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खुशबू वाली सुगंधा का सच्चा अनुभव 5 अंतिम भाग

प्रणाम गुरुजी

गुरुजी आपने मेरे अनुभव अपने चैनल के माध्यम से अपने सभी दर्शकों को बताये. उसके लिए मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा. और आज ये अंतिम पत्र आपको लिखते हुए बहुत खुशी हो रही है. दर्शकों की तरफ से बहुत प्यार मिला मुझे और सुगंधा को.
गुरुजी तीसरे पत्र मे मैने कहा था. की मुझे सुगंधा ने बताया है कि माता रानी के किन किन रूपों की अराधना करनी चाहिए जिससे सबसे ज्यादा फल मिलता है. तो मैं दर्शकों को बताना चाहता हू. की इसका निर्णय आप अपने गुरु से बात करके करे. क्युकि एक गुरु ही ये जान सकते है कि उनका शिष्य किस प्रकार की सिद्धि या शक्ति के लायक है. और किस शक्ति को मेरे शिष्य को अपना इष्ट बनाना चाहिए. सुगंधा ने मुझे माता गौरी के जिन जिन रूपों के बारे मे बताया कि मैं उनकी आराधना कर सकता हू. तो वही माता के कुछ ऐसे रूपों के बारे मे भी बताया जिनकी मुझे आराधना नहीं करनी चाहिए. और दूसरी बात दर्शकों से निवेदन है कि अगर आप किसी भी शक्ति की आराधना करना चाहते है तो पहले अपने गुरु की शरण मे जाइए. अगर गुरु नहीं है तो पहले गुरु बनाईये. ये बात सुगंधा के ही कहने पे मैं यहा कह रहा हू. इसीलिए शास्त्रों मे गुरु का स्थान परमात्मा के स्थान से भी ऊपर माना गया है. गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरःगुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः Guruji 11 april  को जब आपने मेरा पहला पत्र प्रेषित किया था. तब मैंने एक बात कही थी. की 29 साल lag गए मुझे, मगर अभी भी मैं ये नहीं जान पाया हू की सुगंधा kon है. Kon सी शक्ति है.?? वो कोई अप्सरा है, कोई यक्षिणी, या फिर कोई और शक्ति .??? हाँ ये अलग बात है. की मेरे जीवनशैली को उसने सुधारा, मुझे सवेरे उठने से लेकर रात को सोने तक के तरीके उसने बताये और सिखाये. और मेरे मन मे एक अजीब सी शांति और पवित्रता उसने कायम की. मैं अपना आज एक आखिरी अनुभव बताना चाहता हूँ. जब मुझे बातों बातों मे लगा कि सुगंधा एक अप्सरा है. और 25april की रात जो शायद मैं इस जीवन मे तो कभी नहीं भूलूंगा. उस रात सुगंधा के बारे में मुझे सब कुछ मालूम हुआ. की सुगंधा कौन है. और मेरे 29 saal ka इंतजार भी खत्म हो गया. 
ये बात अभी april की ही है गुरुजी. शाम को मैं रोज की तरह, ऑफिस से आने के बाद. मैं रोज जैसे नहा कर, माता तुलसी, मातारानी और महादेव जी की पूजा कर रहा था. उनको दीपक जलाते जलाते मेरे मन मे यही विचार बार बार आ रहा था. की सुगंधा kon है, kon si शक्ति है. और मैंने माता रानी से प्राथना की. कि माँ मुझे please बताये kon है सुगंधा? . ये सवाल तो मेरे मन में बचपन से था. अपनी perfume वाली aunty के बारे में सब कुछ, मैं बचपन से ही जानना चाहता था. और अब इधर कुछ दिनों से मैं, योगिनी, यक्षिणी और अप्सरा शक्तियों के बारे में search भी karta रहता था. क्युकि सुगंधा मेरे कई बार पूछने पे भी इसका जवाब नहीं देती थी. मैं ये इसलिए भी जानना चाहता था अब. क्युकी जब सुगंधा मेरी पीठ के पीछे बैठ कर मुझे कोई भी बात बताती थी. तो मैं मेहसूस कर सकता था उसको. की वाकई मेरे पीछे कोई लड़की बैठी है. उसकी परछाई, उसका स्पर्श, उसकी खुशबु, उसके आभूषणों की आवाज, मैं सुन सकता हू. धीरे धीरे सुगंधा अब मेरे और करीब आ रही थी. मतलब अब मैं उसे और अच्छी तरह महसूस कर सकता था. 17feb को उसने जहा मेरे माथे को चूमा, और इस बार होली मे जब मेरे कंधे पे सर रख कर वो पूरी दोपहर मेरे साथ लेटी रही. मुझे ऐसा ही एहसास हो रहा था कि वो इसी दुनिया की कोई आम लड़की है. क्युकी मेरी इन्द्रियों को ये सब आम lag रहा था. But मेरा मन जानता था. की ये कोई आम बात नहीं है. किसी पारलौकिक शक्ति ने मेरे माथे को चूमा था, एक पारलौकिक शक्ति मेरे कंधे पे sir रख कर लेटी थी. और शायद इसीलिए चुप चाप मैं एक ही position मे आंख बंद करके दूसरी तरफ face करके मैं लेटा रहा. पूजा करते करते मैं यही सब सोच रहा था गुरुजी. और उसके बाद खाना खा कर मैं बेड पे चला गया. और हमेशा की तरह सुगंधा मेरे बेड पे जाते ही. उसकी खुशबु जो कि हमेशा की बात है. उसके बताने का तरीका की वो आ रही है, उसके बाद कमरे मे एक अजीब सी एनर्जी की vibration, जिसके कारण मेरा शरीर थोड़ा अनुभव हीन या sense less हो जाता है. ये भी हमेशा की बात है. अब मुझे आदत pad चुकी है in चीजों की, और उसके बाद सुगंधा ki पायल की आवाज और वो मेरे बेड पे आकर बैठ गयी. और मैं हमेशा की तरह दूसरी तरफ लेट कर अपनी सेन्स लेस body को मेहसूस करने की कोशिश करते हुए लेटा था. Hath pair थोड़ा waise ही लेटे लेटे हिला leta हू. ताकि थोड़ा बहुत सेन्स तो आ जाए शरीर मे. जो एक झुनझुनी सी होती है पूरे शरीर मे वो कुछ कम हो सके. और ये हमेशा ही होता है. अब आदत pad गयी है. शुरुआत में बहुत डर लगता था. 
सुगंधा ने संस्कृत मे मेरे कान मे हंसते हुए धीरे से कहा. की पूजा करते समय आपको दूसरी बातों पे ध्यान नहीं देना चाहिए. मैंने दूसरी तरफ लेटे हुए बोला कि. अब क्या करू आप तो बताते नहीं हो. की आप kon हो. हर बार बस एक ही जवाब की देवी माँ जब चाहेगी तब सब जान जाओगे. तो ऐसे मे मुझे ही खोजने होगे ना अपने जवाब. और इतना बोलते बोलते मैंने फोन pe यूट्यूब खोला. जहा मैंने कुछ videos like करके रखे थे. एक वीडियो मैंने play कर दिया. जिसमें योगिनी, यक्षिणी, और अप्सरा के बारे मे बताया जा रहा था. और ये देख कर सुगंधा हंसने लगी. सुगंधा actually उस वीडियो की बाते सुन कर हस रही थी. और मेरा मन कर रहा था. पीछे मूड कर उसका हँसता हुआ चेहरा देखने का. लेकिन फिर सुगंधा ने कहा आप बंद कीजिए इस उपकरण को.मैं आपको योगिनी शक्तियों के बारे में बताती हू. 
