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घोड़े वाली चुड़ैल भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेगे ऐसे अनुभव को जो एक साधक के उनके ही रिश्तेदारों के पूर्वजों के जीवन में घटित हुआ था। इसके संबंध में उन्होंने यहां पर बताया है कि कैसे उनका सामना एक चुड़ैल से हुआ था। चलिए पढ़ते इनके पत्र को और जानते हैं कि कैसे उनके पूर्वजों के जीवन में किसी चुड़ैल का आगमन हुआ था।

प्रणाम गुरुजी! मैं यह पत्र आज आपको भेज रहा हूं। यह कहीं और प्रकाशित नहीं किया गया है। यह सिर्फ धर्म रहस्य चैनल को समर्पित है। मेरे पूर्वजों में बहुत सारे ऐसे रिश्तेदार हुए हैं जिनके जीवन में बहुत ऐसी विचित्र घटनाएं घटी। जिनको आज में साझा करना चाहता हूं क्योंकि आपके चैनल पर इसी तरह के बहुत सारे अनुभव देखने और सुनने को मिलते हैं यह सत्य बात है। लेकिन प्रमाण कुछ भी नहीं, क्योंकि यह मेरे दादाजी के जो भाई थे और मेरे जो सगे दादा हैं उनकी कहानी है । दोनों नजदीक के गांव में ही रहा करते थे। यह अंग्रेजों के समय की बात है जो सुनते सुनते मेरे कानों तक भी आ पहुंची है। आप चाहे तो इस पर वीडियो बना सकते हैं हम लोगों ने यह कहानी बचपन से सुनी है इसलिए मैं आज आपको इसके बारे में बता रहा हूं।

अब इसे सत्य मानना ना मानना तो धर्म रहस्य के दर्शकों पर निर्भर करता है। किंतु मैं इस सत्य अनुभव को आपको भेज कर। इसके बारे में बताना चाहता हूं। गुरुजी नाम और पता कृपया ना दिखाइए क्योंकि ऐसी बातों से जग हंसाई होती है। अब मैं आपको उस घटना के बारे में बताता हूं। मेरी जो दादा जी थे उनके ही एक दूसरे सगे भाई थे जो दूसरे गांव में रहा करते थे। यह उस दौर की बात है जब अंग्रेजों का शासन हुआ करता था। घने-घने जंगल गांव के चारों ओर बसा करते थे। इसके कारण से लोगों के जो मार्ग थे, आने-जाने के वह पगडंडियों में हुआ करते थे। इसी कारण से कठिनाई से लोग उन रास्तों को पार करते थे, ऐसा हमारे दादा बताते हैं। एक बार मेरे दादा जब उनके भाई के गांव में पहुंचे। तो रात के वक्त भोजन के समय हंसी मजाक के दौरान मेरे दादा ने कहा कि भैया तुम्हारे गांव में आने के रास्ते तो एक ही है और मुझे डर भी लगता है। कहीं किसी भूत-प्रेत पिशाच ने पकड़ लिया तो क्या होगा?

इस पर मेरे दादा के भाई ने उनसे कहा कि बात तो सत्य कह रहे हो? पर डरने की आवश्यकता नहीं है। जब तक मां की कृपा है, मां जगदंबा हमारे साथ हैं। हमें कोई शक्ति छू नहीं सकती। लेकिन सावधान तो रहना ही पड़ता है। क्योंकि प्रलोभन से अगर बच पाऊं तो अवश्य ही सफलता मिलती है। मेरे दादा ने आश्चर्य से उनसे पूछा कैसा प्रलोभन? इस पर मेरे दादा ने कहां जो कि मेरे दादा के भाई थे। यही गांव में अधिकतर अमावस्या के दिन में एक चुड़ैल घोड़े पर बैठकर आती है। कई लोगों ने उस से सोना प्राप्त किया है। और कई लोग उसके द्वारा मारे भी गए हैं। जो हिम्मती लोग हैं वही उसका सामना कर पाते हैं।

इस पर मेरे सगे दादा ने उनसे कहा, यह कैसी विचित्र बात बता रहे हो भैया? इस पर उन्होंने कहा कि नहीं यह सत्य बात है। अमावस्या पर वह चुड़ैल घोड़े पर बैठकर गांव के ही जंगल में इधर से उधर घूमती है। पता नहीं यह कब से चल रहा है? मैंने जब यहां अपना घर बनाया तभी से मुझे इस सब बारे में पता चला। गांव वाले अब हमेशा ही उधर की ओर जाना भी ठीक नहीं समझते हैं, लेकिन कुछ लालची लोग धन की लालसा में उस चुड़ैल को देखने के लिए जाने की कोशिश किए हैं। कुछ एक कामयाब हुए तो यहां से प्रस्थान कर गए और कुछ लोग लापता हो गए। यानी कि यह कहावत यहां प्रसिद्ध है कि यहां पर जो चुड़ैल घूमती है, वह सब को ध्यान देती है लेकिन उसके प्रलोभन में आने वाले को मार डालती है। इस पर मेरे दादाजी ने यह कहा मुझे धन की आवश्यकता है मुझे उस स्थान पर ले चलो ।

