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गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा भाग 4

गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा यह भाग 4 है। अभी तक आपने जाना कि कैसे एक साधक को माता तारा की गुप्त सिद्धि प्राप्त हो जाती है और उनके पास मदद मांगने के लिए एक व्यक्ति आता है। जिस लड़की के ऊपर उन्हें जिन का साया दिखाई पड़ता है, अब आगे जानते हैं।

ईमेल पत्र-अब मैंने जब यह नजारा देखा कि लड़की के ऊपर कोई विशाल का जिन खड़ा हुआ है तो मैं काफी ज्यादा सावधान हो गया। मैंने उस व्यक्ति से कहा, आप अवश्य ही? उन महोदय को बता दीजिए कि कल शाम को हम लोग उनके घर पर आएंगे। मेरे गुरु जी ने मेरा चेहरा देखा। मैंने उन्हें गंभीर भाव से बता दिया कि आप परेशान ना हो। मैं इस समस्या का समाधान अवश्य ही कर दूंगा। मेरी गुरु मेरे इशारे को अच्छी तरह समझ गए थे। उन्होंने भी मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा।

वह जान गए थे कि अवश्य ही यह इस समस्या को समझ चुका है। अगली शाम को हम उस व्यक्ति के घर पर गए। और हमें पता चला कि यह व्यक्ति काफी अमीर है। इसके पास ईट का भट्टा है। इसी वजह से काफी अधिक इस व्यक्ति ने संपत्ति अर्जित की हुई है। लेकिन इसकी लड़की के साथ ऐसा क्यों हो रहा है, अब समझना था। हम सब उनके घर में प्रवेश कर गए। उस व्यक्ति ने हमारी आवा भगत शुरू करी। और उस गरीब व्यक्ति ने भी वहां पर हमारे लिए मिठाई और पानी की व्यवस्था की ताकि हम कुछ भोजन वगैरह कर ले। थोड़ी देर बाद वह ईट भट्टे का मालिक अपनी पत्नी के साथ हमारे सामने उपस्थित हुआ। उसने गुरु जी के पैर छुए और मुझे प्रणाम किया और कहा कि आप लोग यहां तक आए हैं। अगर आपकी सेवा में कोई कमी रह गई हो तो कृपया मुझे क्षमा कीजिए। मैंने उनसे कहा, ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा। आप लोग सच में काफी ज्यादा मिलनसार है। आपने आवाभगत में कोई कमी नहीं रखी है। मैं और मेरे गुरु संतुष्ट हैं। तब मेरे गुरु ने उनसे पूछा, अब आप अपनी समस्या हमें बताइए। तब उस भट्टे के मालिक ने हमसे कहा, आज से 1 महीने पहले मेरी लड़की मेरे ही ईट के भट्टे पर काम करने गई थी। और वह यह देखने गई थी कि सारा काम सही से हो रहा है कि नहीं। मैं कभी-कभी उससे थोड़ा काम लेता हूं और वह दौरा करके चीजों को समझती है। यह आवश्यक भी है क्योंकि जब मैं ना रहूं तो परिवार का कोई सदस्य जाकर काम को सही से देखें। उस दिन जब लड़की। भट्टे पर एक जगह पहुंच गई तो अचानक से चिल्लाने लगी। उसकी चिल्लाहट सुनकर आसपास के सारे मजदूर वहां इकट्ठा हो गए और उन्होंने तब मुझे फोन किया। मैं वहां पहुंचा तो देखा लड़की अपने कपड़े फाड़े और मिट्टी में लथपथ पूरी तरह से वहां पर पागलों जैसी बदहवास बैठी थी। मैं यह सब देख कर चौक गया। मैंने नहीं सोचा था कि मेरी बेटी ऐसा कुछ कर सकती है। मैंने उसे कहा, यह तुम क्या कर रही हो। तुम्हें अपनी इज्जत की कोई परवाह नहीं है। क्या अपने साथ मुझे भी क्यों बेइज्जत कर रही हो तब वह हंसने लगी और वहीं पर बेहोश हो गई। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैंने तुरंत ही एक कंबल की व्यवस्था की, क्योंकि उसने अपने कपड़े फाड़े थे। इसी कारण से मैं अपनी इज्जत की रक्षा के लिए अपने मुख्य व्यक्ति को कंबल लेने भेज दिया था। मैंने उसे अपनी गाड़ी में बिठाया और घर ले आया।

