Site icon Dharam Rahasya

काली माता सिद्धि तांत्रिक से खीचकर मेरे पास आयी यह गहरा राज 4 अंतिम भाग

काली माता सिद्धि तांत्रिक से खीचकर मेरे पास आयी यह गहरा राज 4 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। काली माता सिद्धि तांत्रिक से खींच कर मेरे पास आई। यह चौथा भाग है। पिछले भाग में हमने जाना कि किस प्रकार से साधक के घर में उनके ही पिता का स्वभाव बदल चुका था और मसान वाले तांत्रिक का आडंबर था। वह सबके सामने आ रहा था। अब आगे जानते हैं अगले दिन जैसे कि पिता के स्वभाव में परिवर्तन आया था। अब उनकी तबीयत बिगड़ने लगी अचानक से उन्हें बहुत तेज उल्टियां शुरू हो गई और इन उल्टी! होने के कई तरह की प्रयोग देखने को मिल रहे थे। जैसे की उल्टी के साथ में हल्का सा खून जैसा आना। और शरीर को संभाल ना पाना।

तब साधक को सच में बहुत ज्यादा चिंता होने लगी और इस बात के लिए वह!

अपने आप को तैयार कर रहा था। यह पहली बार अब तांत्रिक प्रयोग करना ही पड़ेगा और साधक ने अपने पिता के ऊपर अपने मंत्रों का प्रभाव डाला। शक्ति प्रयोग किया गया। लेकिन धीरे-धीरे उसमें लाभ मिलने लगा। लगभग शाम होने तक पिताजी की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई थी। लेकिन फिर शाम से उसमें सुधार होना शुरू हो गया। इधर यह जो तांत्रिक था। और बाकी लोग तबीयत बिगड़ते देख वहां से अपने अपने घरों के लिए प्रस्थान कर गए यह कहकर कि जब डॉक्टर साहब स्वस्थ हो जाएंगे तभी हम लोग आएंगे इसी में वह मसान तांत्रिक भी वहां से चला गया। इस प्रकार अपने गुरु मंत्र की शक्ति का प्रयोग करके अपने पिता को साधक ने स्वस्थ तो कर दिया, लेकिन उसे अपने घर में नकारात्मक चीजें महसूस हो रही थी। एक अजीब तरह की बदबू उस घर में पूरे व्याप्त हो चुकी थी। ऐसा लगता था जैसे कि कहीं की कोई गंदी चीज घर में आ गई है।

रात के समय जब साधक सोने लगा। तो जो नजारा उन्होंने देखा वह और भी ज्यादा आश्चर्य में डालने वाला था।

चार विभिन्न प्रकार के

अद्भुत शरीर वाले काले तरीके के दिखने वाले साये मंदिर की ओर जा रहे थे। कि जैसे ही वह मंदिर के पास पहुंचे किसी ने उन्हें बीच से तोड़ दिया। अब वहां उल्टे? होकर के जैसे शरीर को बीच की रीड की हड्डी तोड़ दी जाती है तब?

ऊर्धवा धनुरासन जैसे बनता है।

उसी तरह वह चलने लगे हाय तौबा चीख-पुकार मचा रहे थे। उनकी चीख-पुकार इतनी ज्यादा थी कि साधक की नींद खुल गई। साधक उठकर अपने पूजा कक्ष की ओर गया। सामने देखा तो चार विभिन्न प्रकार के काले साए उसे दिखाई दिए जो बड़ी ही बुरी तरह बीच से तोड़ दिए थे और इसी कारण से वह बहुत जोर जोर से चिल्ला रहे थे।

तब साधक ने उन पर अभिमंत्रित जल फेंका और उसके बाद वह सभी शांत हो गए। वहां पर सभी गायब हो गए।

साधक जाकर सो गया। जब वह सो रहा था अचानक से उसे एक अलग तरह का स्वप्न आया। उस स्वप्न के माध्यम से उसे सारी हकीकत! पता चली जब साधक सो रहा था तो वह देखता है कि वह! बंगाल के आगे के किसी हिस्से में जा रहा है। कि तभी वहां पर चार विशालकाय आकृतियां जोकि जिन्न  थे  प्रकट हो जाते हैं। चारों उसके पैर पकड़ लेते हैं। और रोते और गिर गिराते हुए कहते हैं, हमें मुक्त करो। हमें मुक्त करो! आपकी शक्तियों ने हमें बीच से तोड़ दिया था। हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई। और हम करते भी क्या हम तो उस तांत्रिक के वश में थे? घर में जितनी गड़बड़ियां हम कर सकते थे हमने की।

