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खूबसूरत अप्सराओं से दोस्ती 3 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अप्सराओं से दोस्ती और प्रेम का यह अंतिम भाग है। पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं। आखिर में इनके साथ क्या घटित हुआ था?

प्रणाम गुरुजी मैंने अपना अनुभव अप्सराओं से दोस्ती और प्रेम के पहले भाग भेजे थे। यह उसका अंतिम भाग में भेज रहा हूं। तो उस दिन पीलू और पिंकी से मिलकर जब मैं घर आया तो मैं यह बात जान गया था कि वह दोनों मेरी तरह इंसान नहीं है बल्कि स्वर्ग लोक से आई हुई है। यह बात सिद्ध हो चुकी थी। मैंने रात को खाना खाया और अपने बिस्तर पर लेट गया। मैं सोचने लगा। बचपन से लेकर आज तक किसी भी लड़की से मैंने कभी दोस्ती नहीं की थी। मैं चाहता तो जरूर था कि लड़कियों से दोस्ती करूं, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं होती थी किसी से भी बात करने की। और जब आज जाके दो लड़कियां मेरी दोस्त बनी तो पाया कि वह दोनों तो इंसान ही नहीं है बल्कि स्वर्ग से आई हुई शक्तिशाली अप्सराएँ हैं उन्होंने!

मेरी जान भी बचाई जो कि भेड़िया था। वरना मैं तो कब का मर चुका होता। मैंने सोचा कि उन दोनों की खुशी के लिए मुझसे जितना भी हो पाएगा। मैं करूंगा। कभी भी अपने मन में उनके प्रति कोई खराब भावना नहीं आने दूंगा। चाहे वह कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो। हमेशा उनका एक सच्चा दोस्त बनकर ही रहूंगा। यह सब सोचते सोचते मुझे नींद आ गई और मैं सो गया। अब से मैं अपने ज्यादातर खाली समय उनके साथ ही बिताता था। हफ्ते में चार से पांच बार भी मैं उनसे मिलने जाया करता था। वह दोनों भी मुझसे मिलकर उतना ही खुश होती थी जितना कि मैं। अक्सर देखता था कि दोनों बहने आपस में बहुत प्यार करती हैं। किसी बात को लेकर कभी भी वो झगड़ते नहीं थी। मैंने एक बार उनको बोला, तुम दोनों में कभी भी झगड़ा नहीं होता। क्या मेरे और मेरे भाइयों के बीच तो बहुत बार हुआ है? छोटी छोटी चीजों को लेकर होता रहता है। पिंकी पीलू बोली, क्योंकि हम दोनों हमारे पिताजी के शरीर के दो भागों। है इसलिए! हम दोनों दोनों एक जान की तरह ही है जब हम में से कोई एक दुखी होता है तो दूसरी को भी दुखी! वह कर देता है कोई एक खुश हो तो दूसरी भी खुश हो जाती है। वह तो यह भी बोली कि अगर दोनों कभी शादी भी करेंगे तो एक ही पुरुष से करेंगे।

उनकी यह आखिरी बात सुनकर मैं हंस पड़ा। वह बोली क्या हुआ रिंकू हंस क्यों रहे हो? मैं बोला एक पुरुष तो एक ही स्त्री संभाल नहीं पाता। फिर तुम दोनों तो। उस बेचारे! उसकी किस्मत ही बर्बाद कर दोगी। यह सुनकर पीलू और पिंकी भी हंस पड़ी और बोली हां बात तो सही है। हम सब ऐसे ही मिलते रहे। मैं अपनी पॉकेट मनी से कुछ पैसे बचाकर समय-समय पर उनके लिए चॉकलेट भी खरीद लेकर जाता था क्योंकि वह उन्हें बहुत पसंद आती थी। वह खुद भी कहती थी। मुझे भी अपने हाथों से खिला देती थी। हम सब कभी एक साथ तालाब में खेलते और कभी बातें करते हुए जंगल में इधर से उधर घूमते थे। कभी वह दोनों मुझे अपना सुरीला गाना सुनाती तो कभी तालाब के किनारे बैठकर हम सब हंसी मजाक करते। बातों बातों में पिंकी और पीलू मुझसे हमारे इस भौतिक जगत और इसके बाहर के।

आध्यात्मिक जगत के बारे में बहुत कुछ बताती थी। जैसे कि कालखंड क्या होता है? मन्वंतर क्या होते हैं कैसे? 14 मन्वंतर का एक कल्प बनता है कैसे?

