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कायाकल्प करने और शिवरात्रि मोहिनी सिद्धि प्रयोग सच्चा अनुभव भाग 4

कायाकल्प करने और शिवरात्रि मोहिनी सिद्धि प्रयोग सच्चा अनुभव भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। शिवरात्रि मोहिनी साधना सिद्धि प्रयोग यह भाग 4 है। अब हम लोग आगे की कथा के विषय में जानेंगे। तो साधक महोदय आगे बताते हैं कि उन्होंने उस मोहिनी के दिव्य वृक्ष को लाकर जब उसका आवाहन किया तो वहां पर देवी अप्रत्यक्ष रूप में उन्हें यह संकेत देने लगी कि परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। इस साधना के दौरान वह एक शिष्य की तरह ही उनके शरीर की रक्षा करेंगी और कुछ भी नहीं होने देंगे क्योंकि इस दौरान बहुत सारी प्रेत आत्माये शरीर पर कब्जा करने की कोशिश करती हैं। इसीलिए साधक महोदय ने कहा कि मैंने स्वयं देवी को अपनी रक्षा के लिए लिया था।

अब इसके आगे की बात जानते हैं। तब मेरे पास! एक ही मौका था और मैंने वह प्रयोग कर दिया। कुछ देर बाद मुझे लगा। मैंने अपना शरीर त्याग दिया है। मैं अपने शरीर को खुद देख सकता था। ऐसा अनुभव अभी तक कभी मैंने महसूस नहीं किया था। मैंने अपने पड़े हुए शरीर को जब देखा तब यह बात समझ में आई कि जीवन कितना विस्तृत है जितना हम शरीर के अंदर रहते हैं, उतने ही बंधे हुए और कमजोर होते हैं। शरीर की मर्यादा त्याग देने के बाद यह शरीर केवल एक मिट्टी के बने पुतले के बराबर अस्तित्व रखता है। लेकिन आपकी आत्मा जो कि आप स्वयं हैं, विस्तृत और वृहद रूप रखते हैं। आप की कोई सीमा नहीं है। समस्त सिद्धियां स्वता ही उस वक्त प्राप्त हो जाती हैं ।

क्योंकि शरीर तो बंधन का कार्य करता है लेकिन आत्मा के लिए कोई बंधन नहीं होता। मैंने पास ही पड़ी हुई उस लड़की की लाश के अंदर प्रवेश करना उचित समझा और मैं कोशिश करने लगा। मैंने उसकी नाक के माध्यम से उसके अंदर प्रवेश किया और जैसे ही मैंने उसका शरीर धारण किया। मैं बहुत अजीब महसूस कर रहा था। मेरी पिछली बातें मैं भूलने लगा और नई बातें मुझे याद आने लगी। कि मेरे साथ आखिर हुआ क्या था। असल में मैं उस लड़की के शरीर को प्राप्त कर उसकी सारी यादें प्राप्त कर चुका था। अब मैं एक स्त्री था।

असल में मैं बाजार घूमने निकला था। उस स्त्री के शरीर से मुझे यही याद सामने आ रही थी। मेरे दो पुरुष मित्र मुझे एक स्थान पर ले कर गए। उन्होंने कुछ नया दिखाने का वादा किया था। उनमें से एक मेरा प्रेमी था और फिर उसने कहा, अपने वस्त्र उतारो और इस प्रकार कहने पर मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया। मैंने उससे कहा, यह क्या कर रहे हो पर वह नहीं माना। उन दोनों ने मिलकर के मेरे सारे वस्त्र फाड़ दिए और दोनों ने ही बारी बारी से मेरे साथ बलात्कार किया इसके बाद। मैंने उठ कर कहा, मैं सारी बातें अपने पिता को बता दूंगी और पुलिस को भी सारी जानकारी दूंगी। दोनों को गुस्सा आ गया। एक ने मुझे तमाचा मारा और दूसरे ने मेरे सिर के ऊपर जोर से वार किया। वह बेहोश हो गई। उन लोगों ने समझा कि मेरी मृत्यु हो चुकी है। इसीलिए उन्होंने नदी में मुझे फेंक दिया और मेरा शरीर मछलियां खाने लगी।

इस प्रकार मैं यहां पर इस जगह पहुंची जहां पर मेरी मृत्यु पानी के अंदर ही हो चुकी थी, लेकिन 24 घंटे का समय अभी पूरा नहीं बीता था। अब मैं समझ चुका था कि इस लड़की के साथ क्या हुआ है। मेरे मन में बहुत अधिक क्रोध आ गया और मैं चल दिया। उस ओर मैं स्वयं को नियंत्रित नहीं कर पा रहा था। क्योंकि जिसे गुरु जी ने कायाकल्प कहा था, असल में वह तो परकाया प्रवेशन था।

परकाया में जब व्यक्ति प्रवेश करता है तो उसे सिद्धि की भाषा में परकाया प्रवेश करना कहते हैं। मैंने नया शरीर धारण कर लिया था यानि मैंने अपनी उम्र लगभग 20 वर्ष कम कर ली थी।

