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कुम्भ कथा प्रयागराज नागा साधू और उसका चिमटा भाग 2

कुंभ कथा प्रयागराज नागा साधु और उसका चिमटा भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसे कि अभी हमारी कहानी चल रही है कुंभ कथा में प्रयागराज में जहा नागा साधु और उनका चिमटा भाग 1 में आप लोगों ने जाना । एक नागा बाबा है और उनके गुरु सिद्धा बाबा की कहानी सुना रहे हैं । उसको मैं आप लोगों को बता रहा था की किस  प्रकार से सिद्धा बाबा अपनी साधना में जुट गए । और उन्होंने चिमटे को सिद्ध करने की कोशिश की । जैसे ही वह बैठे हैं वहां चारों तरफ काले रंग का धुआं छा गया उस काले रंग के धुए ने उनका सांस लेना भी मुश्किल होने लगा । ऐसी अवस्था में उन्होंने अपनी सांसो को रोक लिया और प्राणायाम के माध्यम से अंतरिक्ष में विचारने की कोशिश की । इस समय साधना में पूरी तरह सांस रोक के उन्होंने उस हवा का प्रभाव अपने ऊपर रोकने की पूरी कोशिश की । काले रंग की हवा ईंधर उधर घूमने लगी उसे कहीं पर भी वह स्थान नहीं मिला । जिसके कारण से वह उनके ऊपर कुछ छती पहुंचा पाए । वह इधर-उधर घूमती रही और फिर अचानक से क्रोध से उसने एक संपूर्ण शरीर को धारण किया यानी कि उसने अपना शरीर एक मानवीय जैसा बना लिया । वह एक भयंकर भूतनी के रूप में प्रकट हुई । वह काली भूतनी के नाम से अपने आप को संबोधित करके कहने लगी ।

कि हे योगीराज अब मेरी बात सुनो अपनी आंखे खोलो इससे पहले कि मैं तुम्हारा वध कर दूं तुम मेरी बातों को ध्यान से सुनो उसकी बात को सुनकर उन्होंने अपनी सांसों को एक बार फिर से प्राणायाम से मुक्त किया । और एक बार फिर सांस लेना शुरू कर दिया और उसको देख करके मुस्कुराते हुए बोले कि क्या बात है कौन हो तुम और यहां पर किस कारण से आई हो । तो उस काली भूतनी ने अपने विकराल चेहरे को करते हुए यानी शरीर का जो चेहरा होता है उसको बड़ा बनाते हुए और वहां पर भयंकर काली घटाएं की तरह अपने बालों को लहरा करके और भयंकर रूप धारण करके उनके सामने प्रकट होकर बोली कि मैं हूं काली भूतनी । और मैं करती हूं रक्षा और सुरक्षा करती हूं इस चिमटे की ।चिमटा ऐसा जो कहीं और नहीं पाया जा सकता अब मेरे सवाल को सुनो मुझे वहां बैठाओ । जो मेरे जैसा ही हो जहां मेरा पूर्ण राज्य चले वरना मार डालूंगी मुझे वहां बैठाओ ।

जो मेरे जैसा हो जहां मेरा पूर्ण राज्य चले वरना मार डालूंगी चारों तरफ बाबा ने उसे देखा और कहा आखिर ऐसा कौन सा स्थान होगा जहां पर मैं इसको बैठा सकता हूं । काली भूतनी ने साथ ही साथ यह भी कहा कि वह स्थान तुमसे पूरी तरह जुड़ा होना चाहिए अगर तुमसे जरा सा भी वह जुड़ा नहीं हुआ तो भी तुमको मार डालूंगी और मैं वचन पूर्वक कहती हूं कि मैं तुम्हें मार डालूंगी । अब इस प्रशन का उत्तर तुरंत खोजो अगर तुम ऐसा नहीं कर पाए तो तुरंत मार डालूंगी काली भूतनी यह कहते हुए हंसने लगी । और कहने लगी कि आज मुझे निश्चित रूप से एक साधु की बली मिलेगी । और मरने के बाद इसे अपना गुलाम बना लूंगी क्योंकि इसकी आत्मा मेरे अधीन होगी मेरे प्रश्न का जवाब यह दे नहीं पाएगा और इसका चिमटा यहीं का यही धरा रह जाएगा । चिमटे को सिद्ध करने के लिए बाबा बहुत ही परेशान थे और इस बात को वह समझ चुके थे कि अब इस काली भूतनी से बचने का कोई उपाय नहीं नजर आ रहा है क्या करूं क्या करूं उन्होंने मन ही मन अपने गुरु को याद किया । और गुरु से आग्रह किया कि कोई ना कोई ऐसा मार्ग मुझे दिखाइए जिसके कारण से मैं इस काली भूतनी को रोक सकू । क्योंकि यह कह रही है मुझे वहां पर बैठाओ जो मेरे जैसा ही हो जहां मेरा पूरा राज्य चले वरना मार डालूंगी काली भूतनी की इस ताकत को देखते हुए उस पर कोई मंत्र का प्रयोग करना भी गलत था । क्योंकि काली भूतनी ने कहा था कि अगर मैं चाहूंगी तो मेरी इच्छा के विरुद्ध मुझे कोई नहीं हरा सकता है ।

