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घोड़े वाली चुड़ैल भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अभी तक आप लोगों ने घोड़े वाली चुड़ैल साधना में जाना कि किस प्रकार से एक व्यक्ति के दादा और उनके ही सगे भाई दोनों का सामना एक चुड़ैल से होता है। आगे जानते हैं कि इस घटना में क्या घटित हुआ था?

प्रणाम गुरुजी! आज मैं फिर से आपके पास उपस्थित हूं। हमारे ही पूर्वजों में घटित हुई चुड़ैल की घटना को बताने के लिए। आगे क्या हुआ, मैं अब आपको बताता हूं। दोनों लोग जब उस चुड़ैल को देखें तो बहुत ज्यादा डर गए। उस चुड़ैल ने वहीं से जोर-जोर से कहना शुरू कर दिया। तुम लोगों ने मेरा पैसा ले लिया है। या तो मेरा पैसा वापस करो या फिर मेरी शर्त मानो? दोनों ही सुनो मैं जो कहूंगी वह तुम्हें करना ही होगा। दोनों लोग डर के मारे थरथर कांपने लगे थे। मेरे दादाजी ने कहा कि हे देवी! तुम जो कहोगी हम करने को तैयार हैं। बताओ क्या करना है? इस पर चुड़ैल ने कहा, ठीक है अब अगर तुमने मेरा पैसा ले ही लिया है। तो इसे खर्च करके दिखाओ। पर याद रखना अगर तुमने इसे किसी गलत काम में खर्च कर दिया। तो मैं जो कहूंगी वह करना होगा। अगर तुम इसे खर्च नहीं कर पाए। तो मैं तुम्हें मार डालूंगी।

मैं इसके लिए एक अमावस से दूसरी अमावस तक का समय देती हूं। याद रखना मैं दोबारा कह रही हूं। किसी भी गलत काम में इसे खर्च मत करना और अगली अमावस तक इसे पूरी तरह खर्च कर देना। इस प्रकार वह कह कर वहां से अपने घोड़े के साथ में वापस लौट गई। मेरी दोनों दादा बहुत ही ज्यादा घबरा गए थे। उन्होंने सोचा कि अगर चुड़ैल ने कहा है कि पैसा खर्च करना होगा। तो खर्च कर देना जरूरी है। वैसे भी पैसा लिया तो इसीलिए जाता है कि उसे खर्च कर दिया जाए। यही सोचकर दोनों लोग आपस में सोचने लगे और वार्तालाप करने लगे। कि इस धन को कैसे खर्च किया जाए? यह एक बड़ा प्रश्न था। मेरे दादा ने कहा। क्यों ना ऐसा किया जाए, किसी को यह पैसा दान में दे दिया जाए। उन्होंने कहा, चलो ठीक है! और दोनों लोग अगले दिन सुबह उठकर। एक गरीब ब्राह्मण परिवार के पास गए। उन्होंने! उसे कहा कि तुम लोग बहुत अधिक गरीब हो इसलिए मैं अपनी थैली तुम्हें देता हूं। जाओ आराम से जिंदगी गुजर बसर करो। उन्होंने अपनी वह सोने की थैली उस गरीब ब्राह्मण परिवार को दे दी और यह खुशी-खुशी घर आ गए।

सोचा अब! हमारी समस्या दूर हुई। अगली अमावस तक जब चुड़ैल वापस आएगी। तो उसे हम बता देंगे कि हमने तुम्हारा पैसा अच्छे काम में खर्च कर दिया है। चार-पांच दिन बाद। अचानक से वह ब्राह्मण परिवार उनके पास वापस आया और उसने? कुछ धन! इनको वापस दे दिया। कहा कि हम सारा पैसा नहीं ले सकते। यह लेना गलत है। हम केवल उतना ही ले सकते हैं जितना हमारे लिए जरूरी है और यह कहकर वह! आधी थैली वापस कर गए। अब यह लोग फिर से घबरा गए। और सोचने लगे कि यह तो वापस कर गया। अच्छा हुआ कि इतने जल्दी वापस कर दिया। वरना यह उस दिन वापस लाता तो चुड़ैल हमें अवश्य ही मार डालती। अब क्या करें? फिर मेरे दादा ने कहा कि जितना उन्होंने खर्च कर दिया है वह तो ठीक है आधा हम किसी मंदिर में दान दे देते हैं। इसके बाद फिर मंदिर में वह लोग गए और वहां पंडित जी से कहा कि हम इस धन को दान देना चाहते हैं। पंडित जी ने तुरंत खुशी-खुशी वह सोने के सिक्के रख लिए और यह लोग फिर घर आ गए इस बात से संतुष्ट होकर। अब हमारी समस्या तो दूर हुई।

लेकिन समस्या दूर कहां होने वाली थी? करीब 15 दिन बाद। एक बार फिर से वह पंडित जी सोने की अशर्फियां लेकर उनके पास आ गए। और कहने लगे कि आपने बहुत मदद की मंदिर को दान दिया। जब मैंने मंदिर बनवाने की बात लोगों को बताई। तो लोग इतने अधिक खुश हुए कि सब ने मिलकर कुछ ना कुछ दान दिया। मंदिर बहुत ही भव्य बन चुका है। अगर मैं आपके बारे में लोगों को नहीं बताता तो लोग भी ध्यान नहीं देते। इसीलिए! मैं आपके धन को और अधिक बढ़ा कर वापस करता हूं। क्योंकि मेरे पास एक गरीब ब्राह्मण परिवार का भी धन है । कुछ लोगों के साथ में वह आए थे और उन्होंने भी! कुछ सिक्के दान में दिए। जब उन्होंने? बताया कि उनको किसी व्यक्ति ने दान दिया था। और यह दोनों बातें मिलती-जुलती हैं। इसलिए उन्होंने कहा कि हम भी यहां के लिए कुछ दान देना चाहते हैं, लेकिन आप उनका धन वापस लौटा दीजिए। जिन से आपने लिया है क्योंकि वह बहुत ही पवित्र हृदय के लोग हैं। स्वयं अपने पास कुछ खर्च कर दूसरों को दान देते हैं।

