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उर्वशी अप्सरा साधना सम्पूर्ण सिद्धि विधान और तंत्र कथा भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज बात करेंगे एक ऐसी साधना के साथ उस कथा के बारे में जो बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है। आज हम लोग शुरुआत करने वाले हैं अप्सरा साधना के बारे में। बहुत समय से यह मांग चली आ रही थी कि साधना को शुरू किया जाए तो जो लोग भी गुरु मंत्र का जाप कर चुके हैं और अब साधना सीखना चाहते हैं उनके लिए अत्यंत गोपनीय साधनों के विषय में आज से शुरुआत की जा रही है और यह साधनाओं में सबसे पहले, सबसे सरल और सबसे उत्तम मानी जाने वाली साधनाएं हैं। और वह साधना हैं अप्सराओं की साधना। स्वर्ग मे जो सर्व सुंदर और सबसे उत्तम जो अप्सरा मानी जाती हैं उनका नाम उर्वशी है। तो आज उर्वशी देवी की कथा के साथ में हम लोग उनकी साधना और उसका पीडीएफ प्राप्त करेंगे।

ऐसी कथा आती है कि विश्वामित्र जी ने एक बार जब स्वर्ग लोक में जाकर के उर्वशी अप्सरा का नृत्य देखा तो उससे बहुत अधिक प्रभावित हो गए। विश्वामित्र किसी भी शक्ति को अपने पास बुलाने की सामर्थ्य रखते थे। उनका मन हुआ कि उनके आश्रम में भी आकर उर्वशी नृत्य करें। उन्होंने आज्ञा दी कि उर्वशी आओ और मेरे आश्रम में नृत्य करना। उर्वशी ने यह कहकर टाल दिया कि मैं इस योग्य नहीं हूं। और मेरी जो भी इच्छा या बुद्धि है वह सब देवराज के ही अधीन है। इस पर विश्वामित्र जी को बड़ा क्रोध हुआ और उन्होंने अपना एक स्पष्ट संदेश इंद्र देवता तक पहुंचा दिया । इस पर इंद्र देवता ने उन्हें मना कर दिया और कहा कि मैं किसी भी अवस्था में अपनी अप्सरा को पृथ्वी लोक पर नहीं भेज सकता। विश्वामित्र को इस बात से क्रोध आ गया उन्होंने अपने गोपनीय तंत्र का प्रयोग किया और उर्वशी को वशीभूत कर दिया। गुरु मंत्र की शक्ति का प्रयोग कर उन्होंने उर्वशी को अपने आश्रम में बुला लिया। उनसे कहा कि तुम्हें ठीक वैसा ही नृत्य करना है जैसा कि तुम देवता इंद्र की सभा में करती थी। इसके बाद उर्वशी ने मजबूर होकर उन को प्रसन्न करने के लिए नृत्य किया। इंद्र देवता भी खड़े खड़े देखते रह गए क्योंकि जिस शक्तिशाली वशीकरण मंत्र का प्रयोग किया गया था। उसके माध्यम से कोई भी संसार की शक्ति उर्वशी को, विश्वामित्र के पास आने से नहीं रोक सकती थी। विश्वामित्र ने जिस तंत्र का प्रयोग किया था मैं भी उसी तंत्र के बारे में आपको बता रहा हूं। यह उर्वशी तंत्र के नाम से जाना जाता है और इससे उर्वशी जैसी, ब्रह्मांड सुंदरी को आप अपने वश में कर सकते हैं। पूरी तरह से आप उसको अपने अधीन ला सकते हैं और उर्वशी हर प्रकार से आपका जीवन सुखमय बना देती हैं। कहते हैं विश्वामित्र जी के बाद में इस अप्सरा को बहुत सारे लोगों ने अपने अपने हिसाब से सिद्ध किया होगा।

