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कूवगम किन्नर मठ कथा 4 अंतिम भाग

कूवगम किन्नर मठ कथा भाग 4 अंतिम

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसे कि हमारी कूवगम किन्नर मठ कथा चल रही है । और अभी तक आपने तीन भागों में जान लिया कि किस प्रकार से चंद्रन और मंजू घोष किन्नरी की कहानी आगे बढ़ रही है । इस कहानी में किस प्रकार से अभी तक चंद्रन की साधना और साधना को भंग करने के लिए एक महामंत्री का आना और उससे मंजू का पसंद आना मंजू को अपनी राजकुमारी के रूप में चयनित करना और उसे राजकुमार की रानी बनाने का प्रस्ताव जिससे चंद्रन ने अस्वीकार कर दिया । और मंजू को अपने कब्जे में लेने की उस महामंत्री ने पूरी कोशिश की । लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया तो अब उसने एक रणनीति अपनाई वह रणनीति थी की । चंद्रन को एक बार अपने कब्जे में लेकर के मंजू से कोई भी कार्य संपन्न कराया जा सकता है । बेचारी मंजू को कुछ पता नहीं था और इसी दौरान चंदन को कैद कर लिया गया । और नदी के पार ले जाया गया मंजू को इस बात का जब पता चला तो उस स्थिति को और भी ज्यादा गंभीरता से लेंती हुई पानी के ऊपर चलती हुई । उस और जाने लगी । आज हम जानेंगे की किस प्रकार से इस कहानी का अंत हुआ ।

यह चौथा और अंतिम भाग है । जैसे कि अभी तक आप लोग जान चुके हैं कि मंजू क्रोध में भरी हुई पानी पर चलती हुई सीधे उस नदी के उस ओर जा रही थी । जिस ओर महामंत्री और उसकी पूरी सेना राज वैद्य और बहुत सारी ऐसी मानवीय ताकते मौजूद थी । जो पूरी सेना के रूप में स्थिति थी । एक ऐसी सेना जिसका मुकाबला एक साधारण सी लड़की से होने वाला था । किंतु वो कन्या असाधारण नहीं थी । उसका प्रदर्शन वो कर चुकी थी । वह चलती हुई जा रही थी पानी के ऊपर । जिसे देखकर सैनिकों ने समझा कि निश्चित रूप से यह कोई अप्सरा है ।यह कोई अप्सरा कन्या है । यह देवकन्या ऐसी है जिसके शक्तियां बहुत ही ज्यादा है । लोगों के मन में डर और भय का वातावरण बनने लगा । इस बात को समझ कर के महामंत्री अपने घोड़े पर तैयार हुआ । और उसने सोचा अब यह ऐसा अवसर है जिस समय मुझे अपनी सेना को एक बार फिर से उसके अंदर का क्रोध जगाना होगा ।

उसे इस बात के लिए तैयार करना होगा कि वह डरे नहीं । वह यह देखकर ऐसा ना समझे कि कोई देवी शक्ति उनसे मुकाबला करने आ रही है । जिसके कारण उनकी हार हो जाएगी ।बल्कि उसने उस चीज को दोषी दिशा देने की कोशिश की । उसने घोड़े पर चढ़कर एक ऊंची चट्टान पर जाकर के बहुत ही जोरदार भाषण दिया । भाषण में उसने कहा इस प्रकार की बुरी और बहुत भयानक आत्माएं कन्याओं का रूप धारण करके आप लोगों के जीवन को नष्ट करने के लिए इसी प्रकार चलकर आती हैं । और आप उन्हें देखकर घबरा जाते हैं । आप अपने पर विश्वास कीजिए । कोई आत्मा तब तक किसी का बुरा नहीं कर सकती है जब तक कि हम खुद अपना आत्मबल ना खो दे । इसलिए तैयार हो जाओ । अपने शस्त्र अस्त्र को ग्रहण कर लो । और इस कन्या का वध कर डालो । उसके दिए गए भाषण से पूरी जनता में जो सेना के रूप में वहां पर स्थित थी । विश्वास और उत्साह से भर गई । भला एक कन्या से कौन भयभीत होने वाला था सब ने अपने-अपने अस्त्र शस्त्रों को धारण कर लिया । इधर कन्या नदी पार कर चुकी थी । वह धीरे धीरे चलती हुई उस और जाने लगी ।