क्योंकि मैं तंत्र शक्ति चिमटे से बंधी हुई हूं और यह चिमटा जब तक सिद्ध नहीं होगा तब तक मैं यहां से नहीं जाऊंगी या उसके किसी चरण को आगे बढ़ा नहीं सकते । तब तक जब तक कि मैं मेरी इच्छा नहीं हो । तो उसकी इच्छा के विपरीत अब कुछ भी करना संभव नहीं था । सिद्धा बाबा थोड़ी देर सोचे और उन्होंने कहा ठीक है मैं तुझे अपने बालों में स्थान देता हूं । तू मेरे बालों में आजा इसका रंग तेरे रंग जैसा ही है और इन बालों में तू जहां चाहे वहां घूमती रह फिरती रह इधर जा उधर जा तेरी इच्छा लेकिन तू मेरे शरीर के कहीं पर भी किसी भी बाल में रह इन बालों में घूमती रह । बहुत ही सही और सटीक जवाब सिद्धा बाबा ने उस काली भूतनी को दे दिया था । काली भूतनी बड़े आश्चर्य से बाबा को देखा और कहा तू तो बड़ा समझदार है रे तूने मुझे ऐसी जगह बिठाने को कहा है जहां मैं और मेरा राज हमेशा चलेगा वह चीज बढ़ती ही जाएगी और साथ ही साथ तेरे शरीर का भाग होते हुए तेरे शरीर से जुड़ी हुई है यानी कि तेरे शरीर का अंग भी है तो वास्तव में बड़ा बुद्धिमान है रे । इसलिए मैं काली भूतनी तुझे चिमटे के अगले चरण में ले जाने की आज्ञा देती हूं । चिमटे के अगले चरण में मैं तेरे शरीर के बालों में रहूंगी तेरे शरीर के बालों में रहते हुए मैं जब तेरे सिर के ब्रह्मरंध्र के स्थान पर जाकर के तुझे वह मंत्र बताऊंगी जिस मंत्र को जप के तू सिद्धि प्राप्त करेगा । उस मंत्र को सिद्ध कर उस मंत्र की प्रक्रिया को आगे बढ़ा । उस प्रक्रिया को जो तू जैसे ही आगे बढ़ाएगा वह मंत्र तूझेे अपनी शक्तियां देगा । उस शक्ति से तु चिमटे के दूसरे चरण में प्रवेश कर जाएगा ।चिमटे के अगले चरण में प्रवेश करने पर तुझे अन्य प्रकार की शक्तियों का सामना करना होगा । लेकिन तूने मुझे प्रसन्न कर लिया है तो इसलिए मैं तेरी रक्षा भी करूंगी और साथ ही साथ तेरे हर कार्य को सिद्ध भी करूंगी ।

