Site icon Dharam Rahasya

गुरु मंत्र द्वारा माता पराशक्ति के साकार रूप के दर्शन

गुरु मंत्र द्वारा माता पराशक्ति के साकार रूप के दर्शन

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है आज हम माता पारा शक्ति के एक साकार स्वरूप के दर्शन और साधक के द्वारा पूर्व जन्म के दर्शन। से संबंधित अनुभव को लेने जा रहे हैं। साधक स्वयं मेरे शिष्य भी हैं और उनके जीवन में यह अनुभव। घटित हुआ है। उसी अनुभव को इन्होंने ईमेल के माध्यम से लिख करके भेजा है। पड़ते हैं इनके ईमेल पत्र को और जानते हैं इस अनुभव के विषय में। प्रणाम गुरूजी, चरणस्पर्श गुरुमंत्र द्वारा माता पारा शक्ति के साकार रूप के दर्शन और पूर्वजन्म दर्शन। गुरुदेव इस अनुभव पर वीडियो बनाए तो कृपया मुझे एक गुप्त रखियेगा। गुरुदेव, मैं आप से 2021 से दीक्षित हूँ। और आज मैं अपने गुरु मंत्र के। दौरान घटित हुए अनुभवों को भेज रहा हूँ ताकि सबको पता चले कि गुरु मंत्र जाप करने वाले एवं गुरु मंत्र धारण किए हुए माता के भक्त और गुरुदेव के शिष्य कोई सामान्य मानव नहीं है। और उनके होने वाले अनुभव भी कोई सामान्य नहीं होते हैं। गुरुदेव कुछ दिनों पहले। की बात है जब मुझे यह सपना आया था। कि मैं और मेरे साथ कोई साथी हैं। हम दोनों किसी जगह पर जा रहे थे। तभी हम एक बड़े से जंगल में प्रवेश करते हैं। उस जंगल में प्रवेश करते ही हमारे पैरों के तले की जमीन हिलने लगती है। तभी जमीन हिलते हुए एक बड़े से कछुए के रूप में परिवर्तित हो गई। और यह कछुआ इतना बड़ा था की पूरा एक बड़ी सी पृथ्वी का हिस्सा इसमें समा जाए।

इसके बाद हम आगे जाते है। आगे जाते ही पता नहीं हमें कोई पकड़ लेता है के बाद हम दोनों को कोई रस्सी से बांध लेता है। उसके बाद हमे कहीं जमीन के अंदर ले जाते हैं, जहाँ पूरा अंडरग्राउंड बड़ा सा का बना होता है। जहाँ मुझे जब सीढ़ियों से नीचे की ओर ले जा रहे थे, तो मुझे नीचे की तरफ बहुत ही तेज पीले रंग की रौशनी दिखाई देती है। यही रौशनी देखकर मैं बहुत ही प्रभावित होता हूँ। इतना ज्यादा तीव्र रौशनी आखिर कहाँ से रही है? खेत अभी। नीचे हमें उस रौशनी के सामने बैठा दिया जाता है जब मैं वो रौशनी को अपनी आंखें साफ करके देखता हूँ तो मुझे 1 दिन भी दिखती है जो कि बड़े से आसन पर विराजित हैं। जिनका पूर्ण रूप सोने के सामान ही पीला हैं और इनका देह इतना चमकदार था। कि उनके सामने से कोई उन्हें देख ही नहीं पा रहा था। उनके पूरे शरीर से पीले रंग की इतनी तीव्र ऊर्जा रूपी रौशनी निकल रही थी। और उन्होंने कई दिव्य आभूषण पहने हुए थे। जिसमें से एक अत्यंत तीव्र प्रकाश आ रहा था कि मेरी आंखें कुछ सेकेंड के लिए बंद हो गयी थी। उनके दाहिनी और आसन पर। 1 दिन भी बैठी थी। जिनका पूरा शरीर हर रंगदार का था।