विश्वामित्र के बाद उनके शिष्य भूरिश्रवा, चिन्मय, देवसुत,गन्धर, और यहां तक कि देवी विश्रा और रत्नप्रभा ने भी उर्वशी सिद्ध कर जीवन के सम्पूर्ण भोगों का भोग किया।इसके बाद गोरखनाथ जी ने भी उर्वशी को बुला करके स्वयं को चिर यौवन प्राप्त करवा लिया, हमेशा जवान रहने की विद्या उर्वशी से उन्होंने प्राप्त की थी। कहते हैं गोरखपुर में गोरखनाथ जी ने उर्वशी को बुलाकर नृत्य करवाया था और अपने सारे शिष्यों के सामने साक्षात उर्वशी ने आकर नृत्य किया था और धन दौलत भी सबको प्रदान की थी। अगर साधक इनकी साधना करता है तो धन दौलत जीवन के समस्त सुखों के साथ रति सुख और अन्य प्रकार के सभी जितने भी स्वर्गीय स्वर्ग सुख हैं, वह सारे के सारे वह प्राप्त कर सकता है। इसीलिए साधना में, उर्वशी अप्सरा की साधना का विशेष महत्व है। यह इतनी अधिक सुंदर होती हैं कि इन्हें देखने वाला संसार के समस्त स्त्रियों को भूल जाता है। इनका रूप इतना अधिक सुंदर माना गया है।सबसे पहले इनकी कहानी सुनते हैं। एक गुरु थे जिनका नाम था गन्धर। उनके एक शिष्य थे। जिनका नाम था का कापाली। कपाली ने गन्धर गुरु के पास जाकर पूछा कि मैं अप्सराओं को सिद्ध करना चाहता हूं। क्या आप मेरी मदद करेंगे? गन्धर गुरु ने कहा मेरे पास अप्सराओं को सिद्ध करने की बहुत सारी विद्या हैं। उनमें से मेरे पास सबसे अंत में तुम्हें मैं गुरु मंत्र की शक्ति द्वारा, जिसके माध्यम से विश्वामित्र ने पृथ्वी पर उर्वशी को बुला लिया था दिखाऊंगा । लेकिन वह मैं पहले नहीं दूंगा। पहले मैं तुम्हारी पूरी परीक्षा लूंगा और साथ ही साथ यह भी सिद्ध करना तुम्हें आवश्यक है कि, कोई भी शक्ति यूं ही धरती पर आसानी से नहीं आ जाती। उसके लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है। अगर आप कठिन परिश्रम नहीं करते हो और इसी प्रकार स्वर्ग की अप्सराएं मनुष्यों के पास आसानी से आने लग गई तो संसार में कोई भी कर्म करना छोड़ देगा। भोग विलास में डूब जाएगा और जिस उद्देश्य हेतु यह दुनिया का निर्माण किया गया है वह भी जाती रहेगी। इसलिए मैं आपको अब सबसे पहले उर्वशी के इस संबंध में बताना चाहता हूं। जिसे तुम सिद्ध करना चाहते हो कपाली ने कहा गुरुदेव आप मुझे पूरी बात उर्वशी की बताइए, यह कौन है? और यह सबसे सुंदर क्यों मानी जाती हैं? इनका प्रारब्ध कैसा है? कैसे इनका निर्माण हुआ और क्यों उन्हें सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है? सामान्य जनों द्वारा l