इसी कारण से यह थैली एक बार फिर से भर चुकी थी। पंडित बोला मैं आप को आप की थैली वापस लौटाने आया हूं। लोगों को मैंने वचन दिया है कि मैं यह थैली आपको वापस करूंगा। इस प्रकार यह थैली आप रख लीजिए। यह सुनकर मेरे दोनों दादा का दिमाग चकरा गया। इन्होंने सोचा भी नहीं था कि 15 दिन बीतने के बाद उनका धन वापस उनके पास ही लौट आएगा। यह कैसा अद्भुत चमत्कार था जितने सिक्के उन्होंने एक ब्राम्हण परिवार को और एक मंदिर में दान दिए थे। वह सब वापस आ चुके थे। अब दोनों लोग घबरा गए। वह कहने लगे अगर अगले 15 दिनों में। यह पैसे खर्च नहीं कर पाए तो हम अवश्य ही मारे जाएंगे। अब क्या करें? उन्होंने सोचा क्यों ना हम लोग कोई बड़ा भंडारा आयोजन करें। उसमे सारा धन खर्च कर दें और सभी को भोजन करवा दें। यह सोचकर वह एक बड़े साहूकार के पास केपास गए और उस साहूकार को अपने सोने भरी थैली देकर कहा कि आप भोजन से लेकर सभी सामग्रियों का प्रबंध। हमारे गांव में कीजिए और आसपास के सभी क्षेत्र के लोगों को भंडारा आयोजन में भाग लेने के लिए बुला लीजिए, ताकि सारे लोग आ कर के हमारे भंडारे में उपस्थित हो सके और अपना-अपना भाग ग्रहण कर सकें।

इस बात को सुनकर वह साहूकार बहुत ही प्रसन्न हुआ। उसने यह बात। वहां के सभी बड़े लोगों को बता दी और धीरे-धीरे करके। 10 दिन बाद आयोजित होने वाले भंडारे में सारे लोग आकर इकट्ठा हो गए। बहुत बड़ी संख्या में वहां पर भंडारा चलने लगा शाम होते-होते! सारा का सारा भोजन खा लिया गया। बड़े पैमाने पर किए गए भंडारे की वजह से जितनी भी सोने की थैली में सिक्के थे वो सारे खर्च हो चुके थे। और यह एक अद्भुत बात थी। दोनों लोग काफी ज्यादा खुश हो गए क्योंकि उन्हें पता था कि? पूरी तरह से वह अब इन चीजों से मुक्त हो चुके हैं। पर कहते हैं ना? मुसीबत घूम फिर के आ ही जाती है। इस प्रकार अमावस के केवल 3 दिन रह गए अचानक से ही। उस क्षेत्र के बड़े-बड़े! 8 – 9 साहूकार! मेरे दोनों दादा के पास आए। और उन्होंने आ करके कहा कि जब से भंडारा लोगों ने किया है तभी से सभी लोग काफी खुश हो गए हैं। सभी की आर्थिक उन्नति हो रही है। सब ने कहा जिन्होंने भंडारा कराया था। वह दोबारा से भंडारा का आयोजन करें। इसीलिए उन सब लोगों ने ने मिलकर! कुछ-कुछ सोने के सिक्के इकट्ठा किए और सभी ने एक साथ इकट्ठा किए गए उस धन को आप लोगों को देने के लिए कहा ताकि! सभी लोगों का भला करने के लिए, गरीबों को दान देने के लिए आपके पास धन की व्यवस्था कर दी जाए ताकि इसी तरह के भंडारे का आयोजन आप बार-बार करें।

इस प्रकार कहते हैं वहां पर 8 से 10 सोने की थैलियां उन लोगों को लाकर दे दी गई। यह देखकर दोनों का माथा चकरा गया। पता करने पर उन्हें यह जानकारी मिली कि ना सिर्फ उन्हीं के सिक्के वापस उनके पास आ चुके हैं बल्कि। 8-9 थैलियां और ज्यादा उनके पास सोना इकट्ठा हो चुका है। जिसका आयोजन करने की बात एक-दो हफ्ते बाद कही जा रहा है लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि एक 2 हफ्ते के बाद अमावस्या बीत चुकी होगी। लेकिन चुड़ैल की शर्त के मुताबिक! अमावस्या तक उन्हें अपना सारा धन खर्च करना था। पर यहां पर तो इससे भी बड़ी मुसीबत आ चुकी थी। घर जितना खर्च करना था, उससे कई गुना ज्यादा उनके पास आ चुका था। अब करें तो क्या करें? किसी गलत कार्य में भी धन खर्च करना उनके लिए संभव नहीं था क्योंकि चुड़ैल का सख्त निर्देश था कि गलत कार्य में अगर खर्च करोगे तो भी मारे जाओगे। अब दोनों लोग क्या करेंगे? मैं यह बात आपको अगले पत्र में बताऊंगा गुरुजी! प्रणाम गुरुजी!

अगले भाग में हम लोग जानेंगे कि इनके दादा परिवार में आगे क्या घटित हुआ था? आज का वीडियो/पोस्ट आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें,आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

घोड़े वाली चुड़ैल भाग 3

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