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गोरखपुर भैरवी और त्रिकाल सिद्धि भाग 2

गोरखपुर भैरवी और त्रिकाल सिद्धि भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य में आपका एक बार फिर से स्वागत है । आज अगला भाग शुरू करते हैं कि जब साधु के सामने उनकी बात आई और ऐसी स्थिति हुई कि वह बलि देगा तो इनका दिमाग घूम गया होगा । फिर उसके बाद क्या किया साधु ने । अब मैं अगली कहानी में मैं आपको बता रहा हूं । साधु ने लपक करके इनकी कलाई पकड़ ली और बलि के बकरे की तरह इनको खींचते हुए पेड़ के पास ले आए । जिस व्यक्ति को इन्होंने इसे पकड़ने के लिए भेजा था वह बहुत ही भयंकर शक्तिशाली बिल्कुल काले रंग का आदमी था । जिसकी तोंद निकली हुई थी बिल्कुल काला कौवा होता है इस तरह के रंग का वह बड़ा सा प्राणी था 7 फुट की ऊंचाई थी । उसके सामने इनकी ताकत सुन्य नजर आई यह कुछ ना कर पाए हिल डुल भी ना पाए । तब फिर साधु ने झोपडी की तरफ मुंह करके चिल्ला कर कहा मेरी भैरवी बाहर आ । तभी तांत्रिक की आवाज सुनकर के एक सुंदर सी लड़की 16 साल की कन्या आकर मेरे बगल में आकर खड़े हो गई । मैं समझ नहीं पाया ।

अब साधु ने कहा इसे बांध दे तो उस महा विकराल व्यक्ति ने मुझे चारों तरफ से । मुझे पेड़ में बांध दिया और अब मैं हिल डुल भी नहीं सकता था । उसने कहा जब महा निशा आएगी तब इसकी बली देंगे । मैं बड़ा परेशान होकर और सोचा । कहां में आकर फस गया । घर में तो मेरी बीवी मेरा इंतजार कर रही होगी यही सोच रहा था कि । तब तक मेरी नजर उस युवती पर पड़ी गोरा रंग काले बाल बड़ी-बड़ी चीता जैसी गहरी नीली आंखें रक्तब जैसे होठ ऊंचा और चौड़ा माथा सिंदूर की लाल बिंदिया ध्रुव तारे की तरह नजर आ रही थी अत्यधिक ही सुंदर वह कन्या थी । लाल रंग की साड़ी रेशमी साड़ी में और पीले रंग के दुपट्टे में उसका शरीर किसी देवकन्या जैसा लग रहा था । अगर मैं बंधा ना होता तो उसके रूप जो है वर्णन करते करते स्वयं जो है मैं तृप्त कर लेता इतनी सुंदर थी । लेकिन इस वक्त वह मुझे मांसभक्षणी या कोई डाकनी लग रही थी जो मुझे खा जाने के लिए तैयार हो ।

इसके बाद वह तंत्र-मंत्र बड़बडता हुआ मंदिर के भीतर चला गया और युवती चबूतरे पर बैठ गई और मेरा पहरा देने लगी । मैंने उससे बड़े ही प्रेम से कहा कि आप मुझे खोल दीजिए आप लोग मुझे मार दोगे मुझे मार के आप लोगों को क्या मिल पाएगा । तो वह बड़े प्यार बोली तुम क्यों डरते हो मौत तो एक छोटी सी बात है इसके बाद तुम हमेशा के लिए मुक्त हो जाओगे और तुम्हे मोक्ष प्राप्त हो जाओगे । इस संसार की झूठी बातों से सदैव के लिए मुक्त हो जाओगे और तुम्हें तो प्रसन्न होना चाहिए क्योंकि तुम तो माता के भक्त होना मां ही तुम्हारी बली लेगी । मैंने कहा नहीं मुझे मां का आशीर्वाद नहीं चाहिए और मुझ पर दया करो मेरी रस्सी खोल दो मैं यहां से भाग जाऊं । उसने मेरी तरफ उंगली करते हुए फिर वह उंगली उधर मंदिर की तरफ दिखाते हुए कहा वह बहुत क्रोधित स्वभाव का है अगर वह जान गया कि मैं तुम्हारी सहायता कर रही हूं तो तुम्हें तो छोड़ो वह मुझे भी मार डालेगा । फिर मैंने उससे कहा आप अधिक सुंदर हो आपको किसी राजकुमार के साथ होना चाहिए था आप इस औघड़ के साथ क्या कर रही हो ।