और जा करके सीधे थोड़ी ही दूर पर एक ऊंची चट्टान पर खड़ी होकर के उसने जोर से महामंत्री को पुकारा । उसने महामंत्री को कहा हे महामंत्री मेरी बात को सुनो अगर तुमने तुरंत ही चंद्रन को नहीं छोड़ा । तो मैं तुम्हारी सेना का नाश करूंगी । इस पर महामंत्री ने क्रोध से भरकर उसे कहा देखते तू क्या कर लेती है मैं भी तो देखूं लूंगा तुझमें कितनी शक्ति है । मेरी इस बड़ी सी सेना के सामने तेरे छोटे-छोटे हाथ पैर भला क्या कर लेंगे । मंजू ने कहा मुझे क्रोध ना दिलाओ मैं नहीं चाहती कि मैं अपनी शक्तियों का बुरा प्रयोग करू । लेकिन भला कौन मानने वाला था । उसे देखकर के सभी उसकी बातों पर हंसने लगे  । लेकिन उसकी हंसते हुए उस प्रकार की स्थिति को देखकर भी कोई भी उससे भयभीत नहीं हो रहा था । सब के सब आनंद बना रहे थे । ऐसा लग रहा था जैसे कि एक चूहा शेर के झुंड को ललकार रहा हो । लेकिन शीघ्र ही मंजू ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना शुरू किया ।

मंजू ने हवा में हाथ घूमाए और अपने अद्भुत मंत्रों का जाप करना शुरू किया । उन मंत्रों की ध्वनि से ऐसी किरणे और शक्तियां प्रकट होने लगी की वहां नजदीक ही पूरे जंगल में हलचल सी मच गई । सारी झाड़ियां पेड़ और वहां स्थित बहुत सारे ऐसी अद्भुत चीजें इधर-उधर हिलने लगी । उन सब को हिलता हुआ देख कर के सबके मन में भय व्याप्त हो गया कि आखिर उस जंगल में क्या हो रहा है । शीघ्र ही जंगल में एक विशालकाय झुंड भिन्न-भिन्न जानवर उधर की और आने लगे । सब के सब नदी में उतरने लगे उनकी संख्या को देख करके ऐसा लग रहा था । जैसे कि कोई विशालकाय जानवरों की एक सेना उनकी ओर बढ़ती चली आ रही है । जानवरों को देखकर के सभी सैनिक डरने लगे । सैनिकों ने सोचा यह क्या है । यह अद्भुत नजारा किस तरह का है । हम जानवरों को नियंत्रित होता देख रहे हैं । सारे के सारे जीव एक साथ चल रहे हैं । शेर के साथ हिरण चल कर नदी से आ रहा है मगरमच्छ नदी से बाहर निकल रहा है हाथी नदी पार कर रहे हैं भालू रीच सियार जंगल के अन्य जानवर जंगली कुत्ते सब के सब उनकी और बढे चले आ रहे है । सबके मन में क्रोध गुस्सा और एक अलग तरह का भाव है ।

जिसे देखकर उन्हें लगता है कि वह एक ऐसा लक्ष्य प्राप्त करना चाह रहे हैं । जिसको किसी साधारण मनुष्य के बस की बात नहीं है । यह तो एक देवीय सेना है ।जो देवताओं ने अपनी सेना उतारी हो । उसको देख कर के सभी भयभीत होने लगे । लेकिन एक बार फिर में महामंत्री ने कहा तुम लोग अस्त्र-शस्त्र से सुचारित हो यह सेना तुम्हारा क्या बिगाड़ लेगी । तुम्हें तैयार होना चाहिए । तुम्हें इस युद्ध को जीतना है । और हाल में जीतना है । और रणभेरी बज उठी । रणभेरी के भजने के साथ ही युद्ध प्रारंभ हो गया । जानवरों ने भीषणतम में हमला करना शुरू कर दिया । हाथी और गैंडे आगे लड़ रहे थे । उन्होंने सेना को तितर-बितर करना शुरू कर दिया । उन पर भालों की बौछारें की गई । लेकिन भला उन पर क्या असर पड़ता ।हाथियों की सबसे आक्रामक हमले ने सेना को छिन्न-भिन्न कर दिया । बाकी का काम बाघों रीछो और शेरों ने करना शुरू कर दिया । वह पकड़ पकड़ के सैनिकों पर हमला करने लगे । और उन सैनिकों को चीर फाड़ देते धीरे-धीरे करके एक तिहाई सेना उसी समय नष्ट हो गई । हालांकि कुछ जानवरों की हत्या भी इसमें हो गई । लेकिन वह नाकाफी था ।