कैसे विष्णु लोक, ब्रह्म लोक, कैलाश लोक स्वर्ग, लोक मित्र लोग, पृथ्वी लोग और पाताल लोक आदि लोगों को मिलाकर एक ब्रह्मांड की रचना होती है। दैनिक पहले और महाप्रलय कब कब होते हैं और इन में क्या अंतर होता है, यह सब मुझे बताया करती थी। वह दोनों और भी बताती थी जैसे कि बहुत से अलग-अलग ब्रह्मांड होते हैं। यह सब अलग-अलग ब्रह्मांड महाविष्णु के शरीर से निकलकर।

प्रणोदक सागर में तैरती रहती हैं और! बाद में महाविष्णु में ही समा जाते हैं इस। सागर के ऊपर की तरफ भगवान का परमधाम होता है जहां पर भगवान की कृपा के बिना कोई भी नहीं पहुंच सकता है भगवान के इस परमधाम के अंदर भगवान के अलग-अलग रूप और अलग-अलग लोक हैं जैसे कि भगवान विष्णु का बैकुंठ श्री राम का अयोध्या लोग द्वारकाधीश श्री कृष्ण का द्वारका  श्री कृष्ण का गोलोक वृंदावन भगवान सदाशिव का सदाशिव काशी। माता दुर्गा का दुर्गा लोक माता काली का काली धाम देवी तारा का तारिणी लोक आदि 10 महाविद्याओं के अलग-अलग लोक ऐसे ही भगवान के बहुत से लोक वहां पर हैं। जिस साधक या भक्तों की जिस देवी या देवता में श्रद्धा होती है, देवी और देव की कृपा से वह साधक या भक्त मरने के बाद उन लोको में जा सकते हैं। ऐसी बहुत सी बातें मुझे बताएं और मुझे बहुत खुशी होती थी। एक बार की बात है। मैं पिंकी और पीलू से मिलने गया तो देखा कि वह दोनों तालाब में तैर रही थी तो किनारे पर बैठकर में उन्हें देखने लगा। मुझे देखकर वह बोली रिकू! तुम भी आ जाओ हमारे साथ बहुत अच्छा लगेगा। मैं बोला नहीं नहीं, मैं यही ठीक हूं तो वह दोनों हंसी और मजाक करते हुए तालाब से ऊपर पानी फेंकने लगी और मुझे भिगो दिया। तब भी जब मैं तालाब में नहीं उतरा। तो उन दोनों ने मेरा दोनों टांग पकड़ लिया और घटित कर मुझे तालाब में फेंक दिया।

वह दोनों हंसते हुए लोटपोट हो रही थी। उनकी हंसी रुक ही नहीं रही थी। तालाब से निकलकर मैं बोला, तुम दोनों आजकल बहुत शरारत करने लगी हो। मेरा एक बात भी नहीं सुनती हो। वह दोनों हंसते हुए बोलने लगी। तुम एक ही दोस्त हो, हमारे तुम्हें ना सताएंगे तो आखिर किस को सताएंगे। यह बोलते हुए उन्होंने फिर एक बार मुझे तालाब में फेंक दिया। देखते-देखते 3 साल गुजर गए और हमारी दोस्ती भी गहरा दी गई। मैं उन दोनों को सिर्फ एक दोस्त की नजर से ही देखा करता था पर पिंकी और पीलू कब मुझसे प्यार कर बैठी। मैं समझ ही नहीं पाया। कुछ दिनों से मैं देख रहा था। जब भी मैं उन दोनों से बात करता तो वह दोनों मुस्कुराते हुए बस मुझे घूरती रहती। जब मैं पूछता हूं कि क्या हुआ तुम दोनों को तब पीलू और पिंकी शरमा जाती और अपनी नजरें हटा लेती। एक बार तालाब के किनारे हम सब बैठे हुए थे और उनका फिर से वही हाल था। मैंने पूछा, आखिर क्या हुआ है तुम दोनों को क्या सोचती रहती हो तुम दोनों? पिंकू और पीली वाली रिकू सच सच बताओ। क्या तुम्हें कुछ भी समझ नहीं आता। मैं बोला नहीं क्या हुआ वह दोनों बोली तुम्हारी उम्र 22 की हो गई है। लेकिन तुम अभी भी 1 बच्चे जैसे हो। अब तो हमारी बात समझ जाओ। तब वह दोनों मेरे हाथ पकड़ कर बोली। हम दोनों तुमसे प्यार करते हैं। उनको मैं बोला, तुम दोनों ऐसा कैसे कर सकती हूं। मैं एक इंसान हूं पर तुम दोनों स्वर्ग की अप्सराएं हो। वह दोनों बोली। सब हो सकता है रिंकू बस तुम हमारी बात मान लो। यह साल हमारे!

