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खजाना देने वाली परी 3 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। खजाना देने वाली परी भाग 2 में अभी तक आपने जाना कि कैसे एक व्यक्ति जो कि? अपने धन की समस्या से परेशान थे। एक तांत्रिक के पास जाते हैं और उनसे एक देवी की सिद्धि करवा लेते हैं। अब उस सिर कटी देवी ने आगे क्या किया इस भाग में हम जानेगे।चलिए पढ़ते हैं के पत्र को और जानते हैं कि आगे इस घटना में क्या उनको सफलता मिली या नहीं?

नमस्कार गुरु जी! सबसे पहले मैं दर्शकों से माफी मांगना चाहता हूं क्योंकि इस कहानी को भेजने में देर हो गई। लेकिन इस भाग में मैं आपको कुछ बड़े रहस्य के बारे में बताऊंगा जिससे आप सभी अभी तक अनभिज्ञ हैं। मैं यहां पर सबूत भी पेश करूंगा। उस सबूत को दिखाकर अगर कोई जानकार बता सके कि वह क्या है तो अवश्य ही मेरी और मेरे परिवार की मदद हो सकती है। इसलिए गुरु जी का यह वीडियो आप अंतिम क्षण तक देखिए और उस रहस्य और सबूत को एक बार बड़े ही ध्यान पूर्वक देख कर मुझे बताइए कि यह क्या है?

तो गुरुजी आगे मैं जो कुछ घटित हुआ वह सब बताता हूं मेरे परदादा, जब उस सिर कटी देवी से कहे कि मैं अपना कार्य कर चुका हूं। अब आगे का कार्य आप कीजिए। उस सिर कटी देवी ने हंसते हुए उस परी को अपने मुंह में भर लिया यानी कि वह उसे खा गई। खाने के बाद फिर उन्होंने अपना मुंह कुछ क्षण बाद खोला और उससे वह परी वापस बाहर आ गई। लेकिन अब वह बिल्कुल शांत लग रही थी। उसने मुस्कुराते हुए मेरे परदादा से कहा, मैं आपके पूरी तरह वश में हूं। आपकी जो भी इच्छा हो, आप मुझसे वह पालन करवाइए।

इससे पहले कि मेरे परदादा उससे कुछ कहें तभी वह सिर कटी देवी कहने लगी। मेरा कार्य समाप्त हुआ। अब मैं जाती हूं। इसे खोना नहीं और संभाल कर रखना। ऐसा कहते हुए सिर कटी देवी गायब हो गई। उसके गायब होते ही मेरे परदादा जैसे सपने से जागे हैं। उन्होंने देखा सामने एक खूबसूरत परी खड़ी थी जो सब कुछ इच्छा अनुसार देने को तैयार थी। मेरे परदादा ने सिर कटी देवी को मन ही मन प्रणाम किया और फिर इस पर इसे कहने लगे। आप मेरी मदद कीजिए। मेरे पास रुपए पैसे की बहुत बड़ी कमी हो चुकी है। यह मेरे जीवन में बड़ी मुश्किलें पैदा कर रही है। आप मेरी मदद कीजिए। किसी प्रकार मुझे धन रुपया पैसा दिलवा दीजिए। परी ने मुस्कुराते हुए कहा कि सबसे पहले यह बताओ कि मैं तुम्हारी कौन हूं और तुम्हारे साथ कैसे रहूं? इस पर मेरे परदादा ने समझदारी से कहा, आप मेरी दोस्त हैं और हमेशा दोस्त के साथ दोस्ताना तरीके से ही रहिए।

इस पर उस ने कहा कि? वह! उनके साथ रह तो सकती है लेकिन उसके कुछ नियम और कानून कायदे होंगे।

उसने कहा कि मुझे कोई भी देखने ना पाए।

मैं आपके घर में आपके साथ ही रहूंगी जब आप बुलाएंगे तब दिखने लग जाऊंगी पर अदृश्य रूप में आपके साथ ही रहूंगी। मेरे परदादा ने कहा, ठीक है! पर परी की शर्त के हिसाब से उसे कोई देखने ना पाए जब वह प्रकट हो।

