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उर्वशी अप्सरा सिद्धि अनुभव

उर्वशी अप्सरा सिद्धि अनुभव

श्री गुरु सूरज प्रताप जी और परम पूजनीय गुरु माँ को मेरा सादर प्रणाम।। एवं गुरु सन्तानो को मेरा बहुत सारा स्नेह।।
मै आज आपको हाल मे हि करी गयी एक अप्सरा साधना सिद्धि का अनुभव बताने वाला हु।। और अगर मै अपने इस अनुभव को अच्छे से लिखने मे सक्षम रहा तो आशा है आप इसे अवश्य प्रकाशित करेंगे।। जिससे साधको को अच्छे से समझ आ जाए की साधना करने मे और केवल किताबी बाते कहने मे कितना अंतर है।।
 मैने उर्वशी अप्सरा की साधना करी थी और ये मेरा उसे अपनी प्रेमिका रूप मे प्राप्त करने का अनुभव है। ये अनुभव मे उनकी आज्ञा पाकर भेज रहा हु और ये मेरा अपना निजी अनुभव है जो मै अपने गुरु सूरज प्रताप जी को भेज रहा हु इसकी पुष्ठी मै खुद करता हु
 मुझे ये साधना सदगुरुदेव की पुरानी पत्रिका मे प्राप्त हुई थी और ये साधना 31 दिन की थी जिसमे उर्वशी प्रत्यक्ष होती थी और आपको अपने प्रेमी-पति के रूप मे वरण करती है।।। मैने बड़ी उत्सुकता से ये साधना पढ़ी थी और ये साधना अन्य साधनाओ के मुताबिक बड़ी विचित्र थी। इसके नियम अधिक थे परन्तु मुझे इस साधना से अजीब हि आकर्षण हो गया थ।। वैसे तो मैने उर्वशी साधना करने की कभी सोची नही थी परन्तु जिज्ञासा वस इस साधना को करने का बहुत इच्छुक था।।

मै इस पत्र को बिल्कुल बारीकी से समझा के लिखने का प्रयास कर रहा हु जिससे साधको के मन मे कोई भ्रम ना रहे और वो बिल्कुल सटीक तरीके से समझ पाए।।

साधना 31 दिन की थी और इसे हमे रात्रि मे शिव मंदिर मे संपन्न करना था।।  साधना काल मे ब्रम्हचर्य और स्त्री स्पर्श पूर्णतः वर्जित था।। और मंदिर मे हि सोने का आदेश था।।
मर्यादा अनुसार मै पूर्ण विधि तो नही बता सकता परन्तु कुछ ज़रूरी सामग्री जो इसमे लगी थी वो कुछ इस प्रकार थी –
1- भैरवी चक्र
2- सम्मोहन गुतिका
3- रक्षा माला
4- प्राण प्रतिष्ठित उर्वशी यंत्र
5- प्राण प्रतिष्ठित अप्सरा / सफटीक माला
और कुछ सामगरिया थी जिनका नाम मै यहां नही ले सकता।।
मैने जब से ये सब पढ़ा था तब से मै इन सभी व्यवस्थाओ को करने मे जुट गया था।। मम्मी के आगे कई बार हाथ पैर जोड़ने के बाद मुझे आज्ञा मिली थी और पापा ने तो बात करना हि बंद कर दिया था ये कहके की पढ़ाई लिखाई छोड़ कर बाबा बन जाओ तुम।। फिर भी मैने किसी तरह सामग्री जुताई और मंदिर ढूंढ़ने लगा।। शहरो मे सबसे बड़ी विडंबना ये है की रात्रि मे आप किसी मंदिर मे नही रुक सकते , आपको लोग गलत नज़र से देखने लगते है
: मेरे घर से लगभग 3 किलोमीटर दूर पुल के निचे एक शिव मंदिर है जहा के पंडित का मैने एक बार तंत्र काट किया था तो उन्होंने मुझे आज्ञा दे दी थी वहा साधना करने की। मैने घर वालो की मंज़ूरी लेके साधना करने का निश्चय कर लिया।। और  महीने की पूर्णिमा को साधना शुरु कर दिया