समय का आखरी साल है। इस बार की शारदीय नवरात्रि खत्म होने पर जो पहली पूर्णिमा की तिथि आएगी। उस दिन हमारे पिताजी हमें वापस ले जाएंगे। उस दिन तुमको भी हम अपने साथ हमारे लोक ले जाएंगे, पर उसके लिए तुम्हें अपने परिवार वालों और अपने इस इंसानी शरीर को छोड़ना होगा। तुम हमें ना मत कहना छोड़ दो अपना शरीर और अपने परिवार वालों को। मैंने कहा, यह तुम क्या कह रही हो?

यह सब सुनकर मुझे बहुत ही ज़्यादा गुस्सा आया। जिनको मैं अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता था, जिन को इतना सम्मान देता था। आज वह दोस्त मुझे बोल रही थी। अपने माता पिता को छोड़ दो। मैं पीलूऔर पिंकी से बोला, तुम दोनों की हिम्मत कैसे हुई मुझे ऐसा बोलने कि मैं अपने माता-पिता को कभी नहीं छोड़ सकता। नहीं, मैं तुम दोनों को कोई बात नहीं मानूंगा और नहीं आज से तुम दोनों मेरी दोस्त हो। आज के बाद मैं यहां कभी नहीं आऊंगा। गुस्से में मैं वहां से जाने लगा तो उन दोनों ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली ऐसा मत बोलो, रिकू हम दोनों सच में तुम्हें चाहते हैं। मत जाओ तब मुझे और भी ज्यादा गुस्सा आया। मैंने झटका मारकर अपने दोनों हाथ उनके हाथों से छुड़ाए और जंगल से बाहर निकल । वह दोनों बहुत रो रही थी लेकिन मैं उनकी तरफ ध्यान ही नहीं रहता। इस दिन के बाद पूरा तीन हफ्ता में जंगल में नहीं गया।

3 हफ्ते बाद रात को एक सपने में मैंने देखा पिंकी और पीलू बहुत रो रही थी और उस दिन के लिए माफी भी मांग रही थी। सुबह उठकर मैंने सोचा एक बार जाकर उनसे मिल ही लेता हूं। अब तो बस कुछ ही दिन रह गए हैं उनके वापस जाने के लिए सुबह थी 2020 के अक्टूबर महीने की 16 तारीख। मैंने पहले की तरह उनके लिए चॉकलेट खरीदी और जंगल की तरफ चल पड़ा। तालाब के पास जब मैं पहुंचा तो देखा कि पी लो और पिंकू तालाब के किनारे जमीन पर पड़ी हुई थी। वह तब भी रो रही थी। रो रो कर उनका बुरा हाल था। उनके लंबे लंबे बाल बिखरे हुए थे और उनके गुलाबी और पीले रंग की साड़ी पर धूल मिट्टी लगी हुई थी। फूल से बने हुए उनके सारे गहने कंगन और सब बुरी तरह सूख चुके थे। मुझे बहुत दुख हुआ। यह सब देखकर मैंने उनका पुकारा पिंकी पीलू यह क्या हुआ है। तुम लोगों को जब उन्होंने मुझे देखा तब पागलों की तरह गिरते पड़ते हुए वह दोनों मेरे पास आई और मेरे गले से लग कर बहुत जोर जोर से रोने लगी। रोते हुए वह दोनों गुस्से से बोली कहां मर गए थे। इतने दिन हम से मिलने क्यों नहीं आए और फिर उन्होंने मुझे बहुत मारा मेरी बहुत पिटाई होने के बाद वह दोनों फिर से रो पड़ी और मुझ से माफी मांगने लगी। मैं बोला मैंने तो तुम दोनों को।

कब का माफ कर दिया? अब छोड़ो इन बातों को यह देखो मैं तुम दोनों के लिए चॉकलेट लाया हूं।

