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कैलाश मंदिर एलोरा के यक्ष भाग 4

कैलाश मंदिर एलोरा के यक्ष भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसा कि हमारी कैलाश मंदिर एलोरा कहानी में चल रहा था कि वहां भद्रा के साथ बहुत ही बुरा हो चुका था । भद्रा के प्राण संकट में आ चुके थे उसके मस्तक के बीच में काटा गया था । अब यह चीज उसके लिए बहुत ही खतरनाक हो चुकी थी । और सभी यही प्रकार से समझा जा रहा था कि उसकी मृत्यु हो गई है । तभी अचानक से जो कुछ घटित हुआ उसका वर्णन इस प्रकार से है । भद्रा की आंखें खुली तो चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश था वहां पर एक त्रिआयामी सा द्वार था । उस द्वार को देख कर के उसे वह बहुत ही ध्यानपूर्वक देखने लग गया । भद्रा यह नहीं समझ पा रहा था कि वह अभी तो साधना कर रहा था वह इस समय कहां पर है । कुछ भी समझे बिना अब उसके सामने कोई विकल्प नहीं था क्योंकि पूरी दुनिया में उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था । सिवाय उस त्रिआयामी भ्रमर के द्वारा भ्रमर एक प्रकार से एक गोला सा बनता है । जिसमें चारों तरफ से धुएं की एक बवंडर सी होती है । उस बवंडर को देख करके भद्रा ने सोचा जब कुछ नजर ही नहीं आ रहा है तो क्यों ना इस बवंडर में प्रवेश कर जाता हूं । और वह उसके अंदर जाने लगा । जैसे ही उसके अंदर गया भवर में उसे इतनी तीव्रता से अपने चारों और जपेटे  एक प्रकार जैसे जीव मारते हैं दूसरे जीव को खाने के लिए । जैसे बड़े पक्षी छोटे पक्षियों पर झपट्टा मारते हैं उसी प्रकार उस बवंडर ने उस पर झपट्टा मारकर उसे अपने चारों तरफ इस तरह से लपेट लिया ।

और वह उस भवर में इस तरह से घूमने लगा कि उसे कुछ पता ही नहीं चला कि वह कहां जा रहा है । बहुत तेज घूमता हुआ और अत्यंत ही तीव्र वेग यानी कि प्रकाश के वेग से वह ऐसी दुनिया में जाकर के पटका गया उसे जहां पर वो अपने आप को देख कर फिर से आश्चर्यचकित हो गया । पानी की बूंदे ऊपर जा रही थी वह ऐसी दुनिया थी पानी नीचे रहता है लेकिन पानी की बूंदे हैं वह ऊपर की तरफ जा रही थी । हवाएं अलग तरह से बह रही थी बादल ऊपर नीचे आ जा रहे थे ऐसा नजारा उसने पहली बार देखा था । उसने चारों तरफ देखा वह वातावरण अजीब सा था वह लग ही नहीं रहा था कि हमारी किसी धरती का है । तभी वहां पर दो व्यक्ति आय बहुत ही लंबे चौड़े से बलवान बलिष्ठ जिनकी छातिया बड़ी बड़ी और  भारी-भरकम सी नजर आ रही थी । उनको देखकर के भद्रा कुछ समझता इससे पहले ही भद्रा को दोनों ने एक एक हाथ से पकड़ा और उसे उठाकर खींचकर ले जाने लगे । भद्रा चिल्लाया और कहने लगा आप लोग कौन हो मुझे कहां खींच कर ले कर जा रहे हो । लेकिन दोनों अपनी मदमस्त चाल में चलते रहे और इसके बाद वो दोनों फिर उड़ने लगे । धरती से ऊपर आकाश में बिना किसी माध्यम के उनको उड़ता देख कर के बड़ा ही इसेआश्चर्य हुआ । उसे समझ में नहीं आ रहा था यह हो क्या रहा है । तभी एक विशालकाय द्वार उसने देखा उस द्वार के नजदीक पहुंचकर के वह द्वार खुल गया । और उसके अंदर वह प्रवेश कर गया सामने एक विशालकाय व्यक्ति था । उसको सामने देखकर के भद्रा ने कहा आप कौन हैं ।