तो बता तेरे शरीर के बालों में सबसे पहले मेरा निवास कहां हो । तो बाबा ने बड़े हंसते हुए कहा मेरे बाएं हाथ के पहले बाल से शुरू कर और इसके अलावा हर बाल पर रह जहां तेरी इच्छा हो वहां तू घूम और उन बालों में घूमती रह । इस प्रकार से काली भूतनी उनके शरीर के बाल में प्रवेश कर गई और वहां रहकर घूमने लगी । तभी उसने वहां घूमते घूमते उनके ब्रह्म रंध्र तक पहुंची और वहां पर जाकर के उसने मंत्र को बताया कि इस मंत्र को तुम जपो । यह चिमटा मंत्र है इस मंत्र को तुम सिद्ध कर लो बाबा ने कहा ठीक है । और बाबा ने वह मंत्र याद कर लिया अब उनकी मंत्र साधना शुरू हो गई । जिस बकरे पर बैठे हुए थे उन्होंने उस बकरे पर उस काली भूतनी को नहीं प्रवेश करवाया था । क्योंकि वह जानते थे अगर काली भूतनी इस बकरे के शरीर के जो खाल है इस पर प्रवेश कर जाए तो यह शक्ति के माध्यम से कभी भी आसन को हटा सकती है । अगर उसने आसन हटा दिया और जहां मेरा पूर्ण अधिकार नहीं है इस कारण और साधना भंग हो सकती है । इसलिए काले बकरे के शरीर में जो या उसकी खाल पर जिस पर लोग बैठे हुए थे उस काली भूतनी को नहीं बैठने दिया था । अब काली भूतनी ने मंत्र उनके कान के बाल में जाकर के अच्छी तरह सुनाया और कहा इसको पढ़ और इसको याद कर लें और इस मंत्र को जप साथ ही साथ काली भूतनी ने वहां पर एक रुद्राक्ष की माला प्रकट कर दी ।

और वह सामने जब गिरी उस माला को उठा करके  अब गुरु सिद्धा बाबा उस मंत्र का जाप करने लगे । बोले सतनाम सत नमो आदेश गुरु जी को आदेश ओम गुरु जी कैलाश पर्वत से योगेश्वर अलग पुरुष से चिमटा पाया कौन शब्द से चिमटा लाया कौन से उतरे पार चमक चिमटा धूनी पानी सब राखी साथ गुरु शब्द सिद्धधो की वाणी लोहे का चिमटा सतगुरु का ज्ञान चिमटा राखे योगी निर्वाण चिमटा बाजे चिमटा गाजे चीपिया माही चिमटन की काया चिमटे ने सारी सृष्टि को जगाया इतना चिमटा जाप संपूर्ण भैया श्री नाथजी गुरुजी को आदेश आदेश । इस मंत्र को वह धीरे-धीरे करके जपने लगे और इस मंत्र को बराबर जपते रहें । तभी वहां पर भयंकर हवाएं चलने लगी जो काफी ठंडी थी ठंड इतनी अधिक बढ़ने लगी कि वहां पर किसी और व्यक्ति का रहना भी संभव नहीं रह गया । गुरु सिद्धा बाबा के साथ उनके जो दो शिष्य कुछ दूर खड़े हुए सब देख रहे थे और किसी भी प्रकार की सहायता के लिए गुरु के साथ में उपस्थित थे । और वह ठंड से कांपने लगे उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था ठंड से बचने के लिए कोई जगह नहीं देखते हुए उन्होंने वहां पर फावड़ा लेकर जमीन खोद ली और जमीन के अंदर प्रवेश कर गए । और अपने ऊपर घास अच्छी तरह से डाल ली ताकि उस ठंड से बच सकें । क्योंकि गुरु के आदेश के बिना वहां से भाग भी नहीं सकते थे ठंडक बढ़ती ही जा रही थी इधर गुरु सिद्धा बाबा को भी बहुत ज्यादा ठंड लगने लगी । ठंड से बचने के लिए उनके पास कोई मार्ग नहीं था । तभी उन को याद आया कि उन्हें काली भूतनी ने रक्षा का वचन दिया है उन्होंने मन ही मन काली भूतनी को याद किया और काली भूतनी प्रकट हुई । और हंसते हुए कहने लगी क्या बात है सिद्धा बता । मन ही मन सिद्धा बाबा ने उससे कहा कि ठंड अधिक बढ़ गई है और इस ठंड के कारण मंत्रों का जाप करना उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा है साधना छोड़कर के अगर वह जाते हैं तो उनकी सिद्धि रुक जाएगी इसलिए मेरी मदद करो ।

