Site icon Dharam Rahasya

आनंद भैरव और शक्तिशाली केसी पिशाचिनी भाग 4

आनंद भैरव और शक्तिशाली केसी पिशाचिनी भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । अभी तक आपने देखा कि किस प्रकार से केसी को उसकी सहायिका यानी कि रूपा ने बताया कि आखिर राजकुमार का विवाह कैसे उसी के रूप वाली किसी कन्या से हो रहा है । यह सुनकर के आश्चर्य में पड़ गई थी केसी । केसी को इस बात का बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था यह सब क्या और कैसे घटित हो रहा है । उसने यह कभी सोचा नहीं था कि उसी का रूप ले करके कोई शक्ति उस से छल कर सकती है पर ऐसा हो रहा था । उसने रूपा से कहा क्या तुम बता सकती हो कि वह स्त्री कौन हो सकती है । इस पर रूपा ने कहा मुझे लगता है कि वह कोई बड़ी मायावीनी शक्ति है । जिसने हम लोगों के तंत्र को काटकर वहां अपना तंत्र स्थापित कर दिया है । और समस्या यह है कि अगर हम उसे रोकने जाएंगे तो भला रोकेंगे कैसे । क्योंकि वह पहले ही तुम्हारा रूप लिए मंडप में विवाह कर चुकी है । अब राजकुमार भी हम पर विश्वास नहीं करेगा अगर हम उससे कहते भी हैं कि असली रूपा और असली केसी हम लोग हैं तो भी शायद बात को वह ना माने । इस पर केसी कहती है नहीं ऐसा नहीं है मैं उसे हम दोनों के बीच की मुलाकातें बताऊंगी जिससे राजकुमार को पक्का यकीन हो जाएगा कि असली केसी मैं ही हूं । इस पर रूपा कहती है ठीक है चलो चलते हैं । अभी थोड़ी दूर वह रास्ते में जा ही रहे थे तभी एक ऋषि एक पेड़ के नीचे बैठे दिखाई देते हैं । वह जोर से चिल्लाते हुए कहते हैं अरे रूपा अरे केसी है क्यों बेचारे को मरवाना चाहती हो कहां जा रही हो । इस प्रकार उच्चारण सुनकर केसी और रूपा दोनों रुक जाते हैं ।

वह उस ऋषि के पास जाकर उन्हें प्रणाम करते हुए कहते हैं ऋषिवर आप कौन हैं । और हमें हमारे विषय में इस प्रकार का कथन क्यों कह रहे हैं क्या कोई विशेष कारण है जिसकी वजह से आप हमसे इस तरह पेश आ रहे हैं । जिस पर ऋषि कहते हैं तू जहां जा रही है वह एक तीव्र सम्मोहन है उस सम्मोहन की काट करना असंभव है शिवाय एक साधना के । लेकिन वह भी तुझे घनघोर वन में जाकर सभी प्रकार की परिस्थितियों का सामना करते हुए अकेले ही करनी ही होगी । और उसके बाद ऋषि कहता ही कि किसी शक्तिशाली पिशाचिनी ने तुम्हारा रूप लेकर तुम्हारे ही पति को हर लिया है । और उसे तुम रोक नहीं पाओगी उस पर तुम्हारी कोई भी शक्ति काम नहीं करेगी अगर यकीन नहीं आता है तो मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूं । उन्होंने वहां पर एक चमत्कारी द्वार बना दिया उस द्वार के अंदर वह स्त्री जो कि केसी का रूप धारण किए हुए थी राजकुमार के साथ प्रेम प्रसंग में अपना समय व्यतीत कर रही थी । जिसे देखकर केसी आग बबूला हो गई केसी ने वहीं से अपनी छाया शक्ति का प्रयोग किया । लेकिन छाया शक्ति टकराकर वापस आ गई रूपा ने भी अपनी कुछ शक्तियों का प्रयोग किया लेकिन वह भी असफल ही रही । इस प्रकार यह सब देख कर वह आश्चर्य में पड़ गई उन्होंने कहा कि हमको गुरुवर ने दृश्य शक्ति प्रदान की थी । अगर कोई शक्ति दिखाई पड़ती है उस पर हम अपने मंत्र का प्रयोग करते हैं ठीक वैसे ही जैसे कि वह शक्ति सामने ही हो पर इस पर किया गया मंत्र प्रयोग कम नहीं कर रहा । इस पर ऋषि कहता है मैंने तुमसे कहा ना यह किसी शक्तिशाली पिशाचीनी के वश में है । तुमको इससे भी बड़ी पिशाचिनी साधना करनी होगी जाओ घनघोर वन में वहां महापिशाचिनी को सिद्ध करो । उसके बाद वह महापिशाचिनी तुम्हारा शरीर धारण कर लेगी उसके बाद तुम स्वयं महा पिशाचिनी हो जाओगी ।