उसने भद्रा से कहा तुम जहां हो यह दुनिया दूसरी है अब मुझे यह बताओ कि तुम यहां क्यों आए हो । भद्रा ने कहा मुझे स्वयं नहीं ज्ञात है मैं यहां कैसे आ गया हूं और यह है क्या । यह कैसी जादुई नगरी है यह कैसी दुनिया है यहां पानी ऊपर जाता है बादल नीचे आते हैं सब कुछ चमकता सा नजर आता है यह द्वार कितना बड़ा है इतने बड़े द्वार तो कभी होते ही नहीं है । आप लोगों की लंबाईया भी बहुत ज्यादा है आप तीस तीस बत्तीस  फुट की ऊंचाई के मानव हैं आप लोग हैं कौन हो । तो वह देखकर के हंसने लगा और दोनों जो उसे पकड़े हुए उसके पास लेकर गए थे वह दोनों भी हंसने लगे । इस प्रकार तीनों के हंसने से भद्रा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था । भद्रा ने एक बार फिर से कहा आप लोग हंसते क्यों हैं मुझे पूरी बात बताईए आखिर क्या है । तभी उस विशालकाय प्राणी ने अपने सेवकों से कहा आईना लाओ ।वह लोग आईना लेकर के वहां पर आ गए । उस आईने में उसको अपना प्रतिबिंब दिखाई दिया और बाकियों के प्रतिबिंब नहीं दिखाई दे रहे थे । उसे कुछ समझ में नहीं आया उसने पूछा यह आईना क्या है ।तभी उस विशालकाय मानव ने कुछ मंत्र पढ़ते हुए उस पर फूंका और आईने को ठीक भद्रा के सामने रख दिया । भद्रा ने जब अंदर उस आईने के देखा तो आश्चर्य से चकित हो गया । उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वह जो देख रहा था वह किसी भी मानव के लिए असंभव सी बात थी । ऐसा नजारा आज तक किसी ने नहीं देखा था जब उसने सामने देखा तो उसकी खुद की लाश एक गोल घेरे के अंदर पड़ी हुई थी ।

उसे देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था । अब उसे याद आया कि वह तो साधना कर रहा था और यह तो उसका शरीर है । तो क्या वह अपने शरीर से बाहर है क्या वह कोई आत्मा हो गया है या वह मृत्यु को प्राप्त हो चुका है यह सब क्या है । और क्या वह यह दोनों यमदेव के कोई दूत है या कि यह यमराज है । इन बातों को वह समझ नहीं पा रहा था । उसने कहा क्या आप यमराज हो क्या आपके यह दोनों दूत हैं क्या मैं मर चुका हूं । इस पर तीनों फिर से हंसने लगे और उस विशालकाय मानव ने कहा तुम तो साधना में थे और उस नागिन ने तुमको डस लिया इसके बाद तुम यहां आ गए । यह यक्ष लोक है तुम्हारी आत्मा यक्ष लोक में आ चुकी है । लेकिन तुम तो साधना कर रहे थे और यह किसी भी प्रकार से उचित नहीं है की तुम्हारे साथ ऐसा हो । लेकिन फिर भी क्योंकि मानवों को 24 घंटे मिलते हैं अपने पुनर आयु को या पुनर जीवन को प्राप्त करने के लिए यानी कि अभी भी तुम्हारे शरीर के पास समय है जिसमें तुम वापस जा सकते हो । भद्रा ने कहा हां मैं अपनी साधना में था तभी एक नागिन ने ठीक मेरे मस्तक के बीच में कांटा इसकी वजह से शायद में मर गया यह क्या हुआ । मैं नहीं जानता लेकिन चुकि मेरा शरीर मुझे दिखाई दे रहा है इसलिए मुझे लगता है कि मेरी मृत्यु हो चुकी है । और मैं इसमें आत्मा रूप में हूं और यक्ष लोक आ गया हूं । तो उस महानकाय विशालकाय यक्ष ने कहा तुम अपनी साधना में पूरी तरह से तल्लीन थे और उस नागिन ने तुम्हारे साथ बहुत ही बुरा किया है । मैं तुम्हें विशेष शक्तियों के साथ तुम्हारे शरीर में वापस लौटा सकता हूं । लेकिन मैं तुमसे एक प्रश्न पूछता हूं अगर तुमने सही प्रश्न का उत्तर दिया तो मैं तुम्हारे शरीर में तुम्हें फिर से भेज आऊंगा ।

