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कुन्दन देहा यक्षिणी साधना

कुन्दन देहा यक्षिणी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक विशेष साधना लेकर उपस्थित हुए हैं। यह अत्यंत ही गोपनीय साधना है जो कि गुप्त नवरात्रि से प्रारंभ की जाती है। जब भी यक्ष नवरात्रि आती है, हम लोग जानते हैं कि वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं इनमें एक नवरात्रि

पहली होती है वह देव नवरात्रि बोली जाती है और दूसरी गुप्त नवरात्रि यक्ष नवरात्री मानी जाती है क्योंकि यक्षों के विषय में कहा जाता है कि यह वर्ष में एक बार उपस्थित होकर सभी मां आदिशक्ति की वंदना करते हैं और इसी कारण से इस दौरान अगर यक्ष और यक्षिणी शक्तियों की उपासना की जाए तो अद्भुत लाभ के साथ अतुलनीय धन वैभव संपन्नता प्राप्त होती है।

इस संदर्भ में एक गुप्त यक्षिणी जिन्हें हम कुंदन देहा यक्षिणी के नाम से जानते हैं। उनकी साधना के विषय में आज हम लोग बात करेंगे। इन की कथा क्या है और क्यों इनकी साधना गुप्त नवरात्रि से करने पर अनगिनत लाभ प्राप्त होते हैं? इस विषय में आज हम लोग चर्चा करेंगे। तो जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कुंदन देहा बहुत ही ज्यादा सुंदर और माता लक्ष्मी की कृपा और ब्रह्म देव की कृपा से यक्ष लोक में गई थी और उनके कारण धन वैभव और सोना चांदी वहां पर अधिक मात्रा में उपस्थित होता रहता है। यह कथा इस प्रकार से शुरू होती है। जब एक बार यक्षों का धन राक्षसों ने हड़प लिया और उनकी लक्ष्मी भी उन्होंने अपने पास गुलाम बनाकर रख ली तब ऐसी अवस्था में कुबेर महाराज ने धन को प्राप्त करने के लिए विष्णु लोक जाना उचित समझा। विष्णु लोक में यानी बैकुंठ में जाकर भगवान विष्णु से कहते हैं। प्रभु हमारा जो धन है वह राक्षसों ने छीन लिया है माता लक्ष्मी आप अपने किसी ना किसी अंश में हमारे यहां पदार्पण करें ताकि हमारे पास धन की जो कमी हो गई है, वह पूरी तरह ठीक हो सके। लेकिन माता लक्ष्मी ने कहा, राक्षसों ने वचन से बांध दिया है। तुम्हारी लक्ष्मी अपने पास रखकर उन्होंने साधना कर ली है और मुझे विवश कर दिया है कि मैं यक्ष लोक ना जाऊं। ताकि सारा धन जब राक्षसों के पास रहेगा तो देवता और मनुष्य सभी राक्षसों की ही उपासना करेंगे ऐसे अवस्था में अब मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकती हूं। तब माता लक्ष्मी! ने कहा कि आपको ब्रह्मदेव के पास जाना चाहिए क्योंकि वह स्वयं हिरण्य के स्वामी हैं अर्थात सोना उनके पास

प्राप्त हो सकता है। यक्ष राज कुबेर अपने कुछ यक्षों के साथ ब्रह्म लोक की ओर जाते हैं। ब्रह्मलोक में पहुंचने पर ब्रह्मदेव उनका स्वागत करते हैं और कहते हैं क्या बात है कुबेर महाराज आपका यहां आने का मूल उद्देश्य क्या है, मुझे बताइए? कुबेर जी ने उनके साथ घटित हो चुकी सारी घटना को बताया और कहा कि प्रभु मैं बहुत परेशान हूं। सारा संसार मेरी ओर देखता है। ताकि मैं सब को धन उपलब्ध करा सकूं। पर यहां तो राक्षसों ने अपनी तांत्रिक माया शक्ति के कारण हमारा सारा धन खींच लिया है। अब ऐसे में मैं क्या करूं? मैं माता लक्ष्मी के पास और भगवान नारायण के पास भी गया। तब माता लक्ष्मी ने मुझे आपके पास आने का परामर्श दिया है। अब मैं आपके पास आया हूं। कृपया मुझे ऐसी शक्ति प्रदान कीजिए। तब?

ब्रह्मा जी ने अपने!