वो इतनी ज्यादा सुंदर और तेजस्वी थी कि उन्हें देखते ही वो देवी मेरे सामने मुझे देखकर मुस्कुरा और हंस रही थी। मेरे सामने देखकर मुस्कुराते हुए बड़े ही प्यार भरे इशारे वह कर रही थी। फिर उनकी दूसरी तरफ मैं भैरवजी को बैठे हुए देखता हूँ जिनके हाथ में उनका दंड था और इतना देख कर मैं अपने आप को। बहुत ही आश्चर्यचकित मानता हूँ कि यह क्या हो रहा है। इतने में ही पूर्ण तेजस्वी रूप से चमक रही देवी जो सबसे उच्चतम आसान पर विराजित थी, वो कहती हैं कि मैं ही। वहाँ ब्रह्म की शक्ति हो, मैं ही विष्णु की शक्ति हूँ, मैं ही शिव गोरक्ष की शक्ति हूँ मैं ही। हूँ। ललिता त्रिपुरसुन्दरी मैं ही हूँ ललिता त्रिपुरसुन्दरी ऐसे वाक्य सुनने के बाद बहुत ही में आश्चर्यचकित हो जाता हूँ। माता ललिता त्रिपुर सुंदरी ने मुझे दर्शन दिए थे, फिर मैं। माता के ललिता स्वरूप को प्रणाम करता हूँ। इसके बाद माता पुन्ना वही शब्दों का उच्चारण करते हैं कि मैं ही ब्रह्म की शक्ति हूँ। मैं विष्णु की शक्ति हूँ और मैं ही शिव गोरक्ष की शक्ति हूँ। मैं ही। ललिता त्रिपुरसुन्दरी मैं ही हूँ ललिता त्रिपुर सुंदरी। इस बार माता कहती है कि तुझे इस स्थान पर एक साधना करनी है।

इसी प्रकार से माता दो तीन बार कहती है कि तुझे इस स्थान पर एक साधना करनी है। पर माता ने बताया नहीं की कौन सी साधना करनी है। इतने में ही मेरा स्वप्न समाप्त हो जाता है। और मैं माता पराशक्ति के साकार स्वरूप माता ललिता त्रिपुर सुंदरी के दर्शन कर पाता हूँ। माता के शरीर में से तेजस्वी ऊर्जा रूपी सुनहरा प्रकाश निकल रहा था। मैं उन्हें कुछ ही सेकंड देख पा रहा था। फिर आंखें बंद कर देता। मैं अपने आपको धन्य मानता हूँ कि मुझे गुरु मंत्र के जाप से। माता पराशक्ति ने अपने साकार स्वरूप के दर्शन करवाए है। क्योंकि मैंने माता पराशक्ति के सिवाए किसी और को मैं नहीं मानता था और माता ने मुझे सत्य से अवगत कराया जिससे कि मेरे कई भ्रम भी दूर हुए। कुछ दिनों पहले ही टेलीग्राम पर एक भाई ने सवाल किया था, इस विषय पर मुझे तभी मुझे लगा मुझे यह अनुभव गुरुदेव को भेजना चाहिए क्योंकि सबका यही सवाल है कि क्या भेद है? पर जब भेद से परे होते हैं। तभी तो वो। परम शक्ति माता पराशक्ति के अनुभव को प्राप्त करते हैं। जैसा गुरुदेव आपने कहा था कि अपनी सत्यता को पहचानो। गुरुमंत्र द्वारा मिला गुरुमंत्र ही सब का मूल है और माता पारा शक्ति के साधन को किसी शक्ति को सिद्ध करने की जरूरत ही नहीं होती है। साधक से अब प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी ही रहती है और उसकी सहायता एवं मार्गदर्शक करती ही रहती है। अब मैं अपनी गुरुमंत्र की दूसरे अनुभव को भी बताता हूँ।

