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कैलाश मंदिर एलोरा के यक्ष 5 वां अंतिम भाग

कैलाश मंदिर एलोरा के यक्ष अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसा कि हमारी कैलाश मंदिर एलोरा के यक्ष भाग 4 में अभी तक आपने जाना किस प्रकार से एक नागिन के षड्यंत्र में फस करके के भद्रा अपने जीवन को संकट में डाल लेता है । लेकिन चुकी यक्षो की साधना से उसको फायदा हुआ था इसलिए यक्ष उसकी परीक्षा लेकर के उसे जीवन मुक्त नहीं होने देते हैं । और वास्तव में फिर से उसके शरीर में प्राण आ जाते हैं यह बात को आगे पढ़ते हुए अब जानते हैं कि आगे क्या हुआ । जैसे कि हमने पिछले भाग में जाना था यानी भाग 4 में हमने किस प्रकार से अब यक्षसेना और नाग सेना के बीच मे युद्ध होने लगा था । नागिन जो की बहुत सारी शक्तियों की स्वामिनी थी इस वजह से क्योंकि उसने इसकी साधना के मूल तत्व को खींच लिया था । उन तत्वों को खींचने के कारण उसमें इच्छाधारी शक्तियां आ गई थी । इसी कारण उसने नाग सेना प्रकट की और उस नाग सेना का युद्ध भद्रा की यक्ष सेना से होने लगा  । हालांकि यक्ष सेना धीरे-धीरे जीती चली जा रही थी तो इस कारण से क्रोधित होकर नागिन ने तीव्रता से फूकार भरते हुए उस ओर दौड़ी जिधर भद्रा था । भद्रा को समाप्त कर देने के लिए तीव्रता से वह उड़ती हुई चली जा रही थी ।तभी यक्षो में से एक यक्ष आकर के इसके कान में अर्थात भद्रा के कान में आकर कहा आपके ऊपर बड़ी मुसीबत आ रही है । नागिन स्वयं तीव्रता से आपकी तरफ उड़ते हुए आ रही है और आप का वध कर देना चाहती है । उस से बचिएगा और मैं आपको नाग मंत्र नाशक एक ऐसा दिव्यतम अस्त्र दूंगा जिसकी वजह से वह अस्त्र जब आप मंत्र पढ़कर चलाएंगे तो कोई भी नाग शक्ति होगी वह धराशाई हो जाएगी ।

नाग शक्ति को हराने के लिए इस गोपनीय मंत्र को उनके कान में उसने फुका और साथ ही साथ वो अस्त्र प्रदान किया अस्त्र को तान करके जैसे ही वह चलाने के लिए उद्यत हुआ । तभी सामने उसने एक विशालकाय स्त्री नजर आई जो कि बहुत ही सुंदर थी और निर्वस्त्र थी । उसके बाल हवा में उड़ रहे थे उसको देख कर के मंत्र पढ़ना भूल गया भद्रा और वह स्त्री उसके पास आती चली गई । स्त्री जैसे ही पास आई उसने भद्रा को गले लगाया और उसके कान के नीचे वार कर दिया यह स्त्री और कोई नहीं वही नागिन थी । वह निर्वस्त्र होकर के इसलिए आई थी क्योंकि वह अपनी माया जाल में फंसाना चाहती थी । और निर्वस्त्र स्त्री को देखकर के भद्रा मंत्र चलाना भूल गया क्योंकि ऐसे ही आश्चर्यजनक स्वरूप को देख कर के उसके मन को अपने व नियंत्रण में नहीं रख सका और पराजित हुआ । भद्रा वही बेहोश होकर गिर पड़ा नागिन हंसते हुए तीव्रतम स्वर में उच्चारण किया और कहा कि कोई पुरुष ऐसा संसार में नहीं है जो काम और काम की वासना से बच सकें । मैंने यह नग्न रूप इसीलिए धारण किया था ताकि भद्रा क्या ऐसे हजारों पुरुष ऐसे स्वरूप को देख कर के अपनी सारी शक्तियों को भूल जाए । और हुआ भी ठीक वैसे ही देखो मैंने दोबारा इसे पराजित कर दिया है । और तभी उसने उसके चारों तरफ एक सुरक्षा घेरा सा बनाया ऐसा सुरक्षा घेरा जिसमें यक्ष प्रवेश न कर सके ।यक्षसेना इधर नागो को परास्त कर चुकी थी । और तीव्रता से उसकी और आने लगी भद्रा इधर बेहोश पड़ा हुआ एक ऐसे कवच के अंदर था जिसके अंदर प्रवेश करना किसी के लिए भी संभव नहीं था । यह ऐसा नागपाश था जिसको भेदना किसी के लिए भी संभव नहीं था । नागिन वहां से तुरंत ही गायब हो गई क्योंकि उसने देखा यक्षसेना उसका विनाश कर सकती है ।