सुगंधा ने बताया कि ये 64 योगिनी होती है. ये अपने उपासकों से प्रसन्न होकर संपूर्ण सिद्धियां प्रदान करने वाली होती है. और हमेशा माता की सेवा मे लीन रहती है. माँ गौरी इन्हें पुत्रियों की ही तरह स्नेह करती है. म्रत्यु लोक के आकाश मंडल मे इनके विचरण का स्थान पूर्व दिशा से ईशान पर्यंत तक होता है. सुगंधा ने मुझे बताया गुरुजी की योगनिया आठ अथवा चार हाथो से युक्त होती है. इच्छा अनुसार सस्त्र धारण करती है. इन्हें माता के शरीर से निकली हुई चौसठ ज्वाला भी कहा जाता है. जैसे अग्नि की ज्वाला छेड़ने पर, या जरा भी हवा देने पर रौद्र रूप धारण कर लेती है. उसी प्रकार ईन देवियों की भी शक्ति होती है. साधक को चाहिए. इनके सामने शांत और शीतल बना रहे. तो थोड़ी ही देर मे ये ज्वाला से ज्योति बन कर साधक के जीवन मे कभी ना खत्म होने वाला प्रकाश रूपी आशिर्वाद प्रदान करती है. इसके बाद सुगंधा ने मुझे एक एक करके सभी 64 योगनियो के बारे में बताया. और उनके शक्तियों और स्वभाव के बारे में भी बहुत सारी जानकारी दी. जहा कुछ देवियाँ बहुत सौम्या थी, तो वही अधिकतम रौद्र स्वभाव की. पत्र के आखिरी मे मैं सभी yognio के नाम बता duga. जिनका नाम लेने मात्र से शारीरिक सभी रोग और विकार दूर हो जाते है. ऐसा सुगंधा ने मुझसे कहा. और मुझे उनको प्रणाम करने के लिए भी बोला. मैंने अपनी डायरी मे उनके नाम लिखते लिखते उन्हें मन में प्रणाम किया. 
उसके बाद सुगंधा ने मुझे, यक्ष लोक के बारे में जानकारी दी. और वहां रहने वाली कुछ अति लोकप्रिय यक्षिणीयों के बारे मे बताया. सुगंधा ने बताया म्रत्यु लोक से स्वर्ग लोक जाते समय पितर लोक के पास है यक्ष लोक . यह एक बहुत ही सुंदर और रमणीय स्थान है. यहा यक्ष रहते है. और उनके साथ देवतागणों से नीचे पद के अर्थात उनके सेवक, द्वारपाल, वैद्य, इत्यादि भी इन्हीं लोकों मे वास करते है. अथवा किसी आवश्यक कार्य आने पर और आगे के लोकों मे जैसे गंधर्व लोक और स्वर्ग लोक तक भी जा सकते हैं. 
सुगंधा ने बताया कि यक्षिणी या यक्ष अगर कोई धर्म के विरुद्ध पाप कर ले तो उन्हें फिर प्रथ्वी लोक मे भी रहना पड़ता है. और एक निश्चित संख्या के मनुष्यों के पूजे जाने के बाद या उनकी मदद करने के बाद उन्हें अपना पद फिर से प्राप्त होता है. यक्षिणी तंत्र विद्या मे महान पारंगत होती है. बड़ी आँखों वाली, और स्तब्ध एकटक देखने वाली यक्षिणीया भी माता गौरी की ही भक्ति मे लीन रहती है. 
तो वही वक्र दृष्टि से देखने वाली शाकिनी . जिनके देखने भर मात्र से साधक का आधे से ज्यादा शरीर रोग ग्रसित हो जाता है. वो भी माता की ही अराधना करती है. इतना सब कुछ बता कर सुगंधा चुप हो गई. और मैंने अपनी डायरी में ये सब नोट करते हुए पूछा. और? और अप्सराएं. वो किस की अराधना करती है.? सुगंधा पहले तो थोड़ी देर चुप रही मगर फिर. सुगंधा ने हंसते हुए कहा कि अप्सराएं जो कि अत्यंत रमणीय होती है, और सुन्दर रूपवाली होती है. और अप्सराओं की आंखे भूरी होती है. सभी अप्सराएं भी माता गौरी की ही उपासना करती है. 
मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि गुरुजी की सुगंधा ने मुझे yogini, यक्षिणी, शाकिनी इनके सब के बारे मे बहुत कुछ बताया पर अप्सराओ के बारे मे सुगंधा ने मुझे ज्यादा कुछ नहीं बताया. मेरे बार बार पूछने पे भी. मैं सब कुछ जानना चाहता था. स्वर्ग लोक मे रहने वाली अप्सराओ के बारे मे. But सुगंधा ने हंसते हुए मेरी बात टाल दी. और मुझे दोबारा पूजा करते समय हमेशा पूजा पर ही ध्यान देने की बात बोलने लगी. और तभी मुझे थोड़ा शक़ हुआ कि सुगंधा हो ना हो कोई अप्सरा ही है. मेरा मन थोड़ा दुखी भी था गुरुजी, कि 29 साल हो गये. पता नहीं सुगंधा मुझे कब बताएगी. की वो कौन सी शक्ति है. और मेरे अन्दर एक जिद्द भी अब पनपने लगी थी इस बात को जानने के लिए. मैंने सुगंधा को कहा कि आप तो पूरा दिन बीत जाने के बाद आती हो. मेरे बारे में सोचा है कभी पूरा दिन मैं आपके बारे में ही सोचता रेहता हू. सुगंधा ने कहा ये मेरी मजबूरी है, प्रकृति के नियमों से मैं भी बंधी हुई हू. लेकिन अपनी तरफ से मैं हर पल ही आपके साथ हू. आप जिस लोक मैं है यहा आपके लिए एक दिन है. लेकिन मेरे लिए तो सिर्फ कुछ पल. मैं समझ नहीं पाया सुगंधा की इस बात को गुरुजी. की आखिर वो क्या कहना चाहती थी. तब सुगंधा ने मुझे काल यानि समय को अलग अलग लोक के हिसाब से समझाया. 
सुगंधा ने कहा म्रत्यु लोक और मेरे लोक मे काल की गति अलग अलग है. मनुष्य अपनी जब एक पलक झपकाता है तो उस समय को निमेष कहते है, अठारह निमेष की एक काष्ठा होती है, तीस काष्ठा की एक कला. तीस कला का एक छङ,  बारह छङ का एक मुहूर्त,  तीस मुहूर्त यानी मनुष्य का एक दिन.  तीस दिन का एक मास, दो मास  की एक ऋतु, तीन ऋतु का एक  अयन, दो अयान  का एक वर्श. मेरे बालो को सहलाते  सुगंधा  कहा कि  पितर लोक और यक्ष  लोक मे एक दिन म्रत्यु लोक के एक माह  के बराबर होता  है, पंद्रह  दिनों का शुक्ल  पक्ष रात्री होती है और पंद्रह दिनों का  कृष्न पक्ष  दिन होता है. और   मैं जिस लोक मे रहती   हू. वहा  का  एक दिन मनुष्यों के  एक वर्श   के   बराबर होता है. इसीलिए आपको ऐसा लगता है कि  आपका पूरा दिन बीत जाने  बाद मैं यहा  हू. लेकिन  मेरे लिए ये तो  कुछ  पल होते है.
मैंने सुगंधा से पूछा कि फिर आप हर कुछ सेकंड मे इतनी दूरी कैसे तय करती हो. गुरुजी सुगंधा ने बताया सूक्ष्म शरीर धारण करके. शरीर कई प्रकार के होते है. और ध्यान के द्वारा उनको जाग्रत किया जा सकता है. और सूक्ष्म शरीर के द्वारा कही भी कभी भी पहुचा जा सकता है. आप जब भी मुझको याद करते है मैं सूक्ष्म शरीर ही धारण करके आपके पास आती हू. मैंने सुगंधा से पूछा कि तुम्हारा असली शरीर फिर कहा है. सुगंधा ने हंसते हुए कहा मेरा असली शरीर ध्यान मे लीन मेरे लोक मे है. और जो कुछ यहा हो रहा है. मैं स्वप्न रूप मे समाधी मे उसे देख और मेहसूस कर रही हू. क्या मैं आपको कभी आपके real शरीर को नहीं देख सकता.? मैंने सुगंधा से पूछा. सुगंधा ने कहा देख सकते हो. मगर उसमे अभी समय है. वैसे आप झेल चुके हों मेरे स्थूल शरीर के स्पर्श को. मुझे याद आया हाँ जब मेरी पीठ जल गई थी. क्या आपके लोक मे सभी लोगों के शरीर इतने गरम होते है कि उनको छूते ही आदमी जल जाए? मैंने पूछा सुगंधा से. सुगंधा ने कहा ऐसा नहीं है. निर्भर karta है किस शक्ति की उपासना किसने ज्यादा की है, और फिर उसी हिसाब से स्वभाव और शक्तियां प्राप्त होती है. किसी के शरीर का तेज ज्यादा होता है तो किसी के पास शीतलता ज्यादा होती है. सुगंधा ने कहा कि मैंने माँ आदि शक्ति की उपासना माता रूप मे कि है. और माता गौरी ने भी मुझे पुत्री रूप मे स्वीकार कर आशीष प्रदान किया इसीलिए मुझमे उनका तेज है. और आपको भी इसीलिए माता गौरी को प्रसन्न करना है. उनका आशिर्वाद प्राप्त करने के बाद मेरा तेज आपको तकलीफ नहीं देगा. और फिर सुगंधा ने मुझको सुला दिया गुरुजी. 
