गुरु मंत्र दीक्षा विधि

नए साधकों के लिए

न्यास विधि सम्पूर्ण (new)

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अथवा 

धर्म रहस्य मंत्र दीक्षा फॉर्म सम्पूर्ण डाउनलोड कर भरकर भेजे

(फॉर्म का password दीक्षा विडियो में बताया गया है

आप सभी से अनुरोध है की आप सभी लॉग इन (login/signup) पर क्लिक करके अपना माँ पराशक्ति धर्म रहस्य सेवा ट्रस्ट का सदस्यता अकाउंट जरुर बना ले वहां से आपको सर्टिफिकेट भी मिल जायेगा
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आखिर दीक्षा क्यूँ ले

हम सभी अपने भौतिक जीवन के लिए हर समय कर्म कर रहे हैं l अपने जीवन की उन्नति गाड़ी, बंगला, जायजाद खूबसूरत सहयोगी साथी अच्छे पुत्र पुत्रियाँ और ऐसे ही हजारों इच्छाओं की पूर्ती के लिए दिन रात मेहनत करते रहते हैं लेकिन हम यह भूल जाते हैं एक दिन यह सब हमारे हाथ से निकल जायेगा यहाँ तक की हमारा शरीर भी हमारा साथ छोड़ देगा तो क्या हम सब केवल दिखावे की जिंदगी जी रहे …सत्य तो यह है की हम शरीर नही हम इस शरीर में रहते हैं जिसे हम आत्मा य आत्म तत्व कहते हैं l अब आवश्यकता इस बात की है कि जब हम अपने शरीर के लिए 24 घंटे देते हैं तो अपने आत्मा तत्व के लिए क्या कुछ समय नही दे सकते हैं तो आवश्यकता है सही पूजा पाठ और योग की क्यूंकि अगर हम ये सब कर भी रहे हैं तो यूँ ही दुनिया की देखी में और आपस में सबकी नक़ल जैसा जिसका मरने के बाद शायद ही कोई फायदा हमें प्राप्त हो इसलिए पराशक्ति मंत्र योग जानकर कम से कम हमें आध्यात्मिक जीवन की यात्रा तो शुरू करनी ही चाहिए अब सब आप पर निर्भर करता है की भविष्य की तैयारी करनी है या यूँ ही दिखावटी जीवन जीते जीते नष्ट कर लेना है और बिना कोई आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त किये बिना संसार से विदा ले लेनी है सोचिये……

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दीक्षा से लाभ

मोहरूपी अंधकार के नष्ट हो जाने पर सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति करके साधुजन राग-द्वेष की निवृत्ति से सम्यक्चारित्र को प्राप्त कर लेते हैं अर्थात् अनंत संसार को वृद्धिंगत करने वाली मोह मदिरा को पीकर यह जीव अनादिकाल से संसार की चौरासी लाख योनियों में परिभ्रमण कर रहा है। आत्मकल्याण के इच्छुक वही जीव जब मिथ्यात्वयुक्त मोह को घटाकर सम्यक्त्व क्रियाओं सहित चारित्र को गुरु के समीप धारण करते हैं, तब दीक्षा की प्रक्रिया आरंभ होती है।मोक्ष के लिए आकांक्षा सभी मनुष्यों का जन्म अधिकार है। शास्त्रों का कहना है कि भगवान द्वारा निर्मित जैविक साम्राज्य में तीन घटनाएं बेहद दुर्लभ हैं। एक – जीवित प्राणियों की असंख्य प्रजातियों में मानव के रूप में पैदा होना; दो – बंधन से मोक्ष के लिए एक मजबूत आकांक्षा और तीन – आध्यात्मिक अध्यापक और अभिभावक (गुरु) का संरक्षण। एक सच्चे गुरु के साथ संपर्क में आना और शुरू करने की इच्छा जीवन के सबसे महान आशीर्वाद हैं।

• गुरु दीक्षा लेने एवं उनके दिए हुयें मंत्र का नियमित जाप करने से बहुत से लाभ होते है |
• शब्द ही ब्रह कहा गया है और मंत्र में भी बहुत ही श्रेष्ठ शब्दों का उपयोग किया जाता है |
• इसलिए दीक्षा लेने के बाद जो नीचे लिखे नियमो का सही ढंग से पालन करते है उससे ही व्यक्ति अधिकतर बुराईयों से बच जाता है |
• जिससे की उसका आचरण–व्यहवार, खान–पान सात्विक हो जाता है और वह अनेक प्रकार के रोगों एवं अधर्म से बच जाता है |
• उसका शारीरिक विकास होता है और यही मानव का पहला धन है “निरोगी काया” और जब मंत्र जाप करते है तो उससे मानसिक आत्मिक शांति बढती है जिससे बौद्धिक बल बढता है |
• सभी बुराईयों से दूर होने पर आर्थिक बल बढता है |

नियम

नियम 1: कभी भी गुटका, तंबाकू, शराब आदि और व्यसन न खाएं और कभी दुर्व्यवहार न करें।
नियम 2: सबसे पहले एक सब्जी छोड़ना है। कभी गुरु की निंदा न करें और हमेशा उसकी आज्ञाओं का पालन करें।
नियम 3: ऑनलाइन वीडियो द्वारा कान में गुरु मंत्र को सुनो और बताये गयी विधि की तरह संकल्प लो ।
नियम 4: गुरुमन्त्र को किसी को भी नहीं बताना चाहिए (जैसे उसके माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-भाई आदि)।
नियम 5: हर सुबह और शाम को, बैठकर गुरु मंत्र को नियमित रूप से कम से कम 5 मिनट या 1 माला के लिए नियमित रूप से जप करना जरूरी है।
नियम 6: हर समय, हमेशा गुरु मंत्र का जप करते हैं, हर पल में हर जगह।
नियम 7: किसी भी परिस्थिति में मंत्र मंत्र को मत छोड़ो जैसे कि किसी की मौत, या स्त्री धर्म आदि। ध्यान, पूजा, पूजा, मंत्र मंत्र न छोड़ें।
नियम 8: एक वर्ष में एक बार, गुरु-पूर्णिमा के समय या गुरु द्वारा बुलाए जाने पर कम से कम एक बार गुरुजी के आश्रम पर जाएं।
नियम 9: किसी भी खुशी या त्यौहार के अवसर पर, गुरु को गुरु भाग के रूप में एक दक्षिणा दें। इसे पवित्र दान भी कहते हैं क्यूंकि यह गलत तरीके से कमाए धन को भी शुद्ध करता है
नियम 10: सभी मनुष्यों से प्यार करो और अपने गुरु के साथ कभी नहीं छोड़ें।
नियम 11: जो लोग भी शाकाहारी भोजन नही खाते हैं उन्हें राजसी पूजा का ही संकल्प लेना होगा सात्विक का नहीं

संकल्प लेते समय इस प्रकार से कहे –

हे माँ सांसारिक आवश्यकताओं, पारिवारिक बन्धनों और परिस्थितियों के अनुकूल न होने कारण आपकी सात्विक पूजा नहीं कर सकती/सकता हूँ इसलिए अपने इस साधक/साधिका पुत्र/पुत्री को राजसिक साधना करने की अनुमति प्रदान करे l 

नीचे दिए गये इस लिंक पे जाये और आर्टिकल पढ़े साथ ही विडियो भी देखे सारी जानकारी प्राप्त करने के लिए …गुरु दीक्षा विडियो का लिंक नीचे दिया गया है वहां जाकर विडियो खरीदें और डाउनलोड करके देखे और निर्देशों का पालन करे

