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कर्ण पिशाचिनी की उत्पत्ति की कहानी भाग 1

कर्ण पिशाचिनी की उत्पत्ति की कहानी भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य में आपका स्वागत है काफी लोगों की डिमांड आ रही थी । कि कर्ण पिशाचिनी की सच्ची कहानी बताई जाए । तो मैं आप लोगों को इस कर्ण पिशाचिनी के बारे में दंतकथा बता रहा हूं । तिब्बत में लाकसीतुम नाम के तिब्बतीए आचार्य थे । जो बहुत ही बड़े तांत्रिक थे । उनके पास नालंदा विश्वविद्यालय से ही एक व्यक्ति तांत्रिक बनने के लिए गया था । और यह व्यक्ति कामनाथ का रिश्तेदार भी था । क्योंकि कामनाथ की उसको सारी कहानी मालूम ही थी कामनाथ उसके ताऊ वगैरा लगते थे । इस व्यक्ति का नाम मित्र नाथ था । उस व्यक्ति का उन्होंने सोचा कि जो पिशाचिनी साधना है और इससे और भी शक्तियां और सिद्धियां प्राप्त की जाए । तो अपने गुरु से आज्ञा लेकर वह कामरु कामाख्या चले गए ।उनके गुरु ने कहा आप कामरूप कामाख्या में चले जाइए ।वहां से आप अगर कोई तांत्रिक प्रयोग करना चाहते हैं । तो आपको नए-नए रहस्य खोजने को मिलेंगे । आप तांत्रिक सिद्धियों को सिद्धि भी कर सकते हैं । उनके गुरु ने कुछ गोपनीय विद्या दी थी । उन्हें कई सारे डाकिनी मंत्र कुछ इस तरह के मंत्र उन्हें प्रदान किए थे । तो इन्होंने अपने स्वयं का प्रयोग सोचा ।

मैं इन सब चीजों का प्रयोग करूंगा । तब तक इनकी मुलाकात एक देवी भक्त से हुई । उन्होंने जो इनको मधु और केटप एक प्रसंग सुनाया । किस प्रकार भगवान विष्णु के कर्ण से मधु और केटप की उत्पत्ति हुई । भगवान विष्णु के हृदय में सदा लक्ष्मी माता का निवास है । यह बात सुनकर के उसके मन में जो मुझे तांत्रिक सिद्धि मंत्र मिले हैं । गुरु परंपरा से अगर मैं किसी स्त्री शरीर से इसी प्रकार से उत्पत्ति करने की कोशिश करूं । जिस प्रकार भगवान विष्णु के कर्ण से पैदा हुई थी । मधु केटप के रूप में निश्चित रूप से हर मनुष्य के अंदर वही शक्ति विद्यमान है । जो देवी-देवताओं के अंदर विद्यमान हैं वह नकारात्मक शक्ति जरूर प्रकट होगी । और वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली होगी इस बात को सोचते हुए । उन्होंने इस प्रयोग को करने की सोची । इसके लिए उन्होंने एक अक्षत योनि कन्या ढूंढना आवश्यक थी । तब उन दिनों बहुत से साधु-संत जो होते थे । वह अपनी कन्याओं का दान किया करते थे । कन्याओं का दान उन ऋषि और देवी पुरुषों को किया जाता था । जो बहुत बड़ा तपस्वी होता था । तो गाय की जोड़ियां लेकर के और फिर उसके साथ अपनी कन्या का विवाह कर दिया जाता था ।

तो इन्होंने भी पता किया अपने तंत्र से की कौन सी ऐसी कन्या हो सकती है । तो रूपमती नाम की एक कन्या के बारे में उन्हें पता लगा कि वह कन्या के  पिता भी तांत्रिक रहे हैं । और वह तंत्र में काफी निपुण हो चुकी हैं 17 या 18 वर्ष की आयु है । अभी अविवाहित है अगर मैं उसके साथ विवाह कर लूं । तो यह प्रयोग उस पर कर सकता हूं । उसको अपनी भैरवी बना करके यह साधना संपन्न कर सकता हूं । इस वजह से उन्होंने अपने तांत्रिक मंत्रों के द्वारा जान लिया । और उनके पिता के पास पहुंच गया । पिता के पास पहुंचने पर उन्होंने उनसे कहा आप अपनी तंत्र विद्या का प्रदर्शन करिए । मैं भी अपने तंत्र विद्या का प्रदर्शन करूंगा । और जो हममें ज्यादा शक्तिशाली होगा । उसकी इच्छा हमें एक दूसरे को माननी पड़ेगी । दोनों में तांत्रिक द्वंद हुआ । दोनों ने अपनी अपनी शक्तियां प्रकट की । कन्या के पिता  ने सर्प शक्ति प्रकट की तो इन्होंने अपने मंत्र से नेवला शक्ति प्रकट की । और इनकी नेवला शक्ति ने सर्प शक्ति को नष्ट कर दिया । इसके बाद वह इस प्रकार से पराजित हो गए । तो उन्होंने पूछा,, हे तांत्रिक महोदय आप तो बहुत ही विद्यमान हो । और आप किस बल से आते हो आप के गुरु कौन थे ।