हमारी यक्ष सेना भी तुम को प्राप्त हो जाएगी और तुम अपने जीवन में फिर से अपने साधना को आगे बढ़ा सकोगे और शक्तियों को भी प्राप्त कर सकोगे । भद्रा ने तुरंत ही पूछा अगर ऐसा कोई भी मार्ग है तो आप तुरंत बताइए और मेरी इस दुविधा का नाश कीजिए मुझे मुक्त कीजिए । क्योंकि मैं अपने शरीर से बाहर हूं और मुझे स्वयं नहीं मालूम मैं यहां कैसे आ गया हूं । तब उस यक्ष ने कहा तुम मृत्यु के समय तुम यह यक्ष लोक के ही बारे में सोच रहे थे इसलिए मृत्यु के बाद निश्चित रूप से तुम्हें यही आना था । लेकिन मैंने जैसे कि तुम्हें कहा कि तुम्हारे मानव शरीर में ईश्वर की बनाई रचना में 24 घंटे तुम्हें दिए जाते हैं । उन 24 घंटे में अगर तुम चाहो तो फिर से अपने शरीर को प्राप्त कर सकते हो । लेकिन अधिकतर आत्मा ऐसा नहीं पाती है क्योंकि तुम्हारे साथ हम लोग है यानी एक शक्ति है ।इसलिए तुम ऐसा करने में संभव हो । इसलिए सावधान होकर मेरे प्रश्न को सुनो मैं तुमसे एक ही प्रश्न पूछूंगा अगर तुमने उसका सही उत्तर दिया तो मैं प्रसन्न होकर के अपने गणो की सहायता से तुम्हारे शरीर को तुम्हें फिर से वापस दिलवा दूंगा । भद्रा ने कहा अवश्य यक्षराज आप जो भी प्रश्न पूछेंगे अगर मुझे आता होगा तो अवश्य ही मैं इस प्रश्न का उत्तर दे पाऊंगा । यक्षराज ने कहा तुम्हें प्रश्न का उत्तर तभी आएगा जब तुमने सच्ची साधना की होगी और तुम्हारे अंतर चक्षु खुल चुके होंगे तभी तुम्हें शक्ति भी प्राप्त होगी ।इसीलिए इस प्रश्न का उत्तर थोड़ा शांत हो करके अपनी पूर्ण समझ के साथ में देना । इस पर भद्रा ने कहा मैं तैयार हूं आप प्रश्न ही पूछिए ।

तो फिर महान यक्ष ने कहा हे भद्रा तुम्हारा प्रश्न यह है कि मनुष्य लोक में ऐसा कौन सा सत्य है जिसको जानकर भी सदैव मनुष्य उस से भ्रमित रहता है और उसे बार-बार भूल जाता है और उसको ना जाने के कारण बार-बार गलत कार्यों को करता है । उस महान सत्य की बात मुझे बताओ की आखिर वह महान सत्य कौन सा है । भद्रा ने कुछ छण सोचा और उसने कहा हां मैं उस सत्य को जानता हूं वह सत्य है मृत्यु । पृथ्वी पर प्रत्येक प्राणी मृत्यु को जानता है वह जानता है कि उसे एक दिन मरना है इसके बाद भी वह गलत कार्य करता है इसके बाद भी वह किसी का बुरा करता है किसी के बारे में बुरा सोचता है बुरा बोलता है और बुरा करता भी है । यद्यपि वह इस बात को हमेशा देखता रहता है जानता रहता है उसका प्रत्येक मित्र साथी परिवार जन कोई भी व्यक्ति सब के सब मृत्यु को एक दिन प्राप्त हो रहे हैं और होते चले जा रहे हैं । लेकिन बार-बार फिर भी वह चीजें भूल जाता है उसकी भी मृत्यु होनी है इसलिए सबसे बड़ा महान रहस्य और सत्य यही है । यक्षराज प्रसन्न हो गए और उन्होंने कहा बिल्कुल सही कहा अगर यह सत्य मनुष्य जान जाए तो पाप कर्म करना छोड़ देगा और इसी के कारण वह भक्ति मार्ग पर चलेगा और सिद्धियों और शक्तियों को भी प्राप्त करेगा उच्चतर लोको को चला जाएगा । तो तुमने सही प्रश्न का उत्तर दिया इसलिए और अभी इतने पहर नहीं हुए कि तुम्हारे शरीर को दोबारा आत्मा ग्रहण ना कर सके । इसलिए मैं अपने गणो को भी आदेश देता हूं कि तुम्हारी आत्मा को तुम्हारे शरीर में वापस ले जाए साथ ही साथ मैं तुम्हें अपनी यक्षसेना भी प्रदान करता हूं ।