किसी भी एक सब्जी को छोड़ सकते हैं ज्यादातर वही सब्जी छोड़ते हैं जिसे हम खाना पसंद नही करते हैं न्यास विधि पहली बार लाल वस्त्र और लाल आसन पर बैठकर घर के मंदिर में कर सकते हैं, पहली बार न्यास विधि पूरी करे बाद में अगर समय का अभाव है तो ऋशिन्यास जरूर करे बाकि छोड़ सकते हैं इसे मंत्र से पहले करना जरुरी होता है , बाकि किसी भी समस्या के लिए ईमेल कर सकते हैं l

गुरु दीक्षा लेते समय इन सब चीजों का ख्याल रखे ==

  1. गुरु दीक्षा लेने से पहले ही अपने गुरु जी को गुरु दीक्षा का फॉर्म भेज दीजिए । अगर आप यह कार्य नहीं करते है तो गुरु मंत्र ठीक से काम नहीं करता ।
  2. गुरु दीक्षा लेते समय लाल कपड़े आवश्य ही पहन  लीजिए ।

भाद्रपद कृष्ण पक्ष कि षष्टी ,अश्विन कृष्ण पक्ष कि त्रयोदशी , कार्तिक शुक्ल पक्ष मै दी गई दीक्षा सबसे जादा उत्तम मानी जाती है । इससे आपको करोड़ों  तीर्थो का फल प्राप्त होता है सिर्फ गुरु दीक्षा लेने से । यह तीन दिन सबसे ज्यादा शुभ समय होते है गुरु दीक्षा लेने के लिए । गुरु दीक्षा किसी भी शुभ दिन ली जा सकती है 

गुरु मंत्र के लिए रुद्राक्ष कि माला चाहिए होती है । अगर आपको रुद्राक्ष की माला शुद्ध करनी नहीं आती है तो भी कोई समस्या नही है  ।

गुरु दीक्षा लेते समय इन सारे वीडियो को अच्छी तरह से देखिए ताकि आपको इसकी ज्ञान हो ।
Link =
https://www.youtube.com/watch?v=xEjMkjgBRmg&list=PLmAtedJzUw5Cvo7Zq2dRlfBiLA

🍁हमारे गुरुदेव श्री सूरजप्रताप जी का ध्यान मंत्र🍁

नमः पराशक्तिभक्तिप्रसारनार्थाय भूतलेप्रादुर्भूतं गुरुंl
प्रकाशदीपः बहूनां यस्य दिव्यं धर्मज्ञानं ll

अपार करुणासिन्धुं सत्यस्य दाता शान्तिरूपः l
श्री सूरजप्रतापगुरु प्रणमाम मुदाऽन्वहम् ।।

नमः – नमस्कार, ॐ – परब्रह्म का सर्वोच्च आवाहन , पराशक्ति – माता पराशक्ति, भक्ति – भक्ति, प्रसारनार्थाय – प्रचार प्रसार, भूतले – पृथ्वी , प्रादुर्भूतं – अविर्भाव , गुरुं – गुरु , प्रकाशदीपः – प्रकाश पुंज, बहूनां – कई लोगो केलिए , यस्य – जिनका , दिव्यं – दिव्य , धर्मज्ञानं – धर्म का ज्ञान , अपार – अत्यधिक , करुणासिन्धुं – करुणा के सागर , सत्यस्य दाता – परम सत्य का ज्ञान प्रदान करने वाले, शान्तिरूपः – शांति के स्वरूप, च – और , श्री सूरजप्रतापगुरु – गुरुदेव श्री सूरज प्रताप जी, प्रणमाम – प्रणाम, मुदाऽन्वहम् – ख़ुशी से

भावार्थ:-
माता पराशक्ति की भक्ति फैलाने के लिए धरती पर अवतरित हुए गुरु को प्रणाम। जिनका धर्म का दिव्य ज्ञान कई लोगों के लिए प्रकाश की किरण है।

