Site icon Dharam Rahasya

खजाना देने वाली परी भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज ही ऐसा अनुभव आया है जो अपने आप में ही विचित्र है। तो जैसे कि आपने हमने देख लिया है। यह कहानी एक परी की है जो खजाना देती है जिसने यह अनुभव भेजा है ऐसा बताया है । चलिए पढ़ते हैं उनके पत्र को और जानते हैं क्या है उनका ऐसा अद्भुत अनुभव?

नमस्कार गुरु जी और धर्म रहस्य चैनल के सभी दर्शकों को मेरा नमस्कार। यह एक सत्य अनुभव है लेकिन मेरा नाम और पता कृपया किसी को ना बताएं कारण कि ऐसी बात इसके साथ जुड़ी है जिसकी वजह से मुझे और मेरे परिवार को समस्या आ सकती है। इस घटना का सबूत भी मैं अंतिम भाग में अवश्य दूंगा ताकि आप सभी की आंखें खुल जाएं।

मैं इस कथा के संबंध में आपको यह बताना चाहता हूं कि यह एक सच्ची घटना है। हालांकि यह घटना आज से 200 साल पहले की है। उस दौरान मेरे ही वंश में मेरे परदादा के समय की यह एक बात है। जब वह साधना के लिए एक काल मुख संप्रदाय के अघोरी के पास गए थे।

कालमुखी संप्रदाय बहुत ही अलग और अजीब तरह का संप्रदाय होता है जिसके बारे में आज विवरण कम ही मिलता है। आप लोग सोच भी नहीं सकते कि यह कितने अधिक खतरनाक सिद्ध लोग होते हैं, लेकिन पूरी तरह की से इनकी पूजा तामसिक होती है और इतनी अधिक तांत्रिक, जो आपकी सोच से भी परे हैं। लेकिन इनकी सिद्धियां बहुत ही उच्च कोटि की होती हैं और इनको रोकने की सामर्थ्य भी किसी में नहीं होती है।

लेकिन इनकी सिद्धि के कारण ऐसी ऐसी शक्तियां पैदा हो जाती हैं जिनके बारे में आप आज के युग में सोच भी नहीं सकते।

चलिए मैं कहानी पर आता हूं। मैंने कहा मेरे परदादा के समय की है घटना! है जब उन्होंने एक! अनुष्ठान करने की सोची थी उसके कारण बहुत सारे थे, उन पर कई तरह का कर्जा आ गया था। शायद जमीन जायदाद किसी वजह से बिक गई थी। धनसंपदा की बहुत बड़ी कमी आ चुकी थी। ऐसे में अब उनके पास अपने कर्ज़ों को उतारने और परिवार के भरण-पोषण के लिए एक ही रास्ता था और वह रास्ता था कि वह कुछ विशेष काम करें। उनके किसी मित्र ने उनको सलाह दी कि आप किसी? विशिष्ट प्रकार के तांत्रिक के पास जाइए जो आपको धन संबंधी समस्या से उबार सके। इसी कारण से मेरे परदादा ने एक ऐसे तांत्रिक का चयन किया जो काल मुख संप्रदाय का था। यह लोग नर कपाल में ही सुरा का पान करते हैं। शवों की साधना करते। और कभी-कभी सब का भक्षण भी करते।ऐसी ऐसी चीजें करते हैं जिसके बारे में आज के लोग सोच भी नहीं सकते।

मैं उस स्थान का पता नहीं बता सकता।

लेकिन आगे मैं अवश्य ही बताऊंगा कि जो मैं कह रहा हूं, सत्य है इसका सबूत आपको? कहानी के अंत में अवश्य ही दे दिया जाएगा।

गुरुजी वह फिर एक रात उनके पास मिलने के लिए गए।

वहां बैठे साधना कर रहे थे। उनके सामने एक। पुरुष की लाश कटी हुई रखी थी। जिस की खोपड़ी यानी कि सिर का भाग, कहीं फेंक दिया गया था? वहाँ सिर्फ और सिर्फ धड़ ही वहां पर था जिससे हल्का हल्का खून भी बह रहा था। वह उस लाश पर बैठकर साधना कर रहे थे। सामने हवन की अग्नि जल रही थी जिस पर बैठ कर के वहां साधना वहां पर कर रहे थे। यह कोई साधारण साधना नहीं थी। कोई विशेष प्रकार की तांत्रिक सिद्धि वह कर रहे थे।