मेरे परदादा ने उसकी एक शर्त मान ली थी। इस प्रकार अब! परी ने पूछा बताइए, अब मैं किस प्रकार आपको धन दिलवाऊ। मेरे परदादा ने कहा, आप चाहे जैसे वैसे मुझे धन दिलवा दीजिए। परी ने कहा, यहां से कुछ दूरी पर जंगल में एक जगह धन गड़ा हुआ है। आप वहां पर जाइए और मैं जैसा कहती हूं, उसी प्रकार खोदना है।

उनकी बात को सुनकर अब मेरे परदादा इस बात के लिए तैयार हो गए तो उन्होंने एक फावड़ा उठाया और चल दिए उस ओर जहां पर धन गड़ा हुआ था घने जंगल में एक वृक्ष के नीचे। परी ने उन्हें इशारा किया इस स्थान पर खोदो।

बहुत वर्ष पहले यहां से कुछ डाकू गुजर रहे थे। तब उन्होंने अपने धन को इसी पेड़ के नीचे छुपा दिया था। बस वही धन अब तुम को प्राप्त करना है। अब मेरे परदादा ने उस स्थान को खोदना शुरू कर दिया। कुछ देर खोजने के बाद में अचानक से ही। उनका फावड़ा किसी?

मजबूत चीज से टकराया। और उससे टन्न आवाज हुई।

उस टन्न आवाज से। वह समझ गए कि अंदर कुछ न कुछ अवश्य है। इसलिए अब उन्होंने परी की ओर इशारा किया। परी ने भी उन्हें इशारा कर कहा आगे का काम करो। वह पूरा खोदते हुए नीचे पहुंचे तो उसी स्थान पर एक संदूक रखा था। जो लोहे का बना हुआ था। उन्होंने उसे खोदकर बाहर निकाला। जैसे ही उन्होंने संदूक खोला उसमें से एक विशालकाय सर्प। सर उठाए हुए उनकी ओर लपका जिससे वह घबरा गए। उन्होंने परी को कहा, मेरी रक्षा करो! परी ने तुरंत ही उस सर्प को बांध दिया। और इनसे कहा एक दीपक लाओ और? इस मंत्र का उच्चारण करो। एक विशेष तरह का कोई मंत्र उन्होंने मेरे परदादा को दीपक जलाकर बोलने को कहा, मेरे परदादा ने जब उस मंत्र का उच्चारण किया। तो अचानक से ही आश्चर्यजनक बात घटित हो गई और वह आश्चर्यजनक बात यह थी कि सर्प अचानक से ही एक

आदमी में बदल गया और वह हंसता हुआ आकाश की ओर चला गया मेरे परदादा को कुछ समझ में नहीं आया उन्होंने उस पर इससे पूछा यह सांप कौन था ? इस पर परी ने कहा यह वही सर्प है जिस ने यहां पर अपना खजाना गाड़ा था यानी कि यह वह डाकू है जिसने यहां पर खजाना गाड़ा था मृत्यु के बाद में इसका वास इसी खजाने पर हो गया और सर्प बनकर इसी खजाने पर यह रहने लगा।

इस प्रकार से अब यह मुक्त हो चुका है और यह धन तुम ले लो। मेरे परदादा ने संदूक उठाया और घर ले आये। इस प्रकार उनके सारे कर्जे जमीन जायजाद । सब कुछ उनको उस ढंग से प्राप्त होने लगा।

यह देखकर मेरी परदादी ने उनसे पूछा। इतना पैसा रूपया कहां से लाए हो? इस पर उन्होंने कहा, यह सब कुछ मुझे एक परी ने दिया है तब मेरी दादी हंसने लगी और कहने लगी। मूर्ख बनाने के लिए क्या आप केवल में ही मिली हूं?