करुणा के अथाह सागर, सत्य के दाता और शांति के स्वरूप हम ख़ुशी से आपको प्रणाम करते हैं, श्री सूरजप्रतापगुरु।

पहली बार जब आप गुरु से दीक्षा लेते है । तब आप सारे न्यास के साथ सारी प्रक्रिया कीजिए । उसके बाद अगर
आपको समय नहीं मिल रहा है तो आप सिर्फ विनियोग और ऋषिदिन्यास करे बाकी nyas छोड़ सकते हैं । सारे न्यास करने के बाद मंत्र कि
शक्ति अत्याधिक बढ़ती है ।

1 सामग्री –
१ लाल वस्त्र
२ लाल कंबल का आसन (लाल कंबल का आसन यानी पूरे लाल कंबल का आसन ),

Link –

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psc=1
https://www.amazon.in/gp/product/B08H13Z3WQ/ref=ppx_yo_dt_b_asin_title_o04_s00?ie=UTF8&psc=1

३ रुद्राक्ष की माला पंचमुखी रखे खरीदने का लिंक –https://amzn.to/40pYIll
४ गौमुखी ( गुरु मंत्र के जाप मै गौमुखि का आवश्य इस्तमाल करे ताकि कोई भी आपकी माला को देख ना सके
आप इसके बारे मै यूट्यूब पे देख सकते है )
५ माता कि मूर्ति , यंत्र (गुरु दीक्षा लेते समय आपके पास आवश्य ही माता दुर्गा कि मूर्ति होनी चाहिए । बस वह
मूर्ति खोखली ना हो और उसमें जो शेर है उसका मुंह खुला नहीं होना चाहिए ।  आप अगर माता की मूर्ति लेने के
लिए समर्थ नहीं है पैसों की वजह से तो फिर आप अपने कुलदेवी अथवा कुलदेवता को माता मानकर आप गुरु
दीक्षा ले सकते है । आप को  माता की मूर्ति की कोई आवश्यकता फिर नहीं चलेगी । क्योंकि सब कुछ माता ही है
बाकी सारे उनके रूप स्वरूप है  )
६ कलश – जिसमे आप जल भरके रखेंगे

2 गुरु मंत्र कि दीक्षा लेते समय —

गुरु दीक्षा वाले वीडियो मै बताए अनुसार आपको सब चीजे करनी है । उसमे सात्विक , राजसीक , तामसिक इन
तीनों संकल्प के बारे मै नहीं बताया है । वह नीचे दिए है ।

गुरु मंत्र कि दीक्षा लेते समय आपको सात्विक , राजसीक , तामसिक इन तीनों मै से एक का संकल्प लेना है  और
जल छोड़ना है ।

  गुरु मंत्र मै तीन प्रकार के संकल्प लिए जाते है ।
१ सात्विक  २ राजसिक ३ तामसिक

१ सात्विक – अगर आप सात्विक संकल्प लेते है । तो मरने के बाद आपको स्वर्ग लोक तो मिलता है है साथ ही
पुर्णमोक्ष भी आपका तय होता है ।  यानी जीवन से सदा जन्म मरण इस चक्र से मुक्त होना । सात्विक साधना मै

नॉन-वेज,शराब  इनका सेवन नहीं चलता है । आपको पूरी तरह से शाकाहारी रहना पड़ेगा । आपको  पूरी तरह से
सात्विक जीवन व्यतीत करना होगा । अगर आप सात्विक साधना करते है और नॉन-वेज खाते है या फिर शराब 
का सेवन करते है  फिर आपको ईश्वर की तरफ़ से दंड दिया जाएगा इस से दीक्षा भंग हो जाती है ।

