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काली माता सिद्धि तांत्रिक से खीचकर मेरे पास आयी यह गहरा राज भाग 1

 

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम जो अनुभव लेने जा रहे हैं, इसे कहने की आवश्यकता नहीं की है किस का अनुभव है। आप लोग स्वयं ही समझदार हैं और समझ सकते हैं कि यह किस का अनुभव होगा और इसकी मांग भी मुझसे की गई थी कि ऐसा अगर आपके जीवन में कुछ घटित हुआ है तो उसके विषय में भी बताइए तो आज मैं आपको एक ऐसे तांत्रिक के विषय में बताऊंगा जिसकी अपनी खुद की सिद्धि खींच कर के एक दूसरे व्यक्ति के पास चली जाती है और वह शक्ति विहीन हो जाता है कैसे आइए इस सच्चे और यथार्थ? निजी अनुभव के विषय में जानते हैं।

यह बात तब की है जब जैसे कि आप जानते ही हैं कि एक तांत्रिक व्यक्ति के पिताजी जो की जमीन से गड़े हुए खजाने के विषय में अच्छी जानकारी रखते हैं और इस तरह के कार्य करना भी वह पसंद करते हैं। हालांकि साधक हमेशा उनसे कहता है कि ऐसी चीजों के पीछे मत जाइए। लेकिन उनका हमेशा इस तरह का मंतव्य और स्वभाव है जिसे वह बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। इसी वजह से साधक! कुछ भी कहे लेकिन उनके जो पिता है वह इस बात को स्वयं ही करते हैं।

बात तब की है जब एक। विशेष! कानपुर के पास एक मठ है उस मठ के जो पीठाधीश्वर जी हैं। उनका मैं यहां पर नाम नहीं लूंगा उन्होंने! अपने कुछ शिष्यों के माध्यम से यह बात पता लगाई कि कोई व्यक्ति धन को निकालने की क्षमता रखते हैं और इसके हेतु वह उनसे सहायता चाहते थे। माता त्रिपुरा सुंदरी के बहुत बड़े भक्त हैं और!

इस वक्त विश्व प्रसिद्ध उनकी स्थिति है। गंगा नदी के किनारे उनका एक बहुत बड़ा आश्रम बना हुआ है।

उन्होंने अपने शिष्यों को इस कार्य के लिए लगा दिया। उनके शिष्यों के माध्यम से धीरे-धीरे फोन होते-होते यह मेरे पिताजी तक पहुंची और और साधक के पिताजी इस बात के लिए तैयार हो गए। उन्होंने कहा, ठीक है हम लोग वहां चलेंगे। तब साधक ने भी कहा अगर किसी बड़े गुरु से मिलने जाना है तो मैं भी आपके साथ चलना पसंद करूंगा क्योंकि इसके माध्यम से आश्रम व्यवस्था कैसे कार्य करती है, इसकी जानकारी प्राप्त हो सकती है और अच्छे सिद्ध बड़े गुरुओं से मिलने पर बहुत ज्यादा फायदा भी होता है। इसीलिए साधक! और उनके पिताजी अपनी कार से उन लोगों के साथ में जो लोग आए हुए थे। उनके घर पर सभी लोग एक साथ उस आश्रम के पास पहुंचने के लिए निकल पड़े जो कि कानपुर के पास एक प्रसिद्ध आश्रम है। यह लगभग काफी दूर और एकांत में है और गंगा नदी के किनारे स्थित है। तब लगभग इन्हें चार-पांच घंटे लग गए। वहां तक पहुंचने में रात्रि हो चुकी थी। जब सभी लोग वहां पहुंचे तो पता चला कि कुछ ही देर में।