कुछ देर बाद वहां से वह गायब हो गई और अपने आपको उसने पाताल लोक में छुपा लिया ।यक्षसेना चारों ओर भद्रा के मंडराती रही लेकिन भद्रा अचेत था और यक्षसेना में से कोई भी उस घेरे के अंदर प्रवेश नहीं कर पा रही थी । यह एक ऐसा नागपास था जिसकी मुक्ति होना संभव नहीं था । कुछ देर बाद यक्ष सेना यक्ष लोक  चली गई और वहां से उन्होंने अपने यक्षराज को बुलाकर लाए । यक्षराज ने कहा इस को तोड़ने का एक ही उपाय गरुड़ मंत्र केवल गरुड़ मंत्र की सहायता से ही इस द्वार को तोड़ा जा सकता है । लेकिन समस्या यह है कि गरुड़ो के यहां आने पर नाग शक्तियां भी स्वयं पाताल की नाग शक्तियां यहां प्रकट हो जाएगी । कारण है कि किसी के कारण में बिना कार्य हस्तक्षेप करना बहुत ही गलत होता है । गरुड़ शक्ति के कारण अब कुछ भी हो जाना संभव है ।हालांकि गरुड़ शक्ति के कारण यह नागपास तो टूट जाएगा लेकिन नाग लोक की ऐसी विडंबना है कि वहां के दुर्लभ नाग भी यहां आ जाएंगे । और उनकी शक्ति और सामर्थ्य की परीक्षा होने लगेगी और उनसे हम यक्ष भी युद्ध नहीं कर पाएंगे । क्योंकि नाग लोक पाताल लोक में बहुत सी ऐसी ताकतें हैं जो शक्तियां अपने अस्तित्व को बचाने के लिए और अपनी पहचान को संभाले रखने के लिए यहां पर आकर युद्ध करने लगेंगी । नागिन ने शायद इसीलिए ऐसा किया है तो फिर क्या किया जाए इस संबंध में कोई मार्ग नहीं है । उन्होंने कहा नहीं ऐसा नहीं है अगर किसी प्रकार से भी पाताल लोक से जाकर के नागरस को लाया जाए और नागरस इसके ऊपर डाला जाए तो हो सकता है कि भद्रा की अचेत अवस्था ठीक हो जाए । लेकिन फिर भी वह नागपास से बाहर नहीं निकल पाएगा । तो यक्ष सेना ने कहा ठीक है हम लोग वहां जाएंगे और वहां से नागरस लेकर आएंगे । तुरंत ही यक्ष सेना नागरस को लाने के लिए नागलोक की ओर प्रस्थान कर गई । वहां पर जाकर जब उन्होंने द्वार को देखा तो वहां पर बड़े-बड़े नागों का पहरा था  ।

अब यक्ष सेना के लिए समस्या यह थी कि वह वहां कैसे प्रवेश करें । तो उन्होंने नागों का ही रूप धारण कर लिया और वह इस प्रकार से नाग लोक में प्रवेश कर गए । नाग लोक में जा कर के वहां से नागरस प्राप्त किया । और उसको लेकर के आ गए । यक्षराज ने ऊपर से ही उस रस को भद्रा के ऊपर डाला भद्रा के ऊपर पढ़ते भद्रा अचेत अवस्था से एकदम से जागता हुआ उठा और इधर-उधर देखने लगा कि उसके साथ क्या हुआ है । तब यक्षराज ने उसे सारी बात बताई और कहा कि तुम्हें इस को काटने के लिए कुछ विशेष प्रयत्न करना होगा । फिर भद्रा ने अपनी दिव्यतम ऊर्जा के द्वारा विशेष मार्ग के लिए एक जादुई  आईना प्रकट किया और उस जादुई आईने से पूछा तुम मुझे ऐसा बताओ किस वजह से मैं इस नागपाश को तोड़ पाऊ ।क्योंकि नागपाश को गरुड़ को बुलाने पर भयंकर स्थिति पैदा हो जाएगी और यहां समस्या उत्पन्न हो जाएगी । इस वजह से मुझे ऐसा मार्ग बताओ जिससे वह कार्य संपन्न हो जाए । तो दर्पण ने कहा कि सुनो अगर यहां पर भगवान शिव की आराधना के लिए मंदिर बन सके और सदैव यहां स्थित रहे तो अवश्य ही नाग शक्ति और नागपास का असर इस जगह से हट जाएगा । और यह स्थान सदैव के लिए उत्तम हो जाएगा और तुम्हारे भी इस बंधन को वह तोड़ देगा  । उसने पूछा कि आखिर ऐसा क्या हो सकता है उस दर्पण ने कहां सब परिवार भगवान शिव के साथ-साथ दिर्वेतम ऐसा मंदिर का निर्माण हो । जिसकी वजह से भगवान शिव प्रसन्न हो जाए । लेकिन उसकी छोटी आकृति तुम्हें यहां पर बनानी है  जितने क्षेत्र में तुम हो । क्योंकि चारों तरफ तुम्हारे सुरक्षा घेरा बना हुआ है । तुम्हें उतने बीच में ही वैसा मंदिर बनवाना होगा ऐसी अवस्था में कुछ सोचने विचारने लगा कि इतना बड़ा ऐसा दुर्लभ मंदिर कैसे बन पाएगा ।

