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खजाने की खोज सच्चा आप बीता अनुभव भाग 2

खजाने की खोज सच्चा आप बीता अनुभव भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है आज हम लोग खजाने की खोज अनुभव के दूसरे भाग के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे तो चलिए पढ़ते हैं। इनके पत्र को और जानते हैं कि उस किले में इनके साथ आगे क्या घटित हुआ था?ईमेल पत्र-नमस्ते गुरुजी सबसे पहले आपको साक्षात दंडवत प्रणाम गुरु जी मैं गुरु मंत्र का जाप रोजाना कर रहा हूं और इससे कई सारे फायदे मुझे लगातार होते चले जा रहे हैं। पिछले भाग में मैंने आपको बताया था कि हम किले पर गए थे और पीपल के पेड़ के पास जब खोदना शुरू किया तो आवाज होने लगी। उस आवाज को सुनकर दिल को बहुत सुकून पहुंचा था और हमको लगा शायद इसके नीचे कुछ हो सकता है।तो मैंने भगवान शिव और माता पार्वती को याद करते हुए कहा प्रभु अगर मैंने कोई गलत काम नहीं किया है तो आज मेरी मनोकामना पूर्ण कर दो।

थोड़े ही।

झटके से हमने उस सरिया को। जिसको अंदर गाड़ा गया था बाहर निकाला और उसी जगह खोदना फिर से शुरू कर दिया। अब क्योंकि जब हम किसी चीज के अंदर जमीन में प्रहार करते हैं तो उस पर आगे मिट्टी लग जाती है तो उस

सब्बल या सरिया है उसके आगे भी कुछ चमकीली चीजें लग गई थी और उन लगी हुई चीजों को देखकर ऐसा अनुभव होता था कि अंदर कुछ अवश्य है। तो मैंने अपने मित्र को कहा जल्दी करो, मेरा मित्र जो पहले बहुत आलसी बना हुआ इस कार्य को कर रहा था। उसके अंदर गजब की फुर्ती आ गई और केवल 2 मिनट के अंदर वहां पर उसने 3 बाय 3 का गड्ढा खोद दिया।

इससे पता चलता है कि मनुष्य को जब लालच पैदा हो जाता है तो उसके अंदर कितनी शक्ति आ जाती है। मैंने उसकी ओर देखा और कहा, तुम तो मेहनत करने से भागते थे। आज तो विवेक तुमने कमाल कर दिया। विवेक भी हंसकर कहने लगा। चल ठीक है। अब इसे आगे निकालना भी तो है। हमने देखा एक मटके का मुंह दिखाई दे रहा था। इसलिए अब जल्दी-जल्दी हमें खोदना था। मटका खोदकर बाहर निकाला जिसका मुह बंद था।

मटके के अंदर जो भी था, उसको देखने की चाहत दिल में बहुत तेज हो रही थी। इसलिए हम लोगों ने जल्दी ही मटके के आगे के ढक्कन को अपने वारो से तोड़ दिया और उसका ढक्कन खुल गया और उसके अंदर हमने देखा कि बहुत सारा सामान पड़ा हुआ था। उसके अंदर चांदी के सिक्के! कई तरह की कटारे कई तरह के छोटे-मोटे बर्तन इत्यादि सब पड़े हुए थे, लेकिन सभी का रंग चांदी के जैसा लग रहा था तो हम को यह यकीन हो गया कि निश्चित रूप से यह चांदी के ही बने हुए हैं। वह लगभग 20 या 21 किलो माल रहा होगा। हम लोग बहुत खुश हुए। अब दोनों ने एक फैसला किया कि माल को आधा-आधा बांट लेंगे और एक दूसरे को वचन दिया कि एक दूसरे के साथ धोखाधड़ी बिल्कुल नहीं करेंगे क्योंकि आप तो जानते ही हैं गुरु जी इस लाइन में कितनी जल्दी आदमी बदल? जाता है और अपना विश्वास तोड़ देता है। थोड़े से खजाने के लालच के चक्कर में कभी खजाना मिलता ही नहीं है और अगर मिलता भी है तो सरकार को देना पड़ जाता है और हम कोई सरकार को देने वाले तो थे नहीं। क्योंकि अगर हम सरकार को देते तो हमें मिलता ही क्या कागजी कार्यवाही और ऐसे बहुत सारे काम थे जिसकी वजह से हमें कुछ भी प्राप्त नहीं होता। उल्टा शोर भी बेमतलब काम मच जाता।

