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गरुड़ वीर साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य  चैनल पर आपका एक बार फिर से  स्वागत है आज मैं आप लोगों के लिए लेकर आया हूं गरुड़ वीर साधना । जैसा कि वीर साधना की श्रृंखला चल रही थी उसी में मैं आज पवन वीर की तरह एक वीर की साधना लेकर आया हूं । इनका वर्णन रामायण में भी आता है इनके नाम पर पुराण भी लिखा जा चुका है यह नागों के दुश्मन माने जाते हैं यह साधना बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है । गरुड़ देव की शक्ति रुप में यह गरुड़ वीर हैं इनकी साधना के लिए आपको एकांत स्थान का चयन करना होगा जो कि जंगल में करना होगा ।

आपको इनका ध्यान इस प्रकार से लगाना है कि गरुड़ के ऊपर भगवान नारायण बैठे या फिर लक्ष्मी नारायण का ध्यान करना है गरुड़ पर बैठे हुए बावन वीर में इनका भी नाम आता है सबसे पहले आप इसके लिए संकल्प ले लेंगे की आप इस समय से साधना शरु करेंगे और साधना के समय में आपको केवल एक ही समय भोजन करना होगा वह भी अपने हाथों से बना कर ।आप जो भी भोजन करेंगे उसमें पीले रंग की  हल्दी अवश्य डालेंगे । गुरु से आज्ञा लेकर शुभ दिन देखकर, अगर शुभ समय गुरुवार को पढ़े तो बहुत ही शुभ माना जाता है । आप उसी दिन से यह साधना शुरू कर सकते हैं रात को 9:00 बजे से आपको यह साधना शुरु करनी है और 52 माला का जाप करना होगा ।

रोज आपको यह साधना करनी है आप की साधना 52 दिनों तक चलेगी इसकी सिद्धि हो जाने के बाद यह आपके कार्यों को तीव्रता के साथ करता है । हो सकता है कि साधना के समय में आपके ऊपर नाग या कोई पक्षी हमला कर दे, आपकी साधना को रोकने के लिए आपको इन सब चीजों से बचते हुए यह साधना संपूर्ण करनी है । यह सब माया होती है आपको इन सब चीजों से डरना नहीं होता है ।इन सब चीजों से बचने के लिए आपको अपने गुरु से प्राप्त या फिर किसी सिद्ध मंत्र या रक्षा मंत्र से एक रुद्राक्ष की माला को अभीमत्रीत्र  कर लीजिए। उसको धारण कर लीजिए क्योंकि इस साधना मेंं आप पर सुरक्षा नहीं लगा सकते क्योंकि आपको यह साधना किसी  ऊंचे  स्थान पर या किसी ऊंचे पेड़ पर बैठकर ही करनी होगी ।

तब यह समस्या हमेशा बनी रहेगी कि आप सुरक्षा घेरा कैसे लगाएंगे क्योंकि आप वहां पर पेड़ के पास इसे नहीं लगा पाएंगे इसलिए आप रुद्राक्ष की माला को अभिमंत्रीत्र  करके धारण कर लीजिए अगर आपने पहले कोई साधना की है या आप पहले से मंत्रों का जाप करते आए हैं तो आपको ज्यादा समस्या नहीं होगी क्योंकि जितने भी माता काली के भक्त होते हैं या भैरव जी के सेवक उन्हें उनको वीर साधना करने में ज्यादा कठिनाइयां नहीं आती, सरलता से ही सिद्ध हो जाती है़। क्योंकि जितने भी नए साधक लोग होते हैं वह जरा सा चमत्कार देखकर भयभीत हो जाते हैं और साधना सिद्धि को छोड़कर भाग जाते हैं तो याद रखें ऐसा ना करें आपको रात्रि के 9:00 बजे किसी ऐसे उच्च स्थान पर साधना करनी होगी और हवा में ही आपको साधना करनी होगी  इस साधना में आपको 52 माला का जाप करना होगा और जो माला उपयोग करेंगे आप इसमें वह  वह माला हल्दी की होगी 108 मनके की हो ईसका मँत्र इस प्रकार से है। 

ॐ  वायूवेगाय गरुण वीर सिद्धि हुं फट्।। 

आपका आसन इसमें पीले रंग का होगा और अगर आप चाहे तो पीले रंग के ऊन का कंबल ले सकते हैं यानी कि आपको इस साधना में पूरी तरह से पीले रंग का ही हो जाना है भगवान विष्णु की तरह  इनको पीला रंग को बहुत पसंद है । वैसे ही साधना के आखिरी दिन आप हवन भी कर सकते पर अगर आप चाहें तो रोज भी हवन सकते हैं 52 माला के बाद आप उसका ददाँश हवन कर सकते हैं या फिर 15 दिन पर या सात सात दिन पर भी कर सकते हैं । ऐसा करने पर आपकी साधना पूर्ण मानी जाती हैं।

गरुण वीर की सिद्धि होने के बाद आपका शरीर स्वस्थ और सुंदर हो जाता है आप कोई भी कार्य तीव्रता से कर सकते हैं आप दूर तक कहीं भी देख सकते हैं। आपको दूर तक की चीजें दिखाई देने लगेगी और सिद्धि बढ़ने पर आपको दूसरी दुनिया की चीजें भी दिखाई देने लगेंगे – भूत, प्रेत, पिशाच बेताल, गाढ़ा हुआ धन खजाना सब कुछ आपको दिखाई देने लगेगा जैसा कि साधारण लोग नहीं देख सकते है कुछ लोगों को तो इतना इसका बेनिफिट हुआ है कि वह किसी रोगी व्यक्ति को अगर देख लें तो उसके शरीर को देखते ही वह एक्सरे की तरह उसका पूरा शरीर जांच लेते हैं कि उसके शरीर में कौन से अंग में कहां कौन सी बीमारी है और यह कोई भी आपका काम करने में देर नहीं लगाते वीरो में यह खासियत होती है अगर आपको यह साधना पसंद आई हो तो धन्यवाद।।

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