Guruji bus उसी दिन से सुगंधा की वो कालचक्र वाली बात मेरे दिमाग मे घूमती रही. की मेरा एक साल यानी सुगंधा का एक दिन. Kitna bada diffrence है.? 25april की रात को सुगंधा रोज की तरह मेरे बेड पे बैठ कर मेरे बालो को sehla रही थी. और मेरे सोने के बाद सुगंधा चली जाती है. हमेशा क्युकी रात मे कई बार अगर मैं पानी पीने के लिए उठता भी हू तो न सुगंधा होती है और ना ही उसकी कोई खुशबु. मेरे एक बार सोने के बाद सुगंधा अन्तरध्यान हो जाती थी और 25april को भी सुगंधा मुझे सुला कर चली गई और रात मे मैने एक बहुत ही भयानक सपना देखा गुरुजी.
Guruji सपने मे मुझे बिल्कुल याद नहीं था कि मैं सो रहा हू. मुझे सब कुछ सत्य lag रहा था. जैसे सब कुछ सच मे हो रहा हो. और मैंने देखा कि सुबह हो गई है. सूरज निकल आया है. मैंने मन मे सोचा कि आज सुगंधा से फिर डाट पड़ेगी. इस महीने ये दूसरी बार हुआ है जब मैं ब्रह्म मुहूर्त मे नही उठा. लेकिन आज सुगंधा ने शंख और घंटी baja कर मुझे जगाया क्यु नहीं. यही सोचते सोचते मैं उठ कर बेड रूम से बाहर निकल कर जैसे ही मैं ड्राइंग रूम मे जाता हू. तो मैंने देखा waha बहुत सारी छोटी छोटी बच्चियां बैठी है. लगभग 3 या 4saal की. और सभी ने लगभग एक जैसी छोटी छोटी साड़ी पहन रखी है. और सभी मुझको देख रही है. मैंने उनसे पूछा kon है आप लोग. और अंदर कैसे आ गए आप लोग गेट तो बंद है मेरा. उनमे से एक बच्ची ने जवाब दिया खाना दो, हमे भूक लगी है. मैंने उस बच्ची से पूछा आप लोग किस अपार्टमेंट से आए है? आपके मम्मी पापा कहा है? मगर सभी बच्चियां एक आवाज मे मुझसे खाना मागने लगी. मैंने कहा इतनी सवेरे-सवेरे कुछ नहीं मिलेगा. Lockdown भी चल रहा है. किसी पुलिस वाले ने रोका नहीं तुम लोगों को? मुझे एक बार मन मे आया कि बिस्किट और नमकीन ईन सभी बच्चों को दे दु. ये लोग खाते रहे. फिर watch man se पूछूँगा की ये किसके किसके बच्चे है. मेरे घर मे घुस आये है. मेरे पास इतनी प्लेट नहीं है आप लोगों को एडजस्ट करना पड़ेगा मैंने बच्चियों से कहा . मैं इतना बोल कर बिस्किट और cookies के पैकेट मैंने एक थाली मे निकाले और एक थाली मे पूरा एक पैकेट नमकीन निकाली. कम से कम 60 या 70 बच्चियां होगी. इतने मे क्या होगा. मन मे यही सोच रहा था कि किसके बच्चे है ये सुबह सुबह. और मैंने उनके सामने ले जा कर रख दिया. मैंने कहा इसको खाओ फिर बनाता हू मैगी या चावल दाल. तो उन लोगों ने कहा. पहले हम सब स्नान करेगे. हमे पहले स्नान karwao. फिर खाएंगे. मैंने कहा अरे? अपने मम्मी पापा के पास जा कर नहाना. यहा नहाने की जगह नहीं है. चुप चाप खाओ और