वह साधक यह कार्य करता है जिस भी घर में हमको स्थापित कर दिया जाता है। उस घर में हम विनाश कर देते हैं। सभी को बीमार करते हैं, विभिन्न प्रकार की बाधाएं लाते हैं। ऐसा ही आपके घर के लिए हमने किया पर जब हम आपके पूजा स्थान को दूषित करने के लिए वहां पर गए तब किसी ने हमको बीच से ही तोड़ दिया। इतना दर्द हम सह नहीं पा रहे थे, इसीलिए चिल्लाने लगे। आप आए आपने हम पर जो जल छिड़का उससे हमारी। जितनी बाधा थी, वह शांत हो गई। अब आपको सपने के माध्यम से हम अपने बारे में बता रहे हैं। फिर चारों जिन्न ने  अपने। नाम बताएं और बताया कि हम पूर्वी पाकिस्तान से हैं। यहीं से उत्पन्न हुए थे। साधक ने कहा, पूर्वी पाकिस्तान का क्या मतलब है?

तो वह समझा कि पूर्वी पाकिस्तान यानी कि बांग्लादेश यहीं से इनकी उत्पत्ति हुई है आज! कई साल बीत गए हैं यानी यह तब की बात होगी जब पूर्वी पाकिस्तान का निर्माण हुआ होगा।

यानि आजादी से कुछ पहले के समय की बात यह बता रहे हैं। तो साधक ने कहा ठीक है, मैं आप लोगों को मुक्त करता हूं और आज से आप मुक्त हैं जाइए आपकी कोई गलती नहीं थी। इस प्रकार सभी ने साधक के पैर छूकर वहां से विदा ले ली। कि तभी साधक अब सपने में आगे बढ़ता है। उसे लगता है कि वहां की सारी धरती हिलने लगी है। ऐसा भूकंप सा आ रहा है। साधक भागकर! वहां बंगाल के प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर काली मंदिर की ओर भागने लगता है। वहां चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था। चारों तरफ की धरती इधर-उधर डोल रही थी। ऐसा लगता था जैसे कि कोई।

बड़ा हाथी जिसका वजन पृथ्वी के बराबर हो चलता हुआ आ रहा है जिसके कारण उसके पद चाप की वजह से। वहां पर बड़ा ही भयंकर। विस्फोट आवाज हो रही है और जिसके कारण पूरी धरती हिल रही है। साधक मंदिर के पास जाकर एक खंभा पकड़ लेता है। और तभी जो वह सामने देखता है वह तो और भी ज्यादा विचित्र विस्मयकारी और अद्भुत दृश्य था। सामने एक हाथ में खड़क लिए और अपने दूसरे हाथ में नरमुंड लिए हुए मुंडो की माला पहने देवी काली ही बड़े-बड़े विशाल का कदमों को रखते हुए वहां धरती हिला रही थी। उनके पदचाप इतने तीव्र थे। कि जब वह पैर रखी थी तो पूरी धरती पर भूकंप आ जाता था। इस प्रकार बड़ी ही तीव्र गति के साथ वह साधक की ओर आने लगी जैसे कि साधक का वह वध कर देना चाहती हो।

साधक ने देखा की बहुत सारी शक्तियां साधक के शरीर से निकलकर उनको रोकने की कोशिश कर रहे हैं। पर किसी में भी कोई क्षमता नहीं है जो उन्हें रोक पाए। उनकी शरीर से निकलती हुई भयंकर ऊर्जा और ज्वाला कितनी ज्यादा शक्तिशाली थी कि जो भी शक्ति उनके निकट पहुंचती हो जाती थी?वह जलकर भस्म हो जाती थी

इस प्रकार उनकी अद्भुत शक्ति को देखकर साधक आश्चर्य में पड़ जाता है।

वह देखता है कि आखिर माता काली इस प्रकार क्कीरोधित रूप में उस ओर क्यों आ रही है?