जब तुम महा पिशाचिनी बन जाओ तो फिर तुम से युद्ध में यह शक्ति नहीं जीत सकती और तुम अपना पति प्राप्त कर लोगी । उसकी बात को सुनकर केसी ने विचार किया क्या यह करना उचित रहेगा या फिर राजकुमार के महल में जाना ही ठीक होगा । पहले उससे बात कर ले उसने सोचा कि पहले बात करना ही उचित होगा । लेकिन तभी रूपा ने केसी का हाथ पकड़ कर उससे कहा ऋषि की बात सर्वथा सत्य है तुम तुरंत ही वन में चली जाओ और मैं भी तुम्हारे साथ कुटी के आसपास ही रहूंगी । अवश्य ही मैं तुम्हारी निगरानी करती रहूंगी और तुम्हें जल्दी से जल्दी सिद्धि प्राप्त हो । तो फिर तुम आकर इस पिशाचिनी का अंत कर देना और अपने पति को प्राप्त कर लेना । केसी दबाव में आ गई क्योंकि वह ऋषि और रूपा की बात से प्रभावित हो चुकी थी । उसने घनघोर वन में जाकर साधना करना ही उपयुक्त समझा और वह चली गई ऋषि द्वारा बताए गए घनघोर वन में । तपस्या कर देखते ही देखते साधना करते करते 1 वर्ष बीत गया लेकिन महापिशाचिनी नहीं आई । महापिशाचिनी का मंत्र जपते हुए इतना अधिक समय बीत जाने पर उसे समझ में नहीं आया कि उसे क्या करना है । इसलिए उसने तपको और अधिक घनघोर बना लिया वह अपने रक्त की बलि भी महा पिशाचिनी को चढ़ाने लगी । अंततोगत्वा महा पिशाचिनी प्रकट हो गई महा पिशाचिनी के प्रकट होते ही वहां पर अद्भुत चमत्कार घटित होने लगा । वहां पर खड़ी रूपा जोर जोर से चिल्लाने लगी यह भ्रम है यहां से भाग चलो केसी यह असली पिशाचिनी देवी नहीं है । किंतु अपनी साधना में विश्वास करके केसी ने कहा मैं विश्वास करती हूं तुम ठहरो ।

मैं इन से वार्तालाप करती हूं तब महा पिशाचिनी ने कहा तुमने मुझे किस लिए बुलाया है । इस पर केसी कहती है आप और मैं अलग अलग ना रहे बल्कि हम एक ही हो जाए और आपकी सारी ऊर्जा शक्तियां सामर्थ सब मुझे प्रदान हो जाए । ताकि मैं अपने प्रेमी जिससे मैं विवाह करने वाली थी उसे प्राप्त कर सकूं और संसार की किसी भी शक्ति को हरा सकूं । इस पर महा पिशाचिनी प्रसन्न होकर कहती है मैं तुझे अपनी सारी शक्तियां प्रदान करती हूं सारा ज्ञान और सारे भ्रम भी तेरे मिटा दूंगी अब तुझे कोई प्राप्त नहीं कर पाएगा । शिवाय नगर कोतवाल देवता के इस मायापुरी के नगर कोतवाल आनंद भैरव के अतिरिक्त तुझे हराने की शक्ति किसी में नहीं है । तो अपनी इच्छा से जो भी करना चाहेगी वह सब कुछ कर सकेगी और महा पिशाचिनी उसके शरीर में प्रवेश कर उसका स्वरूप धारण कर लिया । आप केसी बहुत अधिक शक्तिशाली हो चुकी थी क्योंकि महा पिशाचिनी की सारी शक्तियां और सिद्धियां उसके अंदर मौजूद थी । उसने जैसे ही रूपा की और देखा वह आश्चर्य में पढ़कर बहुत ही क्रोधित हो गई उसे यकीन नहीं था कि इतना बड़ा धोखा उसे हो सकता है । असल में रूपा एक छल माया थी जो उसके साथ बहुत पहले से ही मौजूद थी । बहुत ही क्रोध में आकर केसी ने उस पर अपनी शक्ति का प्रयोग कर उसे जला डाला । वह छाया जलते हुए रोते हुए कहने लगी मुझे क्षमा कर दो मुझे क्षमा कर दो । लेकिन केसी। का विरोध इतना प्रबल था कि अब रूपा का छाया प्रतिबिंब रूप नष्ट होना निश्चित है इस प्रकार छाया स्वरूप नष्ट हो गया । गुस्से से वहीं से उड़ते हुए वह सीधे राज महल पहुंची वहां पर वह प्रणय संबंधों को देखते हुए बड़े ही क्रोध में भर गई  । जब उसने अपनी दिव्य शक्ति का प्रयोग किया तो जो कुछ भी उसने देखा वह और भी आश्चर्यजनक करने वाला था । वहां पर उसी की सहेली रूपा उसका रूप लिए राजकुमार के साथ प्रणय कर रही थी ।