और आप अपने कोई रिश्तेदार का नाम बताइए । तो उन्होंने कामनाथ की कथा उन्हें सुना दी । कामनाथ की कथा सुनकर वह भो चक्के रह गए । क्योंकि वह उस समय की प्रचलित कथा थी । इस वजह से उन्होंने कहा आप तो महान तांत्रिक है । मैं किस प्रकार आपकी सेवा कर सकता हूं क्या चाहिए आपको । तो उन्होंने कहा मुझे आपकी पुत्री चाहिए । जो अत्यंत ही रूपवान है मैंने अपनी तंत्र शक्ति के द्वारा पता किया है । वह अद्भुत शक्तियों से संपन्न है । बस उसकी शक्तियों के जागृत मात्र करने के देरी है । आप मुझे उसे भैरवी के रूप में मुझे समर्पित कर दीजिए । और मैं उससे विवाह कर लूंगा । ऐसा कहने पाए उन्होंने कहा ठीक है । आप इसे ले जाइए और मुझे एक जोड़ी बैल समर्पित करें । 1 जोड़ी बैल इन्होंने अपनी शक्ति से दे दिया । और इसे आर्ष विवाह भी शायद कहा जाता है । उस जमाने में आर्ष विवाह संपन्न करके कन्या रूपमती को प्राप्त कर लिया ।रूपमती को प्राप्त करने लेने के बाद अब यह चल पड़े कामरु कामाख्या में । उस स्थान पर गोपनीय तंत्र प्रयोग कर सके यह बात हजारों साल पहले की है । ऐसी अवस्था में जब वह वहां पहुंचे ।

तो इन्होंने अपनी पत्नी को कहा कि आपको हमारी भैरवी स्वीकार है कि नहीं । उसने कहा पिता की आज्ञा से मैं आपके पास ही हूं इसलिए हर प्रकार से मैं आपकी आज्ञा का पालन करूंगी । और जो भी आप मुझे कार्य सौंपेंगे । मैं आपका पूरी तरह से सहयोग करूंगी । रूपमती की बात सुनकर इनको बड़ी प्रसन्नता हुई । अब इन्होंने रूपमती को कहा कि अब मैं आपके लिए एक चक्र बनाऊंगा । साधना के लिए उस चक्र के बीच में बैठा करके मैं आप पर तांत्रिक प्रयोग करूंगा । और ऐसी शक्ति को उत्पन्न करने की कोशिश करूंगा । जिस प्रकार से भगवान विष्णु के सो जाने पर उनके कान से उनके मलसे मधु और कैटप नाम के राक्षस उत्पन्न हुए थे । इस प्रकार मैं भी आपके कान से तांत्रिक प्रयोग करके ऐसी शक्ति को पैदा करने की कोशिश करूंगा । जो हर प्रकार से हमारा कार्य करें और महान शक्तिशाली हो । ऐसी स्थिति होते हुए अब अपनी पत्नी को इन्होंने नग्न स्वरूप में एक भैरवी चक्र के बीच में अपनी पत्नी को बैठा दिया । उन्होंने मंत्रों का जाप शुरू कर दिया । थोड़ी देर बाद इनकी पत्नी के कान में अत्यधिक दर्द शुरू हो गया । कानों में दर्द शुरू होने के कारण से इनकी पत्नी ने इनसे कहा मुझे कान में तेज दर्द हो रहा है । मैं क्या करूं क्या करूं तो तंत्र शक्ति से पता लगाया गया कि यहां पर कोई चीज उपलब्ध हो तो इनकी कान में डाली जा सके ।

इनके कान में डालने वाली कोई भी चीज उपलब्ध ना होने पर तुरंत ही एक ऐसी चीज प्रकट हुई । जो जोक सामान थी  । उसको अभिमंत्रित करके उन्होंने उसके कानों पर रख दिया । कान के ऊपर रखने पर जोक शक्ति ने उनके कान का मल चूसने लगी । और मल के चूसने पर उनको फिर से तेज दर्द हुआ । और अब समस्या यह हो गई कि अब करे तो क्या करें दर्द रुकने का नाम नहीं ले रहा था । उसने कान से उनके जोक निकालकर के फेंक बाहर फेंक दी । इस तरह कार्य असंपन्न हो गया । और यह बात समझ में नहीं आई । किस प्रकार से इस समस्या का निवारण किया जाए । अगले दिन योग साधना में बैठने पर ध्यान पर बैठने पर इन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ । यह शक्ति कान के अंदर जो मल होता है उसी मल से यह शक्ति उत्पन्न होती है । तो उससे भी गंदा मल चाहिए काफी सोचने पर अपनी तंत्र विद्या के द्वारा कि अगर वहां पर वास्तविक मनुष्य का ही मल लगाया जाए ।

तो निश्चित रूप से वह शक्ति तीव्रता से प्रकट होगी । क्योंकि एक मल से घृणित दूसरा मल प्राप्त होगा । तो वह शक्ति जरूर उत्पन्न होगी । इस प्रकार उन्होंने स्वयं के मल को लगाने की सोची तांत्रिक ने । और जो अघोरी तांत्रिक होते हैं इन सब बातों से घृणा नहीं करते हैं । इन्होंने अपनी पत्नी के दोनों कानों में अपना ही मल उनके कानों में लगा दिए । फिर इसके बाद इन्होंने अपनी पत्नी को नग्न अवस्था में करके उस भैरवी चक्र में बैठा दिया । साधना के लिए फिर से तैयार हो गए । थोड़ी ही देर बाद मंत्र जाप होते ही  एकदम से तीव्र एक काली धुनी चारों तरफ काला धुआं सा फैल गया । उसमें कुछ भी दिखाई देना बंद हो गया रात्रि का समय होता चला जा रहा था । और साधना भी तीव्रता लेती जा रही थी । शक्ति के उत्पन्न होने के संदेश आ चुके थे । चारों तरफ काला धूआ इधर से उधर जा रहा था । इससे स्पष्ट हो रहा था । कोई जो भी शक्ति है । सिद्धि है । वह निश्चित रूप से अब प्रकट हो जाएगी । ऐसा करने पर अब आगे क्या हुआ । यह मैं आपको इसके दूसरे भाग में बताऊंगा । धन्यवाद आपका दिन मंगलमय हो ।

कर्ण पिशाचिनी की उत्पत्ति की कहानी भाग 2

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