दोनों पेड़ पर जाकर बैठ गए और चुड़ैल का इंतेजार करने लगे तभी घोड़े के साथ उड़ती चुड़ैल आई जो हवा मे थी, दोनों की गति समान थी यह अद्भुत बात थी। क्योंकि? ऐसा देखने में नहीं आता है। कि कोई सवार ही घोड़े पर बैठा दिखाई पड़ता है पर यह तो उसके साथ चल रही थी। मेरे दादा की नजर जब उस घोड़े और उस लड़की पर पड़ी तो वह आश्चर्य में पड़ गए। घोड़े के बगल में उसके साथ चिपकी चल रही वह! स्त्री हवा से 10 से 12 सेंटीमीटर ऊंची उठी हो करके चल रही थी। इसका मतलब यह था कि वह धरती पर पैर नहीं रख रही थी। सीधे-सीधे हवा में उड़ती हुई चली आ रही थी। सफेद रंग के उसके वस्त्र उसके पैरों तक आ रहे थे। लेकिन यह पता चल रहा था कि वह धरती पर पैर नहीं रख रही सीधी सीधी चल रही है। जैसे? किसी को हवा में सीधा सीधा खड़े-खड़े चलाया गया हो। यहां पर वैसा ही देखने में आ रहा था। यह देखकर दोनों लोग भौचक्के रह गए। वह स्त्री और घोड़ा उस पेड़ के पास आकर रुक गया। उस स्त्री ने तुरंत ही घोड़े की बालों को झटका देकर एक सफेद थैली वहां पर गिरा दी।

जैसे ही वह थैली गिरी की आवाज आई। उस आवाज को सुनकर ऐसा महसूस होता था कि अवश्य ही उसे थैली में सिक्के हैं। यह सिक्के अवश्य ही सोने अथवा चांदी के होंगे। यह सोचकर दोनों भाई पेड़ पर बैठे आश्चर्य करने लगे। वह स्त्री और घोड़ा उस स्थान पर कुछ देर घूमते रहे। इसके बाद वह वहां से गायब हो गए। क्योंकि सुबह का हल्का हल्का प्रकाश दिखने लगा था। इसका मतलब कि सुबह होने वाली थी। अब दोनों लोगों ने सूरज के प्रकाश का इंतजार किया कि जब सूरज निकल आए तभी हम लोगों को नीचे उतरना चाहिए। क्योंकि? चुड़ैलों का कुछ भरोसा नहीं। कब वह हम पर हमला कर दें और मार डाले।

दोनों लोग पेड़ से नीचे उतर आए उस थैली के पास पहुंचे और उन्होंने थैली खोलकर देखा तो सच में उसके अंदर सोने की अशर्फियां थी। पूरा का पूरा थैला भरा हुआ था। उस थैले में बहुत सारे सोने के सिक्के होने के कारण दोनों लोग बहुत ज्यादा खुश हो गए। उसे ले कर के अपने गांव वापस आ गए। दोनों लोग अपने घरवालों को यह सब बता कर खुश होने लगे।

शाम के वक्त फिर दोनों भाई बैठे और आपस में बातचीत करने लगे। उन्होंने कहा कि क्या ऐसा हमेशा होता होगा? तो उन्होंने कहा कि शायद ऐसा होता हो। हम अगली अमावस को दोबारा चलेंगे और दोबारा से सोने की अशर्फियां प्राप्त करेंगे।

इस प्रकार उस दिन भोजन करके खुशी-खुशी सभी लोग सोने चले गए। रात के समय में अचानक से दोनों भाई जहां सो रहे थे। वहां पर घोड़े की आवाज आने लगी। ऐसा लगा कि कोई घोड़ा घर के बाहर आकर के खड़ा हो गया है। ऐसा देखने में कम ही आता है। लेकिन ऐसा चमत्कार उन लोगों के साथ में घटित हो रहा था। दोनों लोग एक दूसरे के चेहरे को देखकर घर के बाहर निकल आए। और उन्होंने वहां पर। घोड़े के साथ में उस चुड़ैल को खड़ा हुआ पाया जो इन दोनों को देख कर मुस्कुरा रही थी। दोनों लोग इसे देखकर बहुत ज्यादा डर गए। क्योंकि मुसीबत अब गांव में आ चुकी थी। आगे क्या हुआ गुरुजी यह भाग दो मैं आपको मैं भेज दूंगा। इसमें मैं देरी नहीं करूंगा। प्रणाम गुरुजी!

इस घटना में आगे क्या घटित हुआ था? जानेंगे नीचे दिये गए लिंक के भाग 2 मे अगर आपको यह पोस्ट और वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

घोड़े वाली चुड़ैल भाग 2

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