उन्होंने! अचानक से ही अपनी आंखें खोल दी जब उन्होंने सामने मेरे परदादा को पाया। पर दादा ने तुरंत ही। उन्हें प्रणाम किया और कहा बाबा मेरी रक्षा करो। बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया हूं।

लेकिन उस? तांत्रिक ने बड़े ही क्रोध से कहा, मूर्ख बिना पूछे तू इस परिधि के अंदर आया कैसे? मैं चाहूं तो तेरी अभी जान ले लूं और तेरा सिर काट कर। अपनी।

गुप्त योगनियों को खिला दू। वह तेरा कच्चा मांस खाकर तृप्त होंगी।

ऐसी बात सुनकर मेरे दादा को बहुत अधिक डर लगा। लेकिन उन्होंने कहा, आपकी जैसी इच्छा आपके हाथों मरना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। यह सुनकर अब उस तपस्वी तांत्रिक का क्रोध शांत हुआ और वह कहने लगा। फिर बोल तू यहां क्यों आया? मेरे परदादा ने कहा, मेरे धन संपत्ति और जायदाद पर संकट आ गया है । आज की स्थिति ऐसी है कि मेरे परिवार के 17 अट्ठारह आदमियों का भरण पोषण करना कठिन हो रहा है। क्योंकि सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही है इसलिए मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है। आप मुझे कोई मार्ग बताइए जिससे धन संबंधी मेरी परेशानी हल हो और मैं इतने बड़े परिवार का भरण पोषण कर सकूं।

इस प्रकार जब उन्होंने उस! काल मुख संप्रदाय के तांत्रिक से इस प्रकार प्रार्थना की तो उसने कहा कि मैं तेरी समस्या समझ गया। कर्मों के जाल में तू फस चुका है। कारण काटना है तो कर्म करना पड़ेगा।

बता क्या तू नरबलि दे पाएगा? मेरे परदादा ने कहा, यह मेरे बस का नहीं है कि मैं आपको नरबलि दे पाऊं। तब तांत्रिक ने गुस्से से कहा। जब तू नरबलि नहीं दे सकता तो यहां क्यों चला आया? मुझे तो नरबलियाँ ही चाहिए तभी मैं तेरी सिद्धि कर आ पाऊंगा। इस पर मेरे परदादा ने कहा। आप?

मुझे कोई और आज्ञा दीजिए जो मेरे वश में हो क्योंकि मेरी इतनी सामर्थ्य नहीं कि मैं किसी इंसान की जान ले सकूं।

इस पर तांत्रिक जोर-जोर से हंसने लगा और कहने लगा। सब तो यहां मरने के लिए ही आते हैं तू एक इंसान बता जो सारी जिंदगी जीता रहेगा। अब जब सबको मरना ही है तो अच्छी प्रकार मरने में क्या तकलीफ है? अच्छा चल मैं तुझे एक बात बताता हूं। अगर कोई स्वयं तुझसे कहे कि मेरी बलि दे दो तो क्या तू उसका सिर काट पायेगा? यह सुनकर मेरे परदादा आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने सोचा यह अजीब सी बातें यह तांत्रिक क्यों कह रहा है? पर उन्होंने सोचा काम तो कुछ करना ही पड़ेगा। अगर मैंने इनकी बात को नहीं माना या इनकी इच्छा अनुसार कोई कार्य नहीं किया तो यहां तक आने का मेरा प्रयोजन नष्ट हो जाएगा जो कि मैं नहीं चाहता हूं। इसलिए उन्होंने सोचा कि अब समय हो चुका है कि इनकी हां में हां मिला हूं।

उन्होंने तब उस तांत्रिक से कहा- कि आप अगर ऐसा कोई व्यक्ति मुझे दें। जो स्वयं कहे मेरा सिर काट दो तो मैं अवश्य ही उसका सिर काट दूंगा।

इस पर तांत्रिक महोदय जोर जोर से हंसने लगे। उन्होंने कहा, ठीक है! यहां से कुछ दूर तुझे घने जंगल में एक लड़की मिलेगी। उस लड़की से कहना अपने वस्त्र उतार और लेट जा!

