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काम या भोग पिशाचिनी की कहानी भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य में आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसे की कहानी चल ही रही है अब जानते हैं ।
आगे क्या हुआ क्योंकि ध्रुवी ने संकेत दे ही दिया था । उसी के आधार पर अब गोपाल अगले दिन दोपहर के समय में
नदी के किनारे पर गया इंतजार करने लगा लाश किसी कन्या की प्राप्त हो जाए । तभी उसने देखा एक लाश अत्यंत ही
गौर वणि नदी से बहते हुए उसकी तरफ आ रही थी । वह उसे निकालने के बारे में सोच ही रहा था कि तभी अचानक
एक मगरमच्छ ने उस लाश का पैर पकड़ लिया ।अब खीचम खाच होने लगी । गोपाल इसे खींचता और उधर से
मगरमच्छ खींचता । क्योंकि मगरमच्छ का जबड़ा कहते हैं कि एक बार पकड़ ले तो बड़ा मजबूत होता है । इस वजह
से मगरमच्छ ने जो उसकी टांग पकड़ी थी । वह टांग उखड़ गई । लेकिन क्योंकि ध्रुवी ने उसे संकेत दिया था ।लाश की
पूजन करना उसी कन्या की लाश का पूजन करना इस वजह से अब इसके पास कोई विकल्प नहीं था ।

गोपाल उस
लाश को खींचकर ले आया । उसको तेल और सुगंधित द्रव्य से लेप किया । ताकि वह उसकी साधना कर सके । अब
उस नग्न लाश के ऊपर बैठकर के यानी कि उसकी छाती बैठ कर के गोपाल मंत्र जपने लगा । जोकि ध्रुवी ने उसे
बताया था । जाप करते करते एकदम से ही बीच में उस लाश का मुंह खुल गया । और वह चिल्लाने लगी मुझे भोजन
चाहिए मुझे भोजन चाहिए क्योंकि संकेत ध्रुवी ने पहले ही दे दिया था । इस वजह से अब गोपाल ने अपने पास रखे हुए
मास और रक्त उसके मुंह में डालना शुरू कर दिया । रक्त और मांस मुंह में डालते ही वह लाश शांत हो गई इसी प्रकार
यह क्रिया उसने 7 दिन तक की और बीच-बीच में उसके साथ वह भोग भी किया करता था । ध्रुवी ऐसा बताया था ।
उसके साथ बीच-बीच में भोग भी करना है लेकिन अपने आप का वीर्य नहीं निकलने देना है ।इसी भी तरह से वह बीच-
बीच में यह क्रिया करता था और यह क्रिया वह करता चला गया लाश सड़ने लगी थी ।

क्योंकि टांग कट जाने की वजह
से कीड़ों का प्रवेश उसमें हो गया था । अत्यंत ही घृणित गोपाल कर रहा था । लेकिन मन में एक ऐसी भावना थी कि
उसे वापस शायद ध्रुवी मिल जाए । इसलिए वह इस कार्य को संपन्न कर रहा था । ऐसे करते-करते सातवें दिन उस
लाश के अंदर प्राण आ गए । वह उठी और अपनी एक टांग के सहारे उसको चुंबन लेने लगी और चुंबन लेने के बाद फिर
उसने गोपाल के साथ भोग करने लगी । जैसे ही यह सब कुछ संपन्न हुआ गोपाल को कुछ भी अच्छा नहीं लगा उसने
कहा ऐसे रूप में तुम्हें पाने से अच्छा है तुम्हें ना ही प्राप्त करूं । यह सुनकर के ध्रुवी ने कहा कौन से मुझे इस शरीर में
रहना ही है । यह तो केवल एक माध्यम था मुझे वापस आने के लिए तुम ऐसा करो इस लाश को तुम फिर से पानी में
बहा दो । उस लाश को गोपाल ने फिर से पानी के अंदर बहा दिया । पानी में बह जाने के बाद अब गोपाल को फिर ध्रुवी
के संकेत आए । के मैं अदृश्य रूप में हूं जिस भी कन्या पर तुम्हारी नजर पड़ेगी मैं उस रूप में तुम्हारे पास आऊंगी ।
और तुम से भोग करूंगी इस बात को सुनकर गोपाल को अत्यंत प्रसन्नता हुई । और वह नगर में चला गया नगर में
जाने पर व्यापारी की कन्या जो सामान दे रही थी ।