गुरुजी आने ही वाले हैं।

तो सभी लोगों ने वहां पर यह बात फैली हुई थी कि इस आश्रम में गंगा माता के किनारे। गंगा माता ने धन इस आश्रम के अंदर भेज दिया है। इसी के कारण? सभी लोग इस बात के लिए लालायित थे। जो वहां की गुरुजी थे। और जो पीठाधीश्वर थे, उन्होंने भी इस चीज को प्राप्त करने की इच्छा की थी क्योंकि वह माता त्रिपुर सुंदरी का एक बहुत ही बड़ा भव्य मंदिर बनाना चाहते थे जिसमें माता की जो प्रतिमा हो वह विशालकाय और पूरी तरह सोने की बनी हो। इसीलिए वह चाहते थे कि? किसी प्रकार से ऐसा कोई धन निकल पड़े जिसके माध्यम से वह अपना यह कार्य सिद्ध कर पाए। इसी प्रकार जब सारे लोग उनके पास पहुंचे। तो श्रद्धा भाव से झुकते हुए उस साधक और उनके पिताजी ने उन्हें प्रणाम किया। उन्होंने उन्हें पास बैठा लिया। और सामने सारे लोग सीट पर बैठ गए लेकिन साधक! सामने जाकर के नीचे जमीन पर बैठ गया। क्या देखकर वह गुरु बहुत प्रसन्न हुए? और कहने लगे कि तुम इन सब से अलग नजर आते हो तो मेरे सामने क्यों बैठे हो? तब साधक ने कहा, गुरु जी एक गुरु के सामने कभी भी उसके बराबर में नहीं बैठना चाहिए और दूसरी बात मैं तो माता त्रिपुर सुंदरी के आगे बैठा हूं जब उनका स्वरूप साक्षात रुप में मेरे सामने हो तो फिर मैं मां के सामने बराबर के स्थान पर कैसे बैठ सकता हूं? यह बात सुनकर!

बहुत प्रसन्नता के साथ कहा। आपकी आयु तो बहुत कम लगती है पर ज्ञान काफी उच्च है। ऐसा कीजिए। दीपक की थाल अंदर रखी होगी उसे लेकर आइए।

इस प्रकार गुरु का विश्वास उनके ऊपर तुरंत ही हो गया। और साधक अंदर कमरे में गया वहां से गुरु के निजी सामान में। रखी हुई पूजा की थाल और सामग्री लाकर उन्हें दी  तब तक गुरुजी के मैनेजर साहब बोले, आप लोगों को नहीं पता। गुरूजी लगभग 21 वर्ष से लगातार माता की सिद्धि को प्राप्त किए हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि स्वपाकी यानी स्वयं ही भोजन बनाते हैं। चाहे कितने भी शिष्य हो उनकी सहायता अवश्य लेते हैं लेकिन भोजन का निर्माण वह स्वयं करते हैं।

यह बात काफी अच्छी थी। तब गुरु जी ने स्वयं ही भोजन बनाना शुरू कर दिया। अंदर पाककला स्थान में। जहां पर खाना बनाने का कार्य किया जाता था। इधर सभी लोग आपस में वार्तालाप करने लगे। तो यह सोचा गया कि इस जगह का मुआयना किया जाए। तब तक? गुरुजी आए और उन्होंने कहा। आप लोग पहले भोजन करेंगे तभी यह कार्य करेंगे क्योंकि मेरे पास कोई आए और मैं उसे बिना भोजन कराएं कोई कार्य सौंप दूं। यह नही हो सकता है ।

और उनकी मैनेजर से जब बात हो रही थी तो उन्होंने कहा, गुरु जी अभी-अभी योगी महाराज से मिलकर आए हैं।

इनका संपर्क!

मुख्यमंत्री योगी जी से भी है।

तब सभी उनकी बातों से प्रभावित हो रहे थे। कि इतने सरल स्वभाव वाले और स्वयं भोजन बनाने वाले एक अद्भुत अच्छे गुरु हैं।

सबने मिलकर भोजन करना शुरू किया जैसे ही उन्होंने भोजन बनाकर सभी को परोसा और उनके शिष्यों ने उसने सहायता की भोजन कराने में की, साधक के मुंह से निकल गया। यह दाल तो कच्ची रह गई है। क्या सुनकर गुरुजी दौड़े-दौड़े बाहर आए और कहने लगे, ऐसा कैसे हो गया। मैंने तो बिग बाजार से यह दाल मंगवाई थी। तब उनके मैनेजर ने कहा। गुरु जी ऐसा कीजिए कि सब में एक ही बड़ी मात्रा में देसी घी डाल दीजिए, जिससे दाल की समस्या ना रहे।

साधक यह बात समझ चुका था कि दाल अगर कच्ची है। इसका मतलब संकेत आ चुका है। यहां पर कुछ भी ना मिलने वाला है और ना ही कोई कार्य बनने वाला है। जब भी हम!

किसी विशेष कार्य किए जाते हैं। ऐसे संकेत अवश्य मिलते हैं कि उस जगह पर हमें सफलता मिलेगी अथवा नहीं मिलेगी।

तब?