क्रोध का इतना ज्यादा बड़ा प्रभाव देखने को कैसे मिल रहा है? किंतु जैसे जैसे वह नजदीक आ रही थी। साधक के मन में उनके प्रति प्रेम बढ़ रहा था। साधक जय मां पराशक्ति कहकर उनकी वंदना करने लगा। उनके पद चापो को गिरते हुए फूलों की तरह समझ रहा था। इतनी तीव्रता से आती भयंकर क्रोध में भरी गर्जन करती हुई देवी मां काली वहां पर आती ही जा रही थी और उन्होंने साधक के बिल्कुल पास आकर अपनी खंडग उठा ली। और वार करने के लिए बिल्कुल तत्पर हो गई। तब साधक ने हाथ जोड़कर माता को जय माता पराशक्ति। जय माता काली बोला और जैसे ही वह बोला। माता काली का भयानक भयंकर स्वरूप एक बहुत ज्यादा सुंदर आभूषणों से लदी हुई। दिव्य तेज मई!

स्त्री में बदल गया। जिनका रूप और स्वरूप इतना ज्यादा सुंदर था कि जिसे देखकर कोई भी व्यक्ति! केवल उनको देखता ही रह जाए। इतनी ज्यादा सुंदर स्वरूप में आकर वह सामने! खड़ी हो गई और कहने लगी। तेरी क्या इच्छा है बता तू तो मेरे भयंकर रूप को देखकर भी बिल्कुल भी विचलित नहीं हुआ। मेरी इस स्वरूप को देवता भी अगर देख लें तो उनके प्राण निकल जाते हैं। और तुझे तो कोई फर्क ही नहीं पड़ा। इसका कारण क्या है? तब साधक ने कहा माता! मां पराशक्ति के साकार रूपों में आप।

समस्त तामस  शक्ति को अपने अधीन रखते हैं। यह तमस शक्ति!

हमेशा आपके ही चरणों में पड़ी रहती है।

मां चाहे रूप सौंदर्य मई बनाए या फिर भीषण। मां तो मां ही रहती है। और जब मेरी मां मेरे पास दौड़ते हुए आ रही हैं तो भला मुझे डर क्यों लगने वाला है? मां तो बच्चे की प्रार्थना सुनकर तीव्रता से उसकी ओर दौड़ती हुई चली आती है।

तो फिर आप? इतनी सुंदर स्वरूप में आई थी कि जिस का वर्णन करना भी संभव नहीं है। एक हाथ में खड़क दूसरे हाथ में नरमुंड और गले में नर मुंडो की माला। ऐसा सुंदर स्वरूप साक्षात अपनी आंखों से देखना। यह तो संभव ही नहीं है। तो यह सुनकर माता बहुत जोर से हंसने लगी और कहने लगी। वाकपटुता तेरे अंदर मुझसे ही आई है। लेकिन मैं तो तेरा यहां पर विनाश करने के लिए आई थी।

और तू फिर भी नहीं डरा! क्यों? तब साधक ने कहा, माता मैंने कहा ना? आप चाहे जिस भी रुप में आए आप मेरी मां है इसलिए मुझे डरने का तो कोई प्रश्न ही नहीं खड़ा होता। अगर सृष्टि का विनाश भी हो रहा होता और आपकी एक झलक मुझे दिख जाती तो मैं स्वेच्छा से आपके चरणों में अपने प्राण अर्पित कर सकता था। वह भी बिना भयभीत हुए बिना किसी शंका के।

तब माता ने कहा। तू मेरे मूल स्वरूप को जान गया है। इसलिए तुझे भयनहीं लगा और जिसे भी मुझसे भी भय नहीं लगता मैं उसे स्वयं। उच्चतम स्थान देती हूं। माता पराशक्ति के प्रचार और प्रसार के लिए ही तेरा जन्म हुआ है। और मेरी परम  स्वरूप को केवल जानने वालों में एक मात्र तू ही है।

इसलिए मैं हालांकि तेरा विनाश करने के लिए ही आई थी। क्योंकि जब हम किसी साधक के द्वारा सिद्ध किए जाते हैं। तब हमें जो कार्य साधक सोचता है वह तो करना ही पड़ता है। किंतु तेरी निश्चल भक्ति और? ऐसी अद्भुत भावना के कारण मै स्वता ही। उस तांत्रिक का साथ छोड़ती हूं, उसकी सिद्धि को भस्म करती हूं।

14 वर्ष मेरी साधना की है। किंतु इसके बावजूद भी उसके अंदर ऐसी भावना कभी पैदा नहीं हो सकी।

मेरा केवल उसने उपयोग करने के लिए ही मेरी सिद्दी की!