गोपाल की नजर पड़ी उसे देख कर बड़ा खुश हो गया क्योंकि वह
अत्यंत ही सुंदर रूपवान एक कन्या थी । बस उसने उस कन्या का मन में ही आवाहन किया कुछ देर बाद रात के समय
जब घर पर पहुंचा तो देखा कि वह कन्या वहां पर पहले से ही घर पर थी । और उस कन्या ने प्रेम से आकर के गोपाल
से आलिंगन किया । और उसके बाद उस कन्या ने फिर वही प्याला तैयार किया जो आधा गोपाल को पिलाया और
आधा खुद पिया। इस प्रकार फिर दोनों ने रात भर संसर्ग किया । सुबह व्यापारिक कन्या अपने आप को निर्वस्त्र
पाकर हलचल में आ गई रोते-रोते वहां से दौड़ते हुए भाग गई । ऐसी स्थिति देख गोपाल को भी भय हुआ कहीं वह

कन्या किसी से कुछ कह ना दे । लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और वह कन्या वहां से भाग कर चली गई इस प्रकार वह
रात्रि को फिर से उसके पास आई। अब ऐसी स्थिति प्रतिदिन होती रही इधर जितनी भी पिशाचिनीया थी मृत्यु को
प्राप्त करके वह सब की सब ध्रुवी के पास ही आने लगी । क्योंकि यह इनकी देवी बन चुकी थी । इसलिए सब की सब
इसके ही लोक में आने लगी और सभी पिशाचिनीया ने ध्रुवी को रानी मान लिया । इस तरह ध्रुवी की शक्तियां बढ़ती
चली गयी । इस तरह हजारों की संख्या में पिसाचनिया होती चली गई इधर ध्रुवी ने इन सभी पिशाचिनीयो को आज्ञा दे
दी तुम सब जाओ जैसे भी चाहो अपना जीवन यापन करो। और तुम्हारी जो भी इच्छा हो वही करो । इस प्रकार से वह
जितनी भी पिशाचिनीया थी । नगर में मणराने लगी चारों तरफ और किसी भी स्त्री के शरीर में प्रवेश कर जाती ।

और
उसके बाद भोग का ऐसा तांडव मचाने लगा कि उस नगर में एक अनैतिकता का संकट पैदा हो गया । लोगों को समझ
में नहीं आ रहा था कि यहां की स्त्रियों को हो क्या रहा है । इनके अंदर ऐसी कामवासना कैसे पैदा हो रही है । किसी भी
पुरुष को वह पसंद कर लेती और उसके साथ भोग करने लगती ।असल में वह सारी पिशाचिनीया थी। स्त्रियों में प्रवेश
कर जाती थी । ऐसी स्थिति के बाद धीरे-धीरे करते हुए वहां के महान संत के कानों में यह बात पहुंची उसका एक मित्र
था ।वह एक ओघड़ कापालिक जिसका नाम था कामनाथ । अब कामनाथ को यह बात बताई गई । तो उसने कहा कि
निश्चित रूप से मैं पता कर लूंगा । इसके पीछे कारण क्या है मैं वह पता लगा लूंगा । और आप निश्चित हो जाइए इस
समस्या का मैं हल अवश्य करूंगा । इधर नगर में घूमते हुए गोपाल का मन हुआ कि क्यों ना राजमहल घूम ने जाए
।भोपाल आगे बढ़ता हुआ राज महल के करीब पहुंचा ।क्योंकि राज महल में जाने के बाद उसकी नजर अचानक से वहां
की राजकुमारी पर पड़ी राजकुमार अत्यंत ही सुंदर थी ।