खाना समाप्ति होने के बाद में। किनारे पर खड़े होकर गुरुजी अपने मैनेजर से बात करने लगे और जो भी उनके बीच वार्तालाप हो रही थी इसी बात को लेकर थी कि क्या यह लोग? यहां से धन निकाल पाएंगे अथवा नहीं। तब? धीरे-धीरे साधक उनकी और बढा गुरुजी उन्हें देख कर मुस्कुराए और कहने लगे। आप? यहां पर? आए हुए हैं आपको क्या लगता है क्या यहां पर धन मौजूद है? तब साधक ने कहा, गुरु जी इसके लिए तो मुआयना करना पड़ेगा। इस क्षेत्र में लगभग आपका जो आश्रम है, यह बहुत बड़ा है। लगभग 40 से 50 बीघा बड़ा आश्रम!

लेकिन गुरु जी बोले, हमें संदेह है जहां पर पेड़ लगे हैं। वहां पर तो कुछ नहीं है। केवल आश्रम परिसर जहां बिल्डिंग बनी हुई हैं, वहीं पर ही धन होने की संभावना कई तांत्रिकों ने बताया है। कई तांत्रिक यहां आकर खुदाई भी किए हैं तो फिर चलिए सभी लोग अब चल कर पता लगाते हैं।

साधक, साधक के पिताजी और बाकी सारे लोगों की मंडली इसके लिए उनके साधना कक्ष वाले और प्रवचन वाले कमरे से नीचे निकल कर आए। और धीरे-धीरे! उस मैदान में पहुंचे।

तब उन्होंने! वहां पर एक हनुमान जी सिद्ध साधक को भी दिखाया जो काफी ज्यादा उम्र के थे। हनुमान जी का मंत्र जाप कर रहे थे। गुरुजी ने बताया कि यह कि मेरे आश्रम के समय और चीजों को संभालते रहते हैं। इस वक्त हनुमान जी की साधना में लीन है।

उसके बाद फिर उस जगह का भ्रमण करना शुरू हुआ।

लगभग सारी जगह घूमने के बाद। अचानक से साधक को एक पेड़ के ऊपर बैठी हुई दो प्रेत आत्माएं दिखाई दी। तब साधक ने अपने पिता को कहा। एक बार पता लगाइए कि क्या यहां पर? धन हो सकता है क्योंकि यहां पर 2 प्रेत आत्माएं हैं।

तब साधक के पिताजी उस टीले पर चढ़ गए। और उन्होंने चारों ओर घूमना शुरू कर दिया। पता चला यहां पर कुछ भी धन नहीं है। यह सुनकर गुरुदेव कुछ और बढ़े और कहने लगे कि यह? प्रेत आत्मा है, मैं भगा देता हूं।

तो साधक ने सोचा बैठी हुई प्रेत आत्माओं से हमें क्या नुकसान है?

एक बड़ा विशाल काय सांड वहां पर आ गया था और बहुत जोर जोर से फुंकार रहा था। उसकी ध्वनि काफी तेज थी। तब?

साधक ने कहा, गुरु जी संभल कर जाइए। सांड इधर की ओर आ रहा है। तब मैनेजर साहब बोले, आप परेशान मत होइए। गुरुजी का आभामंडल इतना बड़ा है कि सांड उनसे नहीं उलझने वाला उस ओर  वह बढे और फिर उन्होंने। मिट्टी के ढेले फेंक कर उस सांड को वहां से भगा दिया। उसके बाद हम लोग उस क्षेत्र में लगभग काफी देर तक घूमे। तब? गुरुजी ने पूछा। कि आप लोगों के पास कौन सी सिद्धि है? तब साधक ने कहा, पिताजी के पास कर्ण पिशाचिनी की शक्ति थी। जो अभी भी।

उन्हें संकेत देती रहती है।

और इस संकेत के आधार पर उन्हें बहुत कुछ पता चल जाता है। हालाँकि वह सिद्धि उनके पास नहीं है लेकिन फिर भी यह जो भी निर्णय लेते है बिलकुल सटीक बैठता है