खा लो यह सब सुनकर उन दोनों ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और चूमने लगे। फिर जब वह बैठकर चॉकलेट खा रही थी, मैंने उनके बिखरे बालों को ठीक किया सूखे हुए।

को उनके शरीर से हटा दिया और उनके ऊपर लगी हुई धूल मिट्टी को भी साफ किया। फिर मैं पिंकी और पीलू को बोला। अब दुखी मत रहो तुम दोनों अब तो सिर्फ 14 दिन की बात है। तुम दोनों वापस जाने वाली हो। यह बाकी के दिन मैं रोज यहां आऊंगा। तुम दोनों से मिलने तब वह बोलने लगी। हम कहीं वापस नहीं जाएंगे। मैं बोला क्यों? तो वह दोनों बोली, हम अब से तुम्हारे साथ तुम्हारे घर में ही रहेंगे। लेकिन पहले तुम हमारे मंत्र की साधना करोगे और हम दोनों को पत्नी रूप में सिद्ध करोगे। कम से कम अब तो हमारी बात मान लो। मैंने बोला ठीक है, मैं साधना करूंगा। लेकिन कैसे तब पिंकी और पीलू बोले आज से शारदी नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि शुरू हो रही है। आज से लेकर चतुर्दशी के बाद का जो पहली पूर्णिमा आ रही है मतलब जिस दिन हमें वापस जाना है इन 15 दिनों तक हर रात को तुम हमारे मंत्र की 21 माला का जाप करोगे। हम दोनों का एक ही मंत्र है।

जिस के जाप से हमारे पिताजी ने हमें जन्म दिया था। फिर उन बहनों ने मेरे कान में 16 अक्षरों का एक मंत्र दिया, जिसे मुझे जपना था। मैंने पूछा, तुम दोनों अपने पिताजी से क्या कहोगी तो वह बोली हम? उन्हें सब सच बताएंगे। वह हमारी बात जरूर मानेंगे। अभी घर जाओ रे को, लेकिन रात को तैयार रहना मैं घर आया और रात को इंतजार करने लगा। मेरे पास एक प्राण प्रतिष्ठित माला थी जो कि मेरे दादाजी की भी रात को जब सब सो गए तब मैं अपने कमरे में अपने बिस्तर के ऊपर बैठकर। भोले बाबा और मां काली को प्रणाम किया और उस माला से मंत्र जाप शुरू कर दिया। जब मेरा 10 माला पूरा हुआ। तब मैंने देखा कि पिंकी और पी लो मेरे कमरे में आ गई। वह दोनों मेरे दो साइड में आकर बैठ गई और मुस्कुराते हुए मेरा सिर और पीठ सहलाने लगे फिर सुबह

आ जाती और ब्रह्म मुहूर्त के समय वापस चली जाती। मेरी साधना ऐसे ही चलती रहे। साधना करते हुए नगर। रात्रि की अष्टमी की तिथि आ गई।

मैं रात को जॉप करने बैठा तब रोज की तरह पिंकू पीने बक्सा मेरे पास बैठ गई, लेकिन उस दिन कुछ अलग हुआ जैसे ही मेरे 10 माला पूरी हुई। मेरी आज्ञा चक्र पर दर्द होने लगा। 21 माला पूरा जाप करने तक वह दर्द चला। मैंने पीलू पिंकू से इस दर्द की वजह पूछी तो वह कुछ भी बता नहीं पाए। वह बोली शायद थकान की वजह से ऐसा हो रहा है। तुम सो जाओ रिंकू फिर रोज की तरह से लाते हुए उन दोनों ने मुझे फिर रोज की तरह से लाते हुए उन दोनों ने मुझे सुला दिया। लेकिन साधना में आगे चलते हुए यह दर्द बढ़ता ही जा रहा था। अब तो सिर्फ रात में जाके टाइम ही नहीं बल्कि पूरा दिन मेरे सिर में छाती के बीच में मेरे आज्ञा चक्र और बहुत सर भी भारी था। पिंकू और पीलू भी नहीं समझ पा रही थी कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है। फिर चतुर्दशी की तिथि आ गई। मतलब कि मेरी साधना का जो आखिरी दिन था, उसके ठीक आगे का दिन मैंने जाप शुरू कर दिया था। लेकिन पिंकी और पी लो अब तक मेरे पास नहीं आई थी। मुझे चिंता होने लगी। एक तो मेरा दर्द बढ़ता ही जा रहा है और वह दोनों भी आज मेरे पास नहीं आई है।

