Site icon Dharam Rahasya

कर्ण मातंगी सिद्धि और रहस्य कथा मोढेरा भाग 2

कर्ण मातंगी सिद्धि और रहस्य कथा मोढेरा भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। अब आगे की कथा के विषय में जानते हैं। कलश अब अपने गुरु से मंत्र प्राप्त कर चुका था। विधान उसे प्राप्त हो चुका था। गुरु ने बताया था कि इसे गुप्त नवरात्रि  नवरात्रि पर करोगे तो कई गुना ज्यादा लाभ होने की संभावना है। इसलिए इस साधना को तुम! निकट की ही माघ मास की गुप्त नवरात्रि में करो ताकि तुम्हारे जीवन में। इस सिद्धि का प्रभाव तुम्हें देखने को मिले, लेकिन यह इतना आसान भी नहीं होता है।

इसलिए सभी प्रकार से तुम तैयार रहना। और हां इसके लिए मैं तुम्हें एक विशेष स्थान के विषय में बता रहा हूं। यहीं से पास में एक विशालकाय सिंह की प्रतिमा है। उसे प्रतिमा के हृदय में एक जगह बनी हुई है। उसी जगह बैठकर तुम इस मंत्र का जाप करना वह एक सिद्ध जगह है। और अगर तुम वहां पर जाकर इस मंत्र का अनुष्ठान करोगे तो सफलता और भी ज्यादा मिलने की संभावना तो हो जाएगी, लेकिन इसके साथ ही एक विशेष बात मैं तुमको और बताना चाहता हूं। तब? कलश ने पूछा। गुरुदेव आप बताइए?

आप मुझे क्या बताना चाहते हैं?

मेरे! हित की हर बात मुझे आप विश्वास से बताइए। मैं अक्षरसः उस बात का पालन करूंगा। तब?

ऋषि ने कहा सुनो कलश! वह स्थान यद्यपि बहुत शुभ है और साधना करने के लिए उपयुक्त भी है।

यह साधना हमेशा अति एकांत स्थान में करनी चाहिए। जहां किसी का भी प्रवेश वर्जित हो। वहां कोई पक्षी तक भी ना आता हो। क्योंकि ऐसी शक्तियां! बहुत ही!

दिव्य तरंगों के रूप में आपके पास आती हैं और यह शक्ति आपके कान से संबंधित है। इसीलिए और भी ज्यादा तुम्हें सावधान रहने की आवश्यकता होगी।

क्योंकि जिस स्थान के विषय में मैं तुम्हें बता रहा हूं उसी स्थान पर एक ब्राम्हण रोजाना रात्रि के समय आता है और वह! सिंह की प्रतिमा के। ठीक पैरों के सामने खड़े होकर। अपशब्द कहता है।

इसलिए तुम थोड़ा सावधान रहना। अपनी केवल साधना पर ही ध्यान रखना। इधर-उधर की बातों पर ध्यान केंद्रित मत करना। क्योंकि किसी भी तांत्रिक साधना में यह बात बहुत महत्वपूर्ण होती है।

स्वयं को जीते बिना सिद्धि की प्राप्ति कभी नहीं हो सकती है।

इसीलिए तुम्हें अपने आपको! कठोर बनाकर विजय प्राप्त करनी होगी।

तब कलश ने अपने गुरु को प्रणाम किया और कहा गुरुदेव अब आने वाली माघ मास की गुप्त नवरात्रि। से ही यह साधना मैं शुरू करूंगा।

इस साधना से। मैं अवश्य ही आपको। और?

