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अम्बिका माँ दुर्गा अष्टोत्तरशतनामावली साधना

अम्बिका माँ दुर्गा अष्टोत्तरशतनामावली साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है आज! क्योंकि? अब यह समय नजदीक है जब हम माता की आराधना करेंगे। नवरात्रि के अवसर के माध्यम से ऐसे में दर्शकों की मांग पर उनके लिए एक सरल और सौम्य सात्विक तरीके की मां दुर्गा की नामावली साधना को लेकर के आज उपस्थित हुआ हूं। माता के 108 नामों के विषय में तो सभी लोग जानते हैं। जोकि दुर्गा सप्तशती में वर्णित है, लेकिन माता की अंबिका दुर्गा स्वरूप की जो 108 नाम है। वह बहुत दैविक और गोपनीय माने जाते हैं और स्वयं इनका जाप महर्षि मार्कंडेय जी किया करते थे?

महर्षि मार्कंडेय ने ही। इन मंत्रों के माध्यम से माता की प्रसन्नता को प्राप्त किया था। इस साधना को हर व्यक्ति कर सकता है चाहे वह बच्चा हो या फिर बूढ़ा व्यक्ति यह एक पूरी तरह तात्विक साधना है। तरीका भी बहुत ही सरल है जहां पर भी आपने माता को स्थापित किया है। उनकी आगे देसी गाय के घी का दीपक जलाएं। उन्हें फूल लाल रंग के अर्पित कीजिए। और माता के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना कीजिए कि माता मैं आप के 108 नामों का जाप करने की आपसे आज्ञा चाहता हूं। आप मुझे प्रसन्न होकर इन मंत्रों की शक्ति प्रदान कीजिए।

इसके माध्यम से मैं जीवन के संकटों से बाहर निकलूँ। मेरे जीवन में सुख और प्रसन्नता आए आपका आशीर्वाद! मेरे सर पर सदैव बना रहे। आप सदैव मेरी रक्षा करती रहे। इस प्रकार सात्विक तरीके से प्रार्थना करने के बाद सबसे पहले भगवान गणेश के मंत्र का उच्चारण करें। फिर भगवान शिव के मंत्र भगवान विष्णु के मंत्र माता लक्ष्मी के मंत्र को जपने के बाद माता काली और माता सरस्वती के मंत्रों का भी संक्षिप्त जाप करें। उसके बाद महर्षि मार्कंडेय जी को नमन करते हुए और भैरव जी के मंत्रों का उच्चारण करने के बाद अब आप माता की प्रतिमा के सामने जहां पर आप ने शुद्ध देसी के घी का दीपक जलाया है।

सुखासन अथवा पद्मासन मुद्रा में बैठ जाएं। आप गिनती गिनने के लिए चाहे तो रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल कर सकते हैं। अन्यथा अगर आप बिना माला के भी करना चाहते हैं तो भी कर सकते हैं। इसमें बस आपको इतना ध्यान रखना होगा कि इस स्त्रोत को पहले पढ़ कर। आप यह जान लीजिए कि आप कितने समय में इस 108 नामों की माला को पूर्ण कर लेते हैं?

मान लीजिए आप इसे? 2:30 मिनट में। पूरा कर लेते हैं। इसी हिसाब से आप समझ लेंगे कि मुझे किस प्रकार एक माला का जाप कंप्लीट करना है? कितनी देर मुझे लगेगी?

आप रोजाना! नवरात्रि में किसी भी समय जब आप का एक निश्चित समय हो, चाहे वह दिन का समय हो, ब्रह्म मुहूर्त हो या गहरी रात्रि हो। आप उस वक्त इनकी मंत्रों का जाप करें। ध्यान माता के स्वरूप में लगाएं।

अगर आप उनके स्वरूप का ध्यान करते हैं? तू चरणों के अंगूठे से शुरु करते हुए उनकी। पैर की उंगलियों बिछिया फिर पैर घुटना जांघें कमर। वक्ष स्थल गर्दन। सुंदर चेहरा आंखें त्रिनेत्र।

और बाल!

