Site icon Dharam Rahasya

अप्सरा साधना और मेरी सच्ची प्रेम कहानी भाग 1

अप्सरा साधना और मेरी सच्ची प्रेम कहानी भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग जिस अनुभव को लेने जा रहे हैं, यह एक व्यक्ति के प्रेमिका और उसे कैसे जीवन में एक साधना से अच्छी प्रेमिका की प्राप्ति हुई जो जीवन में उसकी जीवनसंगिनी भी बनी और इस दौरान कैसे-कैसे परिवर्तन आए। हम सारी बातें इस साधना की विषय में जानकारी और इनकी सच्ची कहानी से जानेंगे तो चलिए पढते हैं इनके ईमेल पत्र को।

प्रणाम गुरुजी मैंने पहले भी बहुत सारी साधनाएं की है, किंतु गुरु दीक्षित होने के कारण मैं आपसे तो गुरु दीक्षा नहीं ले सकता था। लेकिन इतना अवश्य था कि मुझे आपमें एक योग्य गुरु दिखाई पड़ते थे। जीवन में बहुत सारी परेशानियां चली आ रही थी। तब आपने अपनी इंस्टामोजो स्टोर में अप्सरा साधना के विषय में जानकारी उपलब्ध करवाई। तब मैंने आपको ईमेल लिखकर पूछा था। तब आपने कहा था कि अगर आप गुरु दीक्षित है और आपने अपने गुरु के द्वारा दिए गए गुरु मंत्र का अनुष्ठान पूरा किया हुआ है तो आप यह साधना कर सकते हैं तो गुरुजी उस वक्त तक जो मेरी सबसे बड़ी इच्छा थी, वह यही थी कि मैं एक सुंदर कन्या को प्राप्त करूँ जो मेरी पहली प्रेमिका बने और उसके बाद मैं पत्नी बनाकर अपनी जीवन में सुख प्राप्त कर पाऊं, क्योंकि मैं एक औसत दर्जे का दिखने में लगता हूँ। इसी कारण से कोई भी कन्या अभी तक मुझसे आकर्षित नहीं हुई थी इसके अलावा मैं। सच्चे प्रेम के लिए भटक रहा था। मेरी में इतनी सामर्थ्य भी नहीं थी कि कोई सिद्धि को सच में प्राप्त कर पाऊं। मेरे योग्य गुरु जी जिनसे मैंने गुरु दीक्षा ली थी। उनकी साधना में वर्षों से करते चले आ रहा था, लेकिन उसमें भी मुझे पूर्ण सफलता नहीं मिली थी। ऐसे में आपके द्वारा दी गई इस साधना पर विश्वास कर। मैंने आपका नाम लेकर इस साधना को शुरू किया। सबसे पहले मैंने इसके लिए बाजार से पीले रंग के वस्त्र खरीदे और पीले रंग का ही उन्हें आसन जो कि इस साधना में लगता है। मैंने उसकी व्यवस्था की थी जो कि जिस दिन तक मुझे साधना करनी थी तब तक नहीं उपलब्ध हो पाया। लेकिन फिर दूसरे मुहूर्त से मैंने इस साधना को शुक्रवार की रात्रि से शुरू किया था और फिर जैसा आपने यंत्र बनाने को कहा। मैंने वैसा यंत्र बनाया। घी का दीपक जलाया और उसके बाद विशिष्ट प्रकार से पूजन किया करते हुए उसके बाद फिर मैंने जो अद्भुत यंत्र आपने दिया है उसमें सम्मोहन। वाली मंत्रों का जाप किया और फिर मैंने कहा कि अप्सरा का मूल मंत्र पढ़ा किस मंत्र का मैंने रोजाना 31 दिनों तक जांच किया साधना के लगभग? उन 40 में दिल! जो कि 40 पर दिन से 1 दिन पहले का दिन होता है। उस दिन मुझे स्वप्न में एक महा सुंदर कन्या दिखाई दी। वह मेरे पास आई। मैंने उससे कहा कि तुम क्या मेरी प्रेमिका हो तो उसने कहा, मुझे प्राप्त करना तुम्हारे बस की बात नहीं है। लिक! तुमने मेरी साधना सच्चे हृदय से की है। इसलिए बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है तब मैंने कहा, तुमसे ज्यादा सुंदर मुझे नहीं मिल पाएगी। तुम मुझे किसी भी प्रकार से चाहिए ही चाहिए। तब वह हंसकर कहने लगी। मैंने बताया ना कि तुम मुझे प्राप्त करने योग्य शक्ति नहीं रखते हो। तुम अपनी कोई दूसरी इच्छा बताओ। तब मैं फिर से उदास हो गया और चुप हो गया। तब उसने मेरे पास आकर कहा, मैं तुम्हारी मित्र हूं। विश्वास रखो। तुम्हें अपने हृदय की बात कहने की आवश्यकता भी नहीं है। ठीक है। मैं तुम्हारी मनोकामना पूर्ण कर दूंगी। यह कहते हुए वह तुरंत ही गायब हो गई। बस इतना ही मुझे अनुभव हुआ था और मेरी साधना पूरी तरह पूर्ण हो गई। मैंने सारी साधना के सारे नियमों का पालन किया। ब्रह्मचर्य की पूर्ण रक्षा की और समस्त प्रकार से साधना को पूरी तरह पूरा किया। इस दौरान क्योंकि मैं घर से बाहर रहकर साधना किया था। इसलिए कोई समस्या भी नहीं हुई। मैं किसी के संपर्क में भी नहीं आया, लेकिन इस बात से मैं थोड़ा अचंभित था कि पहली बार ही सही लेकिन स्वप्न में किसी कन्या के दर्शन हुए जो दैवीय कन्या दिखाई देती थी।