जब तू ऐसा कहेगा तो वह अपने वस्त्र उतार देगी और जमीन पर लेट जाएगी।

वहीं पास में एक पेड़ होगा जिस पर तुझे एक।

अस्त्र मिलेगा। एक शस्त्र होगा जिससे किसी को भी मारा जा सकता है। उस शस्त्र को तू वहां से उठाना और उसका सिर काट कर मेरे पास ले आना।

याद रखना कि सिर्फ उसका सिर लाना है बाकी शरीर वही छोड़ देना।

और हां एक बात अवश्य याद रखना इस दौरान तुझे कोई देखे भी नहीं। ऐसा करते अगर कोई तुझे देख ले तो वहां से भाग जाना।

इन अजीब तरह की शर्तों को सुनकर मेरे परदादा आश्चर्य में पड़ गए थे। उनके लिए यह सब बहुत ही कठिन काम था। आखिर किसी स्त्री का सिर वह कैसे काटेंगे? और अगर उन्हें स्त्री ना मिली तो भी तांत्रिक नाराज हो जाएगा और अगर तांत्रिक के कहने पर कोई स्त्री मिल गई तो वह अपने वस्त्र क्यों उतारेगी? और अगर उसने वस्त्र उतार दीजिए तो वह अपना सिर क्यों कटवा आएगी? ऐसा आश्चर्य आज तक कभी मैंने सुना नहीं है।

लेकिन अब मैं क्या करूं? उन्होंने एक बार फिर से तांत्रिक से कहा। आप मुझे क्षमा कीजिए, मैं यह कार्य नहीं कर पाऊंगा। इस पर तांत्रिक गुस्सा होकर बोला, अगर तू कुछ करने की सामर्थ्य नहीं रखता तो प्राप्त क्या करेगा? अगर तूने यह कार्य नहीं किया? तो जिंदगी में तो कभी सफल नहीं हो पाएगा।

जब कोई अपनी स्वेच्छा से अपना सिर देने को तैयार है तो भला तुझे क्या समस्या हो सकती है?

अगर तूने यह कार्य नहीं किया तो मेरे क्रोध का भागी भी बनेगा। तूने मेरा समय खराब कर दिया है। मेरी सिद्धि के बीच में आकर तूने मेरे समय को नष्ट किया है। और अब तू मेरा कार्य भी करने को तैयार नहीं! बता अब मैं क्या करूं?

ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो गई थी उस काल मुख संप्रदाय के तांत्रिक की बात को सुनने के अलावा। मेरे परदादा के सामने और कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने अपना सिर हिलाकर हामी भर दी। और चल दिए उस ओर जहां जंगल में उन्हें कोई स्त्री की तलाश थी।

थोड़ी देर चलने के बाद में अचानक से उन्हें एक स्त्री दिखाई दी और सचमुच में वह आश्चर्य में पड़ गए। एक सुंदर सी नवयुवती थी। सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी।

काफी सुंदर दिखने के कारण जंगल में होने के कारण। मेरे परदादा को आश्चर्य हो रहा था। वह उसी स्त्री के पास जाकर बोले।

मुझे आपका सिर चाहिए।

कृपया आप अपने सारे वस्त्र उतार दें और जमीन पर लेट जाएं।

यह बात जल्दी-जल्दी में मेरे परदादा बोल गए क्योंकि उनका मस्तिष्क उनका साथ नहीं दे रहा था। शर्त ऐसी ही थी कि अब वह करते भी तो क्या करते?

उस स्त्री ने अपने वस्त्र उतारने शुरू कर दिए। आगे क्या हुआ भाग 2, मैं गुरु जी मैं आपको जल्दी ही भेज दूंगा। और जैसा कि मैंने वादा किया है इस कहानी के अंत में आपको इसका सबूत भी दूंगा। नमस्कार गुरु जी! ……आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद!

खजाना देने वाली परी भाग 2

Exit mobile version