जानवरों की ही जीत होती चली जा रही थी ।यह देख करके एक बार फिर से महामंत्री ने सोचा कुछ ना कुछ तो अब प्रपंच रचना ही होगा । इस प्रकार तो मैं पराजित हो जाऊंगा । उसने जाकर चंद्रन की गर्दन पर अपनी तलवार रखी । और सीधी धमकी मंजू को दी । अगर तूने यह सब नहीं रोका तो मैं अभी इसका गला काट दूंगा ।एक बार फिर से मंजू फंस चुकी थी । मंजू ने अपने अभिमंत्रित मंत्रों से उस सेना को वहीं रोक दिया । और इस बात से बहुत ही खुश हो गया । और उसने सोचा कि अब ऐसा समय आ चुका है कि । अब भी यह कहानी मेरे हाथ में आ चुकी हैं । उस महामंत्री को देख कर के सब के सब उसकी ओर अद्भुत नजर से देख रहे थे । उन्हें लग रहा था कि हम सब की हत्या होने से बचा ली गई है । इस महामंत्री ने अपनी चतुरता दिखाई है । महामंत्री ने कहा मंजू नीचे आओ । और इस राजकुमार को ठीक करो मंजू नीचे उतरते हुए आई । और उस राजकुमार के पास पहुंची उसके शरीर को उसने अपने हाथों से स्पर्श किया । जैसे उसने स्पर्श किया उसका नीला पड़ा हुआ शरीर एक बार फिर से पूर्ण स्वस्थ हो गया । और राजकुमार पूरी तरह से उसी क्षण ठीक हो गया ।

मंजू ने कहा मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है और ना ही तुम्हारी सेना से । तुम हमें जाने दो और यह तुमने जो जिद पकड़ करके रखी है वह बहुत ही बुरी है । भला तुम मुझे काबू में कैसे कर पाओगे । जब मैं कुछ भी करने में सक्षम हू । तो उस महामंत्री ने हंसते हुए कहा मैं जानता हूं । तुम ऐसा कह रही हो लेकिन मैं भी तुम्हारी कमजोरी जानता हूं । तुम्हारी कमजोरी है यह चंद्रन । अब इसकी गर्दन पर अगर मैं तलवार रखूंगा तो तुम मैं जो चाहूंगा वह तुम करोगी । मैं कहता हूं कि अब तुम राजा के इस लड़के से तुरंत विवाह संपन्न करो इसी क्षण । मैं तुम्हें इससे विवाह करने के लिए कहता हूं । मंजू ने कहा तुम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हो । मुझे क्रोधित ना करो ।यह बिचारा तो वैसे भी मासूम है । और तुम जानते हो कि मेरी शक्तियां अद्भुत है तो मुझे रोक नहीं पाओगे । महामंत्री ने कहा तुम्हारा इनाम मैं राजा को दूंगा । वैसे भी एक बार विवाह हो गया फिर उसके बाद तुम इसकी पत्नी हो जाओगी ।

और पत्नी होने के कारण तुम्हें इसकी आज्ञा का पालन करना ही होगा । तो इस प्रकार से मैं तुम्हें और चंद्रन दोनों को अपने कब्जे में ले लूंगा । मंजू उसे मना करती रही लेकिन महामंत्री कहां मानने वाला था । महामंत्री ने तुरंत ही पंडितों को बुलाया और विवाह के लिए तत्पर उसी छड़ विधि का निर्माण करने को कहा । दोनों का विवाह संपन्न होने लगा । मंजू ने भरे मन से उसके साथ विवाह करना जारी रखा । इस प्रकार दोनों का विवाह संपन्न हो गया । जैसे ही विवाह संपन्न हुआ । वहां पर तेज बारिश शुरू हो गई । धीरे-धीरे करके सब लोग आश्चर्यचकित हो गए थे ।ऐसा चमत्कार उन्होंने कहीं नहीं देखा था । एक अद्भुत नजारा देखने में आ रहा था । वह था क्रोध मंजू का । मंजू ने तुरंत ही आवाहन कर अपनी शक्तियों को बुला लिया ।आकाश से भिन्न भिन्न प्रकार की अन्य अन्य रूपो और सरूपवाली किन्नरिया प्रकट होने लगी । किन्नरियो की शक्ति के कारण जानवरों की शक्तियों में भी अद्भुत ढंग से विशालकाय और अद्भुत शक्ति का संचार हो गया । सब के सब शक्तिशाली हो गए । मंजू रोते हुए कह रही थी एक ने मेरी साधना उपासना की है वह कोशिश कर रहा था मुझे प्राप्त करने की ।