यह देखते हुए। आप नीचे से लेकर ऊपर तक जाएंगे? इस मंत्र के ध्यान शुरू को इसी प्रकार करना है। अन्यथा अगर आप माता के मूल स्वरूप माता पराशक्ति के माध्यम से करना चाहते हैं तो शून्य ब्रह्मांड, अनंत ब्रह्मांड में ध्यान लगाएं। अपने गुरुदेव का भी ध्यान इन मंत्रों से आप कर सकते हैं। तो यह तीन प्रकार से आप ध्यान यहां पर माता की प्रसन्नता के लिए कर सकते हैं जैसा ध्यान लगाएंगे वैसी ही सिद्दीकी मिलेगी रोजाना केवल एक माला अर्थात 108 बार। मंत्र का जाप करना है। यहां पर?

समझने वाली बात यह है कि 108 नाम। जब एक बार आप पूरे सारे पढ़ते हैं तो इसे एक गिना जाता है इसी प्रकार इन 108 नामों को 108 बार। अर्थात एक माला मंत्र जाप करना चाहिए।

इससे माता की कृपा आपको प्राप्त होती है। मां की कृपा आपको मिलने लगती है। माता की महिमा अनंत है, यह बात सभी जानते हैं। उनकी कृपा से आप समस्त प्रकार के जीवन के संकटों से निकल जाएंगे। माता की महिमा अनंत है। और मां के किसी भी स्वरूप की साधना नवरात्रि पर करना बहुत शुभ माना जाता है। यह साधना अत्यंत सात्विक और सरल विधि से की जाती है। बैठने के लिए लाल रंग के कंबल के ऊनी आसन पर ही विराजमान हो।

इस प्रकार करने से रोजाना माता की कृपा आपको नवरात्रि में मिलने लगती है। स्वप्न के माध्यम से आपको दिव्य प्रकार के दर्शन होते हैं। और इस मंत्र की पूर्ण सिद्धि होने पर सभी प्रकार की माताओं की कृपा आप पर। होने लगती है इसीलिए जीवन के हर प्रकार के संकट से आप बाहर निकल जाते हैं। तो आइए जानते हैं इस श्री अंबिका अष्टोत्तर शतनामावली साधना का ज्ञान।

सबसे पहले एक तांबे के लोटे में जल भरकर। बाय अथवा दाएं जिसका आप इस्तेमाल करते हो, उसे पकड़ ले और फिर दाहिने हाथ में जल लेकर। संकल्प लेते हैं।

ॐ अस्यश्री अम्बिकामहामन्त्रस्य मार्कण्डेय ऋषिः उष्णिक् छन्दः अम्बिका दुर्गा देवता प्रीत्यर्थे मंत्र जपे विनियोग , कहते हुए जल को नीचे गिरा दे। उसके बाद माता के स्वरूप का ध्यान कीजिए। जैसे मैंने आपको बताया है। जितना ज्यादा सुंदर और दिव्य ध्यान आप करेंगे उतनी ही ज्यादा मां से आपकी नजदीकी और वात्सल्य प्रेम आपको प्राप्त होगा जो लोग। पूरी 108 नाम को। नहीं पढ़ पाते हैं। तो उनके संक्षिप्त मंत्र को भी वह पाठ कर सकते हैं। वह इस प्रकार से है

ॐ ह्रीं श्रीं अम्बिकायै नमः
अब बात करते हैं माता की मूल 108 नामों के विषय में जो कि इस प्रकार से है -