इतने में ही मेरा दर्द इतना ज्यादा हो गया कि मैं नहीं जा बंद कर दिया। मेरा सर बहुत ही भारी हो चुका था। पूरा शरीर दर्द से फटा जा रहा था। मुझे लगा कि मैं मर ही जाऊंगा इसलिए बात। इसके बाद मुझे क्या हुआ कुछ ठीक से याद नहीं पर शायद दर्द की वजह से उस रात मैं बेहोश हो गया था। उस रात को मैंने कुछ अजीब सा देखा। वह सपना था कि हकीकत मुझे नहीं पता। मैंने देखा कि मैं अपने बिस्तर में सोया हुआ था और दर्द से चिल्ला रहा था। तभी पिंकी और पीलू मेरे पास आई और मुझे सहलाने लगी। उनके ऐसा करने से मेरा दर्द कम हो गया। मैं बोला, तुम दोनों कहां थी अब तक आज आई क्यों नहीं वह दोनों बोली, हम अब तो आ गए हैं।तुम चिंता मत करो, हम सब ठीक कर देंगे। फिर वह दोनों मेरे साथ बिस्तर पर सो गए और मेरे शरीर को सह लाते हुए मुझे चूमने लगी। मैंने पिंकी और पीलू को बहुत रोकने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी और उन दोनों ने मेरे साथ जबरदस्ती संभोग कर लिया। इसके बाद का दिन पूर्णिमा तिथि का था मतलब मेरी साधना का आखरी दिन तारीख थी 2020 की अक्टूबर की 30 तारीख।

सुबह जब मेरी आंखें खुली तब घड़ी में 6:00 का टाइम था। मैं सोच रहा था कि कल रात को आखरी मेरे साथ क्या हुआ था? जो सब मैंने देखा वह सपना था या हकीकत मैंने महसूस किया कि मेरे शरीर का पूरा दर्द जा चुका है जैसे कि मुझे कुछ हुआ ही नहीं था। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ गया और देखा कि मुझे वह स्वप्नदोष हो चुका है। मेरी साधना खंडित हो चुकी है। जानकर मुझे बहुत दुख हुआ। मैंने सोचा पिंकी और पीलू को आखिर क्या मुंह दिखाऊंगा। कैसे कहूंगा कि मैंने अपनी साधना खंडित कर ली। मैं तब बहुत रोया मैं पिंकी और पीलू से मिलना चाहता था तो सुबह 10:00 बजे मैं उन दोनों के लिए कुछ चॉकलेट खरीदी और जंगल की तरफ चला गया। तालाब के पास पहुंचा तो देखा पिंकू और पीलू के साथ एक बहुत ही सुंदर आदमी खड़ा था। उसके कपड़े सफेद रंग के और उसकी पगड़ी लाल रंग की थी। उसके गले में एक रुद्राक्ष की माला लटक और लंबी से या उसके चेहरे पर तिलक था। हाथ में एक सोने की बनी हुई वीणा की पीलू और पिंकी मुझे देखते ही मेरे पास चली आई और बोली अब तुम कैसे हो? रितु शरीर का दर्द ठीक हुआ कि नहीं? मैं बोला हां मैं ठीक हूं, लेकिन मुझे तुम दोनों को सच बताना है।

वह दोनों बोली हमें सब पता है। रिंकू पहले तुम इधर आओ। इनसे मिलो यह हमारे पिताजी गंधर्व देव उत्तरायण हैं। मैं उन गंधर्व देवता के पास पहुंचा तो वह बोले, आओ रीको बेटा तुम्हारे शरीर का दर्द अब ठीक तो है ना मैं बोला हां गंधर्व जी, मैं ठीक हूं तब। उत्तरायण जी बोले मेरी बात ध्यान से सुनो रीको मुझे मेरे गुरुदेव श्री बामदेव ने बताया था। मेरी इन दोनों बेटियों का जन्म महाकालेश्वर शिव और माता दक्षिण काली के आशीर्वाद से हुआ है। इसलिए इन दोनों के अंदर असीम शक्ति है। अगर कोई इंसान अपनी पूरी जिंदगी ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए और मां दक्षिण काली और महाकालेश्वर शिव की साधना भक्ति करते हुए बिताता है तो मरने के बाद उस इंसान को एक दिव्य शरीर मिलेगा। सिर्फ और सिर्फ पूछ रहे का दिव्य शरीर धारी जीवात्मा की मेरे इन दोनों बेटियों की पूरी शक्ति अपने अंदर संभाल पाएगा। कोई भी? मामूली इंसान इन दोनों को ऐसे ही सिद्ध नहीं कर सकता। मेरी बेटियों को यह बात पता नहीं थी और उन्होंने तुम्हें उनके मंत्र की साधना में बिठा दिया था। जरा सोचो अगर तुम इस मंत्र का अनुष्ठान पूरा कर लेते और मेरी बेटियों की शक्ति तुम में प्रवेश करती तो तुम्हारा क्या होता? तुम्हारा यह शरीर फटकर बहुत से टुकड़ों में बिखर जाता। ध्यान लगाकर मेरी अपनी बेटियों पर नजर रखना।