लोगों से धन कमा पाए। उस घर में विनाश करें। यही कार्य उन 4 जिन्नों और मेरे द्वारा वह करवाता रहा है।

इससे मुझे बहुत दुख होता था।

वह किसी भी प्रकार से मेरा पुत्र कहलाने लायक नहीं है। इसीलिए मैं आज तुझसे सिद्ध होती हूं। बता तेरी क्या इच्छा है?

तब साधक ने कहा, माता मैंने आप की आराधना नहीं की । इसके बावजूद भी आप सिद्धि के रूप में उससे मेरे पास आ गई है। यह तो मेरा सौभाग्य है किंतु मैं आपसे कुछ नहीं मांगता। कुछ मांग कर मैं आप से स्वयं को दूर नहीं कर सकता हूं आप अपने पराशक्ति स्वरूप में। विलीन हो जाइए और मैं इस जीवन के बाद आप में विलीन होना चाहता हूं। इसके अलावा और कोई इच्छा नहीं है। बाकी तो इस जीवन और जगत की जो माया है, प्रक्रिया है। वह तो हमेशा चला ही करेगी। इसलिए आप मुझे बस यही आशीर्वाद दीजिए। माता काली बहुत ही प्रसन्न स्वरूप में अपने अद्भुत! विशालकाय स्वरूप में महाकाली स्वरूप में प्रकट हुई। आशीर्वाद देकर कहने लगी। पूजा तो मेरी ही सब करते हैं। लेकिन अपनी सामर्थ्य के हिसाब से मेरे अंश स्वरूपों को प्राप्त करते उस तांत्रिक ने भी किया था और इसका दंड उसे भुगतना पड़ेगा।

मैं चाहूं तो उसका अभी वध कर सकती हूं, किंतु उसने आजीवन मेरी सेवा की है। इसलिए इस अपराध के लिए मैं उसे क्षमा तो करती हूँ, लेकिन दण्ड अवश्य देती हूं इस प्रकार साधक! के जीवन में यह अद्भुत घटना घटी थी।

और इस घटना का साक्षी साधक स्वयं बना था।

बाद में पता चला कि उस साधक को।

ऐसी हिचकियां लगी है कि वहां? बंद ही नहीं हो रही है। आज इस घटना को कम से कम छह-सात महीने से ज्यादा हो चुका है लेकिन उसे दिन भर में। जितनी बार बार सांस लेता है उतनी बार हिचकियां आती है। अभी वह यह भी जान चुका है कि उसने यह गलत प्रयोग जिस घर में किया था उसके कारण से उसके सांस हमेशा उखड्ती रहती है। इस रोग को बड़े-बड़े डॉक्टर ठीक नहीं कर पा रहे हैं। उसने फिर फोन करके पिताजी से बातचीत की तो पिताजी ने उसे क्षमा तो कर दिया, लेकिन एक बात कही है कि आप जाइए और माता काली की आराधना कीजिए। उनसे क्षमा मांगिए। शायद वह आपकी साधना से प्रसन्न होकर आपको क्षमा कर दें। तो उस साधक ने केवल एक समय का भोजन करना शुरू कर दिया है और माता की आराधना करता चला जा रहा है। शायद किसी दिन उसे माता क्षमा कर दें। इसलिए सदैव याद रखिए।

पहली बात यह है कि जीवन में किसी भी के ऊपर यूं ही तांत्रिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। वह भी गलत उद्देश्य के लिए।

दूसरी बात  जीवन में कभी भी बड़ी शक्तियों से कुछ नहीं मांगना चाहिए क्योंकि वह जो सबसे ज्यादा आपके लिए उपयुक्त है, वही आपको प्रदान करती हैं। और? कोई भी अगर आपके घर में आता है तो उसका प्रयोजन अवश्य जान लीजिए कि कहीं वह आपके घर में किसी बुरी शक्ति को स्थापित करके तो नहीं जा रहा।

तो यह थी एक एक सत्य घटना! अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

 

https://youtu.be/fVoowMD6bdI
Exit mobile version