अस्तित्व से एक यक्षिणी को प्रकट किया और कहा, इसे आप अपने लोक में लेकर जाएं। इस से आकर्षित होकर स्वयं राक्षसों के हाथ से निकल कर धन तुम्हारे पास आना शुरू हो जाएगा। तब महा सुंदरी कुंदन देहा प्रकट हुई। कहते हैं इसका रूप और सौंदर्य अद्भुत है सुनहरी आभा लिए हुए। सुंदर वदन वाली ऐसी महा सुंदरी जिसे देखकर हर व्यक्ति अपना आपा खो दें। ऐसे सुंदर देहवाली कुंदन स्वरूपा यक्षिणी। कुबेर जी को प्राप्त हुई कुबेर जी उसे लेकर यक्ष लोग आ गए। तब कुन्दन देहा कहने लगी, मैं यहीं बैठ जाती हूं और बस आप मेरी छवि सारे राक्षस लोगों को दिखाते रहें। बाकी सब मुझ पर छोड़ दें। तब कुबेर जी ने एक ऐसा अद्भुत आयाम प्रकट किया जिसके कारण हर जगह कुंदन देहा राक्षसों को दिखाई देने लगी। उसके लावण्यमयी रूप और अद्भुत सुंदरता को देखकर हर राक्षस कामातुर होने लगा। जिसने भी कुंदन देहा को एक बार देखा उसके मन में कुंदन देहा को प्राप्त करने की इच्छा बलवती हो गई। उसके अति सुंदर रूप और शरीर को देखकर हर कोई उसकी ओर लालायित नजरों से देखने लगा। तब राक्षस यक्ष लोक आए और कुंदन देहा से पूछा, तुम क्या चाहती हो, हम में से किसी से विवाह करो। हम तुम्हें अपने राक्षसों की साम्राज्ञी बना देंगे। कुंदन देहा ने कहा, तुम्हारे पास जितना भी सोना हो, सब लाकर मेरे पास रखो। जो सबसे ज्यादा सोना मेरे सामने रखेगा, मैं उसी से ही विवाह करूंगी और वही मेरा स्वामी होगा। इस प्रकार की माया कुंदन देहा माया रचाने लगी, लेकिन उसकी सुंदरता शरीर के अद्भुत सौंदर्य को देखकर हर राक्षस भावविभोर हो जाता जो भी राक्षस के पास जितना भी सोना चांदी था, वह उठाकर कुंदन देहा के पास रख देता। यह सोच कर कि कुंदन देहा उस का वरण कर लेगी।

सारा सोना और चांदी वहां धीरे-धीरे इकट्ठा हो गया और फिर जब सारे के सारे सोना और चांदी लेकर यक्ष लोक में आ गए। तब कुंदन देहा ने कहा, जो भी मुझे देख कर कामा प्रभाव नहीं रखेगा। अब मैं उसी से ही विवाह करूंगी। मैं यक्ष लोक से राक्षस लोक केवल 1 दिन तक रहूंगी। कहते हैं उसके बाद स्वयं कुंदन देहा राक्षसों के पास प्रकट हो गई। वह इतनी ज्यादा सुंदर थी। उसे देखकर जो भी राक्षस उसे एक बार देखता उसके स्वर्णमई स्वरूप को देखकर वह कामातुर हो जाता और पराजित हो जाता। इस प्रकार सारा राक्षस लोक ही पराजित हो गया। तब कुंदन देहा हंसते हुए कहने लगी। अब तुम सब ने मुझे स्वर्ण समर्पित कर दिया है। इसलिए अब वह मेरा हुआ। अब! अगर तुम मुझे नहीं जीत पाए हो तो भविष्य में भी कभी नहीं जीत पाओगे। मैं आपसे उसी स्वर्ण में वास करूंगी और यह कहते हुए कुंदन देहा सोने में जो कि यक्ष लोक में रखा गया था, उसके अंदर जाकर गायब हो गई। तब? हमेशा के लिए बहुत धन यक्ष लोक में ही रह गया। राक्षस उसे कभी प्राप्त नहीं कर पाए।

यही है कुंदन देहा यक्षिणी के स्वरूप की कहानी जो की अद्भुत सुंदरता किए हुए। सोने के जैसे रंग वाली अद्भुत सुंदरता को दर्शाने वाली शक्ति है। इसकी साधना करके व्यक्ति अद्भुत धन लाभ के साथ। शारीरिक सुख, प्रेम और संपन्नता जो अतुलनीय होती है, प्राप्त कर सकता है। यह स्वयं! ब्रह्मदेव की शक्ति से संपन्न यक्षिणी है इसलिए अन्य! यक्षिणी शक्तियों की तुलना में यह बहुत ज्यादा शक्तिशाली मानी जाती है। इसका साधना विधान मैंने आप लोगों के लिए इंस्टामोजो पर उपलब्ध करवा दिया है। आप चाहे तो इस साधना को खरीद कर आने वाली गुप्त नवरात्रि से प्रारंभ कर सकते हैं और अगर इसे प्रसन्न कर पाए तो धन! और प्रेमसुख दोनों ही देने में यह उत्तम मानी जाती है, याद रखें, इसकी साधना में ब्रह्मचर्य अनिवार्य है क्योंकि जिस प्रकार यह राक्षसों का ब्रह्मचर्य केवल देखने मात्र से नष्ट कर सकती है। उसी प्रकार इसके साधक की परीक्षा भी इसी प्रकार यह लेती है तो साधक अगर अपने पर नियंत्रण नहीं रख पाता है तो उसकी साधना नष्ट हो जाती है और साधक केवल कामासुर होकर ही अपनी साधना भंग कर बैठता है। इसलिए आप सभी! पूरी तरह चतुर और सचेत हो करके ही इसकी साधना करें। इसकी साधना करने से अवश्य ही धन लाभ होता है। इसमें कोई संदेह नहीं है। स्वयं ब्रह्मदेव की शक्ति इसमें समायी हुई है इसलिए साधक को धन प्राप्त ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता।

यह था विवरण कुंदन देहा यक्षिणी साधना का और उसकी कथा का यह साधना अगर आप खरीदना चाहते हैं तो इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक है। इंस्टामोजो का वहां जाकर फॉर्म भरकर अपने ईमेल पर इस साधना पीडीऍफ़ को डाउनलोड कर सकते हैं। आप सभी का दिन मंगलमय हो धन्यवाद!

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