फिर अपने अपने घर जाओ. मैं अभी building की security वालों को बुलाता हू. तो वो लोग मुझे देख कर हंसने lag गई. एक बच्ची जो सबसे आगे बैठी थी उसने कहा अब आज से हम सभी चौसठ बहने यही रहेगी. मैं हैरान रह गया. तुम सब सगी sisters हो? उसने मासूमियत से कहा हाँ. मैंने हैरान होकर पूछा बेटा आपके मम्मी पापा कौन है कहा है.? सामने महादेव और माता गौरी जिनकी मैं रोज पूजा करता हू. उस बच्ची ने भगवान की तरफ उंगली उठा कर बोला. वो है हमारे mummy papa. और फिर सभी लोग हंसने लगी. मैंने कहा बहुत हुआ मजाक बिल्डिंग के किसी bhaiya या didi लोगों के साथ मिल कर तुम लोग कोई prank कर रहे हों तुम लोग और कुछ नहीं. कैमरा यहा कहा लगाया है ये बताओ अब. और मेरे गेट की चाभी कैसे मिली ये भी बताओ. फिर Maggie खिलाता हू तुम लोगों को. आपने हम चौसठ बहनो का नाम उस डायरी मे लिख रखा है. और ये सुनते ही मैं हैरान रह गया. सुगंधा की मुझे चौसठ yognio की बताई हुई बात याद आ गयी. और उन सभी बच्चियों ने और जोर जोर से हंसना शुरू कर दिया. और धीरे धीरे उन बच्चियों की मासूम हंसी धीरे धीरे डरावनी होती जा रही थी गुरुजी . और मेरा शरीर कांपने लगा था. मैं पसीना पसीना हो गया था. मुझे अब यकीन हो गया था कि मैं बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया हू. और हाथ जोड़ कर घुटनों के बल बैठ गया था अब किसी भी पल धड़ से सिर मेरा अलग हो सकता है, मन मे यही सोच रहा था . मैंने आंख बंद की और सुगंधा को मन मे पुकारा. सुगंधा जान बचा लो मेरी. और फिर सुगंधा की वो बात मुझे याद आयी. की (” इन 64 yognio को माता के शरीर से उत्पन्न 64 ज्वाला भी कहा जाता है, साधक को चाहिए इनके सामने शीतल और शांत रहे, तो ये अपने रौद्र रूप से तुरंत शांत रूप मे आ जाती है)… मैंने डर के मारे अपनी आंखे नहीं खोली और हाथ जोड़ कर सभी 64 yogniyo के कन्याकुमारी रूप को प्रणाम किया. मुझको ऐसा लगा कि उनमे से एक योगिनी माता मेरे करीब आयी और मुझे अपनी भारी और क्रोधित आवाज मे उन्होने मुझसे कहा. Wo देवी जिसने तुझे हम सब के बारे मे बताया वो एक सिद्ध शक्ति हैं. उनके आने पर तुझे बिस्तर और शयन कक्ष का त्याग कर के. विनम्रता पूर्वक उन्हें प्रणाम करना चाहिए. क्या तुझमे इतना भी शिष्टाचार नहीं. वो आकर तुझको  तेरी निद्रा से जगाए तब तू जागेगा. या तुझे खुद ब्रह्म मुहूर्त मे उठ कर उनका ध्यान करना चाहिए. वो स्वर्ग लोक की कुछ सिद्ध अप्सराओ मे से एक है उन्होंने मुझे सुगंधा का dev lok का असली नाम भी बताया और फिर सभी देवियाँ अन्तरध्यान हो गई. और पसीने से लतपथ मेरी नीद भी खुल गई.
