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गाँव की आत्माओं के दो रहस्य

गाँव की आत्माओं के दो रहस्य

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लेंगे दो अनुभव को, दोनों अनुभव गांव से संबंधित हैं और यहां पर जो विचित्र घटनाएं इन दो साधक महोदय के साथ में हुई है, वह अपने आप में अप्रत्याशित रहस्य प्रकट करती हैं तो क्या है यह अनुभव चलिए आज के इस वीडियो के माध्यम से जानते हैं।

चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं क्या है यह अनुभव

ईमेल पत्र-धर्म रहस्य चैनल देखने वालों को मेरा नमस्कार।

सूरज प्रताप गुरुदेव को कोटि-कोटि प्रणाम मैं अपना अनुभव बताना चाहता हूं। गुरुदेव में रहने वाला छत्तीसगढ़ बिलासपुर से हूं। मैं एक बार अपने नाना जी का सामान छोड़ने गया हुआ था। भाटापारा में शाम को 6:30 बजे जब मैं उधर से सामान छोड़कर नानाजी का वापस आने लगा। तब बस छूट चुकी थी तो एक मात्र

से लिफ्ट मांग कर में नंद घाट तक आया था और जैसे ही नंदा घाट का नदी पार करके।

वहां आया तो उस जगह की बस छूट चुकी थी। आखिरी बस भी चली गई थी। तो वहां के पास एक काफी बड़ा जंगल पड़ता है। जिस वजह से बस ना मिलने के कारण मैं पैदल ही जा रहा था। तब अचानक बहुत अंधेरा और कोई व्यक्ति ना होने के कारण मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा था। अचानक से कोई उंगली की जैसी परछाई मेरी तरफ बढ़ने लगी। इस वजह से मैं बहुत अधिक घबरा गया था। वह कोई सफेद कलर की परछाई थी और उसके कपड़ा नजर आ रहा था। ऐसा लगा मेरे पास ही वह आ रहा है। चाह कर भी आवाज मुंह से नहीं निकाल पा रहा था। गुरुदेव मैं चाह कर भी अपना हाथ पर। तक नहीं चला पा रहा था। डर के मारे कांपने लगा था। तब गुरुदेव मेरे हालत बहुत खराब हो गई थी। गुरुदेव उस परछाई को देखकर बहुत डर गया था। तब मैंने उधर से ट्रक आने वालों को हाथ दिया था, किंतु किसी ने भी रोका नहीं। तब एक मोटरसाइकिल वाला उसके बाद आया। उससे मैंने लिफ्ट मांग कर अपने मामा के गांव तक गया और मैंने उसको जैसे ही पैसे देने के लिए गांव पहुंचकर। उसे धनराशि देने के लिए मुड़ा तो वह अचानक से ही गायब हो गया। गुरुदेव यह मेरा सच्चा अनुभव है। आप चाहे तो इस पर वीडियो बनाकर यूट्यूब में डाल सकते हैं। मैं अपना नाम नहीं बताना चाहता। मेरे मामा का गांव का नाम है। सिमरिया यह मेरा अनुभव धर्म रहस्य को भेजा जा रहा है और इसकी समस्त जिम्मेदारी मेरी है। इससे पहले अनुभव कहीं और नहीं भेजा जाए गया है और ना ही भेजा जाएगा।

संदेश-तो देखिये यहां पर जो इनको अनुभव हुआ है वह आत्माओं से संबंधित है। एक प्रकार से छलावा नाम की आत्माओं से संबंधित है। इसमें भी लेकिन अच्छी बात यह है कि किसी पवित्र शक्ति ने इनकी मदद कर दी क्योंकि जहां बुरी शक्तियां होती हैं, वहां अच्छी शक्तियां भी विराजमान होती हैं और बुरी शक्तियां अपने नियंत्रण में लेकर व्यक्ति को या तो मार देती हैं या फिर अपना गुलाम बना कर बहुत सारी अपनी इच्छाएं पूरी करवाती हैं। तो यहां पर उस प्रेत आत्मा से यह बच गए और इन को बचाने वाला वह व्यक्ति जो मोटरसाइकिल वाला था, वह कोई दैवीय शक्ति रहा होगा क्योंकि जो व्यक्ति बिना कुछ कहे तुरंत ही गायब हो जाए। वह अपने आप में कोई चमत्कारिक पुरुष हो सकता है। जबकि आपका कहना है कि आप उसे पैसे देने ही वाले थे।

तो कोई भी व्यक्ति बिना पैसे लिए आपको यूं ही नहीं छोड़ेगा।

इसका मतलब कि वह व्यक्ति कोई और ही था और वहां पर आपकी सहायता के लिए ही उपस्थित हुआ था जिसका उद्देश्य आपकी जान बचाना था। जब भी व्यक्ति अकेला हो तो वह। अगर गुरु मंत्र का साधक नहीं है तो फिर उसके लिए काफी कठिनाई ऐसी शक्तियां पैदा कर सकती हैं। इसीलिए गुरु मंत्र का साधन सर्वोत्तम होता है और उसके अंदर बहुत सारी ऊर्जा पहले से विद्यमान होती है जिसकी वजह से ऐसी बुरी शक्तियां उसके नजदीक नहीं आती और आ भी जाए तो आप मंत्र का जाप करके उन्हें भगा सकते हैं। अब लेंगे अगला अनुभव यह भी गांव से ही संबंधित है।