किस तरह से यह सब हो पाएगा उसने यक्षराज से प्रार्थना की यक्षराज आप मेरी मदद कीजिए । यक्षराज प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि हे यक्ष सेना मंदिर का निर्माण करो । यक्ष इतने छोटे हो गए कि वह समुंदर किनारे पढ़ी हुई बालू के कण के बराबर का उन सबका आकार हो गया उस आकार में उन्होंने जाकर के उसको बनाने की बात कही । लेकिन समस्या यह थी कि वह कैसे प्रवेश करें । तो इसके लिए यक्षराज ने कहा मैं तुम्हें पिनाक अस्त्र देता हूं । यह पिनाक अस्त्र भगवान शिव का है इसको इसके ऊपर बैठ जाओ और मैं पिनाक अस्त्र इस चारों तरफ की जो सुरक्षा घेरा है इसके अंदर फेकुंगा पिनाक अस्त्र को नाग पास नहीं रोकेगा और उसी के साथ तुम भी पिनाक अस्त्र के साथ-साथ अंदर पहुंच जाओगे । पिनाक अस्त्र जब अंदर फेंका गया तो उसके साथ पूरी की पूरी यक्ष सेना अंदर पहुंच गई । और उसे कुछ भी नहीं हुआ अब यक्ष सेना ने तुरंत ही अपना कार्य संपादन करना शुरू कर दिया । उसने जल्दी-जल्दी मंदिर का निर्माण करना शुरू कर दिया मंदिर अद्भुत था और बहुत ही सुंदर था । और वह मंदिर एक छोटी सी उंगली के आकार का था और उसमें सारी वह वस्तुएं और सामग्रियां चीजें सब कुछ थी । जैसे एक विशालकाय मंदिर में होती है किसका प्रतिरूप बनाया जाइए । यह प्रशन था तो सामने खड़े हुए महान पर्वत को देखकर यक्षराज ने कहा इस पर्वत का प्रतिरूप वह होना चाहिए । उस पर्वत के स्वरूप वाला वह छोटा सा मंदिर वहां पर उसने बनाया ।और भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी ।

गोपनीय  मंत्रों के द्वारा भगवान शिव की आराधना करने के कारण धीरे-धीरे करके सुरक्षा जाल का घेरा हटता चला गया । अपने सुरक्षा घेरे को हटते देख नागिन वहां प्रकट हो गई थी । तभी यक्षराज ने नाग नाशक अस्त्र का प्रयोग किया और वह अस्त्र भद्रा को दिया भद्रा ने बिना देर किए कहीं कोई माया वह प्रकट ना कर दे वह नागिन उसने वह अस्त्र शास्त्र जो भी उनके हाथ में था तीव्रता से बहुत ही तेजी के साथ में नागिन की ओर चला दिया । नागिन को अस्त्र लगते ही नागिन तुरंत भस्म हो गई । इस प्रकार से वह मंदिर वहां पर छोटे से भगवान शिव की आराधना के लिए बन गया । भद्रा ने कहा मेरी अब कोई इच्छा नहीं है कि मैं इस सेना का उपयोग विश्व विजय के लिए करू । मैंने ब्रह्मांड के रहस्य को समझा है जीवन कुछ इच्छाओं तक सीमित नहीं है ।किसी लोक तक सीमित नहीं है वह तो बहुत ही विशालकाय बड़ा है मुझे भगवान शिव की आराधना का गोपनीय मंत्र दीजिए जो स्वयं आपने किया हो । तभी आप भगवान शिव के प्रिय शखा बने थे । इसलिए आपको शंकरा प्रिय बांधव कहा जाता है । यक्षराज ने कहा ठीक है मैं तुम्हें वह गोपनीय मंत्र देता हूं । अब तुम भगवान शिव की आराधना करो जाकर के एक गुप्त स्थान मैं तुम्हें बताता हूं ।वहां जाकर के तुम भगवान शिव की आराधना करो और वहीं से तुम मुक्त हो जाओगे । जीवन के लिए इस पर भद्रा ने कहा आप अपनी यक्ष सेना को लेते जाइए । तब यक्षराज ने कहा यह संभव नहीं है यह यक्ष सेना तब तक यहां से मुक्त नहीं हो सकती जब तक कि यह छोटे से मंदिर को इन्होंने बनाया है ऐसा कोई विशालकाय मंदिर यहां ना बन जाए । इस पर भद्रा ने कहा कि मैं इसमें क्या सहायता कर सकता हूं तो यक्षराज ने कहा यक्ष सेना को आदेश दो कि वह तब तक यहां रहे जब तक यहां एक विशालकाय पर्वत समान मंदिर ना बन जाए ।

