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गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा भाग 5

गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा भाग 5

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा भाग 5 के बारे में जानेंगे। पिछले भाग में हम लोगों ने जाना था कि किस प्रकार से लड़की ने मानसिक रोग विशेषज्ञ यानी साइकेट्रिस्ट के साथ बदतमीजी की थी और वह चिल्लाने लगा था। आगे अब हम इस कथा को बढ़ाते हैं। फिर उसके बाद जैसे ही मानसिक रोग विशेषज्ञ चिल्लाया तो लड़की के पिता ने लड़की को जाकर जोरदार तमाचा मारा और कहा, यह क्या कर रही है। तू तो शर्म और हया बिल्कुल ही छोड़ कर बैठ गई है। अब तू यह घर छोड़कर कहीं नहीं जाएगी। इस प्रकार वह भट्टे का मालिक बहुत गुस्से में था और उसके बाद फिर उसने जब अपनी पत्नी से बात की तो उसने कहा, मैंने कहा था ना यह डॉक्टरों के बस की बात नहीं है। आपको अब किसी ओझा या तांत्रिक को बुलाना ही पड़ेगा। तब मैंने इस बात की रजामंदी दे दी।

मेरी पत्नी का भाई जो कि दूसरे गांव में रहता है वह एक पंडित को बुला कर ले आया। वह पंडित आया और उसने हमारे घर में जल से छिड़काव किया और पानी छिड़ककर वह चारों तरफ कुछ मंत्र बुद बुदा रहा था। लेकिन मेरी तो यह सब कुछ समझ से परे था। शायद वह किसी तरह का रक्षाबंधन लगा रहा था। लेकिन मैंने फिर उसे कहा, पंडित जी आप मेरी बिटिया को एक बार देख लीजिए। तो वह कहने लगे, मुझे पता है इसीलिए तो मैं गंगाजल चारों तरफ छिड़क रहा हूँ ताकि मेरे और उसके बीच में कोई बुरी शक्ति ना आ पाए और मैं उस लड़की से शांत तरीके से बात कर सकूं। मुझे आपके साले ने सारी बातें बता दी हैं। मैंने कहा चलो ठीक है। पंडित जी को पहले से ही सब कुछ पता है। फिर पंडित जी अंदर कमरे में आ गए। हम सभी वहां पर उपस्थित थे। उन्होंने लड़की को कहा बिटिया क्या तुम ही हो तब लड़की ने एक नजर ऊपर उठाकर देखा और फिर सिर नीचे कर लिया उसका। मन नहीं था जैसे बात करने का, पंडित जी ने हम सभी लोगों की ओर देखा और फिर मेरी बेटी से एक बार फिर संवाद किया और उससे कहा, बिटिया सामने एक लोटा रखा है। इस लोटे को खोल ले तब लड़की ने कहा, मुझे जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारा कोई काम नहीं करने वाली पंडित जी ने कहा, क्या मैं इतनी दूर से आया हूं और तुम मेरा एक छोटा सा काम भी नहीं करोगी? फिर? मैंने जोर देकर अपनी बेटी से कहा, सामने जो लाल कपड़ा बंधा हुआ लोटा रखा है। उसे तुरंत खोल, लड़की इस बार थोड़ा सा डर गई क्योंकि मेरे गुस्से का सामना वह नहीं करना चाहती थी। वह गई और उसने लौटे को जैसे ही हाथ लगाया चिल्लाकर वहां पर से फिर वापस अपने बिस्तर पर आ गई। पंडित जी कहने लगे।

यह तो पूरी तरह से किसी शक्ति के वश में है। मैंने जानबूझकर वह लोटा छूने के लिए आपकी बेटी को कहा था। यह माता जगदंबा के पूजा में रखा गया लोटा था और इस लोटे के अंदर माता के हवन की राख भी मौजूद है और उस हवन में हमने बुरी शक्तियों को नष्ट किया था। इसलिए यह लोटा बहुत पवित्र है। मैं इसे लेकर यहां इसीलिए आया था लेकिन आपकी बेटी इसे छू कर घबरा गई है। इसका मतलब यह हुआ कि इसके अंदर कोई बुरी शक्ति है तभी यह इसे नहीं छू पा रही है ।

तब? पंडित जी ने गंगाजल अपने हाथ में लिया कुछ मंत्र बुदबुदाए और उन्होंने मेरी बेटी के शरीर पर वह गंगाजल फेंका और जैसे ही वह गंगाजल मेरी बेटी को जाकर लगा। वह गुस्से से चिल्लाई और उसने पास ही रखा। एक डंडा उठाया और तेजी से पंडित जी के सर पर मार दिया। पंडित जी वहीं पर लहूलुहान हो गए। उनके शरीर पर खून आ गया था जो उनके सिर का था। और दुबारा से जैसे ही वह वार करने के लिए तैयार हुई। मैं और मेरा साला हम दोनों ने लड़की को पकड़ लिया पर लड़की में गजब की ताकत नजर आ रही थी। उसने एक हाथ से मुझे धक्का दिया और मैं दूर जाकर गिरा। दूसरे हाथ से उसने मेरे साले की गर्दन पकड़ ली।