 हर रात्रि मुझे 10 बजे से साधना करनी थी ।। प्रथम दिन मै नहा धोके 8 बजे मंदिर निकल गया और व्हा पहुंच कर लाल वस्त्र धारण कर लिया और मंदिर की किवाद अंदर से बंद कर दिया।। फिर शिव की उपासना करने के बाद एक बाजोट बिचाई , उसपे एक स्टील की प्लेट बिचाई बीच मे स्वस्तिक बनाया और चावल की ढेरी बनाके उसपे अप्सरा यंत्र स्थापित करा और उसकी बाई तरफ चावल की ढेरी बनाके सम्मोहन गुटीका स्थापित करी फिर सुरक्षा माला धारण किया और अप्सरा माला  का पूजन संस्कार किया।। भैरवी चक्र विधि मुझे बताने की आज्ञा नही मिली इसलिए उसके बिषय मे यहां नही बता रहा।। इतना सब करने के बाद मैने योगिनी मंडल , भैरव पूजन , सुरेंद्र और सुरेंदरी का पूजन और कलश स्थापन आदि क्रिया सम्पन्न करी और अखंड दीप की स्थापना करी
 ये सब करते करते हि मै थक गया था क्यूनकि इतना अधिक पूजन करना मेरे लिए पढ़ने मे आसान था पर असलियत मे बहुत कस्तकारी सिद्ध हुआ । उपर से खरखाई नदी के बगल मे जिस शिव मंदिर मे मै साधना कर रहा था उधर बेहद तेज़ पानी की आवाज़े आती थी जिससे थोड़ा भय लगता था, वैसे भी मै बचपन से जल से डरता था।
 सभी स्थापना और पूजन करने के बाद मैने संकल्प आदि लेके 31 माला अप्सरा सम्मोहन मंत्र और 121 माला उर्वशी अप्सरा का मंत्र जाप करा और लगभग ये सब करते करते मुझे 3 बजे गये थें और मैने प्रथम दिन की साधना पूर्ण करके वही बगल मे बिछी दरी पर सो गया।। सवेरे 6 बजे से पहले मै घर पहुंच गया और ऐसे हि रोज रात्रि मे साधना करता और सवेरे घर आ जाता।।
लगभ्ग हफ्ते भर मुझे कोई अनुभव नही होता था बस मेरी शक्ल पुरी लाल हो गयी थी जैसे मेरा हेमोग्लोबिन बहुत बड़ गया हो
: 12 मार्च को जब मै रात मे साधना करने बैठा तब मेरा मुख किलित हो जा रहा था मै मंत्र जाप नही कर पा रहा था पर किसी तरह मैने जाप कर रहा था तभी मुझे पीछे से किसी के हसने की आवाज़ आइ ।। मेरी सारी बहादुरी क्षण भर मे खत्म हो गई और सामने स्थापित शिवलिंग पर मैने दृष्टि केंद्रित कर ली और जब तक मेरा जाप पूर्ण नही हुआ तब तक वो हसी की आवाज़ आते रही।। वो इतनी मनोरम आवाज़ थी फिर भी उसमे बहुत भय लाने वाले गुण प्रतीत होते थे।। सुबह 7 बजे किसी स्त्री का प्रवेश हुआ मंदिर मे और वो बिल्कुल लाल सलवार कमीज़ मे थी और हाथ मे पूजा की थाल थी।। उन्होंने मुझे उठाया और कहा की जल्दी करो आज तुम्हारा एगज़ाम है । तुम्हे पढना भी है ।। मैने उनको देख कर स्तब्ध रह गया था।। इतना अतुलनीय तेज़ और सुंदरता मैने कभी नही देखी थी।। बिल्कुल ऐसी हि स्त्री मैने पिछले वर्ष तारा पीठ मे देखी थी।। मैने जैसे हि आँख मल के नींद तोड़ी वो स्त्री गायब हो चुकी थी।। मै अचंभित था की कोई अनजान स्त्री कैसे मुझे आके उठा सकती है जबकि मंदिर का मुख्य द्वार बंद था और उसे मेरे 12 बोर्ड के अकॉउंट्स एगज़ाम के विषय मे कैसे पता
: मैने इन सब पर अधिक ध्यान ना देते हुए घर की और निकलना उचित समझा क्यूंकि अगर कोई सचमे मंदिर मे आ जाता तो वहा के पुजारी की नौकरी जा सकती थी।। मैन एगज़ाम देके आया और फिर नित्य साधना करने लगा ।। रोज रात्रि को मुझे अब नृत्य करती स्त्रिया अपने आँखो के सामने दिखाई देती थी और मै कई बार माला गिनती भूल जाता था जिससे मुझे फिरसे सुरु करना पड़ता था।। शिव लिंग के आगे मै और मेरे आगे अप्सराए नृत्य करते दिखती थी तो बिल्कुल ऐसा प्रतीत होता था जैसे मै शिव दरबार मे बैठा हु और भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए अप्सराए नृत्य कर रही हो