उसे तकरीबन रात के समय होश आया और तब वह पूछने लगी। मेरे कपड़े कैसे फटे, मैं खुद चौक गया। मैंने नहीं सोचा था कि इसे कुछ भी याद नहीं होगा। उल्टा मैंने उसे डांटते हुए कहा, तुम्हारी इस हरकत की वजह से पूरे गांव और उन मजदूरों में मेरी बड़ी बेइज्जती हो गई है। तुमने तो बस ऐसी हरकत कर मेरा सर नीचा कर दिया है तब वह बोली पापा मुझे कुछ याद नहीं। मेरे कपड़े कैसे फटे हैं? और मैं वहां पर बदहवास क्यों बैठी थी? मैंने उससे कहा, क्या तुम्हें कुछ भी याद नहीं? उसने कहा, मुझे बस इतना याद है कि मैं भट्टे पर गई थी और जब मैं घूम रही थी तभी एक जगह पर अचानक से मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ और मैं वहां पर बैठ गई, लेकिन मुझे इसके बाद कुछ भी याद नहीं। कि आप कब मुझे लेने आए और मैं यहां घर पर कब आई हूं?

तब मैंने अपनी पत्नी को कहा, इसका ध्यान रखो। इसका दिमाग खराब हो गया है। किसी डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा। फिर मैं वहाँ के ही डॉक्टर साहब को वहां पर ले आया और उन्होंने मेरी बेटी की जांच की। उन्होंने कहा, शायद किसी टेंशन की वजह से इसकी ऐसी हरकत देखने में आई है। आप परेशान मत होइए। इसे यह दवाइयां दीजिए और मुझे लगता है। यह जल्दी ही ठीक हो जाएगी। इस प्रकार डॉक्टर साहब दवाई देकर चले गए थोड़ी देर बाद। अगली रात को खाना देते समय मेरी बेटी के सामने जब खाना परोसा गया तो वह जोर-जोर से हंसने लगी।

और कहने लगी यह क्या तुम घास फूस मुझे खिला रहे हो, मुझे ताजा बकरे का मांस चाहिए। हमारे लिए यह बात चौंकाने वाली थी क्योंकि हमारा पूरा परिवार शाकाहारी है और कोई भी मांस और मदिरा छूता तक नहीं है। कभी हमने ऐसे संस्कार अपनी बेटी को नहीं दिए जिससे वह ऐसा कुछ सोचे या खाए मैं खुद चौक गया। मैंने कहा बिटिया क्या हुआ तो वह जोर से हंस कर कहने लगी। ओ भट्टे के मालिक सुन मुझे भूख लगी है और अब तू मेरे लिए एक बकरे का इंतजाम कर। मुझे बकरा खाना है अगर तू जल्दी बकरा लेकर नहीं आया तो तेरे घर में तेरी ऐसी की तैसी कर दूंगी।

मैंने कहा, तू पागल तो नहीं हो गई? तेरा दिमाग तो ठीक है अपने पिता से इस तरह बात क्यों कर रही है? तब वह फिर जोर जोर से हंसने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा यह क्यों कर रही है। तभी मेरी पत्नी ने मेरे पास आकर मेरे कान में कहा, मुझे लगता है। इस पर कोई ऊपरी बाधा आ गई है। हमें किसी पंडित को बुलाना चाहिए और तब मैंने भी उसकी बात में रजामंदी दे दी। लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ कहूं तब ही मेरा छोटा भाई जो लड़की का चाचा है, उसने कहा, यह कोई नौटंकी कर रही है। मैं समझ रहा हूं। आप एक बार फिर से डॉक्टर बुलाइए। एक बार इसे इंजेक्शन लगेगा। यह ठीक हो जाएगी।