मेरा साला भी काफी फुर्तीला है। उसने तुरंत ही जोरदार मुक्का लड़की के पेट पर मारा। लेकिन लड़की मुक्का खाकर हंसने लगी। तभी वहां पर मेरे और भी नौकर मौजूद थे। सब ने आकर लड़की को पकड़ लिया। लेकिन आप यकीन नहीं करेंगे। गुरु जी की उसके बाद उसने जो किया वह देख कर मुझे पहली बार यकीन हो गया कि यह किसी बुरी शक्ति के वश में है। उसने अपनी ताकत सब को दिखा दी। उसने सभी को हवा में उछाल कर दूर फेंक दिया। इतनी शक्ति किसी लड़की में होना संभव ही नहीं है। मैं समझ गया। इसके अंदर कोई बुरी शक्ति सचमुच में आ गई है। सभी नौकर एक बार फिर से उसकी ओर दौड़े क्योंकि मैंने सभी से कहा, कुछ भी करो। इसे पकड़ कर बांध दो। इससे पहले कि यह सभी लोगों को नुकसान पहुंचाए। बात सुनकर सभी ने अपने अपने हाथों में डंडे पकड़ लिए और मेरे एक इशारे पर सब ने मेरी बेटी को मारना शुरू कर दिया। लेकिन इस बार कहानी बदल गई। कुछ डंडे पड़ते ही लड़की चिल्ला कर रोने लगी। कहने लगी पापा मुझे सब लोग क्यों मार रहे हैं। मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है? क्या कोई अपनी बेटी को इस तरह पीटता है और वह जोर-जोर से रोने लगी। मैंने तुरंत अपने नौकरों और साले को इशारा किया रुक जाओ।

मेरी बेटी जोर जोर से रो रही थी। मैं उसके पास गया। उसके चेहरे को देखा। उसके चेहरे की मासूमियत मुझे अपना दिल पसीजने पर मजबूर कर रही थी। मैंने अपनी बेटी को गले लगा लिया और उसे बिस्तर पर जाकर दोबारा बैठा दिया और वह थोड़ी देर बाद वो सो गई। हम लोगों की समझ में नहीं आ रहा था। यह सब क्या घटित हो रहा है इधर पंडित जी को दूसरे कमरे में लिटा दिया गया और डॉक्टर को बुलवाया गया। डॉक्टर ने पंडित जी की मरहम पट्टी की और पंडित जी के शरीर पर जहां पर वार किया गया था वहां पर अच्छी मात्रा में डॉक्टर ने दवाई लगाई पंडित ने। ठीक होकर हम लोगों से कहा, यह मेरे बस की बात नहीं है क्योंकि आपकी लड़की में तो कोई शक्तिशाली बुरी आत्मा का वास हो गया है और उसने तो तुरंत ही मुझ पर हमला कर दिया। आप किसी शक्तिशाली तांत्रिक को बुलाइये क्योंकि यह कोई साधारण शक्ति मुझे नहीं लगती। इसने तो मेरी जान ही ले ली थी। भला हो माता जगदंबा का कि मेरी जान बच गई। मैं अब यहां से जा रहा हूं। पंडित जी ने हमें प्रणाम किया और मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था। उन्हें विदा करने के अलावा। मैंने उन्हें प्रणाम किया कुछ दक्षिणा दी और उन्हें विदा कर दिया।

उसके बाद मैंने अपने साले और पत्नी को एक जगह पर ले जाकर बात की। उनसे पूछा, अब क्या किया जाए तब मेरे साले ने कहा, मैं एक तांत्रिक को जानता हूं जो एक प्रसिद्ध साधु है और फिर उन्होंने आप लोगों का पता बताया। इसीलिए आज मैंने आप लोगों को अपने नौकर के माध्यम से बुलवाया है। आप लोग समझ चुके होंगे कि मेरे घर की परिस्थिति क्या है और किस प्रकार से? मेरे बेटी पागल हो रही है! आप ही कुछ कीजिए आप ही मेरी आखिरी आस है। भरी जवानी में जब पिता अपनी बेटी को विदा करना चाहता है उस वक्त बेटी की ऐसी हालत पिता के लिए बहुत बड़ा दुख का विषय हो जाता है। इसलिए आप मेरी मदद कीजिए। मैं आप सभी की तहे दिल से वंदना करता हूं और चाहता हूं कि आप मुझे इस परेशानी से बाहर निकाल दे।

उसके प्यार भरे वचनों को सुनकर मेरा मन पसीज गया। मैंने गुरु से कहा, गुरु जी हमें इनकी मदद अवश्य करनी चाहिए। चाहे कुछ भी हो किंतु हमें इनकी लड़की को बचाना ही होगा। और फिर हम लोग उस कमरे में गए जहां पर वह लड़की बैठी हुई कुछ बड़बड़ा रही थी, जैसे नमाज पढ़ी जाती है। ठीक वैसे ही वह बैठी हुई कुछ बुदबुदा रही थी। मैंने उसकी ओर देखा तो वह हमें बिल्कुल ध्यान ही नहीं दी और अपने किसी प्रकार के कोई मंत्रों का ही जॉप करती रही। मैंने तुरंत ही अपनी शक्ति का आवाहन किया और मुझे जो दिखाई दिया, वह किसी आश्चर्य से कम नहीं था। आगे क्या हुआ जानेंगे। अगले भाग में तो यह अनुभव अगर आपको पसंद आ रहा है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

गुप्त तारा साधना और जिन से लड़की की रक्षा 6 वां अंतिम भाग

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