मैंने भी उसके हृदय को पवित्र जान करके उसे अपने पिता के रूप में स्वीकार कर लिया था । और पिता के रूप ही मैं उससे सिद्ध हो रही थी । तुम लोगों ने आकर सारा काम बिगाड़ दिया है । मैं अपनी शक्ति से तुम सबको किन्नर बनाती हूं   और क्रोध में भरी हुई मंजू ने सब को श्राप दे दिया । वहां एक अद्भुत नजारा प्रकट हो गया । हर पुरुष नीचे से स्त्री हो गया । और जो कुछ साथ में सेविकाओं के रूप में स्त्रियों वहां आई हुई थी । वह नीचे से स्त्री और ऊपर से पुरुष हो गई । ऐसी स्थिति को देख कर सब घबराने लगे । स्वयं महामंत्री भी नीचे से स्त्री हो गया था  । महामंत्री को अब अपनी भूल का एहसास हो रहा है । इधर जिससे उसका विवाह हुआ था वह राजकुमार भी ऊपर से पुरुष नीचे से स्त्री हो गया । यह सब देख कर के वहां एक बड़ा ही हंगामा मच गया । सब डर के मारे कांपने लगे । आए हुए पंडित जी ऊपर से पुरुष नीचे से स्त्री हो गए  थे । हर एक आधा पुरुष और आधी स्त्री बन चुका था ।जानवरों में अद्भुत शक्ति आ चुकी थी । और वह सब किन्नरी शक्ति से संपन्न हो चुके थे । किन्नर शक्ति में ऊपर का हिस्सा जानवरों का नीचे से मनुष्य की शक्तियां उनको मिल रही थी ।

वह सब किन्नर स्वरूप हो चुकी थी । किन्नरी शक्तियां जागृत हो गई थी । उन जानवरों के रूप में भी मंजू को उसके क्रोध के कारण सब कुछ बिखर सा गया था । तब तक वहां एक राजा का प्राकृटिक होता है । वहां पर वह राजा अपने पुत्र वह इस प्रकार की स्थिति में देख करके रोता हुआ था सा मंजू के चरणों में गिर जाता है । मंजू से कहता है मैं इस कार्य के लिए आपसे क्षमा चाहता हूं ।  मैं अपने महामंत्री की तरफ से क्षमा चाहता हूं । आप कहे तो मैं इसे मृत्युदंड दे दू किंतु ऐसा ना कीजिए । आपने मुझे पूरे राज्य के इन सैनिकों को आधा स्त्री या पुरुष बना दिया है । आपकी साधना में भंग हुआ । और चंद्रन को इतना कष्ट सहना पड़ा यह सब मुझे पता चल चुका है । कृपया करके आप शांत हो जाइए । तब मंजू घोष ने कहा कि आप भगवान शिव की आराधना कीजिए । और उनकी आराधना से आपका सबका एक माह में फिर से पुरुषत्व की प्राप्ति हो जाएगी । और मुझे चंदन के साथ यहां से जाने दीजिए ।

मैं अपने पिता की सेवा करना चाहती हूं । इन्होंने इतने दिनों में मेरी बहुत सेवा और सत्कार की । मुझे सिद्ध करने की प्रयत्न किया । लेकिन सिद्ध की तो बात छोड़िए वो साधना के कुछ दिन ही कर पाए लेकिन इनका मन पवित्र है इसीलिए मैंने साकार रूप में इनके साथ रहना शुरू कर दिया था । और मैं चाहती थी कि इनको इनकी सिद्धि प्राप्त हो जाए । मेरी साधना अमावस्या से पूर्णिमा तक की जाती है । और पूजन अवैध बली वगैरा सब कुछ मैं इन्हें प्रदान करती । मेरे मंत्र ओम मंजू घोष आगच्छ आगच्छ स्वाहा के द्वारा मुझे यह सिद्ध करने का प्रयत्न कर रहे थे । लेकिन इस महामंत्री के आने की वजह से सारा प्रक्रिया ही एक गलत दिशा की ओर मुड़ गई । आज देखिए क्या स्थिति पैदा है । आप सब आधी स्त्री आधे पुरुष है । और यह वह स्थान है जहां पर किसी ने अपनी मां काली को अपने स्वरूप का दान देने के लिए अपनी बलि देने के लिए जरा सा भी नहीं सोचा था । ऐसे स्थान में मेरे साथ ऐसी स्थिति पैदा हो गई । मुझे अपनी शक्तियों इस तरह बुरा प्रयोग करना पड़ा चंद्रन की साधना अधूरी रह गई । यह सब जब वो कह रही थी तो राजा ने उनसे क्षमा मांगी ।