 साधना के 21 वे दिन मुझे एक स्वप्न आता है जिसमे मै खर खाई नदी के तट  पर एक उच्चे काले  पत्थर की शिला पर बैठा हुआ था और तभी जल मे से एक सुंदर युवती निकलती है और मेरे गले पर हाथ फेरते हुय मुझसे चिपकने की कोशिश करती है।। उसके लक्षण मुझे अच्छे नही लगते पर मै विवश था मुझे कोई ऐसा मंत्र नही आता था जिससे मै उसको भगा पाता , गुरु मंत्र उसपर असर नही कर रहा था।। तब मैने भगवान क्रोध भैरव का मंत्र प्रयोग कर दिया उसपे जिसको मैने जागृत कर रखा था।। मंत्र उच्चारण करके मैने जैसे हि उसे छुआ उसका रूप बदल गया और उसके शरीर का मांस गलके गिरने लगा और वो “फिरदौसी” शब्द चिल्लाते हुय भागने लगी और नदी मे चली गयी
 मेरी साधना अच्छी चल रही थी रोज नृत्य और संगीत से रात्रि को शिब मंदिर गुंज उठती थी।। परन्तु तभी अचानक एक दिन मेरे स्वरा स्थापित अखंड ज्योत की कम होने लगी थी तब मैने देखा की दीपक की सतह मे काली परत जम रही थी बाद मे मुझे  पता लगा की पैकेट वाले घी मिलावटी होते है इसलिए ऐसा होता है पर भगवान शिव की कृपा से मेरा दीपक की लौ कम हो गई थी पर बुझी नही थी।।
साधना के 24 वे रात्रि मे मुझे स्वप्न आया की साधना काल मे मेरी माला टूट गयी थी और मै रो रहा था।। नींद खुलते हि मैने अपने माला को चेक करा पर वो सही सलामत थी।।।
अगले 2 दिन मुझे कोई अनुभव नही हुए थे।। फिर एक रात्रि साधना करते करते मुझे अपनी जाँघा पर किसी के बैठने का आभास हुआ और उसका नितंब मेरे लिंग पर स्पर्श हो रहा था।। मैने आज तक किसी स्त्री को इतने नज़दीक से स्पर्श नही किया था और ऐसी घटना मेरे लिए बिल्कुल चौकाने वाली थी।। उसका शरीर बिल्कुल वैसा था जैसे वो अभी अभी नहा के आई हुई हो ठंडा और हलका गीला । उसके शरीर से चंदन की भीनी भीनी महक आ रही थी।। मेरे साधना अंत होने तक वो बैसे हि बैठी रही
 साधना के आख़री 3 दिन बचे थे पर प्रत्यक्षिकरण नही हुआ था ।। मै निराश था पर साधना देवी के सरिर की मेहक ने मेरा मन मोह रखा था।। साधना के आख़री दिन भी पूर्णिमा पड़ी थी।। मैने प्रातः नहा धोकर कुलदेवी देवता का हवन आदि क्रिया संपन्न करा और फिर प्रफुल्लित मन से पंडित जी को कॉल करके हवन सामग्री सब लाने के लिए कह दिया और उनको पैसे गूगल पे कर दिया थ।।। तभी शाम को पंडीत जी की इकलौती बेटी मेरे घर आती है।। और मुझे बुलाके कहती है की विष्णु मेरे पिता ने  स्वीकृति दे दी है , आज जल्दी आ जाना।। और तुरंत चली जाति है।।
मै भी जल्दी नहा के मंदिर चला जाता हु पर मंदिर पहुंच कर मुझे  केवल पंडित जी की लड़की मिलती है वो भी सामग्री के साथ।। मुझे नहीं पता था आगे यहां ऐसा कुछ होने वाला था।।
मै पूजन करके हवन करने वाला हि रहता हु की वो मुझसे पूछती है किसका हवन कर रहे हो तुम और ये इतना रात मे मंदिर मे रहने पर डर नही लगता है? मन तो मेरा बहुत था की कह दु उसे की मै बचपन से हि डरपोक रहा हु पर ऐसा कहना मुझे अपने नाम के शान के खिलाफ लगा।। मैने भगवान दक्षिणमूर्ति शिव के तरफ ऊँगली दिखाते हुय कहा की हम औघड स्वाभव वाले है, भय से हमारा कोई रिश्ता नही।। मेरी इतनी बात सुनके उसने बहुत जोर का अट्टाहास किया और अंधेरी रात मे मंदिर की चार दीवारी मे बहुत भयंकर लगा मुझे वो फिर उसने मेरी सामग्री सजा दी
