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कूवगम किन्नर मठ कथा भाग 3

कूवगम किन्नर मठ कथा भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आप का एक बार फिर से स्वागत है । हमारी कूवगम किन्नर मठ कथा चल रही है ।और उसमें किस प्रकार से अभी तक आपने जाना कि चंदन अपनी साधना में लीन था । और वह किन्नरी साधना कर रहा था और इसी समय उसके साथ एक कन्या जुड़ती है ।वह कन्या जिस पर एक राजा के महामंत्री की नजर पड़ जाती है । और उस राजा के महामंत्री की नजर इतनी बुरी उस पर पड़ती है कि वह उसे प्राप्त करना चाहता है । इसी दौर में ऐसी घटना घटती है । जब वो उसको लेने के लिए दोबारा से वापस आता है तो कुटी के अंदर वह सैनिकों को भेजता है । सैनिक अंदर जाते हैं और वहां पर एक अद्भुत नजारा वह देखते है । वहां पर एक सर्प उस मंजू नाम की कन्या को घेरे हुए होता है । वह कन्या सर्प के बीच में बैठी हुई होती है । जैसे ही उसे छूने की कोशिश करते हैं वह सर्प सब को काटने के लिए दौड़ता है । उसके कारण सब घबरा कर चिल्लाने लगते हैं । धीरे-धीरे करके वहां पर सर्पों की एक सेना सी आ जाती है । और बहुत सारे सांप उन सैनिकों को दौड़ने लगते हैं । उनकी आवाज बाहर जाती है और बाहर सब लोग बहुत ही ज्यादा प्रभावित होते हैं ।

इस बात से के अंदर ऐसा क्या घटित हो रहा है । जिसके कारण से सैनिक और बाकी लोगों की चिल्लाने की आवाज आ रही बाहर खड़े सब भयभीत हो रहे होते हैं । लेकिन अंदर मंजू पूरी तरह सुरक्षित होती है । मंजू पूरी तरह से सुरक्षित थी । वह अपने आप को उस सांप के लपेटे में लिए हुए थी । और सर्प उसकी रक्षा कर रहे थे । सर्पों के भय के कारण सैनिक बाहर भागने लगते है । उनको बाहर देख महामंत्री गुस्से से सैनिकों को चिल्लाकर कहता है कि क्या कर रहे हो  । मूर्खों अंदर ऐसा क्या है जो तुम सब इधर भाग रहे हो । उसकी बात को सुनकर सैनिक कहते हैं । आप ही जा कर देख लीजिए हमें नहीं मरना और वह अंदर जाकर के देखने की कोशिश करता है । तो वहां सर्पों की पूरी सेना मौजूद थी । तुरंत ही वह वापस मुड़ता है और सैनिकों से कहता है अरे मूर्खों अगर सांपों से ही ऐसे डरने लगे तो तो भला तुम्हें सैनिक कौन कहेगा । तुरंत आग का प्रबंध करो और आग के मसालों को लेकर इन सर्पों की तरफ दौड़ो ।

यह सारे सर्प स्वता ही भाग जाएंगे तुरंत ही । सैनिकों ने महामंत्री की बताई गई बात का पालन किया । और सबने अपनी-अपनी मसाले जला ली । मसालों को जलाकर के सभी एक दिशा में एक साथ मसालों को आगे करके बढ़ने लगे । सर्प आग के भय से इधर-उधर भागने लगे और धीरे-धीरे करके उस कन्या तक पहुंचने लगे । कन्या बहुत जोर से चिल्लाई और तभी वहां पर एक योद्धा धारी स्त्री प्रकट हुई । जिसके हाथ में तलवार थी उसी योद्धा धारी स्त्री ने तलवार चलानी शुरु की । उसकी तलवार से कई सैनिक घायल हो गए । जो भी सैनिक उससे लड़ने जाता उसकी युद्ध कला को देख करके प्रभावित होकर उससे हार कर वापस आ जाता है । इस पर महामंत्री ने कहा अंदर फिर से क्या हो रहा है । सैनिक दौड़ते हुए एक बार फिर से महामंत्री के पास गए । और उन्होंने कहा आपको यकीन नहीं होगा अंदर एक स्त्री है जो तलवारबाजी कर रही है । महामंत्री एक बार फिर से कहने लगा कैसे मूर्खों से पाला पड़ा है ।