२ राजसीक  – राजसिक जाप से आपको इस लोक मै सारे  सुख प्राप्त होते है ।  मरने के बाद आपको मोक्ष मिलता
है । यानी स्वर्ग मै करोड़ों वर्ष तक आप निवास करेंगे । जब आपके पुण्य क्षय होगे तब आपको फिर से जन्म लेना
होगा । तब आप  किसी उच्च कोटि के घर मै पैदा होंगे । राजसीक साधना सिर्फ मोक्ष देती है लेकिन पूर्ण मोक्ष नहीं
। अगर आप अंडा ,मांस , शराब इनका सेवन करते  है तो आप राजसीक साधना करने का संकल्प ले ।

३ तामसिक – तामसिक साधना मै स्वर्ग से कोई मतलब नहीं सिर्फ इस जिंदगी से मतलब है । आपको मोक्ष नहीं
मिलता है । तामसिक साधना मोक्ष और पूर्णमोक्ष नहीं देती है । सिर्फ आपके इस जन्म के  इच्छापूर्ति से मतलब
होता है ।

* (सात्विक से राजसिक की और ना बढ़े यह अच्छा नहीं माना जाता है । क्योंकि आप ऊपर से नीचे आ रहे है ।
हमेशा नीचे से ऊपर कि और बढ़े जैसे की राजसिक साधना से सात्विक)

*अगर आप  सात्विक  साधना करना चाहते है तो माता से कहिए कि है मां मै आपकी सात्विक साधना करने का
संकल्प लेता हूं । इसी प्रकार राजसिक साधना करना चाहते है तो कहे है मां मै आपकी राजसिक साधना करने का
संकल्प लेता हूं । इसी प्रकार तामसिक साधना करना चाहते है तो कहे है मां मै आपकी तामसिक साधना करने का
संकल्प लेता हूं।
( जब आप गुरु दीक्षा  लेंगे तब आपको इनमें से कोई भी एक संकल्प लेना है फिर जल छोड़िए )

* आप अवश्य ही राजसीक और सात्विक साधना करने का संकल्प ले । अच्छा होगा की आप सात्विक साधना
करने का संकल्प ले । अगर आप सात्विक साधना से राजसीक साधना कि और बढ़ रहे है तो आप आप माता से
क्षमा मांगे कि माता मै आपकी सात्विक साधना करने मै असमर्थ हूं इसलिए मुझे क्षमा करे मै आपकी राजसीक
साधना करना चाहता हूं इस बात कि मुझे आज्ञा प्रदान करे और हो सके तो हवन करे ।

3 गुरु मंत्र कि दीक्षा लेने के बाद क्या करना चाहिए

१ -गुरु दीक्षा लेने के बाद आपको पहले विनियोग और न्यास करना है ।
२ – जितनी  माला आप गुरु मंत्र का जाप करेंगे उतना माला का  संकल्प लेकर आपको  गुरु मंत्र का जाप करना है ।
३ – गुरु मंत्र का जाप होने के बाद आपको ध्यान लगाना है जैसे कि गुरु दीक्षा वाले वीडियो मै बताया है उसी तरह ।

* आप विनियोग पढते है तो विनियोग पड़ने के बाद आपको जल छोड़ना है । मात्रुकान्यास पड़ने के बाद
आपको जल छोड़ना है । इसी तरह से आप जितने न्यास करेंगे उसके बाद आपको जल छोड़ना है । सारे
न्यास करने के बाद आपकी शक्ति आत्याधिक बढ़ती है । विनियोग और ऋषिदिन्यास आपको पढना है यह
अनिवार्य है ।
* विनियोग आपको सिर्फ पढना है उसमे आपको कुछ भी नहीं करना है । सिर्फ पूरा पढना है जैसा लिखा है । पूरा
विनियोग पड़ने के  बाद जल छोड़ना है ।