लेकिन मेरा उद्देश्य अलग हो गया जबकि मेरे गुरु का उद्देश्य कायाकल्प करना था और उन्होंने अपनी काया ही बदल दी थी। लेकिन मैंने तो यह प्रयोग सिद्धि के विषय में जानने के लिए किया था। तब मैं उस स्थान पर पहुंचा। जहां पर वह दोनों लड़के खड़े थे। वह दोनों मुझे देखकर डर गए और उन्होंने मेरी ओर दौड़ लगानी शुरू कर दी। मैं समझ गया कि यह फिर से इस लड़की को मार देना चाहते हैं लेकिन अब? स्त्री के शरीर में एक पुरुष की आत्मा थी इसीलिए अब मानसिक बल कहीं ज्यादा था। मैंने तुरंत ही पास बड़े-बड़े पत्थर उठाकर उन दोनों की ओर फेंकना शुरू कर दिया। एक पत्थर लड़के के चेहरे पर जाकर लगा। उसे चोट लग गई और वह वहीं रुक गया था। दूसरा मेरी और दौड़कर आ ही रहा था कि तब तक मैंने दूसरा पत्थर भी उसके पैर पर जोर से मार दिया। वह भी घायल हो गया।

दोनो डर गए। मैं उनकी ओर दौड़ा लेकिन उन दोनों ने वहां से भाग जाना ही उचित समझा।

तभी सामने मुझे देवी मोहिनी का स्वरूप दिखाई दिया। उन्होंने कहा। तुम अपनी सुध बुध खोते जा रहे हो अपने इस शरीर को सत्य समझने लगे हो। इससे पहले कि तुम अपनी पूर्व चेतना और यादें खोदो।

मैं तुम्हें वापस अपने शरीर में जाने के लिए कह रही हूँ क्योंकि अगर तुम इस लड़की के शरीर में ज्यादा समय तक रहे तो फिर तुम अपनी पुरानी यादें खो दोगे और खुद को स्त्री ही समझने लग जाओगे।

सच में उस वक्त ऐसा लगा कि मैं यह क्या कर रहा हूं और मैं कहां फस गया हूं। मुझे अपने बारे में आज की बातें याद ही नहीं थी। मैं सिर्फ इस लड़की के शरीर में रहकर इसकी सारी यादें याद करता जा रहा था। मेरे मन में एक अच्छे लड़के से शादी करने का ख्याल आ रहा था। क्योंकि मुझे अब लड़कों पर पूरा भरोसा नहीं था। किंतु मैं तो यह भूल ही गया कि मैं खुद एक पुरुष था और अपने गुरु से कायाकल्प विधि सीखने के बाद में इस प्रयोग को किया था। अगर देवी मोहिनी मेरी सहायता नहीं कर रहे होती तो शायद उस दिन मैं अपने अस्तित्व को ही भूल जाता और उस लड़की के शरीर में फंस कर ही रह जाता और स्वयं को स्त्री ही बनाकर सदैव के लिए रख देता। तब मुझे याद आया कि मेरा शरीर तो कहीं पड़ा हुआ है, मुझे वापस जाना चाहिए।

अब मैं उस स्थान पर पहुंच गया। जिस जगह पर मैंने अपना शरीर तंत्र क्रिया के लिए रख छोड़ा था। मैंने देवी मोहिनी से कहा, आपने सच में मेरी सहायता की है।

आप अब मेरी आगे भी सहायता कीजिए और इस लड़की के शरीर से वापस मुझे अपने शरीर में जाने दीजिए। तब देवी ने कहा, ठीक है, प्रयास करो! लेकिन मैं अब अपने मंत्र भूलता जा रहा था।

लड़की के शरीर की सोच और यादें उसके शरीर की ऊर्जा एक अलग स्तर की थी जो कि बहुत ही निम्न कोटि का था। इसी कारण से उसके अंदर आध्यात्मिक शक्तियां ना के बराबर थी और यही कारण था। मैं अपनी सारी सामर्थ्य और विद्या भूलता जा रहा था। मैं घबराने लगा। मेरा रोने का मन कर रहा था। मैं उसके शरीर से बाहर निकलने का प्रयास करने लगा, लेकिन मुझसे वह नहीं हो पा रहा था। भगवान की मर्जी है उस दौरान भी मुझे मोहिनी देवी की सिद्धि का प्रयोग याद था। मैं मदद के लिए उन से गुहार लगाने लगा। उन्होंने कहा, यह कार्य तुमने किया है इसलिए इसमें मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर सकती हूं। मेरा कार्य तुम्हारे शरीर की रक्षा करना था और वह मैं कर रही हूं। अब इस स्थिति से तुम्हें बाहर निकलना होगा और ज्यादा समय नहीं है क्योंकि अगर ज्यादा समय तक तुमने अपने शरीर को छोड़ दिया तो तुम्हारा शरीर भी सड़ने और गलने लग जाएगा।

इसी कारण से तुम फिर से अपने शरीर में वापस नहीं आ पाओगे। अब मेरे सामने विकट परिस्थिति आ चुकी थी। मैं ऐसी जगह फस गया था जहां से अब मैं करता क्या देवी मोहिनी मेरी मदद अवश्य कर रही थी किंतु वह तो केवल मेरी शरीर की रक्षा कर रही थी। लेकिन मैं तो एक लड़की के शरीर के अंदर फस गया था।

मैं इस बात के लिए छटपटा रहा था कि कैसे इसके शरीर से बाहर निकलू और अपने वास्तविक पुरुष शरीर को प्राप्त कर पाऊं।

इसके आगे क्या हुआ जानेंगे अगले भाग में तो अगर यह जानकारी और यह घटना आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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कायाकल्प करने और शिवरात्रि मोहिनी सिद्धि प्रयोग सच्चा अनुभव भाग 5

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