एक स्त्री इनके रोके नहीं रुक रही है । अगर मान लिया कोई योद्धा स्त्री है भी तो क्या तुम सब मिलकर उसे एक साथ उस पर हमला नहीं कर सकते हो या उसे हरा नहीं सकते हो । उसकी बात को सुनकर फिर से सैनिकों में जोश आया । और सभी सैनिक एक साथ उसके ऊपर दौड़ पड़े । वह तलवारबाजी में बहुत अच्छी निपुण थी । उसने तुरंत ही एक टुकड़ी को बड़े ही आराम से अपनी युद्ध कला से पराजित कर दिया । और निकल कर बाहर आ गई । उसके युद्ध कौशल को देखकर सब आश्चर्यचकित मे थे । इतनी अधिक फुर्ती एक इंसान में होना संभव नहीं था यह स्त्री कौन थी । जो मंजू की रक्षा कर रही थी । तभी वहां महामंत्री ने कहा जो कार्य सांपों के साथ किया गया वहीं इसके साथ भी करो । सबने अपनी-अपनी मसालों को और लंबा किया । और उन्हें पूरी तरह से जला दिया और आग लेकर के उसकी ओर दौड़ने लगे । उस महान योद्धा ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन अब उन्हें रोकना मुश्किल था ।

अग्नि के आगे हर विद्या नष्ट हो जाती है । वह पूरी तरह से कोशिश कर रही थी । लेकिन उनको रोक नहीं पा रही थी । तो सभी ने उसे घेर लिया और एक बार फिर से एक टुकड़ी अंदर फिर से प्रवेश करने लगी । जो मंजू को उठाने की कोशिश कर रही थी । मंजू अबकी बार गुस्से से चिल्लाई और इतनी अधिक तीव्र ध्वनि उसने स्वर किया कि पूरे जंगल में हड़कंप मच गया । जहां से जो भी जानवर आया वह दौड़ता हुआ उस क्षेत्र की ओर दौड़ने लगा जिस क्षेत्र में मंजू चिल्ला रही थी ।यह सब नजारा अपनी आंखों से चंद्रन देख रहा था । चंदन को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं था । कि यह कन्या इतनी अद्भुत भी हो सकती है वह जानता था कि यह सुंदर है लेकिन इसके पास इतनी अधिक शक्तियां है । वह इस बात को नहीं समझ पा रहा था । वहां पर थोड़ी ही देर में शेर हाथी भालू विभिन्न प्रकार के बड़े-बड़े बंदर और भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव जंतु सारे के सारे इखट्टा होकर के सैनिकों के ऊपर हमला करने लगे ।

सैनिकों में भगदड़ मच गई । अब कहानी कुछ और ही थी । आराम से सैनिक पराजित होने लगे थे । इतनी अधिक सेना बड़ी अद्भुत सेना को देखकर के महामंत्री को भी यकीन नहीं आ रहा था । यह सब हो क्या रहा है । मंत्री ने तुरंत कहा कि तुरंत यहां से निकल चलो । और सब दौड़कर एक और भागने लगे जानवरों ने उनका कुछ दूर तक पीछा किया । लेकिन उसके बाद जानवर भी रुक गए । और वह सब पूरी सेना वहां से भागती हुई एक दिशा की ओर निकल गई । थोड़ी दूर जाने के बाद में महामंत्री ने नदी पार की और नदी के दूसरे किनारे पर अपने तंबू गाड़े और साथ ही साथ यह बात राजा के पास भिजवा दी कि उनकी सेना को खतरा है । इसलिए राज्य की संपूर्ण सेना भेजी जाए । क्योंकि यह मामला कुछ और ही है । राजा को जिस प्रकार से खबर दी गई थी उस प्रकार से राजा भी उस बात के लिए तैयार हो गया । राजा ने सोचा ऐसा क्या घटित हो रहा है या ऐसा क्या हो रहा है जिसके कारण से हमारी सेना पराजित हुई ।