और शायद इस नगर की सबसे सुंदर कन्या थी । उसे देखकर
गोपाल के मन में फिर वही भावना आई की क्यों ना इसी के रूप में मुझे ध्रुवी प्राप्त हो । फिर गोपाल का इशारा समझते
हुए ध्रुवी राजकुमारी के शरीर में प्रवेश कर गई । अब समस्या यह हो गई जैसे ही ध्रुवी ने उसके शरीर में प्रवेश किया ।
राजकुमारी के मन में भाव आया कि मुझे इस पुरुष के साथ भोग करना है । और वह गोपाल के घर के पास पहुंच गई
वास्तव में राजकुमारी के शरीर में ध्रुवी ही थी । राजकुमारी चलते हुए उसकी कुटिया में जाकर बैठ गई ।शाम हुई तो
जैसे ही गोपाल आया । और उसने देखा पहले से ही राजकुमारी मौजूद है । राजकुमारी को देखकर वह बहुत ही प्रसन्न
हुआ । ध्रुवी के रूप में उसे राजकुमारी प्राप्त हो रही है । जो कि बहुत ही अधिक सुंदर थी । ऐसी अवस्था में उसके साथ
थोड़ी देर बाद ही राजकुमारी फिर से निर्वस्त्र और उसने वही प्याला गोपाल को पिलाया और खुद भी लिया । और उसके
साथ फिर रात्रि भर भोग किया जैसे ही इस बात की खबर हुई राजा को पता लगी ।

राजकुमारी गायब है उसने सैनिक
दौड़ा दिए । पता चला कि किसी गोपाल नाम के व्यक्ति के यहां राजकुमारी है । तो सैनिक वहां पहुंचे उन्होंने चुपके से
देखा तो स्वयं राजकुमारी उसके साथ भोग कर रही है । ऐसी अवस्था में स्थिति बहुत खराब हो गई । और यह खबर
जब राजा तक पहुंची तो राजा ने तुरंत ही गोपाल के वध के लिए निर्देश जारी कर दिया। जैसे ही गोपाल के वध के लिए
निर्देश जारी हुआ । गोपाल भय से व्याकुल हो गया । उसने ध्रुवी से प्रार्थना की और ध्रुवी ने कहा मैं सिर्फ भोग कर
सकती हूं मैं तुम्हारी इस कार्य में कोई सहायता नहीं कर सकती हूं । क्योंकि मेरी इच्छा मृत्यु के बाद बस एक ही है
भोग करना । अब मैं तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर पाऊंगी । और हां अब बस इतना ही है कि तुम्हारी मृत्यु हो जाती
है तो मैं निश्चित रूप से तुम्हें प्राप्त कर लूंगी । इसलिए यह कार्य मेरे लिए तो शुभ ही है । इस भय के कारण तुरंत ही
स्थिति खराब हो गई । राजा के सैनिकों ने गोपाल को तुरंत ही बंदी बना लिया । और राजा ने मृत्युदंड घोषित कर दिया

। इधर गोपाल परेशान हो ही रहा था । तब तक कपाली कामनाथ राज्य में प्रवेश करके राज्य में प्रवेश करने के बाद
उसने अपनी अभिमंत्रित शक्ति के द्वारा क्रीम कालिकाएं नमः मंत्र का जाप किया । क्योंकि उसने इस मंत्र का सिद्धि
करण काफी टाइम से किया हुआ था । क्रीम कालिकाएं नमः इस मंत्र का जाप करते हुए स्त्रियों पर जल छिड़कने लगा
। जिन जिन स्त्रियों को वह देखता था पिशाचिनीयों का असर से वह सब ठीक होती चली जा रही थी । अंततोगत्वा
राजा को यह बात पता चली राजा ने तुरंत कपाली को बुलवाया । और कहा हे कापालिक कामनाथ आप आइए मेरी इस
कन्या को नवजीवन प्रदान करिए । क्योंकि यह निर्वस्त्र रहने लगी है ।राजकुमारी क्योंकि उस दिन से निर्वस्त्र रहने
लगी थी । इस वजह से जैसे ही कामनाथ आए राजकुमारी के पास उन्होंने अभिमंत्रित जल राजकुमारी पर छिडका
राजकुमारी सकमाका गई ।