और कहा मैं वचन देता हूं मैं आपके किसी भी जानवरों की हत्या नहीं करूंगा । सभी जानवरों को यहां से जाने दूंगा । और उनके भोजन का एक विशेष प्रबंध भी करूंगा । अपने समस्त सैनिकों और अपने महामंत्री की तरफ से आपसे माफी मांगता हूं । आप अपना क्रोध वापस लीजिए मंजू घोष कि इस प्रकार करने पर उसने मंजू घोष की पूजा और उपासना करने के लिए तुरंत ही राज्य के बड़े-बड़े पंडितों को बुलाया गया । और उन सब ने उन महान साक्षात किन्नरी देवी की उपासना की । मंजू घोष की पूरी साधना उपासना करने के बाद शाम के वक्त मंजू का क्रोध शांत हो चुका था । मंजू ने कहा मैं आपको वरदान देती हूं कि 1 वर्ष से पहले ही पहले आप सब मुक्त हो जाएंगे इस ऋण से । यानी कि आपके अंदर का जो स्त्री तत्व है वह समाप्त हो जाएगा । लेकिन इसके लिए आपको एक माह तक पूरी तरह से भगवान शिव की आराधना करनी होगी । उसके बाद कुछ कुछ दिनों पर आपके अंदर स्त्रीत्व प्रकट होता रहेगा । लेकिन इसकी समाप्ति अंततोगत्वा आपकी 1 वर्ष बाद हो जाएगी । यह स्थान किसी जमाने में किन्नरों के लिए प्रसिद्ध होगा ।

इस प्रकार मुझे और चंद्रन को आज्ञा दीजिए मैं अपने पिता की सेवा करना चाहती हूं । ऐसा कह कर के वह चंदन के साथ जंगल की ओर निकल गई । चंद्रन ने जंगल में ही रहकर मंजू घोष की सहायता से मंजू घोष की पूरी उपासना संपन्न की । और इस प्रकार मंजू घोष अपनी शक्तियों सहित उन्हें सिद्धि प्रदान कि । उन्हें दिव्य रसायन प्रदान किया उस दिव्य रसायन की शक्ति से उन्होंने एक वटी बनाई उस वटी को गले में धारण करके वह किसी भी जानवर को अपने वश में कर सकते थे । कोई भी जानवर उनकी आज्ञा पालन करने के लिए सदैव तत्पर रहता था । इस दिव्य रसायन को प्राप्त कर चंद्रन बहुत खुश हो गए । चंद्र ने इस दिव्य रसायन का प्रयोग जानवरों की सेवा के लिए किया । और 1 दिन वह उस स्थान पर साधना करते हुए अलग ही दुनिया की ओर मुड़ गए । उनका क्या हुआ इस बारे में कोई संकेत प्राप्त नहीं होता है । मंजू घोष उनके साथ ही रही और उन्हें एक नई दुनिया की ओर प्रस्थान करवा दिया । चंद्रन देवरूप हो गए । और मंजू घोष उनकी पुत्री के रूप में सदा स्थापित रही । तो इस प्रकार से यह कथा यहां पर समाप्त होती है । इस कथा के माध्यम से हम लोग किन्नरों के प्रति जो भी बुरी भावना लोग रखते हैं उसको हटा सकते हैं । और उनको भी समाज का एक हिस्सा मान सकते हैं । उनकी शक्ति और उनकी सामर्थ्य को जान सकते हैं । इसके अलावा किन्नरी शक्तियों की साधना और उपासना के बारे में भी इस कथा से पता चलता है । किस प्रकार उनकी रचना उपासना से कितने दुर्लभ सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त की जा सकती है । तो यह कहानी यहां पर समाप्त होती है । धन्यवाद आपका दिन मंगलमय हो ।

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