जबकि किसी शत्रु सेना ने हम पर हमला नहीं किया है । राजा ने तुरंत ही आज्ञा दी कि प्रमुख सेनापतियों आप सभी महामंत्री की सहायता के लिए उनके बताए गए क्षेत्र पर पहुंचीए । और वहां पर युद्ध की तैयारी कीजिए कोई ऐसी आफत आ गई है जिसके कारण से महामंत्री ने तुरंत सहायता मांगी है । महामंत्री नदी के किनारे अपना तंबू गाड़ करके आकाश की ओर देखता हुआ सोच रहा था कि यह जो सब कुछ उसने अपनी आंखों से देखा है । यह सब कुछ क्या है । लेकिन उससे उसके मन में राजकुमारी बनाने वाली उस कन्या के प्रति आकर्षण कम नहीं हुआ । वह चाह रहा था कि वह राजा की पत्नी बने भविष्य में जो राजकुमार है । उसकी पत्नी बन जाए । इधर राजकुमार का शरीर भी नीला पड़ रहा था । राजा से उसने इस बात के लिए भी कहा था कि अपने प्रमुख वैद्ययों को भी भेज दे जो सैनिकों का उपचार कर सके । यद्यपि उसने यह बात नहीं बताई थी कि आखिर उनके राजकुमार को भी कुछ तो हुआ है ।

राजा से उसने यह बात इसलिए छुपाई थी । क्योंकि इससे राजा के क्रोध का फालन उसे भी बनना पड़ता । राजा के क्रोध के कारण उसकी और साथ ही साथ उसके सेना की भी बुरी शामत आ सकती थी । इसलिए उसने इस बात का जिक्र राजा से नहीं किया था । पत्र के माध्यम से उसने राजा से जो संपर्क स्थापित किया था उसके प्रतिफल में राजा ने वैद्यओ के साथ सेना प्रमुख बहुत सारे सेनापतियों को वहां पर भेज दिया था । धीरे-धीरे करके जब वह सब वहां पहुंचे तब सारी बात खुलकर सामने आई । और उन्हें पता लगा राजकुमार का इलाज किया जाना शुरू किया गया । पर राजकुमार का पूरी तरह से इलाज नहीं हो पा रहा था । अब सवाल यह था कि क्या किया जाए । तभी उनमें से एक चतुर नाम के व्यक्ति ने जो कि स्वयं में बहुत अधिक चतुर था । सारी बात उस महामंत्री से पूछी महामंत्री ने, उसे सारी बात बताई ।चतुर ने कहा मुझे यूं ही चतुर नहीं कहा जाता है ।

मैं बताऊं आपको उस कन्या को प्राप्त नहीं करना चाहिए । बल्कि चंद्रन को प्राप्त करना चाहिए । चंदन को अगर आपने प्राप्त कर लिया तो उस कन्या को मजबूर में तुम्हारे पास आना पड़ेगा । और तुम्हारी बात माननी पड़ेगी । इतनी बड़ी सेना की क्या आवश्यकता है । जब चतुराई से सब कुछ कार्य संभव है । चतुर की बात सुनकर के अब महामंत्री का दिमाग ठनका कि मैंने इस बात की ओर तो ध्यान ही नहीं  दिया । क्योंकि अगर चंद्रन को कब्जे में ले लिया जाए । तो मंजू स्वयं ही उनके अधीन हो सकती है । तुरंत बाद उन्होंने गुपचुप तरीके से प्रमुख सेना नायकों की सेना बनाई । और कहा जाओ और चुपचाप जाकर के चंद्रन  पर हमला करो ।और चंद्रन को पकड़ के ले आओ । धीरे-धीरे सभी साधु का वेश बनाते हैं । और चंदन के पास जाने की तैयारी करते हैं ।क्योंकि अब तक यह बात से सिद्ध थी कि । जो भी चंद्रन के पास जाएगा मंजू के प्रकोप का भाजन में बन सकता है ।प्रकोप का भजन ना बने । इसके लिए मंजू को भी भ्रमित करना आवश्यक है । इसलिए प्रमुख सेनानायक ने साधुओ के वेश बनाए । और उस ओर जाने लगे । धीरे-धीरे करके उस कुटिया तक पहुंच गए ।