एकदम से होश आया अपने आप को निर्वस्त्र पाकर वह घबरा गई दौड़ती हुई अंदर कमरे
में चली गई । और फिर उसने अपने वस्त्र पहने इस बात से राजा अत्यंत ही प्रसन्न हो गया । अब राजा ने कहा यह सब
इस गोपाल नाम के व्यक्ति की वजह से हो रहा है । और मैंने इसको वध का आदेश भी दे दिया है । इसे आप देख
लीजिए । इस प्रकार कामनाथ गोपाल के पास आया गोपाल चरणों में गिर गया कामनाथ के । और कहा महाराज मुझे
बचा लीजिए । मैं एक पिशाचिनी के चक्कर में फस गया हूं वह मेरी पत्नी बनी रही । और अब मुझे अपने लोक में
अपनी दुनिया में ले जाना चाहती है । और मुझे धोखा उसने दे दिया है । और उसने मेरी कोई भी सहायता नहीं की
।लेकिन उसने अपनी इच्छा और प्यास बुझाने के लिए मेरा प्रयोग करती रही । ऐसी स्थिति में आप मेरी मदद करिए
।आप तो हर प्रकार से संयुक्त है और बलवान है ।

आप मेरी रक्षा कीजिए । कामनाथ का हृदय पिघल गया कामनाथ
अघोरी ने राजा से कहा आप इसे छोड़ दीजिए । मैं इससे कुछ तांत्रिक अनुष्ठान करवा लूंगा । ताकि इसकी जो पत्नी
पिशाचिनी है और उसकी जो सेना है उनको मैं रोक सकूं ।ऐसी स्थिति पैदा होने पर राजा ने कहा ठीक है । लेकिन यह
हमेशा के लिए यह नगर छोड़ दे क्योंकि इसने जो किया है मेरी राजकुमारी को दूषित कर दिया है । ऐसी अवस्था में
राजा ने उस कापालिक की बात मान ली । कापालिक ने भी कहा ठीक है अब यह यहां आपके नगर में कभी नहीं नजर
आएगा । अब कपालिक ने गोपाल के सामने प्रस्ताव रखा । और कहा ठीक है यह सारा क्रिया कर्म अगर ऐसे है । अब
जब किसी कन्या को तुम बुलाना तो उसकी चुन्नी उसकी योनि में भिगो देना । और वह कपड़ा मुझे दे देना उस कपड़े
से मैं उस पिशाचिनी से मैं विवाह करूंगा ।

जैसे ही विवाह हो जाएगा तुम्हारी समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो
जाएगी । और तुम इस संकट से मुक्ति पा जाओगे । हमेशा के लिए उसके बाद वह मेरी पत्नी हो जाएगी । तुम्हारी नहीं
रहेगी और फिर मैं उसका ऐसा हल निकाल लूंगा । जिससे तुम हमेशा के लिए इस संकट से मुक्त हो जाओगे । ऐसा
कहने पर गोपाल को प्रसन्नता हुई । और गोपाल ने फिर किसी कन्या पर नजर डाली और ध्रुवी का आवाहन किया
।और उस कन्या के आ जाने पर भोग के समय उस कन्या का कपड़ा उसकी योनि पर डाल दिया । जिससे वह कपड़ा
गीला हो गया । अब कपड़ा बाद में उसने कपाली को दे दिया । कपाली को देने के बाद अब कपाली का तंत्र प्रयोग शुरु हो
गया । उससे विवाह करने के लिए और यह था चौथा भाग । और आगे क्या हुआ इसके बाद यह जानेगेअगले भाग में
धन्यवाद आपका दिन मंगलमय हो ।

काम या भोग पिशाचिनी की कहानी भाग 5

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