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कालीमठ मंदिर की दो गुप्त योगनियाँ भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। हम लोग बात कर रहे हैं। कालीमठ मंदिर की दो गुप्त योगियों के विषय में पिछले भाग में हम लोगों ने जाना कि कैसे 2 योगिनी या ऋषि सुंदर के स्वभाव से क्रुद्ध हो जाती हैं। आगे क्या हुआ आगे की कथा में हम लोग आज जानते हैं।तो जब? दोनों योगनिया और उनका शेर क्रोध में भर गया तो ऋषि घबराते हुए बोले देवी मुझसे क्या अपराध हो गया है। आप लोग मुझे बताइए आखिर समस्या क्या है। मैंने तो सिर्फ आपकी सुंदरता की तारीफ की है। आप जैसी सुंदरता इस पृथ्वी पर मुझे देखने को नहीं मिलती। आपका दोनों का सौन्दर्य कामदेव की पत्नी को भी मात कर देने वाला है। आप अत्यधिक सुंदर हैं। इसीलिए मैंने ऐसा कहा।मेरा तो सच में हृदय साफ है। किंतु अपने हृदय की बात भी मैं आप लोगों को अवश्य ही बताना चाहता हूं।इस पर दोनों योगनियों ने कहा, यह बात अच्छी नहीं है। क्योंकि हम विशेष तरह की शक्तियों से संपन्न स्त्रियां हैं। हम कोई साधारण स्त्रियां नहीं है। हमारा उद्देश्य विवाह कर प्रेम संबंध बनाना बिल्कुल नहीं है। हमारा अपना अलग ही लोक हैं। इसीलिए हम लोग! इस पृथ्वी पर कम ही आते हैं क्योंकि यहां के मनुष्य हमारे विषय में ना तो जान सकते हैं और ना ही हमारी ऊर्जा को सहन कर सकते हैं। आपकी इस बात के आधार पर ही मैं आपको स्पष्ट संकेत देना चाहती हूं कि हम दोनों के विषय में जो भी आपके हृदय में ऐसी भावना आ रही हैं, उन्हें तुरंत रोक ले।

ऋषि सुंदर उन दोनों की बात से काफी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, मेरा नाम मेरे माता पिता ने सुंदर इसलिए रखा था क्योंकि मेरे जैसा सुंदर पुरुष आसपास कहीं भी नहीं है। मैंने अपने योग्य विवाह के लिए कई कन्याओं की तलाश की, लेकिन मुझे कोई भी स्त्री सुंदर प्रतीत नहीं हुई। एकमात्र आप लोगों को देखकर मेरे मन में विवाह करने की तीव्र इच्छा जाग गई है। देवी कोई तो मार्ग बताएं जिससे मैं आप में से किसी एक से विवाह कर सकूं। भले ही मेरे हृदय में यह भावना आई है लेकिन इस भावना को समझते हुए आप मुझे क्षमा करें और मेरे प्रेम को स्वीकार करें। इस प्रकार जब ऋषि ने उन सबके सामने अपना समर्पण व्यक्त किया तो प्रेम में पिघलते हुए दोनों योगनिया कहने लगी। हमें प्राप्त करना इतना आसान भी नहीं है। आपको हमारी ऊर्जा के समकक्ष होना पड़ेगा और यह कार्य केवल तपस्या के द्वारा ही संभव है। हम! योगनिया इसीलिए कहलाती हैं क्योंकि हमने कई 100 वर्ष योग साधना की है। पृथ्वी पर एक उम्र तय होती है। इसीलिए अधिक समय तक तपस्या या साधना मनुष्य नहीं कर पाता है, लेकिन अजर और अमर शक्तियां कई 100 वर्षों तक तपस्या कर सकती हैं। हमारे बराबर ऊर्जा प्राप्त करने में तुम्हें काफी समय लग सकता है। इसलिए मैं तुम्हारे हृदय की भावना को समझते हुए चौसठ योगिनी साधना के विषय में तुम्हें बताना चाहती हूं। अगर आप चौसठ योगिनी साधना सच्ची प्रकार से।
संपन्न कर लेते हैं तो फिर आप निश्चित रूप से हमारे योग्य हो सकते हैं।

इसीलिए हम लोग आज आपको वह मार्ग बताते हैं जिससे आप चौसठ योगिनी साधना कर पाए। यहां पर चौसठ योगिनी यंत्र स्थापित करें और हम लोगों की साधना उसमें स्वता ही हो जाएगी। मूल चौसठ योगिनी देवी मां की पूर्ण शक्तियों की परिचायक हैं। उनकी कृपा प्राप्त होने पर संसार के सभी अभीष्ट सिद्ध होते हैं। इसीलिए इन 64 शक्तियों को अवश्य ही पूजना चाहिए। ऋषि ने उनके इस प्रस्ताव को हामी भर कर स्वीकार करते हुए कहा, आप लोगों के अगर इच्छा है तो मैं अवश्य ही 64 योगिनी शक्तियों को सिद्ध करने की कोशिश करूंगा। बताइए मुझे क्या करना पड़ेगा इस पर उन शक्तियों ने कहा, हम आपको गुप्त विधान बताते हैं? इससे आपको केवल 1 वर्ष में ही चौसठ योगिनीओ की सिद्धि प्राप्त हो जाएगी। उसके