उसने बताया कि तंत्र के क्षेत्र में भैरवी बना लिया जाता है और वह मुझे अपनी भैरवी बना लिया है मैं क्या करूं मेरे सामने कोई विकल्प नहीं है । और मैं तो कुंवारी हूं मैं अक्षता भी हूं किसी पुरुष ने भी अभी तक मेरे शरीर को स्पर्श भी नहीं किया है । मैं किसी पुरुष की कल्पना भी नहीं कर सकती हूं जो कन्या कुमारी होती है वह अक्षता होती है उसे ही भैरवी बनाया जाता है । और साधक को ही नो नो  प्रकार की पद्धतियों में जो है उसकी सहायता करती है ।इतना कहकर मैं उसके भाव को समझ गया कि अभी यहां रह कर वह खुश नहीं है मैंने उससे पूछा कि अब आपका क्या होगा । तो वह आकाश की ओर देखते हुए वह बोली मै क्या कह सकती हूं । किसी दिन यह मेरी भी बलि दे देगा और तब तक अपनी मुझे भोग्या बनाकर रखेगा । तभी वहां भयंकर आदमी दोबारा से आया और बड़ा सा राक्षस जैसा वह लग रहा था । जिसको देखकर वह युवती तुरंत उठ कर खड़ी हो गई और उसको कहा ।

हे चामुंडा चामुंडेश्वर तू आ गया ले प्रसाद पी ले और फिर उसको वह प्रसाद पिला दिया गया कन्या के द्वारा । और वह चुपचाप वहां से वह चला गया । मैं अजीब सा महसूस कर रहा हूं मैंने कहा आखिर यह सब चल क्या रहा है यह कौन है । चामुंडेश्वर आखिर कौन है क्या कोई प्रेत है क्या कोई बहुत शक्तिशाली आत्मा है यह कन्या कौन है जो इतनी खूबसूरत होने के बाद यहां पर बड़ी खामोशी के साथ यहां पर प्रॉब्लम में समस्या में पड़ी हुई है । अब धीरे-धीरे करके मैंने उससे पूछा हे देवी आपका नाम क्या है उन्होंने कहा मेरा नाम मोहिनी है ।आपका नाम बहुत ही सुंदर है स्वयं आप सच में मोहिनी ही हो आप मुझे खोल दो तुम्हारा गुरु तो पागल है शराबी है त्रिकाली होने का ढोंग कर रहा है । मेरे साथ आप यहां से भाग चलो तो वह कहने लगी नहीं उसके पास तांत्रिक शक्ति है मैं जानती हूं । तुम उसे नहीं जानते हो वह सब कुछ जान लेगा मैंने कहा यह सब क्या कह रही हो तुम ऐसे प्राणी के साथ जी रही हो तो पागल है आधा सनकी है क्यों नहीं उसे छोड़कर भाग निकलती हो । उसने कहा त्रिकाल शक्ति होती है इसके पास त्रिकाल सिद्धि है ।