गुस्से में आकर मेरे परदादा ने कहा, ऐसा नहीं है। मैं उसे बुलाता हूं और वह मेरी सारी सहायता किया करती है। तुम्हें यकीन नहीं होगा। वह सब कुछ करने में समर्थ है।

पर यही पर उनसे गलती हो गई।

दादी से बहस इतनी अधिक बढ़ गई कि वह भूल गए कि उन्होंने एक वादा किया था और वह वादा यह था कि किसी भी सूरत में किसी और के सामने परी को नहीं लाना है। वरना परी उनका साथ छोड़ कर चली जाएगी। और उन्होंने परी का आवाहन कर दिया। सामने परी को देखकर मेरी परदादी आश्चर्य में पड़ गई और कहने लगी। यह दूसरी दुनिया की चीज हमारी दुनिया में कैसे आ गई है? यह कहते हुए वह आश्चर्य में पड़ गई। तभी गुस्से से। परी ने कहा, तुमने दूसरी दुनिया का राज इस दुनिया के लोगों के सामने खोल दिया है। भले ही वह तुम्हारी पत्नी है, किंतु हमारी भी मर्यादा होती हैं। दूसरी दुनिया के राज इस दुनिया में नहीं खोले जाते। मैं तुमसे बहुत नाराज हूं। और मैं इस सन्दूक को जंगल में गाड़ देती हूं। अब तक जो तुमने धन खर्च किया है, बस वही तुम्हारा है और इसे मैं गाड़ने जा रही हूं। गुस्से में परी ने उस संदूक के बचे आधे खजाने को फिर से जंगल में कहीं गाड़ दिया।

समस्या यहीं पर आ गई और इसके बाद? मेरे परदादा ने परी से माफी मांगी। बहुत मिन्नतें करने के बाद परी ने कहा, इन सिक्कों का राज इस पर लिखा हुआ। यह सही है। अगर कभी किसी ने इसको समझ लिया तो अवश्य ही उस खजाने के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेगा।

उसी खजाने के बचे हुए कुछ सिक्के मैं गुरुदेव आपको फोटो के रूप में भेज रहा हूं। अब आप समझ ही गए होंगे कि क्यों मैं अपना पता और बाकी चीजें किसी को नहीं बताना चाहता, लेकिन मेरी दर्शकों से विनती है कि आप इस सिक्के को गौर से देखें। इस पर जो लिखा हुआ है उसको कमेंट बॉक्स में बताएं ताकि मैं समझ सकूं कि इस पर क्या लिखा हुआ है? मैं? प्रतीक जी से भी कहना चाहूंगा कि उनकी सुगंधा देवी हर भाषा को समझती हैं। इसलिए वह भी मुझे इसके बारे में बताएं कि यह क्या लिखा हुआ है ताकि मैं बड़ी आसानी से अपने उस वास्तविक खजाने का राज जान सकूं जो आज भी उस जंगल में कहीं गड़ा हुआ है। अगर मुझे सच में खजाना प्राप्त हुआ तो मेरी मदद करने वाले को मैं अवश्य ही इनाम जरूर दूंगा, लेकिन कृपया मुझसे संपर्क ना करें।

गुरुदेव आप! इस सिक्के के फोटो को पूरी दुनिया को दिखा सकते हैं ताकि कमेंट बॉक्स के माध्यम से मैं उस रहस्य या उस शब्दावली को समझ सकूं और अपना और अपने परिवार का भला कर सकूं।

तो जैसा मैंने कहा था इस सिक्के के माध्यम से मैं उसे वास्तविक खजाने के रहस्य को बता पा रहा हूं। अब उसका राज इन शब्दो मे ही है। इस पर क्या लिखा हुआ है कृपया मुझे अवश्य बताइएगा। गुरुजी और बाकी दर्शकों से भी मेरा यही अनुरोध है। नमस्कार गुरु जी! और धर्म रहस्य चैनल को देखने वाले सभी दर्शकों को मेरा नमस्कार।

संदेश – इनकी कथा यहीं समाप्त हो जाती है और साथ ही साथ इस सिक्के के माध्यम से आप लोग समझ सकते हैं कि इनकी बात में सच्चाई है और इस सिक्के पर क्या लिखा हुआ है। जो भी जानता हो, यह हमें बता सकता है कमेंट बॉक्स में नीचे और। वही इनकी मदद कर सकता है।

अगर आपको यह जानकारी और कहानी पसंद आई है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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