बाद फिर आप हम को प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि इसके माध्यम से आपके अंदर योगिनी ऊर्जा आ जाएगी और जब आपकी उर्जा हमारे समकक्ष होगी तो अवश्य ही आप हमें पत्नी रूप में प्राप्त कर सकते हैं। किंतु अगर आप इतनी ऊर्जा प्राप्त नहीं कर पाए और हमें पत्नी रूप में प्राप्त करने की इच्छा की तो आप का सर्वनाश हो जाएगा। इसके अलावा हम स्पष्ट रूप से कह देना चाहती हैं। अगर किसी मनुष्य ने हमें सिद्ध किया और पत्नी रूप में हमें प्राप्त किया है तो संसार की किसी भी अन्य स्त्री पर वह कुदृष्टि नहीं डाल सकता है। केवल वह हमारा ही पति होता है क्योंकि हमारे लिए वह पूज्यनीय होता है। अब अगर पूजनीय व्यक्ति निकृष्ट कर्म करें तो फिर उसे दंड देना ही आवश्यक हो जाता है। हम केवल एक ही पुरुष से प्रेम कर सकते हैं। यही अधिकार हम को प्राप्त है इसलिए उस पुरुष को भी यह चाहिए कि वह केवल! अपनी पत्नी यानि कि सिद्धकी हुई शक्ति से ही प्रेम करे।
संसार की अन्य स्त्रियों को माता रूप में ही देखें। ऋषि सुंदर उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं और कहते हैं आपके अतिरिक्त संसार की अन्य किसी भी स्त्री को मैं कभी माता के अतिरिक्त नहीं देखूंगा। इस प्रकार से मुझे आप वह मार्ग बताइए कि मैं आपकी सेवा और पूजा के लिए चौसठ योगनीयों को सिद्ध कर सकूं। इस प्रकार उन दोनों गुप्त योगनियों ने चौसठ योगिनी विद्या उन्हें सिखाई और 1 वर्ष तक साधना करने को कहा। इस प्रकार से ऋषि सुंदर ने उस स्थल पर बैठकर सामने चौसठ योगिनी यंत्र रख कर विधिवत तरीके से पूजा करनी शुरू कर दी। समय बीतता चला गया। मन में तीव्र इच्छा और उत्कंठा थी। उनके हृदय में कि वह ऐसी सुंदर स्त्रियों को प्राप्त कर।इस प्रकार से तकरीबन 10 महीने हो चुके थे और उनकी साधना लगातार बढ़ती जा रही थी। वह अपनी साधना में सफलता प्राप्त करते चले जा रहे थे। अचानक से 1 दिन योगनियों की दृष्टि इन पर पड़ी योगनी लोक तक जब इनके मंत्र पहुंचने लगे तो वहां से कई इस तरह की योगनिया पृथ्वी पर आकर इनकी परीक्षा लेने की तैयारी करने लगी।यह जब एक दिन साधना कर रहे थे तभी एक नरमुंड इनकी चारों तरफ घूमने लगा। वह तीव्रता से इधर आता और तीव्रता से ही उधर चला जाता उसके इस प्रकार आने जाने से। ऋषि सुंदर को बहुत समस्या होने लगी थी। वह समझ नहीं पा रहे थे कि किस प्रकार से वह इस चीज को रोके। उन्होंने योगनियों को माता रूप में पुकार कर कहा माता अगर आप मेरी इस? साधना को नष्ट करना चाहती हैं तो फिर कोई बात नहीं किंतु मैं इस साधना को छोड़ने वाला नहीं हूं।
इस प्रकार सुनकर योगनिया प्रसन्न हो गई और उन्होंने तुरंत ही अपने भय दिखाने वाले कई तामसिक स्वरूप छोड़ दिए। इस प्रकार चौसठ योगिनी की सिद्धि आखिरकार ऋषि सुंदर को 1 वर्ष बाद प्राप्त हो गई।उनके मंत्रों का उच्चारण ऊपर के आकाश में गमन कर रहा था। उनके मंत्रों को सुनकर आकाश गामिनी एक डाकिनी नीचे की ओर देखती है और यह देखकर वह बहुत ही अधिक प्रसन्न हो जाती है कि 1 योगिनी ऊर्जा प्राप्त साधक साधना कर रहा है। डाकिनी के मन में यह आता है कि मैं इससे स्वयं भोग करूंगी और इसे प्राप्त कर इसकी योगिनी ऊर्जा को स्वयं खर्च करूंगी और योगनियों के समान शक्तिशाली हो जाऊंगी। इसीलिए आकाश में उड़ती हुई वह डाकिनी नीचे उतर आती है और उसके हृदय को समझ कर उन योगनियों का स्वरूप बनाकर वहां पर खड़ी हो जाती है। और साधक के समक्ष आकर कहने लगती है। तुम्हारी पूजा से मैं प्रसन्न हो चुकी हूं। हम दोनों में से जिसे भी तुम पत्नी रूप में प्राप्त करना चाहते हो अपनी इच्छा बताओ यह देख कर। ऋषि सुंदर बहुत प्रसन्न हो जाता है। आखिरकार उसकी इच्छा पूरी होने वाली थी। वह क्या इच्छा मांगता है जानेंगे अगले भाग में तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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