इस वजह से मैं बंद चुकी हूं तुम्हें शायद पता नहीं है  कि मैं राजा मदन सिंह के भाई की कन्या हूं । और जब इस तांत्रिक भूत काल सिद्ध किया था तब यह भविष्य काल सिद्धि बनाने मुझे ले आया था । मैने कहा तुम कितनी सुंदर युवती हो राजकुमारी जैसी लगती हो तुम्हें तो किसी राजकुमार के साथ होना चाहिए । तुम यहां जिंदगी क्यों बर्बाद कर रही हो । इस प्रकार कहने पर उसकी आंखों में आंसू आए और वह बोली तुम्हारा अनुमान सही है मैंने कहा ना कि मैं राजकुमारी ही हूं । राजा मदन सिंह के भाई की कन्या होने की वजह से मैं राजकुमारी ही हूं और मेरे पिताजी जो थे । उनको सामंती राज्य मिला हुआ था जो राजा मदन सिंह के क्षेत्र में आता था वह भी राजा थे । इस कापालिक से उनका सामना जब हो गया क्योंकि उस जमाने में छोटे-मोटे युद्ध हुआ करते थे तो हमारे पिता ने युद्ध हार जाने की वजह से दूसरे का कब्जा हो गया था हमारे राज्य पर । तो इस कापालिक से मेरे पिता की मुलाकात तो उसने कहा मेरा सहयोग करो मैं तुम्हें सब कुछ वापस दिला दूंगा ।

यह धीरे करके उसने उनको सब कुछ देना शुरू कर दिया और राज्य जीते चले गए एक समय जब मैं 14 या 15 साल की थी मेरी पर की इसकी नजर पड़ी यह मेरा दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि । फिर यह मुझे देखता रहा और मेरे का रूप और सौंदर्य का रसपान करता रहा । पता नहीं कब उसके मन में वासना की झलक आ गई और मुझे प्राप्त करने के लिए व्याकुल हो उठा इसने मेरी पिता से कहा कि तुम्हारी कन्या जो है अक्षता है यदि उसे भैरवी दीक्षा देकर तांत्रिक अनुष्ठान कराया जाए तो निश्चित रूप से ना सिर्फ तुम राजा बन जाओगे वापस । और किसी भी चक्रवर्ती सम्राट बन जाओ । क्योंकि  मेरे पिताजी इसके पूरे बंधन में आ चुके थे उन्होंने अपना सिर हिलाकर अनुमति दे दी और मैं भला क्या विरोध कर पाती ।इस प्रकार धीरे-धीरे करके मुझे ले आया मोती महल नाम की जगह पर इसने मुझे रखा और दीक्षा देने की बात कही ।फिर धीरे-धीरे करके मुझे ले जाया गया और उनके पास मुझे छोड़ दिया गया । फिर इसने मेरी पहली पूजा करने के बारे में सोचा तो उस वक्त बड़ी ही स्थिति खराब लग रही थी । कपाली ने मुझे अपने सामने बैठा लिया और बड़े ही कर्क स्वर में बोला कि कपड़े उतारो ।

मैंने कहा नहीं नहीं मैं नहीं उतारूंगी । उसने कहा उतारना ही पड़ेगा पूर्ण नग्न होना इस क्रिया के लिए अत्यंत आवश्यक है । भला में क्या कर सकती थी उसने खुद ही मेरे सारे बदन के कपड़े उतार दिए । और अपने खुरदुरा वेडोल हाथों से मेरे को स्नान कराने लगा और मेरे अविकसित अंगों को बार-बार स्पर्श करता रहा । मैं बेचारी कर क्या पाती फिर इसने मुझे एक पटरे पर बैठा दिया और चुपचाप में वहां नग्न अवस्था में बैठी रही ।इसके बाद उसने चांदी की कटोरी में से कोई द्रव्य मुझे पीने के लिए दिया जिस से दुर्गंध से आ रही थी । मैंने मुंह फेर लिया मैंने कहा मैं इसे नहीं पियूंगी उसने जोर से कहा तुझे इसे पीना ही पड़ेगा । मैं भय से कांप उठी वह द्रव्य मुझे धीरे-धीरे करके पीना ही पड़ा । और जैसे ही मैंने उसे पिया मेरी छाती जलने लगी । निश्चित रूप से वह कोई तीखी शराब थी और मुझ पर नशा सा छाने लगा । उसी समय उसने मेरे गुप्तांग पर शहद मलना शुरू कर दिया और मेरा शरीर झनझना उठा । इस कहानी को अगले भाग तीसरे में जानेंगे

। आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

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