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घोर शत्रु नाशक नरसिंह मंत्र पिशाचिनी से रक्षा

घोर शत्रु नाशक नरसिंह मंत्र पिशाचिनी से रक्षा

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज मैं जो साधना लेके उपस्थित हुआ हूं, इसे हम शत्रु विनाश के लिए नरसिंह मंत्र की साधना के रूप में जानते हैं। एक साधक हैं जिन्होंने अपने अनुभव को भी मुझे बताया था और साथ ही इसकी साधना के विषय में बहुत पहले उन्होंने मुझे बताया था। इसी के विषय में आज मैं आप लोगों के लिए जानकारी दे रहा हूं। यह साधना उन लोगों के लिए अच्छी है। जिन लोगों ने किसी ऐसी तांत्रिक साधना को किया हो जिसमें उन्हें सफलता तो मिली हो लेकिन किसी कारणवश वह शक्ति। बिगड़ गई हो किसी तरह कोई परेशानी उनके जीवन में आ गई हो। वह शक्ति हटने का नाम ना ले रही हो और गुरु मंत्र की भी उन्होंने अच्छी प्रकार आराधना ना की हो। इसी सब के कारण से उनके जीवन में कई तरह की परेशानियां आ रही हूं तो चलिए जानते हैं सबसे पहले मैं उस अनुभव को बताना चाहता हूं जो उन्होंने मुझे बताया था एक ऐसे साधक जिन्होंने अपनी खुद की मर्जी से। किताबों के माध्यम से और वीडियो इत्यादि देखकर एक पिशाचिनी साधना करने के विषय में सोचा। तब उन्होंने सोचा की सबसे अच्छी होगी कि मैं एक पिशाचिनी को सिद्ध कर लेता हूं क्योंकि यह ज्यादा दिनों की नहीं होती है। उन्होंने इसके लिए एक श्मशान का चयन किया। वह एक पढ़े लिखे व्यक्ति थे। इसी कारण से उन्हें डर भी नहीं लगता था और भूत-प्रेतों में विश्वास भी नहीं करते थे। यह प्रयोग वह सिर्फ इसलिए कर रहे थे ताकि उन्हें इस रहस्य का ज्ञान हो कि क्या वास्तव में ऐसी शक्तियां विद्यमान होती है। लगभग उन्होंने 21 दिनों की साधना की।

साधना के 18 दिन ही उन्हें सिद्धि मिल गई और उनके सामने पिशाचिनी साक्षात रुप में खड़ी हो गई। तब उसने कहा कि आप मुझे अपनी पत्नी बना लो, मैं आपके साथ हमेशा रहूंगी। नए साधक होने के कारण और ज्यादा जानकारी ना होने की वजह से भी उन्होंने उसे तुरंत अपनी पत्नी बना लिया। जबकि इन साधक की स्वयं की पत्नी भी थी। इससे समस्या यह हुई कि अब वह उनके साथ रात्रि में निवास करती तो उनकी पत्नी जिस बिस्तर पर उनके साथ लेट कर सोती थी अधिकतर। रात को बिस्तर से नीचे गिर जाती। इसकी वजह से वह बहुत ज्यादा अपने पति से नाराज रहती थी कि आप ही मुझे धक्का देकर रात को यह भी नहीं सोचते कि गिरने से कितनी चोट लग सकती है, पर वह हमेशा कहते मैंने ऐसा नहीं किया। अब यह बात समझ में आने लगी क्योंकि लगभग प्रत्येक ही रात्रि उनके साथ शारीरिक रूप से संबंध बनाती थी। तब बहुत दिनों तक तो उन्हें। इसमें आनंद आता रहा, लेकिन कभी-कभी पिशाचिनी जिद में आकर यह कहती कि आपको आज मुझसे संबंध जरूर बनाना है और इनकी शरीर उस चीज के लिए तैयार नहीं होता था। वह थके होते थे या ऊर्जा की कमी होती थी, फिर भी उन्हें ऐसा करना पड़ता था। इससे इनका सूखता जा रहा था। परेशान हो गए। उन्होंने कई लोगों से मदद मांगने शुरु कर ली और लगभग सब ने अलग-अलग तरह की बातें उन्हें बताएं। साधना विसर्जन की तरीक़। वह नहीं जानते थे इसीलिए उन्होंने कई तरह के मंत्र पढ़ने शुरू कर लिए। हनुमान जी के मंत्र जप उन्होंने शुरू किए तब वह अधिकतर इन्हें रात को पंजे मार कर चली जाती। शरीर पर निशान भी बनने लगे। इससे हनुमान जी के मंत्र के कारण भी वह उन्हें छोड़ नहीं रही थी। तब एक पहुंचे हुए सिद्ध साधक के पास वह पहुंचे और उन्होंने उनसे बात की। उन्होंने कहा कि आप नरसिंह महा मंत्र साधना कीजिए। इससे आपको निश्चित रूप से लाभ होगा और हर हालत में यह पिशाचीनी आपको छोड़ देगी। उन्होंने इस प्रकार की प्रक्रिया उन्हें बताई थी। मंत्र का प्रयोग शुक्ल पक्ष के गुरूवार या शनिवार से आपको करना है। यह प्रयोग रात के 10:00 बजे से आपको शुरू करना होता है। सबसे पहले अपने सामने एक चौकी स्थापित करें और उस पर भगवान नरसिंह का यंत्र और चित्र विग्रह रखें। फिर चंदन का तिलक लगाएं और पंचोपचार पूजा करें अपने गुरु गणेश।

विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करें। गुरु के रूप में आप भगवान विष्णु को भी मान सकते हैं क्योंकि आपने गुरु नहीं बनाया है। एक संकल्प लें कि हे नरसिंह देव मैं अपने शत्रुओं, भूत प्रेत, पिशाचिनी इत्यादि से छुटकारा पाने उन्हें दंड देने के लिए आपकी यह पूजा आराधना और साधना करने जा रहा हूं और नरसिंह कवच का अवश्य पाठ करें। लाल चंदन की माला से प्रतिदिन आपको 16 माला मंत्र 21 करना होगा और जाप के बाद कवच का पाठ करें। नरसिंह के यंत्र पर पुष्प अर्पित किया करें इसका जो विनियोग। उसे अवश्य करें विनियोग और मंत्र को करते हुए आप! जाप करें जो कि इस प्रकार से बताया था

|| ॐ अस्य नृसिंह मंत्रस्य, ब्रह्मा ऋषि:, अनुष्टुप् छंदः, सुरासुर नमस्कृत नृसिंहो देवता, सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोगः ||

Mantra : || ॐ उग्रवीरं महा विष्णुं, ज्वलंतं सर्वतो मुखं ।
नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहं ||

इस मंत्र की साधना आपको करते रहना है और! इससे आप देखेंगे कि निश्चित रूप से आपकी शत्रु इस पिशाचिनी शक्ति का नाश हो जाएगा। यह अपनी साधना इस प्रकार से रोजाना करने लगे। जैसे जैसे दिन बीतते गए पिशाचिनी इनसे दूर होती गई, लेकिन एक दिन इनकी पत्नी को छत से फिसल कर गिरने की वजह से उसे बहुत चोट आई थी। तब उन्होंने भी अपनी पत्नी को अपनी सिद्ध की हुई माला गले में पहना दी थी। इस प्रकार कुछ दिनों के बाद यह पिशाचीनी इनके जीवन से हमेशा के लिए दूर हो गई। इस प्रकार इनकी साधना सफल रही। तब उन्होंने मुझे इस अनुभव को बताया था और कहा था गुरु जी इसके विषय में जब लोग पूछे तब बताइएगा। कई तरह के पत्र आते रहते हैं। ईमेल के माध्यम से तब कई साधकों ने यह बात पूछी थी कि कोई ऐसी साधना है जिसके माध्यम से कोई पिशाच पिशाच ऐसी शक्ति। अगर आपके जीवन में आकर चिपक गई है। आप का वीर्य नाश कर रही है। आपकी जिंदगी में विभिन्न प्रकार की समस्याएं लेकर आ रही है। इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति किसी ने तांत्रिक प्रयोग किसी पर किया हुआ है। भूत-प्रेतों का प्रयोग उस पर कर रहा है। कोई शत्रु है जो जानबूझकर आपका दुश्मन बना हुआ है और आपके हर कार्य में आपको बाधा पहुंचाता रहता है। इस प्रकार की किसी भी समस्या के लिए यह साधना सर्वोत्तम मानी गई है।

इस साल! ऐसे व्यक्ति के अंदर अवश्य ही क्रोध का भाव उत्पन्न होता है तो इसके लिए आप नरसिंह कवच भगवान शिव के मंत्र को अवश्य पढ़ें और अगर किसी वजह से अत्यधिक उग्रता आपके अंदर आती है तो भगवान शिव के मंत्रों के माध्यम से आप अपने उग्रता शांत कर सकते हैं, क्योंकि कहते हैं जैसे मंत्र का जाप साधक करता है। लगभग उसका स्वभाव भी वैसे ही बनने लगता है। जब इनके जीवन में वह पिशाचिनी थी तो इनका भोग करने का मन बहुत ज्यादा करता था, लेकिन जैसे ही वह चली गई, उनके जीवन में इन चीजों का कोई अस्तित्व ही नहीं रहा। जो भी साधना काम करते हैं आप जिस भी देवी देवता या शक्ति को सिद्ध करते हैं, वह शक्ति का जो स्वभाव है, वह आपके अंदर भी नहीं लगता है। इसीलिए कहा जाता है कि शक्ति को नियंत्रित करके रखना बहुत आवश्यक है और इसके लिए आपके पास सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण आपका गुरु मंत्र है। उसका निरंतर जाप आजीवन करना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की समस्या से आप पूरी तरह बच सकें और कोई भी शक्ति आपका। किसी भी प्रकार से बुरा ना कर पाए और अगर कोई शक्ति आपके जीवन से नहीं जाना चाहती है तो उसकी विसर्जन क्रिया को अवश्य कीजिए। अन्यथा आप इस तरह के भीषण मंत्रों के माध्यम से भी अपने अंदर ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाकर उसको अपने शरीर से बाहर निकाल सकते हैं। आशा करता हूं। यह साधना और यह कहानी आपको पसंद आई होगी। अगर आज का वीडियो आपको अच्छा लगा है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

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