उस कुटिया के बाहर पहुंच कर उन्होंने भोजन के लिए शब्दों का उच्चारण करना शुरू कर दिया । चंद्रन अपने उस कुटिया से बाहर निकला और आकर के उनसे कहने लगा साधु जनों क्या आज्ञा है । साधुओ ने कहा हमें भोजन चाहिए । आप बाहर आइए और हमें भोजन परोसिए । चंद्रन ने ठीक है मैं मंजू को बोलता हूं । उन्होंने मंजू की ओर इशारा किया मंजू ने कहा ठीक है मैं भोजन अभी लाती हूं । और कुछ ही क्षण में उसने भोजन बना डाला । उस भोजन को लेकर वह बाहर आई । और अब यह सबसे बड़ा प्रश्न था कि भोजन किया कैसे जाए । क्योंकि वह साधु जन भोजन को देख कर चुपचाप बैठ गए । और भोजन ग्रहण नहीं कर रहे थे । इस पर चंद्रन ने पूछा ऐसा क्या कारण है जो आप लोग भोजन नहीं ग्रहण कर रहे हैं । उन्होंने कहा इसका एक विशेष मार्ग हमारे पास है । एक विशेष प्रकार की जड़ी बूटी है । इस जड़ी-बूटी को हम स्वयं खाते हैं और अपने जिनके यहां भी हम भोजन करते उनको भी खिलाते है ।

इसके बिना हम भोजन नहीं करते है । इसलिए आपको यह खाने होंगे । और आप दोनों को यह भोजन में के रूप में पहले ग्रहण करने होंगे । तभी हम आपका अतिथि बनकर भोजन ग्रहण करेंगे । चंद्रन ने कहा इसमें कौन सी बड़ी बात है यह तो अच्छी बात है । तो चंद्रन को वह विशेष प्रकार की जड़ी बूटी और साथ ही साथ मंजू को विशेष प्रकार की जड़ी बूटी दी गई । थोड़ी ही देर बाद मंजू अंदर चली गई और चंद्रन उनके सामने ही बेहोश होकर के गिर पड़ा । उन साधु बने सैनिकों ने चंद्रन को उठा लिया । और उसे लेकर के जाने लग गए इधर मंजू आराम से सो रही थी । थोड़ी देर बाद जब मंजू उठी और देखने लगी कि आखिर उसके बाबा कहां है ।उसने चंद्रन को आवाज दी लेकिन चंद्रन कहीं नहीं था । और अब मंजू को बहुत ही ज्यादा घबराहट होने लगी । मंजू ने कुछ ही देर बाद उस रहस्य को जान लिया । कि लगता है यह साधु कोई और नहीं थे बल्कि सैनिक थे । क्योंकि उनमें से एक का चाकू वही छूट गया था ।

चाकू वो भी उस तरह की जिनसे हत्याएं की जाती हैं । इस तरह के चाकू किसी साधु के पास नहीं होते । विशेष बनावट के चाकू को देखकर के वह समझ गई कि निश्चित रूप से यह जो सैनिक हैं और यह सैनिक ही मेरे बाबा को लेकर गए हैं । मंजू सोचने लगी । आज तो बाबा अगले पांच छह पहर में वापस नहीं आए तो उनकी साधना तो भंग होगी ही होगी उनकी जान को भी खतरा है । यह बात समझ करके बहुत ही ज्यादा गुस्से में मंजू आ गई । और उसने भयंकर उच्चारण किया । उस उच्चारण से एक बार फिर से पूरा जंगल देहल गया । तब तक सैनिक भी उसे नदी के पार लेकर पहुंच गए थे । और वहां पर जाकर उन्होंने उसे कृतिम बनाए गए । एक स्थान पर बांध दिया । और उसे पूरी तरह से रस्सियों से जकड़ दिया । उसके सामने अब एक बार फिर से राजा का वह महामंत्री खड़ा था । उसने कहा कि मुझे तेरी मंजू चाहिए । अब जब तक कि तेरी मंजू यहां स्वयं नहीं आती है । और मैं उससे गुलाम नहीं बना लेता तब तक तो यही बंधा पड़ा रहेगा । तभी पानी पर चलती हुई मंजू नजर आई । और इसे देखकर सब सैनिकों और वहां पर मौजूद लोगों की आंखें फटी की फटी रह गई । मंजू ने नदी पार करने के लिए किसी साधन का प्रयोग किए बिना पानी पर वह चलती हुई चली आ रही थी । उसको देख कर के सब आश्चर्यचकित थे । आगे क्या हुआ यह हम जानेंगे अगले पार्ट में । धन्यवाद आपका दिन मंगलमय हो ।

कूवगम किन्नर मठ कथा भाग 4

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