स्वयं मुझे।

विश्व में प्रसिद्ध करूंगा। यही मेरी इच्छा है।

गुरुदेव आप मुझे आशीर्वाद दीजिए ताकि मैं अपने इस कार्य में सफल हो पाऊं।

तब उस ऋषि ने प्रसन्न होकर कहा कलश! अब तुम्हें साधना करनी है।

क्योंकि गुप्त नवरात्रि इस साधना के लिए बहुत उपयुक्त समय होता है क्योंकि 10 महाविद्या स्वरूपों की साधना इस वक्त। अद्भुत प्रतिफल देती है।

और इसी में हम माता के इस। कर्ण मातंगी स्वरूप को सिद्ध कर सकते हैं।

जाओ और अपनी साधना शुरू करो।

इस प्रकार! वार्तालाप संपन्न होने के बाद।

कलश वहां से अपनी पूरी व्यवस्था करके उस विशालकाय मूर्ति के सामने पहुंचा जो कि सिंह की बनी हुई थी। देवी का वाहन इसे माना जाता है और यह अद्भुत चमत्कारी। नजर आती थी। क्योंकि इतनी बड़ी विशालकाय प्रतिमा जल्दी देखने को नहीं मिलती है। और उस समय इसका निर्माण विशेष प्रकार की तांत्रिक साधना ओं के लिए किया जाता रहा होगा।

देवी के वाहन के हृदय में देवी का वास माना जाता है। इसीलिए शायद इसका निर्माण किया गया होगा।

अब कलश वहां पहुंच चुका था और जाकर! उस सिंह के हृदय में बैठ गया। वहां जाकर उसने सबसे पहले।

गणेश स्तुति फिर भगवान शिव स्तुति।

भैरव स्तुति गुरुदेव के मंत्र की स्तुति करने के बाद अब वह तैयार था।

कर्ण मातंगी साधना को सिद्ध करने के लिए। यह देवी!

अद्भुत प्रभाव वाली है।

क्योंकि इनकी सिद्धि के बाद साधक को। भूत भविष्य वर्तमान देखने और समझने की सिद्धि मिलने लगती है। मानसिक कल्पना लिए हुए कलश अपनी साधना में जुट गया। रात्रि का समय था।

कि तभी?

नीचे उसे बहुत तेज स्वर सुनाई दिया। अचानक से उसने आंखें खोल कर ऊपर से ही देखा।

तो उसने नीचे देखा! एक पंडित! मां और बहन की बड़ी जोर-जोर से गालियां दे रहा था।

इस प्रकार से किसी पंडित को। गाली देते देखकर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ।

ब्राह्मणों को तो विद्वान माना जाता है।

और उनका आचरण समाज के लिए हमेशा! एक दिशा दिखाने वाला होता है किंतु यहां पर तो यह।

अपशब्दों का प्रयोग कर रहा है।

और वह भी इतनी बड़ी मात्रा में। आखिर वह ऐसा क्यों कर रहा है? इस बात को? कलश समझ नहीं पाया और उसकी गालियां सुनता रहा।

इस प्रकार! रात्रि में उसकी साधना जब संपन्न हो गई। तब वह सो गया।

इसी प्रकार वह अगली रात्रि उसके बाद फिर अगली रात्रि! साधना करता चला गया।

कि तभी! जब?

साधना का।

नवा दिन था।

तब उसने देखा कि ब्राह्मण जो नीचे चिल्ला रहा था और बहुत जोर जोर से रोज रात को आकर गालियां दे रहा था। उसके सामने एक बहुत ही सुंदर स्त्री खड़ी हो गई। वह कहने लगी। तुम इतने दिनों से मुझे गाली दे रहे हो? ठीक है मैं आ चुकी हूं।

बताओ क्या करना है? तब वह कहने लगा। चल तू मेरे साथ। क्योंकि?

तेरे बिना मैं नहीं रह सकता हूं। और?

तेरी आवश्यकता न सिर्फ मुझे बल्कि मेरे पूरे परिवार को है।

जब से तू घर से गई है। सबसे बड़ी स्थिति खराब हो गई है।

घर में कोई काम करने वाला नहीं है।

और मेरी मां तो अब बूढ़ी हो चुकी है भला वह कैसे कोई काम कर पाएगी?