तब मैंने सोचा पता नहीं यह साधना सफल हुई भी है या नहीं। हालांकि आपके पीडीएफ में बताएंगे तरीके में मैंने कोई कमी नहीं छोड़ी। बस यही सोच कर मैं अपनी साधना को समाप्त करके अपने गांव वापस आ रहा था कि तभी हमारी जो बस है उसका टायर खराब हो जाता है तो सारे लोग उतर कर बाहर आ जाते हैं। वह ड्राइवर बाहर उतर कर यह कोशिश करता है कि चलो दूसरा टायर लगाया जाए पर टायर लगाने के बाद भी इंजन अब स्टार्ट नहीं होता है। तब वह कहता है कि आप लोग परेशान मत होइए। हमारी रोडवेज की दूसरी कोई बस आएगी तो आप लोग उसी से निकल जाइएगा थोड़ी देर बाद। एक बस आती है और हमारी सारी सवारियां उस बस में चढ़ा दी जाती हैं। जब मैं अंदर चढ़ता हूं तो एक होने पर एक खूबसूरत लड़की बैठी हुई थी। बस मैंने उसी के बगल वाली सीट पर बैठना उपयुक्त समझा, क्योंकि सभी को जल्दी-जल्दी सीटें लेनी आवश्यक थी और कोई नहीं चाहता कि दूसरी बस में जाकर उनकी सीट उन्हें ना मिले और मैं तुरंत ही वहां पर बैठ गया। तब उस लड़की ने खुद मुझसे बात की। उसने कहा आपकी शरीर से। तीज खुशबू आ रही है। आपने बहुत ज्यादा परफ्यूम डाला हुआ है। क्या तब मैंने हंसते हुए कहा नहीं। मेरे शरीर पता नहीं क्यों आपको ऐसी खुशबू आ रही है लेकिन मैं तो परफ्यूम डालता ही नहीं हूं। तब वह कहने लगी। अरे आप तो सामने सामने झूठ बोलते हैं। तो मैं भी बहुत चक्का रह गया। क्योंकि? ऐसा तो पहली बार है कि कोई लड़की मुझसे इस तरह बात कर रही थी और वह भी। ऐसी बात कह रही थी जो कि सच में असंभव थी। मैं कभी भी शरीर के ऊपर परफ्यूम नहीं डालता हूं। तब मैंने कहा, अच्छा ऐसी बात है तो मेरी ही सीट के बगल वाले व्यक्ति से मैंने पूछा, क्या आपको खुशबू आ रही है तब उसने भी कहा हां, आपकी शरीर से बड़ी तेज खुशबू आ रही है। तब मैं! चुप हो गया। मैंने सोचा शायद कहीं गलती से कोई सेंड मेरे ऊपर तो किसी ने नहीं गिरा दिया हो सकता है जब मैं बस बदल रहा हूं तब किसी का सेंड मेरे पर गिर गया हो। चलो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तब वह लड़की हंसकर कहने लगी। कुछ भी हो लेकिन आपने बहुत अच्छा सेंट लगाया है। आपको झूठ नहीं बोलना चाहिए था। मैं उससे क्या कहता, मैंने कहा, यह तो अजीब बात है। लेकिन अगर आप कह रही हैं तो मुझे आपकी बात माननी पड़ेगी तब वह कहने लगी। एक तो आप सामने सामने झूठ बोल रहे हैं। उसके बावजूद भी मान तक नहीं रहे हैं। अभी मैंने बताया ना जब आपने भी दूसरे आदमी से पूछा तो उसे भी खुशबू आ रही है तो फिर इस बात को मानने से इंकार क्यों कर रहे हैं कि आपने सेंट डाला हुआ है? मैंने कहा चलो अच्छा है, जो भी है लेकिन कम से कम इस लड़की को तो अच्छा लग ही रहा है तो मैं भी कहने लगा। हां अच्छा तू गलती से मेरे ऊपर से गिर गया होगा। तब हंसकर कहने लगी। ठीक है, कोई बात नहीं, लेकिन मैं आपको एक बात बता दूं। कभी भी लड़कों को लेडीज परफ्यूम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और यह कह कर हंसने लगी। मुझे सिर्फ उसकी हंसी ही अच्छी लग रही थी क्योंकि मुझे इस बात का पता अभी भी नहीं चल पाया था कि मेरे शरीर से खुशबू आखिर क्यों आ रही है। यह बात सुनने में थोड़ा अजीब सी लगेगी। लेकिन यह बिल्कुल एक सत्य बात थी क्योंकि अनुभव न सिर्फ उस लड़की को हो रहा। बल्कि इसके अलावा वहां उपस्थित लगभग सारे लोगों को यह बात अच्छी तरह महसूस हो रही थी और इसका एक और उदाहरण बिल्कुल कुछ ही देर बाद मेरे सामने आया। तब मैं और भी ज्यादा चकित हुआ था कि मैं इस बात को जानता था। कंडक्टर मेरे पास आया और उसने कहा कि। पिछली वाली बस!