इसलिए अब मेरे सामने और मेरे मित्र के सामने उस सामान को घर ले जाने की व्यवस्था करना आवश्यक था तो फिर हम लोगों ने वह मटका लेकर जाना शुरू कर दिया। लेकिन समस्या यह हो गई कि सुबह के 4:00 बज गए थे और गांव के लोग अपने-अपने घरों से निकलकर खेतों की ओर अपना पिछला खाना बाहर निकालने आ गए। मतलब कि सभी शौच और सार्वजनिक शौचालय बनाने जा रहे थे। उसमें बहुत सारी स्त्रियां और पुरुष मौजूद थे। गांव की यह परंपरा अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है क्योंकि घर-घर शौचालय है। लेकिन उस समय यह सबसे बड़ी समस्या थी तो हमको अब इसे किस तरह करना है, यह समझ में नहीं आ रहा था। फिर भी हमने लोगों के सामने वहां से गुजरना शुरू कर दिया। आंखें नीचे करके किसी की ओर ध्यान ना देते हुए लाल कपड़े की सहायता से ऊपर के ढक्कन को बंद कर के चलते चले गए। लेकिन लोग हमें ऐसे घूर रहे थे जैसे हमें कुछ मिल गया हो। मैं समझ गया कि घर पहुंचते ही हमें बहुत जल्दी कुछ करना पड़ेगा। वरना लोग इसकी खबर दुनिया भर में दे देंगे। हम लोग जल्दी जल्दी घर पहुंचे। घर पहुंच कर घर वालों को यह सब बात बताई स्त्रियों को कमरे में आने से मना कर दिया। केवल पुरुष ही यह सारी मंत्रणा कर रहे थे क्योंकि हम यह बात अच्छी तरह जानते हैं। स्त्रियों के पेट में कोई बात पचती नहीं है और उनकी अपच आज हमारे लिए जीवन पर संकट ला सकती थी।

इसलिए अब हम लोग तैयार थे। घर के सभी बड़े बुजुर्गों की उपस्थिति में आधा माल मैंने रखा और आधा मैंने अपने मित्र को दे दिया। मित्र ने कहा अभी फिलहाल इसे घर के आंगन में गाड़ दो क्योंकि अगर हमने यह नहीं किया तो जनता को सब कुछ पता चल जाएगा। सब को शक हो चुका है। इसलिए हमने तुरंत ही आंगन में उसे खोदकर गाड़ दिया।

और सच में वह हो गया जिसकी हम लोग कल्पना करते हुए डर गए थे। दरवाजे पर 1 घंटे बाद ही पुलिस आ गई और उन्होंने कहा कि हमने सुना है कि इस घर में जमीन से निकला हुआ कोई धन लाया गया है मैंने।

थानाध्यक्ष को कहा, आपको जरूर कोई गलतफहमी हुई है। तो उन्होंने पूछा कि कल आप लोग रात में कहां थे? तो घर के सभी सदस्य कहने लगे। यह लोग तो घर में ही थे तब थाना अध्यक्ष ने कहा, मूर्ख मत बनाओ।

तुम लोग कल रात किले पर गए थे। गांव के कई लोगों ने यह खबर दी है और तुम लोग अपने साथ एक मटका भी लेकर आए थे। तो हम लोग हंसकर कहने लगे। अरे हां एक मटका जो कल हम लोग खरीदने गए थे। एक आदमी भूल आया था। इसीलिए सुबह सुबह जाकर हमने उस मटके को वहां से उठाकर वापस घर ले आए और मैं अंदर जाकर एक पुराना मटका पुलिस वाले को दिखा कर कहने लगा कि देख लीजिए। यह वही मटका है। पुलिस वाला हम लोगों को शक की निगाह से देख रहा। उसने कहा, मुझे यकीन नहीं है। मैं सर्च वारंट भी साथ में लेकर आया हूं। अब मैं तुम्हारे घर के प्रत्येक जगह की तलाशी लूंगा। और उसने लगभग घर के अंदर सभी जगह सभी बक्सो और कमरों में गहन तलाशी लेनी शुरू कर दी, लेकिन उसे कुछ भी नहीं मिला क्योंकि मिलता कैसे मेरे मित्र की परामर्श पर मैंने आंगन में ही उसे खोदकर गाड़ दिया था। इसी कारण से उसका मिलना लगभग असंभव था। लेकिन पुलिस वाले की निगाह बड़ी तेज होती है। उसने आंगन के बीच में देखा कि यहां कुछ खुदा सा लग रहा है और इस जगह की मिट्टी दबी नहीं है जैसा बाकी जगह की मिट्टी दबी हुई होती है। वह कहने लगा। यहां पर कुछ खोदा गया है क्या?