ईमेल पत्र-नमस्कार गुरु जी! मेरा नाम सुदेश है, मैं एक गांव का रहने वाला व्यक्ति हूं। मैं आपको अपने साथ घटित हुई एक घटना के विषय में बताना चाहता हूं। मेरे गांव के ही पास एक हनुमान जी का मंदिर है और वह हनुमान जी का मंदिर। अगर आप उस रास्ते से गुजर रहे हैं तो सिर झुका कर ही गुजरना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति ऐसा नहीं करता है तो कोई ना कोई आत्मा उसके पीछे पड़ सकती है। गांव वाले इस बात को जानते हैं। लेकिन कई नये आगंतुक लोग इन बातों को नहीं जानते। ऐसे ही 1 दिन गांव में शादी थी। इसी कारण से मैं कुछ अपने शहरी दोस्तों के साथ अपने ही गांव में आ रहा था तो मैंने। हनुमान जी के मंदिर से गुजरते हुए सिर झुका दिया। तब मेरे दोस्त ने कहा, आजकल कौन भगवानों को मानता है यह सब केवल पंडितों की फैलाई गई बातें हैं। कोई देवी देवता नहीं होते तो मैंने उससे कहा कि तुम इन बातों को नहीं समझते हो लेकिन कम से कम इज्जत करना तो सीखो अपने हिंदू होने की पहचान तो बनाए रखो, तब वह कहने लगा। क्या हिंदू और क्या मुसलमान दोनों ही मुर्ख हैं और बेमतलब की चीजों को पूजते हैं?

तब मैंने उससे कहा, ऐसा नहीं है। अपनी अपनी सब की आस्था होती है। उसी के हिसाब से ईश्वर उनके लिए प्रकट होता है। कोई पत्थर में भी भगवान को देख लेता है तो वह पत्थर भी नरसिंह अवतार लेकर रक्षा करता है और कोई उस निराकार परमात्मा को पूजता है। और उसकी सेवा करता है और वह सारी दुनिया उसे दे देता है। मैंने यह बातें उसे कहीं तो वह हंसने लगा और कहने लगा कि अच्छा इस गांव में हनुमान जी का मंदिर क्यों बनवाया गया तब मैंने उसे कहा कि गांव में जो भी नया व्यक्ति आता है और जो लोग यहां से रोज गुजरते हैं, हनुमान जी को नमस्कार कर के ही गांव में अंदर जाते हैं। तभी बुरी आत्माओं से वह बच सकते हैं।

तब मैंने जब उससे यह कहा तो उसने कहा ठीक है देखो, मैं इन्हें नमस्कार नहीं करता और चलता हूं तुम्हारे साथ, देखता हूं कौन सी बुरी शक्ति मेरा कुछ भी बिगाड़ पाती है। तब मैंने उसे समझाया, लेकिन वह हंसी मजाक में बात डाल गया। इसके बाद हम लोग शादी वाले फंक्शन में गए। और थोड़ी ही देर बाद उसने ड्रिंक कर लिया। वह इधर उधर घूम रहा था कि अचानक से एक लोहे का पाइप उसके सिर पर जा लगा। और उसके सिर से तेज खून बहने लगा। हम सब उसे लेकर हॉस्पिटल पहुंचे और वहां पर उसका इलाज किया गया। बाद में वह ठीक हो गया। तब मैंने उसे कहा देखा। मैंने कहा था ना कि तुम्हारी इन बातों का प्रभाव तुम पर बुरा पड़ेगा और किसी बुरी शक्ति ने देखो। तुम्हारे साथ क्या कर दिया है तब वह कहने लगा। अभी भी मैं तुम्हें समझा रहा हूं। यह बातें सच नहीं होती। मैंने ज्यादा पी ली थी। इसी वजह से मेरा पैर फिसल गया होगा। गुरु जी अब मैं क्या कहूं?

कुछ लोग होते हैं जो बातों को नहीं समझते हैं और उन्हें आप कितना भी समझाइए। वह इन बातों पर विश्वास नहीं करते हैं। आपकी इस बात पर विचार दीजिए कि वास्तव में उसके साथ उस दिन किसी बुरी शक्ति ने कुछ किया था या फिर उसका शराब पीना ही उसके लिए बुरा बन गया था। नमस्कार गुरु जी

संदेश-तो देखिए। यहां पर इन्होंने जो बात बताई है निश्चित रूप से यहां पर बुरी शक्तियों को मौका मिल गया क्योंकि इन्होंने एक तो शराब पी ली थी। ऊपर से हनुमान जी का भी अनादर किया था। इसीलिए हनुमान जी का रक्षा कवच जो उस गांव पर है वह उसके लिए हट गया था। इसी कारण से वह लोहे की चीज उसके ऊपर गिरी और वह बुरी तरह घायल हो गया। जो भी इन बातों पर विश्वास नहीं करते हैं। समय उन्हें किसी ना किसी दिन बहुत ही बुरी चोट देकर जाता है। ऐसी जगहों पर और किसी भी प्रकार से किसी भी धर्म के देवी-देवताओं का अपमान नहीं करना चाहिए।

तो यह थे आज के दो अनुभव अगर आपको पसंद आए हैं तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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