ॐ अम्बिकायै नमः । ॐ सिद्धेश्वर्यै नमः । ॐ चतुराश्रमवाण्यै नमः । ॐ ब्राह्मण्यै नमः । ॐ क्षत्रियायै नमः । ॐ वैश्यायै नमः । ॐ शूद्रायै नमः । ॐ वेदमार्गरतायै नमः । ॐ वज्रायै नमः । ॐ वेदविश्वविभागिन्यै नमः । १० ॐ अस्त्रशस्त्रमयायै नमः । ॐ वीर्यवत्यै नमः । ॐ वरशस्त्रधारिण्यै नमः । ॐ सुमेधसे नमः । ॐ भद्रकाल्यै नमः । ॐ अपराजितायै नमः । ॐ गायत्र्यै नमः । ॐ संकृत्यै नमः । ॐ सन्ध्यायै नमः । ॐ सावित्र्यै नमः । २० ॐ त्रिपदाश्रयायै नमः । ॐ त्रिसन्ध्यायै नमः । ॐ त्रिपद्यै नमः । ॐ धात्र्यै नमः । ॐ सुपथायै नमः । ॐ सामगायन्यै नमः । ॐ पाञ्चाल्यै नमः । ॐ कालिकायै नमः । ॐ बालायै नमः । ॐ बालक्रीडायै नमः । ३० ॐ सनातन्यै नमः । ॐ गर्भाधारायै नमः । ॐ आधारशून्यायै नमः । ॐ जलाशयनिवासिन्यै नमः । ॐ सुरारिघातिन्यै नमः । ॐ कृत्यायै नमः । ॐ पूतनायै नमः । ॐ चरितोत्तमायै नमः । ॐ लज्जारसवत्यै नमः । ॐ नन्दायै नमः । ४० ॐ भवायै नमः । ॐ पापनाशिन्यै नमः । ॐ पीतम्बरधरायै नमः । ॐ गीतसङ्गीतायै नमः । ॐ गानगोचरायै नमः । ॐ सप्तस्वरमयायै नमः । ॐ षद्जमध्यमधैवतायै नमः । ॐ मुख्यग्रामसंस्थितायै नमः । ॐ स्वस्थायै नमः । ॐ स्वस्थानवासिन्यै नमः । ५० ॐ आनन्दनादिन्यै नमः । ॐ प्रोतायै नमः । ॐ प्रेतालयनिवासिन्यै नमः । ॐ गीतनृत्यप्रियायै नमः । ॐ कामिन्यै नमः । ॐ तुष्टिदायिन्यै नमः । ॐ पुष्टिदायै नमः । ॐ निष्ठायै नमः । ॐ सत्यप्रियायै नमः । ॐ प्रज्ञायै नमः । ६० ॐ लोकेशायै नमः । ॐ संशोभनायै नमः । ॐ संविषयायै नमः । ॐ ज्वालिन्यै नमः । ॐ ज्वालायै नमः । ॐ विमूर्त्यै नमः । ॐ विषनाशिन्यै नमः । ॐ विषनागदम्न्यै नमः । ॐ कुरुकुल्लायै नमः । ॐ अमृतोद्भवायै नमः । ७० ॐ भूतभीतिहरायै नमः । ॐ रक्षायै नमः । ॐ राक्षस्यै नमः । ॐ रात्र्यै नमः । ॐ दीर्घनिद्रायै नमः । ॐ दिवागतायै नमः । ॐ चन्द्रिकायै नमः । ॐ चन्द्रकान्त्यै नमः । ॐ सूर्यकान्त्यै नमः । ॐ निशाचरायै नमः । ८० ॐ डाकिन्यै नमः । ॐ शाकिन्यै नमः । ॐ हाकिन्यै नमः । ॐ चक्रवासिन्यै नमः । ॐ सीतायै नमः । ॐ सीताप्रियायै नमः । ॐ शान्तायै नमः । ॐ सकलायै नमः । ॐ वनदेवतायै नमः । ॐ गुरुरूपधारिण्यै नमः । ९० ॐ गोष्ठ्यै नमः । ॐ मृत्युमारणायै नमः । ॐ शारदायै नमः । ॐ महामायायै नमः । ॐ विनिद्रायै नमः । ॐ चन्द्रधरायै नमः । ॐ मृत्युविनाशिन्यै नमः । ॐ चन्द्रमण्डलसङ्काशायै नमः । ॐ चन्द्रमण्डलवर्तिन्यै नमः । ॐ अणिमाद्यै नमः । १०० ॐ गुणोपेतायै नमः । ॐ कामरूपिण्यै नमः । ॐ कान्त्यै नमः । ॐ श्रद्धायै नमः । ॐ पद्मपत्रायताक्ष्यै नमः । ॐ पद्महस्तायै नमः । ॐ पद्मासनस्थायै नमः । ॐ श्रीमहालक्ष्म्यै नमः । १०८

तो इस प्रकार से आप जान सकते हैं यह माता के गुप्त अंबिका दुर्गा अष्टोत्तर शतनामावली नाम है। इनके पाठ से समस्त देवी-देवताओं की कृपा स्वयं ही व्यक्ति को मिलने लगती है और अद्भुत लाभ देखने को मिलता है। नवरात्रि, गुप्त नवरात्रि इत्यादि शुभ अवसरों पर इसकी एक माला का अनुष्ठान। पूरे नवरात्रि भर करना चाहिए तो आपको माता की गुप्त विद्याओं की जानकारी के साथ-साथ उनकी योगनियों की कृपा, भैरव, कृपा और स्वयं माता अंबिका दुर्गा की कृपा अवश्य ही मिलती है। आशा करता हूं आपको यह वीडियो अच्छा लगा होगा। आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

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