गुरु गन्धर ने कहा ठीक है मैं तुम्हें इनके विषय में बताता हूं। एक बार नर और नारायण नाम के दो ऋषि जो भगवान विष्णु का ही अवतार माने जाते हैं। भीषण तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या इतनी अधिक प्रभावशाली थी कि उस पूरे क्षेत्र में, जहां पर हिमालय में वह तपस्या कर रहे थे, कंपन होने लगता था। उनके कंपनों से वहां पर जितनी भी बुरी शक्तियां थी वह सब भाग खड़ी हो गई। उनकी तपस्या और पूजा इस प्रकार रुकने वाली नहीं थी। धीरे-धीरे करके नर और नारायण ने इतनी अधिक तपस्या की कि उनके मंत्रों के जाप का असर स्वर्ग लोक तक जाने लगा। जब वह मंत्र का जाप करते, तो स्वर्ग लोक में भीषण हलचल मच जाती। हलचल इतनी अधिक शक्तिशाली थी कि स्वयं एक बार देवराज इंद्र गिरते-गिरते बचे। देवराज को इस बात पर बड़ा क्रोध आया उन्होंने तुरंत ही देव सैनिकों को आज्ञा दी कि, जाओ देखकर आओ कि मेरे इस सिंहासन को हिलाने वाला कौन है? तुरंत ही देवता धरती पर आए और उन्होंने देखा कि दो ऋषि बहुत ही तीव्र ऊर्जा के साथ तपस्या कर रहे हैं। उनकी तपस्या अत्यधिक शक्तिशाली थी, इसी कारण से उनके मंत्रों की शक्ति से स्वर्ग डोल रहा था। यह बात जब देवराज को पता चली तो देवराज हंसकर कहने लगे कि, सबसे पहले मेरी सुंदर अप्सराओं को भेज दो। मैं अपनी सारी अप्सराओं को आदेश देता हूं कि वह उनके साथ भोग करें और उनकी साधना को नष्ट कर दें। एक-एक करके सारी अप्सराएं नर और नारायण की सेवा में उपस्थित होने लगी । कुछ उनके बदन से लिपट कर उनको चूमती, कुछ उनके आसपास विभिन्न प्रकार की भोग सामग्रियां प्रस्तुत करती । कुछ एक वहां पर अपने तरीके से उन्हें रिझाने की कोशिश करती। वह सारे प्रकार के प्रयोजनों को कर रही थी। कुछ तो नग्न होकर चारों तरफ घूमती। लेकिन इससे नर और नारायण को कोई प्रभाव नहीं हो रहा था। जब वे हार गई तो वह देवता इंद्र के पास पहुंची। इंद्र ने कहा अद्भुत आश्चर्य की बात है। मैं कामदेवता सहित अपनी अप्सराओं को लेकर स्वयं उन लोगों के पास पहुंचता हूं। और देखता हूं कि आखिर पृथ्वी पर ऐसा कौन हो गया है जिसके ऊपर काम का प्रभाव नहीं पड़ पा रहा है। देवराज कामदेव और अन्य अप्सराएँ सब के सब वहां पर नर और नारायण के सामने उपस्थित हो गए। और उन्होंने अपनी बात पर अंततोगत्वा आखरी प्रयास किया और किसी भी प्रकार से। नर और नारायण की तपस्या को भंग करने की कोशिश की। नर नारायण ने अपनी आंखें खोल दी। क्रोधित नर नारायण ने कहा कि तुम्हारे इन प्रयोजनों से हमारा कुछ भी नहीं बिगड़ने वाला। देवराज कहते हैं मेरे पास संसार की सबसे अधिक सुंदर स्त्रियां हैं। जिन्हे मनुष्य एक बार देख ले तो अपना आपा खो देता है। आप लोगों पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। ऐसा क्या है आप लोगों के पास? नारायण ने कहा जितनी सुंदर अप्सराएं हमें दिखा रहे हो उससे कई गुना सुंदर अप्सराएं। मैं स्वयं अपनी इच्छा से प्रकट कर सकता हूं। मेरी सिद्धि का प्रभाव इतना अधिक आगे बढ़ चुका है। इस पर देवराज और अन्य अप्सराएं हंसने लगे। कहते हैं तभी नारायण क्रोध में भर गए और उन्होंने अपनी जांघ पर हाथ मार कर। उर्वशी नाम की अप्सरा को प्रकट किया। उर्वशी इतनी अधिक सुंदर थी कि सारी अप्सराएं उसे देखकर शरमा गई। उन्होंने स्वयं देखा कि इतनी अधिक सुंदर स्त्री संसार में दूसरी कोई नहीं है। इस प्रकार से नारायण की जांघ से उर्वशी की उत्पत्ति हुई थी। नारायण और नर से माफी मांग कर देवराज इंद्र स्वर्ग वापस लौट आए और इसी वजह से नारायण ने उन्हें उर्वशी सौंप दी और कहा कि इस अप्सरा को तुम अपने पास रखो । यह तुम्हारे समस्त कार्यों को करती रहेगी। इसके बाद गुरु ने कहा कि इसके बाद। दूसरी कथा आती है और वह है पुरूरवा और उर्वशी की कथा। वह मैं तुम्हें बताता हूं।

नीचे पीडीएफ का लिंक दिया हुआ है वहां से आप चाहे तो उर्वशी साधना की संपूर्ण विधि को आप क्लिक करके इंस्टामोजोअकाउंट में पहुंच सकते हैं। वहां से उसे डाउनलोड कर सकते हैं

उर्वशी अप्सरा साधना सम्पूर्ण सिद्धि विधान

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