यह अनुभव रूपी स्वप्न मुझे पिछले साल ठंड के मौसम में ही आया था जब मैं सुबह 4:00 बजे शिव मंदिर में गुरु मंत्र का ध्यान करने जाता था। तब मुझे सुबह एक स्वप्न आता है जिसमें मैं किसी गुरु भाई के साथ फ़ोन पर बात कर रहा होता हूँ और उनको कहता हूँ जय माता। पराशक्ति तब वो भी सामने से कहते हैं जय माता पराशक्ति इसके बाद मैं उन्हें मिलने जाता हूँ। मैं बड़े से महल जैसे अति सुंदर। खंडहर में पहुंचता हूँ। तब मैं अंदर जाता हूँ तो मुझे पांच से छह मंजिला ऊंची इमारत जितनें शिवजी के अति रौद्र स्वरूप नटराज स्वरूप की बड़ी सी मूर्ति के दर्शन होते हैं। वहाँ मूर्ति बहुत बड़ी रौद्र स्वरुप और तांडव की अवस्था में थी। मैं उन्हें प्रणाम करके आगे निकल जाता हूँ, तब मुझे वो भाई दिखते हैं जिन्होंने मुझे कॉल किया था और वो पूरे काले रंग के दिख रहे थे। मैं उनसे जाकर मिलता हूँ, प्रणाम करता हूँ, उनकी ऊर्जा को मैं महसूस कर सकता था। इतनी तीव्र और तेजस्वी ऊर्जा थी और मुँह पर इतना तेज कि कई करोड़ों की संख्या में। जॉब कर रखे हो तभी वो मुझे देखकर कहते हैं अग्निदेव आपको मेरा प्रणाम और मैं प्रणाम को स्वीकार कीजिए।

मैं बिल्कुल विचार में पड़ गया और फिर मैं कहता हूँ उनसे की आप मुझे इस प्रकार क्यों बात कर रहे हैं? वो कहते हैं कि आप अपने पूर्वजन्म के जीवन में अग्निदेव थे, बहुत ही आश्चर्य की बात है, यह सब क्या हो रहा है? फिर उन्होंने मुझे कई सारी शक्तियां दिखाई, जिसमें कई योगिनियां और कई शक्तियां थीं। फिर उन्होंने मुझे दो मंत्र दिए थे। जिसमे मुझे एक ही याद रहा। उन्होंने कहा कि यह मंत्र जाप करो, तुम्हारी सारी बात है और परेशानियां दूर हो जाएंगी। उन्हें प्रणाम करके अपने घर पर आ जाता हूँ और वह स्वप्न खत्म हो जाता है। ओर इस प्रकार मुझे अपने बारे में पता चलता है कि मैं पूर्व में अग्निदेव था और अपने किसी पाप के कारण इस पृथ्वी लोक पर आना पड़ा है, पर मुझे आपके जैसे गुरु मिले है तो मैं इस जन्म में निश्चित हूँ और जनता हूँ कि माता को जरूर प्राप्त करूँगा। और इसी प्रकार हर एक गुरु, भाई, बहन जो गुरुदेव से दीक्षित है वो भी इसी प्रकार अपने पूर्व में कोई न कोई पुण्यात्मा होगी और त्रिकुटा भैरवी माता। मैं तो इस विषय पर भी कहा है गुरुदेव के वैष्णो देवी यात्रा के अनुभव में। तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है, जो 100% सत्य है।

और तो गुरूजी, मैं अब अपनी शब्दों को विराम देता हूँ गुरुदेव मैं आपके लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित करता हूँ। आपकी सेवा में मैं सदैव तत्पर रहूंगा। गुरुदेव वो हरे रंग की देवी के स्वरूप के बारे में बताएये कि वो कौन हो सकती है? गुरुदेव दोनों स्वप्नों के अर्थ भी अवश्य बताएं और माता ललिता के शब्दों और उन्होंने जो साधना करने को कहा, उसके विषय में गुरुदेव आप जरूर बताएगा। चरणस्पर्श गुरुदेव जय माँ पराशक्ति।

सन्देश- तो देखिए आपने यहाँ पर इनके अनुभव को सुना और जाना। माता ललिता 10 महाविद्या में सर्वश्रेष्ठ देवी मानी जाती है क्योंकि एकमात्र माता का यह स्वरूप है। जो भोग और मोक्ष दोनों देता है। बाकी सभी 10 महाविद्याओं में केवल एक ही प्राप्त होता है, लेकिन माता त्रिपुर सुंदरी दोनों देती है अर्थात संसार की समस्त सुख, वैभव, संपन्नता, भोग। के साथ पूर्ण मोक्ष देने में सक्षम मानी जाती है। इसीलिए इनको माता पराशक्ति का साकार स्वरूप भी कहा जाता है। इनके दर्शन होना ही बहुत बड़ा सौभाग्य है, भले ही वह स्वप्न में भी क्यों ना हुए हो। आपने माता त्रिपुर सुंदरी को यह कहते सुना कि मैं ही मून हूँ और। त्रिदेवों की शक्ति भी मैं ही हूँ।