Guruji dar के मारे मेरा शरीर kaap रहा था. Mujhse उठ कर लाइट भी नहीं जलाई जा रही थी. ऐसा lag रहा था कि पूरा बदन मेरा akad गया हो. और मुझे लकवा मार जाएगा. मैंने किसी तरह लाइट जलाई. और time देखा तो सुबह के 4:30am भोर हो गई थी. Mera गला सूख रहा था. लेकिन किचन में जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. Kyuki मुझे हॉल से होकर किचन मे जाना पड़ता. और मैं हाल मे अपने नहीं जाना चाहता था. सूरज निकलने के बाद मैं किचन में गया और फिर पानी पिया मैंने. और बेसब्री से पूरा दिन सुगंधा का इंतजार किया. की किसी तरह शाम हो, सुगंधा आए तो उसको ये सब बताऊ. पूरा दिन बिस्तर पे नहीं लेटा मैं. Drawing haal को तो देख कर ही डर lag रहा था. और पूरा दिन अपनी balcony मे कुर्सी लगा कर बैठा रहा. शाम हुई तो हाल मे ही छटाई बिछा कर leta रहा किसी तरह. दिन भर कुछ खा पी भी नहीं पाया. रात को सुगंधा की खुशबु आते ही. मैं उठ कर बैठ गया. और आंख बंद करके दोनों हाथ जोड़ कर टूटा foota जो भी साबर मंत्र मुझे मिला इन्टरनेट से सुगंधा का मतलब जो योगिनी माता ने जिन अप्सरा का नाम बताया था. उनका मंत्र मैं japne लगा. सुगंधा ने जैसे मुझे ये सब करते देखा तो दौड़ कर जैसे मेरे हाथ पकड़ लिए हो. एक पल के लिए तो मैं डर गया लेकिन जब सुगंधा ने मुझसे संस्कृत मे कहा ये क्या कर रहे है आप? तब मुझे थोड़ी राहत मिली कि सुगंधा ही है.
मैंने सुगंधा को सारी बात बतायी. मैंने कहा मुझे बहुत डर lag रहा है. सुगंधा ने मुझे फिर से बिस्तर पर चलने के लिए कहा. मैंने हाथ जोड़ कर मना कर दिया. तो सुगंधा ने मेरे सामने बैठ कर मेरे गालों पर हाथ रख कर मुझसे कहा (त्याज्यतामेतात) जाने दीजिए. मैं आपके साथ हू. आप बेड पे चलिए. मेरे मना करने के बाद भी सुगंधा मुझको मेरा हाथ पकड़ कर बेड पे ले कर गई. मैंने अपनी आंख बंद ही करके रखी गुरुजी. एक बार भी नहीं खोली. सुगंधा ने अपनी मीठी आवाज मे मुझे बेड पे बैठने के लिए कहा (इदम आसानम उपविषयाताम). मैं बैठ गया . मैं दिन भर से दुखी था और दिन भर बाद सुगंधा की मधुर आवाज सुन कर मैं थोड़ा भावुक हो गया और रोने भी लगा. (सर्व शोभनम. सर्व शोभनम) सब ठीक है, सब ठीक है Kehte हुए सुगंधा ने मेरे आंसू पोंछे. सुगंधा ने कहा मैं पानी लाती हू, तुम आराम से बैठो (सुखम उपविषयाताम, अहम जलम आनयामि) मैंने पानी पिया और फिर सुगंधा मुझसे थोड़ा पीछे गई और फिर उसने मुझसे कहा अब अपनी आंख खोलो (निज नयनयम उनमिशति) मैंने कहा नहीं सुगंधा. कल पूरी रात बहुत कुछ देख चुका हू. अब और कुछ देखने की हिम्मत नहीं है. सुगंधा ने कहा मुझे माफ़ कर दो. अब ऐसा नहीं होगा. मैं वचन देती हू. अपनी आँखों को kholo. सुगंधा के बार बार कहने पर मैंने अपनी आंखे खोली. और सुगंधा मेरे सामने खड़ी थी. सफेद साड़ी मे, उसके लंबे रेशमी बाल खुले हुए थे, जिनमे सफेद और पीले रंग रंग के फूल लगे थे, और कई तरह के आभूषण उसने ऊपर से नीचे तक पहन रखे थे. और सुगंधा के खूबसूरत चेहरे को देख कर मेरा सारा दर्द और डर खत्म हो गया. अक्षय तृतीया के दिन 26 तरीक को मैंने सुगंधा के दर्शन Pehli बार किए थे. अपनी खुली आँखों से. लेकिन मेरे मन में एक सवाल भी था. की इस समय तो आपकी हाइट नॉर्मल यहा की ladkio जैसी ही है. But जब आपने Pehli baar mujhe new year ke time pe सपने में दर्शन दिए थे. तब तो आप 8 ya 10feet की aram से रही होगी. सुगंधा ने कहा कि वो मेरा वास्तविक रूप था. ये मेरा सूक्ष्म रूप है. इस रूप मे आप जलेंगे नहीं मेरे तेज से. मैंने कहा हाँ सुगंधा मुझे तुम्हारे शरीर के पीछे दीवाल थोड़ा थोड़ा दिखाई दे रही है. मैंने कहा तो अब मुझे दूसरी taraf लेटने की जरूरत नहीं.??? सुगंधा ने कहा बिल्कुल नहीं. और मुझे हमेशा सुगंधा नाम से ही बुलाना. मुझे ये नाम पसंद है. मैंने confirm करने के लिए की दोबारा तो वो देवी माता नई आएगी मुझे मारने.? सुगंधा ने मेरे हाथ को पकड़ कर ये वचन दिया मैं वादा करती हू, अब ऐसा नहीं होगा. मैं बात करूंगी उन शक्तियों से, वैसे वो शक्तियां कभी आपका अनिष्ट नहीं करेगी क्युकी आप माँ भगवती की पूजा करते है. माता के ही आदेश से वो आयी होगी आपकी मदद करने. मगर मैं एक बार ध्यान के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश करूंगी उनसे. बस आप कोई गलती मत करना. माता गौरी की पूजा मे तो बिल्कुल भी नहीं. 