इस बात को सुनकर उन्होंने कहा, क्या आपको लगता है कहीं पर यहां धन है तब? साधक ने उनसे कहा कि? यहां पर? कोई भी धन मौजूद नहीं है इस बात से। थोड़ा गुरुजी निराश हुए और फिर सभी लोग वापस आ गए। गुरुजी ने कहा, मैं आज दिल्ली के लिए निकल जाऊंगा। आश्रम में रुकने का कोई विशेष कारण भी नहीं है। उन्होंने अपनी! बड़ी सी कार निकाली और फिर वह वहां से चले गए। लेकिन इस दौरान एक ऐसे व्यक्ति से संपर्क हुआ जो कि गुरु जी के शिष्यों में से था। उस व्यक्ति का भी नाम नहीं लूंगा। पर उस व्यक्ति ने कहा, कहीं पर भी अगर धन रखा है और उस क्षेत्र में जनता लोग मौजूद हैं। मेरी सिद्धि से सारे लोग खड़े खड़े देखते रह जाएंगे और वहां से आप कोई भी सामान उठा सकते हैं। मेरे पास एक विशेष तरह के मसान की सिद्धि है। इस मसान की सिद्धि के अलावा मेरे पास माता, काली और अन्य चीजों की भी सिद्धियां मौजूद है। लेकिन मैं बताता नहीं हूं कि मेरे पास क्या-क्या है?

और तब वह कहने लगा कि आप लोग अगर किसी ऐसे स्थान को जानते हैं जहां पर लोगों के सामने से धन निकालने की आवश्यकता होगी तो मेरी मसान सिद्धि, अद्भुत चमत्कार दिखाएगी और आपको कोई परेशानी नहीं होने वाली है। यह सुनकर सभी लोग खुश हो गए। उन लोगों ने अलग-अलग राजाओं के पड़े हुए खजाने एक जगह एक दिव्य द्वार और ऐसी कई तरह की बातें की।

तब साधक ने कहा, अधिक रात्रि हो रही है, हमको चलना चाहिए। तब रात्रि के वक्त उन्होंने वहां से वापस निकालना ठीक समझा उस व्यक्ति का नंबर भी ले लिया गया। और उस व्यक्ति ने कहा कि डॉक्टर साहब आप से मैं संपर्क करता रहूंगा। अगर आप से रिलेटेड ऐसा कोई काम आएगा तो मैं अवश्य ही आपकी सहायता करूंगा। इसके बाद एक दिन साधक!

अपने घर में थे कि तभी कई लोगों का फोन आता है।

तब उन्होंने कहा कि एक ऐसी जगह है जहां पर एक प्रधान स्त्री है। उसने बुलाया है और कह रही है कि मेरे पास पुराने समय में अंग्रेजों का गड़ा हुआ धन है। उसे निकालने में मदद कीजिए। तब इन लोगों की सारी टीम वहां के लिए रवाना हो गई। क्योंकि उस व्यक्ति को भी बुलाया गया। जो मसान विद्या में निपुण था।

क्योंकि गांव के बीच का मामला था। ऐसे में लोग देखने आते हैं तो ऐसे समय में ऐसी आवश्यकता अवश्य होती है कि जब सारे लोगों को भ्रमित कर दिया जाए। तो उसने कहा, मैं आपको अपनी विद्या का एक नमूना दिखाना चाहूंगा ताकि आप लोगों को विश्वास हो जाए कि मेरे पास दैवीय सिद्धि है। तो उसने कहा ठीक है हम लोग उस ओर चल रहे हैं। आप सभी को मिठाई खाने की इच्छा होगी तो उसने कहा गाड़ी रोकिए और ड्राइवर से कहा ड्राइवर जाओ सामने वाली दुकान में 2 किलो मिठाई लेकर के अपने आप आ जाओ दुकान में जाना वहां मिठाई का डब्बा होगा उसे उठाना उसके बाद उसमें मिठाई 2 किलो भरना और लेकर चले आना।

यह सुनकर! वह ड्राइवर कहने लगा तुम मुझे पिटवा ओगे। और ऐसे में मैं कैसे विश्वास करूं तो उसने कहा, यही तो मैं कह रहा हूं। मेरी सिद्धि का असर तुम लोग साक्षात देखोगे। मैं उस दुकान पर मसान डालने वाला हूं।
तुम लोग जाओ या तुम में से कोई भी जाए।

तो उसने कहा ठीक है, मैं जाता हूं। कुछ गड़बड़ हो तो पैसे दे दूंगा। वरना अगर कोई मुझे पीटने या डांटने लगे तो आप सभी को आना पड़ेगा। तब वह व्यक्ति उस दुकान की ओर बढ़ा और उस दुकान पर पहुंच कर अंदर गया। सामने रखा डब्बा उठाया और मिठाई उसमें भरने लगा।

इसके बाद क्या हुआ जानेंगे हम लोग इस सच्ची घटना के अगले भाग में तो अगर यह आपको यह निजी अनुभव पसंद आ रहा है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

 

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