* आपको न्यास मै कुछ भी नहीं आता है तो उदाहरण के तौर पे आप ऋषिदिन्यास पढ़े

4 गुरु मंत्र का जाप पुरा होने के बाद –

गुरु मंत्र का ९ लाख जाप पुरा करने के बाद आप हवन , मार्जन , तर्पण कन्याभोज कीजिए इनके सरे विडियो आपको धर्म रहस्य मेम्बर विडियो ज्वाइन करने पर देखने को मिलेंगे इसके अलावा गुप्त साधनाओ का ज्ञान भी मेम्बरशिप विडियो में दिया जाता है धर्म रहस्य मेम्बरशिप अवश्य ज्वाइन कीजिये 

जैसे कि गुरु मंत्र का ९ लाख जाप करना अनिवार्य है उसके बिना आपकी कोई भी तांत्रिक साधना नहीं कर सकते
है।

गुरु मंत्र का जाप करते समय इन सब बातो का ध्यान रखिए –

गुरु मंत्र के जाप मै अगर माला टूट जाती है तो माता और गुरूजी से मन ही मन क्षमा मांगे । उसके बाद फिर से
इस माला को सिला कर ठीक करके गुरु मंत्र के जाप मै उसका उपयोग कर सकते है।

रोज दिन के हिसाब से संकल्प ले यानी अगर आप दिन मै ४५ माला करना चाहते है कहे है मै गुरु मंत्र का 45
माला जाप करने का संकल्प लेता हूं ।

गुरु मंत्र का जाप करते समय दिया अवश्य ही लगाए इसके बिना आपका जाप पुरा नही हो सकता है  ।अगर  बीच
मै दिया बुझता है तो आपका जाप खंडित हो चुका है ।

इन सब चीजों का आपको ध्यान रखना है  –
१ गुरू मंत्र प्राप्त व्यक्ति जिंदगी मै कोई भी पाप कर्म ना कीजिए क्योंकि इससे आपका पुण्य क्षय होता है । आप
मां के शरण मै हो ।

२ गुरु मंत्र मै अगर तीस दिन का गैप हो चुका है । तो आपको गुरु को गुरु दक्षिणा देकर फिर से गुरु दीक्षा लेनी
होगी । पिछला जो भी जाप है वो आपके पापो को नष्ट करने मै मदत करेगा ।

३ जिन लोगो ने गुरु मंत्र प्राप्त किया है वह लोग काफी जादा दुर्लभ है । यह मंत्र पूरे ब्रह्मांड मै व्याप्त है । इसलिए
जितनी ऊर्जा आप खीच सकते है उतनी खिचिए । गुरु मंत्र छोड़ना यह आपकी ब्रम्हांड की सबसे बड़ी ग़लती होगी
। यह ना सोचिए कि आपका नौ लाख का जाप पुरा होने के बाद आप को गुरु मंत्र का कम जाप करना है ।

४ हवन – अगर परिवार मै सिर्फ आपने गुरु मंत्र लिया हुआ है तो सिर्फ आप ही हवन कीजिए । परिवार को
शामिल ना कीजिए । अगर आपके परिवार वालो ने भी गुरु मंत्र लिया हुआ है तो आप उनको भी शामिल कर सकते
है । पति के साथ पत्नी को अनिवार्य रूप से गुरु दीक्षा लेनी चाहिए क्यूंकि दोनों के आपसी शारीरिक सम्बन्ध बनाने से भी गुरु मंत्र ऊर्जा नष्ट नही होती है दोनों एक दूसरे को अपनी ऊर्जा देकर संतुलन बना लेते हैं हवन करते समय लाल कपड़े पहनेंगे तो और भी जादा अच्छा होगा । हवन के लिए ईशान्य दिशा सबसे ज्यादा उत्तम मानी जाती है ( यानी पूर्व और उत्तर का कोना )। पूर्व भी अच्छी है और आपको धन चाहिए तो आप पश्चिम
दिशा मै हवन कर सकते हो ।

५ अगर आप रोज ४५ माला करते है तो रोज ४५ माला करे इससे आपकी ऊर्जा का बैलेन्स रहेगा ।