यह पूरी तरह सत्य है। यही दुर्गा स्वरूप में साक्षात पृथ्वी पर आकर राक्षसों का वध करती है। यही माता पार्वती के रूप में शिवजी को शिवत्व की संपूर्ण शक्तियां प्रदान करती है। नारायण को उनके साथ लक्ष्मी बनकर। तीनों लोगों का पालन करता बना देती है और यही ब्रह्मा जी के साथ ज्ञान का वैभव सरस्वती रूप में प्रदान करती है। माता ने हरे रंग वाली देवी को बताया था ये माता मातंगी है। माता मातंगी अपने हरे स्वरूप में दिव्य स्वरूप वाली मानी जाती है। इसके अलावा दक्षिण भारत में मीनाक्षी देवी के नाम से भी पूजित की जाती है, लेकिन वहाँ पर यह स्वरूप कुछ अलग है। क्योंकि देवी का यह स्वरूप जो हरे रंग वाला है यह हमेशा वशीकरण की शक्तियां और समस्त एक ऐसी दैवीय 10 महाविद्या में शक्ति है जो सभी को वशीकृत करने और जगत को भी वशीकरण को। धारण करने की शक्तियां प्रदान करती है। शायद माता त्रिपुरासुंदरी यह चाटिंग है कि आप माता मातंगी को सिद्ध करें और उनके माध्यम से आगे। समस्त प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करे और आगे बढ़े यही माता। हरे रंग के स्वरूप वाली। बहुत ही दैवीय शक्तियां से संपन्न अद्भुत। शक्तियां रखने वाली तेजस्वी। और।

संसार को अपने वश में करने की शक्ति प्रदान करने वाली देवी। मातंग ऋषि द्वारा पूजित देवी मातंगी है। तो यह। अनुभव आप लोगों ने जाना की कैसे? अगर व्यक्ति केवल मात्र माता की आराधना आजीवन करता है तो सब कुछ प्राप्त कर सकता है। और यह जीवन तो सिर्फ एक यात्रा है। यात्रा पूरी होते ही आप का स्वरूप बदल जाएगा, वहीं प्राप्त होगा जिसने अपने जीवन में। जैसे कर्म और जैसी साधनाएं की है जो। प्राप्त करने की इच्छा से उसने। समस्त जीवन कार्य किए हैं। जो लोग भोग के पीछे जीवनभर नौकरी, रुपया, पैसे के पीछे दौड़ते हैं उन्हें बार बार जन्म लेकर और भी कठिन परिस्थितियों में। जीवन जीना पड़ता है, लेकिन जो लोग इससे बाहर निकलना चाहते हैं, वह मुक्त होकर दिव्य लोकों को प्राप्त करते हैं। इसीलिए यहाँ आप पर निर्भर करता है की आप क्या करना चाहते हैं, माता पराशक्ति के मंत्र के माध्यम से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं या फिर इस जीवन में। गोगो के पीछे दौड़कर और अपने आने वाले भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बार बार लगे रहकर बार बार जीवन में। आकर। इस जीवन को जीना चाहते हैं, जो कि मनुष्य के रूप में मनुष्य लोग में हमें मिलता है। और यह बात पूरी तरह सत्य है कि जो भी मुझसे गुरु मंत्र दीक्षा प्राप्त करता है। ओर उसके बाद फिर आजीवन गुरुमंत्र नहीं छोड़ता है। वह व्यक्ति निश्चित रूप से कोई दैवीय आत्मा ही है जो माता पराशक्ति। की कृपा से मुक्त होने और। जीवन के समस्त सुखों को प्राप्त करने। यहाँ की विभिन्न परिस्थितियों में जीते हुए चाहे वह कष्ट से हो। और चाहे कितनी भी बड़ी मुसीबत से हो। निकालकर। आतंक तो गतवा मोक्ष को प्राप्त करेगा। तो अगर आज का अनुभव आपको पसंद आया है तो लाइक करे, शेयर करें, सब्सक्राइब करे चैनल को। आप सभी का दिन मंगलमय हो, जय माँ पराशक्ति।

Exit mobile version