ने ही लग गई। कोई दरवाजा जोर-जोर से पीट रहा था। लेकिन तांत्रिक साधना के बीच में हमने वहां से उठना उचित नहीं समझा और तीव्रता से साधना के मंत्रों का उच्चारण करने लगे। लेकिन उसके बाद जो हुआ वह विस्मयकारी था। दरवाजा टूट गया और मैंने वहां पर कई सारे पुरुषों को देखा जो कमरे के अंदर आ गए थे। यह सब देख कर अब मैं आश्चर्यचकित हो गया। मेरी पत्नी पूरी तरह नग्न थी और मैं। इसीलिए अब हम लोगों को उठकर साधना छोड़कर भागना पड़ा।

इसी के साथ मेरी पत्नी बेहोश हो गई।

और उसी क्षण जो मैंने देखा वह एक और चमत्कार था। वहां उपस्थित सारे पुरुष हंसने लगे और फिर गायब हो गए। मेरी पत्नी मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गई।

मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। मैं अब अपनी पत्नी को लेकर।

वहां से अपने घर वापस आ गया। कई सारे तांत्रिकों को उसे दिखाया पर वह ठीक ही नहीं हो रही थी। कुछ देर के लिए बस ठीक होती। और फिर उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ जाती।

गुरुजी उस दिन मेरी। वह साधना तो भंग हुई ही थी। अनुरागिनी यक्षिणी भी मेरी जीवन से चली गई।

उसके बाद ना तो मैं उसकी सिद्धि कर पाया और ना ही बाकी कोई कार्य।

बस कृपा आप की है जो आपने गुरु मंत्र जपने के लिए मेरी पत्नी को कहा, आज उसकी मानसिक स्थिति अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी है।

लेकिन जिस कार्य के लिए मैंने यह सब किया था, वह असफल हो गया। गुरुजी भविष्य में मैं फिर इसको और कार्य करूंगा। आपका आशीर्वाद चाहिए। इसीलिए मैं स्वयं और अपनी पत्नी को गुप्त रखते हुए इस अनुभव को आपको प्रेषित कर रहा हूं। आपकी आज्ञा और आशीर्वाद से भविष्य में अवश्य ही सफल होऊगा। आपका आशीर्वाद चाहिए। नमस्कार गुरु जी!

संदेश-तो देखिए यहां पर इनके जीवन में इन्होंने साधना के अनुसार यहां पर जो एक गलती की उसी के कारण से अनुरागिनी इनकी पत्नी के शरीर में प्रवेश नहीं कर पाई। और इसी कारण से साधना भंग हो गई। सिद्धि को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रेत मानव रूप में वहां पर उपस्थित हुए थे और इनकी साधना उन्होंने ही भंग की इसी कारण से ना तो इन्हें अनुरागिनी की सिद्धि हासिल हो पाईऔर ना ही भैरवी प्रतीक बनकर इनकी पत्नी अनुरागिनी को अपने शरीर में धारण कर पाई। तो साधना के दौरान सचेत रहें और पूरी तरह से साधना में लीन हो करके ही साधना को करें। बिना किसी चिंता है और असुरक्षा के तो यह था आज का इनका अनुभव अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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