 यंत्र पर उर्वशी लिखा देख उसने मुझसे अप्सराओ के विषय मे बाते करना शुरु कर दिया।। मै उसकी बातो का जवाब देने मे अरुचि दिखाइ तो वो अजीब सी रूठी हुई सी दिखी , मेरा मन पसिज गया तो मैने उससे बाते करना शुरु कर दिया।। उसने मुझे दुनिया जहाँ की बाते करने लगी और हवा के कारण कई बार उसके बाल उसकी आँखों के पास आ जाते थे जो बहुत हि सुंदर लगते थे परन्तु धीरे धीरे वो मुझे अपनी तरफ रिझाने लगी।। मुझे समझ आ गया की शायद साधना के कारण मेरी ऊर्जा उसे आकर्षित कर रही है।। फिर मैने हवन कुंड तैयार होते हि उसे जाने को कहा पर वो नही मानी मैने बहुत कहा तब वो गयी ।। और मै शांत चित्त होके हवन करने लगा।। तभी बीच हवन मे वो आके मेरी बाई तरफ आके बैठ गयी
जब जब मै उर्वशी शब्द का उच्चारन करता हवन मंत्रो के दौरान तब तब वो हस्ती और तिरछि नज़र से मुझे देखती।। मै शर्म से लाल हो गया था क्यूंकि इतनी सुंदर लड़की का ऐसा प्रेम पूर्वक आचरण मेरे लिए बिल्कुल् अजीब था।।
हवन पूर्ण होने से पहले हि वो गायब  हो गई।। मै देखता रह गया वो कहा चली गयी।।।
पूर्ण आहुति देने से पहले हि शिवलिंग से एक अजीब सा प्रकाश आने लगा और 12-12.30 बजे रात को
 पुरा मंदिर चमक उठा और सामने से एक लाल रंग और सोने से बनी हुई  वस्त्रों को पहने हुए एक स्त्री आ रही थी और आके मेरे सामने खड़ी हो गयी।। मै उनको देखता रह गया और मेरा मुख से निकला “पंडित जी की बेटी”।। उसने अश्रु भरे नेत्रों से हा कहा और मेरे हवन पूर्ण होते हि उसने मुझे बताया की पंडित जी जब जवान थे तो वो सूर्य देव के प्रचण्ड साधक थे और उन्होंने उर्वशी को पुत्री रूप मे सिद्ध करा था पर किसी कारण वश उर्वशी को वापस जाना पड़ा था।। और पंडित ने उर्वशी के कहने पर हि मुझे इस मंदिर मे साधना करने की आगया दी थी
 देवी द्वारा ये सब सुनके मेरे अश्रु नही रुक रहे थे और ना जी अपने नेत्रों पर बिश्वास हो रहा था की ये सब सच है।।
देवी ने मुझे अपने प्रेमी रूप मे स्वीकार करा और वरदान भी दिया जिसमे हम दोनो ने एक दूसरे को बहुत सारे वचन दिये है।।
ये था मेरा खुद का अप्सरा साधना का अनुभव।। हज़रात साधना भी मैने आपको देवी की प्रेरणा से हि भेजी थी।।
मेरा सभी साधको से अनुरोध है की आप सब भी प्रमाणिक और्
 सही साधनाए करे।। क्यूंकि ऐसे तो कई साधना है पर एक्सपेरिमेंट करने के लिए जीवन बहुत छोटा है।।
मुझे खुद  गुरु भाई ने ईर्ष्य वश अधूरी हनुमान वीर साधना दे दी थी , परन्तु राम कृपा से मै सुरक्षित निकल आया और मुझे उस साधना की पूर्ण और प्रमाणिक विधि भी प्राप्त हो गई बाद मे।।
इसलिए आप सभी सुरक्षा के साथ साधना करे और श्री गुरुदेब सूरज प्रताप जी से इंस्टामोजो पे साधना ले सकते है क्यूंकि गुरूमुखी होने पर हर साधना सही हो जाती है ।।
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 गुरु मार्गदर्शन मे साधना करना सबसे सेफ है।।
समय मिलने पर शीग्र हि मै आपको अपना पूर्व जन्म का अनुभव भेजूंगा।। जो मुझे आपके द्वारा प्रदान किये गये गुरु मंत्र से प्राप्त हुआ था।।
लिखने मे भूल चुक माफ़ करिएगा गुरू भगवान।।।।
https://youtu.be/DbiS8yTy_48
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