६ गुरु मंत्र का आप कहीं भी जाप कर सकते है । क्योंकि यह ब्रम्हांड का सबसे बड़ा मंत्र है । श्मशान मै अगर जाप
करते है तो आपका शमशान मै जो भी शक्ति या है उनसे सामना होगा । यह सब चीजे समझ कर जाप करे ।  घर
मै कोई व्यक्ती मरा हुआ है तो उस दौरान आप 13वी तक मानसिक जाप कीजिए ।

७ अगर आप तांत्रिक साधना करना चाहते है तो पहले गुरु मंत्र का अनुष्ठान पुरा कीजिए । गुरु मंत्र का अनुष्ठान
९ लाख है उसके बाद हवन कीजिए। अगर आप हवन नहीं कर सकते है तो गुरु मंत्र का दुगना जाप कीजिए । उसके
बाद आप कोई भी तांत्रिक साधना कर सकते हो ।

८ गुरु मंत्र प्राप्त करने के बाद आप भोग ७,१५,३० वे दिन तक कर सकते है । इसका अनुष्ठान पुरा होने के बाद
३,७,१५,३० वे दिन के बाद  आप भोग कर सकते है । जितना जादा आप ब्रम्हचर्य धारण करेंगे उतनी ही जादा आपकी
शक्ति बढ़ेगी । हो सके तो अपने पत्नी को गुरु मंत्र अवश्य दे ताकि ऊर्जा सदैव बनी रही । 

९ गुरु मंत्र मै अगर आप मानसिक जाप करते  है तो इसकी गिनती नही कि जायेगी ।
१० हो सके तो गुरु मंत्र का एक ही निश्चित समय पे जाप करो यह अच्छा माना जाता है ।

११ गुरु मंत्र हजारों पुन्यो को देने वाला मरने के बाद मोक्ष देने वाला और जितने भी पिछले जन्म के पाप है वो
नष्ट कर देने वाला होता है । इसलिए गुरु मंत्र को कभी भी ना छोड़िए ।

१२ गुरु मंत्र प्राप्त करने के बाद किसी को गुरु मंत्र कहना नहीं चाहिए ।  अगर आप जाप करते समय वह सुनता है
तो ठीक है । जो भी आपको सपना आएगा वह सिर्फ अपने प्रति और गुरु के प्रति रखे बाकी किसी को ना सुनाए
और गुरु मंत्र से जो भी शक्तियां प्राप्त होगी वह अपने और गुरु के प्रति समर्पित रखे । अगर आप किसी को बताते
है तो आपकी शक्ति और ऊर्जा नष्ट होती है । इस बाद का ध्यान रखे ये सा समझे कि गुरु मंत्र के प्रति आपको
किसी को भी कुछ भी नहीं बताना चाहिए ।

१३ आप किसी को गुरु मंत्र देना चाहते है तो अपने गुरु से इस बात की आज्ञा ले । गुरु के आज्ञा के बिना अगर
आप किसी को गुरु मंत्र देते है तो आपको पाप लगता है  । जिसको आप गुरु मंत्र देना चाहते उससे आधी धनराशि

आप गुरु को दक्षिणा के रूप मै दीजिए और आधी गुरु दक्षिणा आप अपने पास रखकर अपने अच्छे कामों मै उसे इस्तेमाल करे 

14 आप dharam rahasya instamojo book store तांत्रिक साधनाओ का लिंक देकर 40 % धनराशि का हिस्सा प्राप्त कर सकते हैं 

गुरु दीक्षा विडियो डाउनलोड करे न्यास विधि पीडीऍफ़ और ऑडियो सुने –

गुरु मंत्र की दीक्षा लेने हेतु फॉर्म पर क्लिक कर डाउनलोड करे और भरकर [email protected] पर ईमेल करें

password गुरु दीक्षा विडियो  विडियो में मिलेगा

गुरु मंत्र दीक्षा इस प्रकार से लें सम्पूर्ण विधि:-

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