मैं यह बात जानता था कि मेरी बिटिया को इंजेक्शन लगवाना बहुत ही बुरा और डरावना लगता है। इसलिए चाचा ने जानबूझकर यह बात कही थी। मैंने भी सोचा कि भूत प्रेत की बात से अच्छा होगा किसी psychiatrist को मैं अपनी लड़की दिखाऊ लेकिन सबसे पहले मैं किसी डॉक्टर को बुलवा लेता हूं। मैं उस डॉक्टर को दोबारा बुला लाया और कहने लगा कि आपने जो कहा था, उसका कुछ भी प्रभाव इस पर नहीं पड़ा है। यह ठीक नहीं है। डॉक्टर ने कहा ठीक है। मैं इसे नींद का इंजेक्शन लगा देता हूं। जैसे ही डॉक्टर साहब ने इंजेक्शन मेरी बेटी की ओर बढ़ाया। उसने वह इंजेक्शन हाथ में ही पकड़ कर तोड़ दिया और उसकी सूई डॉक्टर की कमर के पीछे के हिस्से में जोर से चुभा दी। डॉक्टर चिल्लाकर बोला, अरे यह तो पागल है। मैं यहां नहीं आने वाला और इस प्रकार वह चिल्ला कर वहां से चला गया। हम डॉक्टर को रोकते रह गए, पर वह कहता रहा। तुम्हारी बेटी पागल हो चुकी है। इसको किसी psychiatrist को दिखाइए। अगर आपने इसे जल्दी ही ठीक नहीं करवाया तो फिर इसे पागलखाने भेजना पड़ेगा। मैं बहुत परेशान हो गया। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरी बेटी इस तरह की भी हरकत कर सकती है। समाज में तो मुझे बदनाम कर चुकी है। पर इन भोले भाले डॉक्टरों के साथ ऐसी हरकत करना मेरी तो समझ से परे था। मैंने डॉक्टर साहब से माफी मांगी और कहा कि अवश्य ही मैं साइकेट्रिस्ट को बुला लूंगा। मेरी पत्नी ने कहा, आप इन चक्करों में ना पड़िए बल्कि आप किसी पंडित या ओझा को बुलवा लाइए। तब मैंने कहा रुक जाओ, यह भूत प्रेत कुछ नहीं होता। जरूर मेरी बेटी के मस्तिष्क में कोई समस्या आ गई है। इसलिए अब साइकाइट्रिस को बुलाना जरूरी है और अगले दिन सुबह ही मैं एक प्रसिद्ध शहर के मानसिक रोग विशेषज्ञ को लेकर आ गया। वह मेरे घर में अंदर आये और उन्होंने मेरी बेटी को देखा और कहने लगे। यह तो बड़ी सुंदर है और क्या आप इसे घर से बाहर घूमने नहीं देते? आप इसे घर से बाहर निकलने तो दिया कीजिए, वह अपनी बातों से फूल बरसा रहे थे। शायद उन्हें यह विद्या सिखाई जाती है। पर मेरी बेटी उन्हें घूर रही थी और उसके बाद जैसे ही वह उसके नजदीक पहुंचे और उसके गाल को प्यार से छुआ तो उसने तुरंत ही। मानसिक रोग विशेषज्ञ के गुप्तांग को जोर से हाथों से पकड़ लिया। वह चिल्लाने लगा। इसके बाद आगे क्या हुआ हम लोग जानेंगे। अगले भाग में तो अगर यह अनुभव आपको पसंद आ रहा है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा भाग 5

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