इसलिए अब जल्दी से मेरे साथ चल! तब वह स्त्री कहने लगी, मैं तेरे साथ नहीं जाऊंगी।

क्योंकि तू अच्छा इंसान नहीं है।

मैंने तुझसे वादा किया था इसीलिए यहां पर आई हूं।

तब ब्राह्मण उसके साथ जबरदस्ती उसे अपने साथ ले जाने की कोशिश करने लगा। उसने उसका हाथ पकड़ लिया और खींचने पर वह कहती मैं नहीं जाऊंगी। यह बात अब!

कलश को अच्छी नहीं लगी। और वह अपनी साधना छोड़कर नीचे आ गया।

और उस ब्राह्मण से कहने लगा। ब्राह्मण देव! आप कैसे हैं? आप इस स्त्री के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों कर रहे हैं?

तब उसने कहा। तुझे इससे क्या मतलब? यह मेरे साथ रहेगी मैंने इस से विवाह किया है।

और इसलिए मैं इसे अपने साथ जबरदस्ती ले जाने के लिए प्रस्तुत हुआ हूं क्योंकि इस पर मेरा हक भी है। अब कोई अपना घर छोड़कर?

अगर कहीं और चली जाएगी तो फिर उस घर का क्या होगा?

इसीलिए मैं इसे यहां से ले जाने के लिए आया हूं।

यह चलने के लिए तैयार नहीं है लेकिन फिर भी मैं इसे अब अवश्य ही लेकर जाऊंगा इसमें इसका भी। बड़ा!

योगदान है। इसलिए!

अब चाहे मुझे जबरदस्ती ही इसे ले जाना पड़े। मैं इसे लेकर अवश्य जाऊंगा। और तुम अपने काम से काम रखो।

मेरे जीवन में दखलअंदाजी ना करो! यहां से चले जाओ मैं। इसे अपने साथ! लेकर अवश्य जाऊंगा।

तब कलश ने कहा।

ब्राह्मण देव यद्यपि मेरा आप दोनों के मामले में बोलने का कोई अधिकार नहीं है किंतु मैं एक बात जानता हूं किसी भी स्त्री को उसकी मर्जी के बिना कोई पुरुष।

उसके साथ गलत व्यवहार नहीं कर सकता है। अगर यह नहीं जाना चाहती हैं? तो यह नहीं जाएंगी।

और अगर यह जाना चाहती हैं तो फिर इन्हें कोई नहीं रोक सकता है।

तब वह स्त्री।

यह देखकर कि कलश उसका सहयोग कर रहा है, कलश के जाकर गले लग गई।

और कहने लगी मुझे। इनके साथ नहीं जाना है।

आप मेरी रक्षा कीजिए।

यह अब! बहुत विशेष स्थिति हो चुकी थी। कलश के लिए। क्योंकि कलश ने यह नहीं सोचा था कि कोई पराई स्त्री इस प्रकार से उसे गले लगा कर उस से सहायता मांगी थी।

वह तो यहां साधना करने के लिए आया था पर इसके जीवन में यह अजीब बात क्यों हो रही है? यह बात उसकी समझ में नहीं आई।

अब वह क्या करें? यही वह विचार कर रहा था। अब इसके बाद आगे क्या घटित हुआ जानेंगे हम लोग अगले भाग में? और जो लोग भी यह साधना करना या खरीदना चाहते हैं उनके लिए लिंक इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में नीचे लिंक दिया गया है। वहां से आप क्लिक करके इंस्टामोजो स्टोर में जाकर इस साधना को खरीद सकते हैं और। इसके माध्यम से। विभिन्न प्रकार की गुप्त सिद्धियां भी प्राप्त कर सकते हैं।

आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

कर्ण मातंगी सिद्धि और रहस्य कथा मोढेरा भाग 3

कर्ण मातंगी सिद्धि और रहस्य कथा खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करे

 

Exit mobile version