मैंने सुगंधा से आखिरी सवाल पूछा कि क्यु कर रही हो आप मेरे लिए इतना सब कुछ? सुगंधा ने कहा माता रानी की कृपा से सब जान जायेगे आप एक दिन, जैसे आज आप मुझे जान गए कि मैं कौन हू. एक दिन खुद को भी जान जायेगे. की आप मेरे kon है. सुगंधा का गला भर आया था ये बोलते हुए गुरुजी. और 26april के बाद से अब मुझे दूसरी taraf मूड कर सुगंधा की बात ध्यान से सुन सुन कर नहीं लिखनी पड़ती है अब. ब्लकि अब मैं सामने बैठ कर सुगंधा की बातों को संस्कृत मे ही नोट करने की कोशिश karta हू. और सुगंधा मुझे संस्कृत padha भी रही है आज कल. और मैंने रोज दो तीन घंटे ध्यान लगाना भी शुरू कर दिया है. मैं सुगंधा का असली नाम यहा नहीं ले सकता हू गुरुजी. सुगंधा ने ही मना किया है. आपको और सभी दर्शकों को प्रणाम karta hu. और अपना ये आखिरी पत्र समाप्त karta हू.. आखिरी मे सुगंधा के बताये अनुसार सभी योगिनी शक्तियों के नाम इस प्रकार है, माता के आशिर्वाद से मैं ईन सभी के दर्शन कर पाया. नाम है :- 1)अक्षोभया  2)रुक्षकरणी 3)राक्षसी 4) क्षपणा 5)क्षमा 6) पिंगाक्षी 7)अक्षया 8)क्षेमा 9)इला 10)नीलालया 11) लोला 12)रक्ता 13)बलाकेशी 14)लालसा 15)विमला 16)हुताशा 17)विशालाक्षी 18) हीन्कारा 19)वडवामुखः 20) महाक्रूरा 21)क्रोधना 22)भयँकरी 23)मटानना 24)सवृज्ञा 25)तरला 26) तारा 27)ऋगवेदा 28)हयानना 29)सारा 30)रससंगाृही 31)शबरा 32) ताल जँगिका 33)स्काशी 34)सुपृसिध्दा 35)विधुजिव्हा 36) करडिणी 37) मेघनादा 38) पृचँणा 39) उगाृ 40)कालकर्णी 41)चन्दाृ 42) चन्दाृवली 43)वरपृदा 44)पृपज्जा 45)पृलयन्तिका 46)शिशुवक्त्रा 47) पिशाचनी 48) पिशिता सवलो लुपा 49)धमनी 50) तपनी 51)रागिणी 52)विकृतानना 53)वायुवेगा 54)बृहत्कुक्षी 55)विकृता 56) विश्वरूपिका 57) यमजिव्हा 58)जयन्ती 59)दुर्जया 60)यमान्तिका 61) विडाली 62)रेवती 63) पूतना 64)विजयान्तिका.
Guruji आपको और धर्म रहस्य चैनल के सभी दर्शकों को मैं प्रणाम karta hu माता रानी की जय हो माता रानी सबका कल्याण kare

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