जैसे तुम वहां उठाओगे तुम अपने साथ में एक यक्षसेना को भी पाओगे और साथ ही साथ सिद्ध मंत्र के द्वारा अब तुम इस सेना का उपयोग भी कर सकोगे । बड़ा ही चमत्कारिक ढंग से फिर से उन दोनों यक्ष ने उसके दोनों कंधे पकड़े और फिर से एक बवंडर उठा जो भंवर जैसा था और उस भंवर में एक बार फिर से उसका शरीर बहुत ही तेजी से घूमने लगा और फिर उसने दुनिया को छोड़ कर एक नई दुनिया में अलग ही आयामी द्वार से प्रवेश किया । और अपने शरीर में एकदम से प्रवेश कर गया जैसे वह अपने शरीर में प्रवेश किया उसे एकदम से झटका लगा और वो उठ खड़ा हुआ । और अभी तक जो उसने देखा था उसे सब याद था वह यह देख रहा था कि मैं किस प्रकार यक्ष लोक गया और मैंने सही प्रश्न का उत्तर दिया तभी वहां पर दोनों यक्ष सामने उसके प्रकट हो गए । और उन्होंने कहा कि आपकी साधना भी संपूर्ण हो गई वह नागिन अब आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी । उसने आपकी यद्यपि सारी शक्तियां छीन ली थी । लेकिन यक्ष देव के प्रताप से अब आपको आपकी सारी शक्तियां वापस मिल गई हैं ।यक्षसेना आपके साथ में खड़ी है यक्षसेना को आप जो भी आदेश देंगे वह संपूर्णता से उस कार्य को संपन्न कर देगी ।भद्रा बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हुआ भद्रा की इच्छा पूरी हो चुकी थी । लेकिन उसे एक ऐसी सीख मिली थी जिसके बारे में अब वह जान गया था । जीवन मरण और इस कुचक्र को इस समझ करके उसने उसके मन में जो महत्वाकांक्षा थी ।

पृथ्वी विजय की दुनिया को जीतने की वह सब चली गई । केवल मृत्यु के छणो में उसके बाद उसने जो सत्य समझा अब वह सब रहस्य जान चुका था कि यह दुनिया एक ब्रह्म के अलावा और कुछ नहीं है । अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए दूसरों को कष्ट देना किसी भी प्रकार से उत्तम नहीं है । जबकि उसका प्रतिफल आपको भोगना ही पड़ता है मैंने यही करने की कोशिश की तो मैं मृत्यु को प्राप्त हो गया । और यही एक नागिन ने करने की कोशिश की है और वह उसके साथ भी वही होगा । यह सोच कर के अब भद्रा ने अपनी यक्षसेना को कहा कि जाइए उस नागिन को पकड़ के ले आई । और मैं निश्चित रूप से अब उसका जरूर ऐसा प्रबंध करूंगा जिससे वह किसी भी अन्य प्राणी को कष्ट ना दे सके । इस प्रकार से यक्ष सेना को मंत्र द्वारा अभिमंत्रित कर भेज दिया गया । यक्ष सेना नागिन के सामने पहुंच गई क्योंकि नागिन के पास बहुत सारी शक्तियां हो चुकी थी । और उसकी सहायता से उसने शक्तियों को ग्रहण किया था । इसलिए उसने भी अपनी एक नागसेना मंत्रों के द्वारा प्रकट कर दी इस प्रकार यक्षसेना और नागसेना में तीव्रता भयंकर युद्ध छिड़ गया । और उस पूरे जंगल में एक प्रकार की हलचल सी मच गई जो देखने लायक थी । ऐसा तीव्रता युद्ध जो दृश्य मान नहीं था एक अदृश्य मान जगत में चल रहा था । लेकिन वह सामने ऐसे घटित हो रहा था जैसे कि भयंकर दावानल हो यक्ष शक्ति नाग शक्ति लगातार एक दूसरे से टकराते रहे । लेकिन सदैव यह ध्यान रखिए जीवन में कभी भी असत्य कितना भी अधिक शक्तिशाली हो सत्य के आगे उसे पराजित होना ही पड़ता है । धीरे-धीरे करके नाग सेना पराजित होने लग गई । तभी नागिन ने सोचा यह सारी शक्तियां आखिर आई कहां से है । उसने पता लगाया तो उसे पता लगा यह सारी शक्तियां भद्रा से आ रही है । एक बार फिर से वह हवा में उड़ती हुई गई और तीव्रम स्वर से और बहुत ही तीव्र गति के साथ उसे काटने के लिए उड़ चली । आगे क्या हुआ यह जानेंगे हम लोग अगले भाग में ।

कैलाश मंदिर एलोरा के यक्ष भाग 5

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