कालीघाट में उनकी साधना उन दोनों का इस जंगल में आना। तुमसे मिलना उन दोनों का तुम्हारे प्यार में पड़ जाना। यह सब मैंने देखा था। पर जब इन दोनों के कहने पर तुमने साधना शुरू की तब मुझसे रहा नहीं गया। मैं नहीं चाहता था कि मेरी दोनों बेटियां जिसे पसंद करती हैं, उनकी मौत इन दोनों की वजह से हो जाए इसलिए! इस काल के खत्म होने के 1 दिन पहले। मैं इन दोनों के पास चला आया। मैंने ही प्रमाणिका और प्रबोध ही का को कल रात तुम्हारे पास भेजा था ताकि वह दोनों तुम्हारी साधना भंग कर दे। इन दोनों ने तुम्हारे शरीर की ऊर्जा को तुम्हारे शरीर से बाहर निकाल दिया और तुम बच गए।

उत्तरायण जी की बात सुनकर मैं समझ चुका था कि रात मैंने जो कुछ देखा, वह सब सच था। मैंने उत्तरायण जी से पूछा कि मुझे अब क्या करना चाहिए। ताकि में पिंकी और पीलू को पा सकूं। तब वह बोले, तुम्हें अपनी पूरी जिंदगी ब्रम्हचर्य में रहकर शिव और शक्ति की भक्ति करते हुए बितानी होगी। सिर्फ तभी तुम को अगले जन्म में ऐसा शरीर में मिटा सकता है जिसमें तुम इन दोनों की असीम शक्ति को संभाल सकोगे। इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है तो बोलो क्या तुम यह कर पाओगे। अपनी पूरी जिंदगी ब्रम्हचर्य में रहने कोई आसान बात नहीं है। फिर कुछ देर तक सोचने के बाद में उत्तरायण जी से बोला, मैं जानता हूं कि? पिंकी और पी मुझसे बहुत प्रेम करती हैं। यहां तक कि वह मुझे जैसे मामूली इंसान के लिए स्वर्ग लोक तक को छोड़ने को तैयार थी। मैं चाहता हूं कि मैं भी इनके लिए कुछ करूं। मैं अपनी पूरी जिंदगी ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए तैयार हूं। आप बताइए कि मुझे क्या करना होगा। तब उत्तरण जी बोले। रोज सुबह के समय नहाने के बाद तुम्हें शिव पंचाक्षर मंत्र की 11 माला और सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का 11 पाठ करना होगा। फिर जब आधी रात के समय आएगा तब तुमको।

करपुरादा काली स्त्रोत और महाकाल स्त्रोत का पाठ करना होगा। यह सब तुम्हें जिंदगी भर करते रहना होगा। कुंजिका स्त्रोत और पंचाक्षर मंत्र से तुम्हें तपोबल बढ़ेगा वैसे ही। कपूर आदि काली स्त्रोत और महाकाल स्त्रोत से शिव और मां काली की प्रति तुम्हारी भक्ति बढ़ेगी क्योंकि इस जन्म में तुम्हें एक शूद्र का शरीर मिला है। इसलिए शिव पंचाक्षर मंत्र को तुम्हें उल्टा जपना होगा। मतलब कि नमः शिवाय की जगह शिवाय नमः। इस प्रकार जपना है।

ऐसे जपते हुए ताकि तुम्हारे शरीर इसकी पूजा संभाल पाए। पर उसके पहले तुम्हें पंचाक्षर मंत्र का। पूरा चरण करना होगा। फिर उत्तरायण जी ने पुरुष चरण की विधि मुझे बताएं।