उसके बाद ही यक्ष सेना यहां से मुक्त हो पाएगी । भद्रा ने कहा हे यक्ष सेना हे यक्ष सैनिकों आप सदैव यहां विराजमान रहिए और जब तक कि यहां विशालकाय मंदिर ना बन पाए तब तक आप यह स्थान को छोड़कर ना जाए और वह विशालकाय मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध हो । जिस मंदिर की सहायता से मैं नागपाश से मुक्त हुआ । उसी तरह से जीवन की मुक्ति प्रदान करने वाला एक शुभ मंदिर यहां पर स्थापित हो कहते हैं कई 100 सालों के बाद में कृष्ण प्रथम ने जब अपने सैनिकों और नगर वासियों को इस मंदिर को बनाने के लिए आज्ञा प्रदान की तो पत्थर काट काट कर के जब मंदिर बनने लगा । तो उनके अंदर यक्ष सैनिक उनकी सहायता के लिए उनके शरीरों में प्रवेश कर जाते थे और वह इसी स्थान पर घूमते रहते थे । इसीलिए पूरे पर्वत को काटकर के एक विशालकाय मंदिर बनाया जा सका । क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर हर मजदूर के अंदर हर्ष शिल्पकार के अंदर यक्ष सेना की शक्तियां और यक्ष सैनिक स्वयं प्रवेश कर जाते थे । इसीलिए कम समय में एक विशालकाय और पूरी पर्वत चट्टान को काटकर के एक महानतम मंदिर का निर्माण हो सका ।

जो कृष्ण देव प्रथम के समय में हुआ था । यानी कि कहने का अर्थ यह है कि इस महानतम एलोरा के कैलाश मंदिर को यक्षो ने बनाया और यक्षो की ही शक्तियां थी । जिसके कारण यहां के शिल्पकार और मजदूर एक महानतम पूरे पहाड़ को काटकर के बहुत ही कम समय में एक विशालतम मंदिर का निर्माण दे सके । इसी कारण से यक्ष सैनिक वहां से मुक्त हुए । लेकिन कहते हैं यक्ष सेना और यक्ष आज भी यहां पर भ्रमण करने कभी कभार आया करते हैं । वह इस मंदिर में आया करते हैं और यहां पर पूजन भी करते हैं लेकिन यह बात अत्यंत ही गोपनीय हैं । यहां अगर कोई विशेष व्यक्ति विशेष अनुष्ठान करें यक्षो को प्रसन्न करें तो अवश्य ही वो दुर्लभतम यक्षो को प्रकट कर सकता है या उन्हें प्रसन्न कर सकता है । इस कारण से यहां के यह मंदिर बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध हो गया लेकिन इसके पीछे की कहानी उसी तरह गोपनीय हो गई जैसे कि समुंदर में कोई चीज गिरने के बाद गायब हो जाती है । अगर कोई तंत्र साधक यहां पर जाए और उन गोपनीय शक्तियों को फिर से पाना चाहे तो साधना करके देख सकता है । यह स्थान आप इंटरनेट पर भी सर्च करके पता लगा सकते हैं कि यह कहां पर है और यह बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है । और एक ही चट्टान पूरे पहाड़ को काटकर के बनाया गया एक विशालतम मंदिर है । जिसको बनाना आज भी इंजीनियरो के बस की बात नहीं है । और यह उस समय यक्षो की आत्माएं और उनकी शक्तियों के कारण ही संभव हो पाया था । तो यह था अंतिम भाग । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

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