यह देखकर वह बहुत ही ज्यादा क्रोधित हो गई वह जोर से आकाश से गर्जना करते हुए रूपा कही। रूपा भी तुरंत ही समझ गई और उसने तुरंत ही अपना वास्तविक रूप धारण कर लिया । और कहने लगी कि जब हमने तंत्र विद्या की थी यह भी कहा था जो तंत्र विद्या में ज्यादा निपुण होगा वही विजेता होगा । मैंने तुम्हारा रूप लेकर राजकुमार से विवाह किया अब यह मेरा पति है इसलिए तुम यहां से चली जाओ । इसपर केसी बहुत ही ज्यादा क्रोधित हो गई केसी  उस पर तुरंत ही अपनी शक्ति का प्रयोग की । किंतु अचानक से रूपा राजकुमार सहित गायब हो गई । केसी ने उसे बहुत ढूंढा लेकिन वह कहीं भी दिखाई नहीं पड़ी । उसे समझ में नहीं आ रहा था ऐसा कैसे हो गया । उसने एक बार फिर से महा शक्तिशाली महा पिशाचिनी आवाहन किया और उनसे पूछा कि आखिर उसकी सहेली और उसका प्रेमी कहां गायब हो गया । इस पर महाशक्तिशाली पिशाचीनी ने कहा जहां मेरा क्षेत्र नहीं है वह क्षेत्र आनंद भैरव का है उन्होंने एक ऐसा नगर बनाया है जिसके अंदर प्रवेश करने के बाद दूसरी शक्तियां वहां पर प्रवेश नहीं कर सकती है । तुम्हारी सखी बहुत ही अधिक चतुर है उसने स्वयं को वहां सुरक्षित कर लिया है अब जब तक जीवित रहेगी तुम्हारी पहुंच से सदैव बाहर रहेगी और कुछ भी कर लो तुम उस तक नहीं पहुंच पाओगी ।

उसने आनंद भैरव को प्रसन्न कर रखा है उनकी सिद्धि की वजह से ही अब वह अपराजय हो चुकी है । अभी तुम्हारे अंदर बहुत शक्तियां हैं लेकिन तुम उससे अपना प्रतिशोध नहीं ले पाओगी । यह देखकर अब अब केसी रोने लगी और उसमें अपना निवास स्थान एक जगह पर बना लिया । इस प्रकार अब कहने लगी कि यह वही कन्या है जो अब अगला जन्म लेकर दोबारा उसी राजकुमार के दूसरे रूप यानी दूसरे जन्म के स्वरूप से विवाह करने वाली है । अबकी बार मैं इसे किसी भी प्रकार से सफल नहीं होने दे सकती । इसीलिए मैंने इसे मार डालने के लिए ही यहां पर अपना रूप और स्वरूप धारण किया है । अब ऋषि समझ चुके थे कि आखिर क्यों यह इस कन्या से बदला लेने के लिए आतुर है । क्योंकि पूर्व जन्म की रूपा इस जन्म में विवाह कर रही है और इसीलिए यह पिशाचिनी इसके पीछे पड़ी हुई है । इसको रोकना अब संभव नहीं है किंतु ऋषि ने उससे कहा कि रुको मैं तुम्हें कुछ और बातें भी बताता हूं । यह कहकर केसी को उन्होंने समझाने की कोशिश की । क्या ऋषि उसे समझा पाए अथवा इस जन्म की रूपा से केसी ने बदला ले लिया । जानेंगे हम लोग अंतिम भाग में । अगर आपको यह कहानी और जानकारी पसंद आ रही हो तो लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब करें । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

आनंद भैरव और शक्तिशाली केसी पिशाचिनी भाग 5

Exit mobile version