हम सभी की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई क्योंकि अगर इस व्यक्ति ने यहां पर जो खुदवाया तो हमारा सारा भेद खुल जाएगा। तब तक गांव के लोग भी वहां आकर इकट्ठा हो गए थे। सब तमाशबीन बने हुए थे और वह सब यह जानना चाहते थे कि क्या माल इनको किले से मिला है। किले के रहस्य के बारे में सारा गांव जानता था और वहां अक्सर लोग खुदाई किया करते थे। गांव में जलने वालों की कोई कमी नहीं होती है। आप चाहे सूखी रोटी खाएं, लेकिन बगल वाला अगर रोटी भी खा गया तो उन्हें अपच हो जाती है और उनसे बर्दाश्त नहीं होता। यही कुछ गांव वालों के साथ में था। वह सब अंदर ही अंदर चिढ़े हुए यह सोच रहे थे कि यह व्यक्ति बहुत अमीर हो जाएगा।

उन्होंने तड़के सुबह जाकर पुलिस थाने में खबर दे दी थी। लेकिन अब हम लोग कर भी क्या सकते थे तभी मैंने अपनी पत्नी की ओर से

अपनी मां को इशारे से कहा, अरे मेरी तो शादी होने वाली है। उन लोगों ने यहां पर खुदवाया था पूजा के लिए अभी तक यह ऐसे ही पड़ा हुआ है। मेरी मां भी बात को समझ गई और कहने लगी। हमारे तो देवता यहां पर स्थापित हैं और उन्होंने तुरंत ही जाकर भगवान शिव का एक शिवलिंग बीचो-बीच रख दिया। और उसके चारों तरफ अगरबत्तियां लगा ली।

उनकी यह चतुराई बहुत ज्यादा कामयाब सिद्ध हुई क्योंकि शिवलिंग को हटाने की सामर्थ्य किसी भी थानाध्यक्ष में नहीं थी।

थानाध्यक्ष उनसे कहने लगा। यह क्या तरीका है और यह कौन सी परंपरा है तो मेरी मां कहने लगी। इसकी होने वाली पत्नी के घरवालों ने कहा था। आंगन में मिट्टी को थोड़ा सा खोदकर वहां पर शिवलिंग स्थापित करना, क्योंकि लड़की मंगली है। इसलिए किसी भी प्रकार से शादी में कोई रुकावट ना आए। गांव वाले कहने लगे अगर लड़की मंगली है तो शादी ही क्यों कर रहे हो, यह तो बड़ा गलत है लेकिन मेरी मां, उन्होंने कहा कि किसी की हिम्मत नहीं है जो मेरी इस भगवान शिव की पूजा में दखलअंदाजी कर सके।

उनकी चतुराई और समझ के कारण उस दिन थानाध्यक्ष को वापस लौटना पड़ा, लेकिन गांव वाले लगातार हमारे घर में ऐसे झाँकते थे जैसे कि खजाना गड़ा हुआ है और जब निकाला जाएगा तो वह सब हिस्सा लेने पहुंच जाएंगे। इसके बाद आगे क्या घटित हुआ ऐसा अप्रत्याशित जिसकी हम ने कल्पना भी नहीं की थी। असल में।

गांव में झांकी दिखाने वाले आए थे और हम सभी लोग झांकी देखने के लिए घर से बाहर निकल गए। लगभग 1 घंटे बाद जब हम वापस आए तो शिवलिंग और वह जगह पूरी खुदी पड़ी थी।

हम सब बहुत ज्यादा डर गए। इसके बाद गुरु जी क्या हुआ अगले भाग में पत्र के माध्यम से आपको बताऊंगा? नमस्ते गुरुजी!

तो देखिए यहां पर इन्होंने अपने साथ घटित हो रहे वास्तविक खजाने की प्राप्ति के अनुभव को प्रकट किया है और इसी कारण यह अपना भी पा रहे हैं तो अगर यह सत्य घटना आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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