काली भूतनी हंसने लगी और कहा तुझे क्या मालूम नहीं है अगर तूने मुझे जहां बैठाया है वही जगह तेरे रक्षा मैं करूंगी और तू इतना भी नहीं जानता तू तो मुझे आदेश दे सकता था लेकिन ठीक है तू नहीं जानता है फिर भी मैं तेरी मदद करती हूं । और वह बालों में पूरे शरीर के बालों में काले धुएं के रूप में घूमने लगी इसकी वजह से उनके बालों के अंदर गर्माहट पैदा होने लगी । बालों में तीव्र गर्मी पैदा होने से शरीर क्योंकि चारों ओर एक ऐसा आवरण बन गया जिसकी वजह से ठंड पूरी तरह से जाती रही ।क्योंकि बहुत ही तेजी से प्रकाश की गति के समान पूरे शरीर के बालों में घूम रही थी । उसकी वजह से एक चक्कर सा उत्पन्न हो रहा था और उनकी बालों में रगड़ उत्पन्न हो रही थी । बालों की रगड़ से उनके शरीर में गर्मी पैदा हो रही थी जो बाहरी ठंड से उन्हें पूरी से तरह बचा रही थी । धीरे धीरे करके वहां पर अत्यधिक रूप से बर्फ गिरने लगी ऐसी ठंड वहां पर प्रकट हुई वह सब तांत्रिक क्रियाओं की कारण हो रहा था । क्योंकि चिमटा सिद्धि रोकने के लिए ही यह सब शक्तियां प्रकट हो रही थी । काफी देर से जब बर्फ गिरने के बावजूद भी काली भूतनी की शक्ति के कारण गुरु सिद्धा बाबा को कोई समस्या नहीं आ रही थी । और बड़े आराम से चिमटा मंत्र का उच्चारण करते हुए मंत्र को जपते रहें और उनकी साधना पूरी होती चली जा रही थी । इसी प्रकार उनकी वह चिमटा साधना पूर्ण हो गई और वहां की एक शक्ति प्रकट हुई । क्योंकि उस दिन की परीक्षा उनकी संपूर्ण हो चुकी थी । वहां पर एक बकरे के मुंह वाली मुरना नाम की देवी प्रकट हुई ।

और सामने खड़ी होकर के गुरु सिद्धा बाबा से कहने लगी मैं हूं मुरना देवी और मैं मुरना देवी भी इस चिमटे में और इस चिमटे की शक्ति और उसको रखती हूं इसको साधती हूं और अगले चरण में प्रवेश देती हूं । अगर मुझे सिद्ध करना है और प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है यानी अगले चरण में प्रवेश करना है । इस चिमटे की शक्ति को आगे बढ़ाना है तो मुझे घास खिला और जो तू मुझे खिलाएगा वही तुझे खाना होगा और जब तक मैं तृप्त नहीं हो जाती तब तुझे वही खाना होगा । याद रख जो तु मुझे खिलाएगा वही तुझे भी खाना है और मैं हरी घास खाती हूं अब समस्या एक बार फिर से गुरु सिद्धा बाबा के सामने आ चुकी थी । गुरु सिद्धा बाबा ने अपनी एक बार फिर से काली भूतनी को याद किया और काली भूतनी से पूछा कि मुझे कोई मार्ग बताओ । यह बकरे के मुंह वाली मुरना देवी मेरे सामने प्रकट हो गई है और यह घास खाने को बोल रही है और उसने यह भी कहा है कि जब तक मैं संतुष्ट ना हो जाओ तब तक मैं घास खाती रहूंगी और अगर मैं उतना खाऊंगा तो मेरा पेट और शरीर खराब हो जाएगा ।

कुछ ऐसा मार्ग बताओ जिससे कोई ऐसा मार्ग निकल कर आए जिसके कारण मुझे कोई समस्या ना आए तो कुछ ऐसा बताइए भले ही वह थोड़ा ही हो लेकिन कुछ ना कुछ कोई ना कोई बात जिसकी वजह से मैं जो खाऊं वही वह खाए और हम दोनों जो खाए वह हम लोग खाते ही रहे । और पता नहीं कितने दिन इस समस्या मैं लग जाए क्योंकि मुरना देवी ने कहा है जब तक मेरी इच्छा होगी तब तक मैं खाऊंगी और जो मैं खाऊंगी वही तो मैं भी खाना है अगर तुम उसके अलावा और कुछ भी खाते हो तो तुम्हारे सिद्धि शक्ति की सब तपस्या है वह नष्ट हो जाएगी । और जो साधना अभी तक की गई है वह भी भंग हो जाएगी और मुरना देवी को मैं अब प्रसन्न नहीं कर सकता हूं । तब काली भूतनी ने एक बार फिर से कहा ठीक है मैं तुम्हें मार्ग बताती हूं लेकिन ध्यान से सुनो । अब मैं तुम्हारे कान में आकर के तुम्हारे कान के बाल में विराज हो करके तुम्हें यह बात बताती हूं । और इसके बाद फिर काली भूतनी ने सिद्धा बाबा को एक छोटी सी बात बताई । वह बात क्या थी । यह जानेंगे हम लोग अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

कुम्भ कथा प्रयागराज नागा साधू और उसका चिमटा भाग 3

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