उत्तरायण जी बोले, मैं अपनी दोनों बेटियों के साथ हर एक अमावस्या की तिथि में कालीघाट तीर्थ में दर्शन के लिए आऊंगा। तब हम तीनों मिलकर तुम्हारे पास भी आएंगे। तुम्हें देखने के लिए लेकिन तुम हमें कभी अपनी आंखों से देख नहीं पाओगे। अपनी पूरी जिंदगी तुम्हें ब्रम्हचर्य में बितानी है। प्रमाणिका और प्रबोधिका का के साथ मिलने पर तुम्हारा ब्रह्मचर्य टूट सकता है। इसलिए हम तुम्हारे सामने नहीं आएंगे। फिर मैंने पिंकी और पीलू की तरफ देखा। तो देखा कि वह दोनों रो रही थी। उन्हें देख मैं भी रोने लगा। वह दोनों रोते हुए बोली, तुम अब से हमें देख नहीं पाओगे। इसके यह मत सोचना कि हम तुम्हारे साथ नहीं है। हम दोनों की नजर हर पल तुम्हारे ऊपर रहेगी। जब भी हम चाहेंगे तुम्हें देखने आएंगे। सिर्फ तुम हमें देख नहीं पाओगे। हमसे वादा करो, रिंकू सुबह के समय हो या रात का आज के बाद से कभी भी तुम इस भूतिया जंगल में नहीं आओगे क्योंकि आप से हम यहां नहीं होंगे तुम्हारी जान बचाने के लिए मैं। रोने की वजह से कुछ बोल ही नहीं पाया। बस सिर हिलाकर उनके हां में हां कहा, तब वह आखरी बार था। जब हम तीनों एक दूसरे के गले मिले। हम सब बहुत रो रहे थे।

उत्तरायण जी बोले, अब हमें जाना होगा। पीलू और पिंकी ने उत्तरण जी के दोनों हाथ पकड़े और वह तीनों जमीन से ऊपर की तरफ उठने लगे। पीलू और पिंकी रोते हुए मुझसे बोली हमें भूल मत जाना। रिकू हमें भूल मत जाना। फिर वह तीनों आसमान में कहीं गायब हो गए। मैं बहुत रो रहा था। उस टाइम मेरे पास मेरे पॉकेट में मेरा मां का एक फोन था। मैं जंगल में अब कभी नहीं आ पाऊंगा। सोच कर मैंने उस फोन से तालाब का एक फोटो खींच लिया। यह वही फोटो है गुरु जी जो मैंने आप। को भेजा था। तब मैंने देखा कि पिंकी और पीलू के लिए मैं जो चॉकलेट लाया था, वह तो मैं उन्हें देना भी भूल गया। तब मुझे और भी ज्यादा दुख हुआ। मैंने वह चॉकलेट तालाब में फेंक दिया और रोते हुए जंगल से बाहर निकल गया। उस दिन से लेकर मतलब 2020 से अक्टूबर की 30 तारीख से लेकर आज तक कभी भी मैंने पिंकी और पीलू को नहीं देखा। क्या पता वह कैसे होंगे? क्या कर रही होंगी मुझे तो आज भी बहुत दुख होता है, पर मैं क्या करूं? गुरु जी मेरे पास तो उन्हें देखने का कोई रास्ता ही नहीं है। आज भी मुझे जितना हो पाता है। मैं ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए उत्तरण जी के बताए गए भक्ति मार्ग का पालन कर रहा हूं। आशा करता हूं। अपना पूरा जिंदगी ऐसा ही करता रहूंगा। अगर आपको मेरा या अनुभव पसंद आया है तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा। गुरु जी आप भी ठीक से रहना और स्वस्थ रहना आप को मेरा प्रणाम।

संदेश -देखिए आपकी जो कहानी है बहुत ही दर्दनाक और उत्तम दृष्टिकोण वाली है। साधना से ही हम ऐसी शक्तियों को प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि आपके जीवन में घटित हुआ है। एक कमी आपके जीवन में यह रह गई कि आपको उन दोनों का मोबाइल से फोटो खींच लेना चाहिए था। ताकि आप उन्हें ना भी देख पाए तो भी उनके चित्र को हमेशा देख सके। तो अगर आपको इनका यह अनुभव पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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