मैं आप लोगों के टिकट नहीं काटे गए हैं, जिनके टिकट नहीं कटे हैं। वह सारे लोग अपनी टिकट कटवा लीजिए। तब मैंने कहा, मेरा भी टिकट नहीं काटा गया था तो जैसे ही वह मेरे पास आया और कहने लगा। भाई साहब कितना सेंट आपने डाला है और यह सुनकर ही वह लड़की फिर से हंसने लगी। पर मुझे फिर अजीब लग रहा था। यह आज कैसा दिन है जिसे देखो वह यही कह रहा है कि मैंने बड़ा ही तेज सेंटर डाला हुआ है। पर मुझे तो खुद से कोई खुशबू महसूस ही नहीं हो रही। शायद उस दिन मेरी ना ही खराब होगी।

थोड़ी देर बाद वह लड़की मुझसे फिर से बातें करने लगी। उसने बताया कि वह सामने वाले गांव में जा रही है तो मैंने भी उससे कहा, आप तो मेरे ही पड़ोस के गांव की रहने वाली हैं। ठीक है हम लोग उसी जगह उतरेंगे और वह भी शहर से आ रही थी और क्योंकि गांव को जाने वाला रास्ता हम लोगों का एक ही रोड से होकर जाता था और रोड के इस पार उसका गांव और उस पार मेरा गांव था। तब मैंने उसे कहा, चली हम लोग आगे जाने वाले रास्ते पर उतर लेते हैं। उसने अपना बैग उतारा। मैंने भी अपना बैग लिया और हम दोनों ही उतर गए। उसके बाद वह बताने लगी कि वह शहर से।

की तैयारी कर रही है और एमबीए की पढ़ाई वह करते हुए आगे जाकर जॉब करना चाहती है तो मैंने भी कहा, मैं भी बीटेक की तैयारी में आगे कार्य कर रहा हूं और मेरा बेटे कंपलीट होने के बाद मैं। किसी अच्छी प्रोफेशनल। कंपनी में काम करना चाहता हूं। उसके बाद हम दोनों की बातचीत शुरू हो गई। बातचीत करते करते अचानक से मेरा रास्ता बदल गया और उसने मुझे बाय बोला, मैंने भी उसे बाय बोल कर दूसरी तरफ चल दिया। पता नहीं क्यों पर बड़ी तेज बेचैनी मेरे शरीर के अंदर होने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था। मैंने गलती की है। अरे कम से कम उसका मोबाइल नंबर मुझे ले लेना चाहिए था। कम से कम आगे हमारी बातचीत तो होती रहती। लेकिन मैं भी कैसा बेवकूफ हूं। यह कैसे गलती से हो गया?

उधर शायद ऐसा ही कुछ वहां भी घटित हो रहा होगा। इसका पता मुझे बाद में चला। किधर मैं अपने घर पहुंचा गांव में मम्मी पापा और सारे लोग? मेरा इंतजार कर रहे थे क्योंकि उनको खबर हो चुकी थी। तब उन्होंने पूछा कि कैसा रहा पढ़ाई का यह सत्र? पर मैंने तो यह बात उन्हें बताया ही नहीं कि मैं अपनी साधना के दिनों में। अपनी इंस्टिट्यूशन में गया ही नहीं था। सिर्फ अपनी साधना इतने दिन मैंने की थी। और यह बात किसी को भी नहीं पता थी।

किताब मैंने अपना बैग खोला और जो देखा भौचक्का रह गया। मैंने यही सोचा था कि उस लड़की से जुड़ाव की। एक और वैसे मेरे सामने होगी। गुरु जी इसके आगे क्या हुआ, मैं आपको आगे की घटना के विषय में अगले पत्र के माध्यम से बताऊंगा। अगर आपको मेरा अनुभव अच्छा लगता है तो आप इसे मेरी रिक्वेस्ट पर अवश्य ही प्रकाशित कीजिएगा। आपका विशेष रूप से धन्यवाद! नमस्कार गुरु जी!

तो देखिए यहां पर इन्होंने साधना के बाद उनके साथ होने वाली अप्रत्याशित घटना और एक लड़की से इनकी मित्रता के संदर्भ में बताया है। अगले पत्र के माध्यम से आगे की कहानी को जाएंगे। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

अप्सरा साधना और मेरी सच्ची प्रेम कहानी भाग 2

Exit mobile version