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कायाकल्प करने और शिवरात्रि मोहिनी सिद्धि प्रयोग सच्चा अनुभव भाग 2

कायाकल्प करने और शिवरात्रि मोहिनी सिद्धि प्रयोग सच्चा अनुभव भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। कायाकल्प करने और शिवरात्रि मोहिनी सिद्धि प्रयोग सच्चा अनुभव भाग 2 के विषय में आज हम जानेंगे। साधक महोदय के पत्र को आगे बढ़ाते हुए अब वह लिखते हैं कि इसके बाद जब बालक के बदन पर अच्छी प्रकार आयुर्वेदिक चीजों को लगा दिया गया तो फिर मेरे गुरुदेव ने कहा कि इसे अब देखो यह शुद्ध होता जा रहा है। मैंने उनसे कहा, गुरु जी इससे क्या व्यक्ति शुद्ध हो जाता है तो उन्होंने कहा, अगर इसके साथ गोपनीय मंत्र जोड़ दिया जाए तो अवश्य ही व्यक्ति 1 वर्ष के भीतर अपने कायाकल्प को कर सकता है।

फिर उन्होंने कहा। अब इसके आगे का चरण और भी अधिक जटिल होने वाला है। इसलिए तुम तैयार हो जाओ क्योंकि बिना तुम्हारी सहायता के मैं इस कार्य को सिद्ध नहीं कर पाऊंगा। मैंने भी गुरु जी की बात में हामी भरते हुए कहा गुरुदेव आप जो भी कार्य मुझे सौपेंगे मैं वह अवश्य ही करूंगा। इसके लिए चाहे मुझे कितनी भी कठिन परीक्षा से गुजरना पड़े। तब उन्होंने कहा ठीक है! अब ऐसा करो कि इस बच्चे की लाश को दूध भरे बर्तन में रख दो। तब मैंने उनसे कहा, इतना बड़ा बर्तन मिलना संभव नहीं है तो उन्होंने मुझे एक ताबूत जैसा कुछ दिखाया जो कि स्टील का बना हुआ था। उन्होंने कहा, इस बच्चे को इसके अंदर लिटा दीजिए और मैंने वही किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि सामने तीन पात्र मटके रखे हैं। इन मटको में रखा हुआ दूध पूरा इस बर्तन में भर दो तब उन्होंने जो कहा, मैंने वैसा ही किया और उन तीनों मटको में करीब 15 लीटर दूध रहा होगा और 15 लीटर दूध मैंने पूरा उस लड़के के बदन पर डाल दिया। अब दूध में पूरा भीग चुका था और पूरा डूब भी चुका था। इसके बाद फिर उन्होंने कुछ मंत्रों का उच्चारण करना शुरू कर दिया। यह प्रक्रिया तकरीबन 1 घंटा चली और फिर उन्होंने कहा कि पास रखी जूट की रस्सी निकालना और वह रस्सी मै निकाल कर लाया। इसके बाद वह भी उसी प्रकार के एक बर्तन में लेट गए। उन्होंने भी स्वयं को दूध भरे बर्तन में रखवाया था। अब वह स्वयं लेट गए थे और बालक को भी उन्होंने लिटा रखा था। मुझे नहीं पता था कि गुरुदेव ने पूरे 30 लीटर दूध की व्यवस्था पहले ही अपने शिष्यों के माध्यम से कर ली थी। अब वह भी पूरी तरह से दूध में डूबे हुए थे।

शरीर उनका पूरा भीगा हुआ था। सिर्फ नाक ऊपर थी ताकि वह सांस ले सके और उन्होंने कहा 1 घंटे तक मुझे मंत्र जाप करने दो और वह लेटे-लेटे दूध में भीगे शरीर के साथ पूरी तरह नग्न होकर मंत्र का जाप लेटे हुए ही करते रहे। मैं यह सब कुछ देख कर आश्चर्यचकित था। उन्होंने कहा, कुछ भी हो जाए। मुझे इस बर्तन से बाहर मत निकलने देना और उस बालक पर भी ध्यान रखना। मेरे शरीर की रक्षा करना तुम्हारा कार्य है, चाहे कुछ भी हो जाए, तुम मेरे शरीर की रक्षा करोगे। मुझे वचन दो तब उनके कहे अनुसार मैंने उनकी बात को मानते हुए उन्हें वचन दिया और कहा गुरु जी अपनी प्राण जाने तक मैं आपके इस शरीर की रक्षा करूंगा। मुझे नहीं पता था कि गुरुदेव क्या करने वाले हैं?

वह इतनी अधिक उम्र में थे कि पता नहीं वह जीवित बचेंगे भी या नहीं। इस तरह की प्रक्रिया को करने के बाद मुझे इस बात से ज्यादा भय था। अब उन्होंने कुछ मंत्रों का उच्चारण 1 घंटे तक किया और उसके बाद उन्होंने कहा, अब मैं कायाकल्प प्रक्रिया शुरू करने वाला हूं। तुम्हें जो मैंने बातें बताई हैं उन सब का विशेष रूप से ध्यान रखना और इस तरह वह रात्रि के 1:30 बजे के करीब। अपनी उस प्रक्रिया में पूरी तरह से रम चुके थे।

अब अगले चरण में मैं सिर्फ इंतजार ही कर सकता था। कि अचानक से मैंने उनका शरीर तड़पते हुए देखा, लेकिन मैंने उन्हें बचाने के लिए कुछ भी नहीं किया क्योंकि उनका कहना था कि इस दौरान तुम्हें बस मेरे शरीर का ध्यान रखना है। थोड़ी देर हलचल होने के बाद अचानक से उनका शरीर शांत पड़ गया। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मुझे लगता था कहीं आज गुरुदेव महाराज मृत्यु को ना प्राप्त हो जाए क्योंकि वास्तव में इतनी अधिक उम्र तो इनकी पहले से है। ऐसे में इस तरह का प्रयोग करना बहुत ज्यादा खतरनाक हो जाता है। पर उनके आगे मैं भला क्या कह सकता था? तभी मैंने! वहां चारों तरफ अजीब तरह की प्रेत आत्माओं को घूमते हुए देखा। मैंने देखा चारों तरफ अलग-अलग भयानक मुह वाली हवा में घूमती हुई आत्माये है। वहां पर जमावड़ा लगा कर खड़ी थी। उन्हें देखकर मुझे बहुत डर लगने लगा। मैं वहीं पर पास रखी तलवार पकड़ कर बैठ गया और सोचा कि अगर कोई मेरे पास आएगा तो उस पर तलवार मार दूंगा क्योंकि मुझे ऐसा लगता था। शायद मैं कुछ कर लूंगा तो इसका प्रतिफल अवश्य ही मुझे मिलेगा। इस प्रकार मैंने अपना प्रयास अपनी रक्षा और अपने गुरुदेव के शरीर की रक्षा का जारी रखा। चारों ओर से प्रेत आत्माएं मुझे घेरे हुए थे। मुझे यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि आखिर यह प्रेत आत्माएं क्यों यहां पर चारों तरफ घूम रही है? और यह सब क्या चाहती हैं? मेरे पास वहां पर रुकने के अलावा और कोई चारा भी तो नहीं था तभी एक प्रेतात्मा बड़ी जोर से मुझसे आकर टकराई और मैं दूर जाकर गिरा। उससे मैं इतना अधिक भयभीत हो गया कि मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है?किसी अशरीरी प्राणी के शरीर मे ऐसी चीजे होना बिलकुल अचरज भरा था आगे क्या हुआ जानेगे अगले भाग मे

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