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चंद्रा अप्सरा ने खूबसूरत प्रेमिका मुझे दी एक अद्भुत प्रेम कहानी भाग 3-अंतिम भाग

चंद्रा अप्सरा ने खूबसूरत प्रेमिका मुझे दी एक अद्भुत प्रेम कहानी भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम चंद्र अप्सरा ने खूबसूरत प्रेमिका मुझे दी एक अद्भुत प्रेम कहानी का अगला और अंतिम भाग के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं इस अनुभव के विषय में।

नमस्कार गुरु जी आपने मेरे अनुभव को प्रकाशित किया किंतु आपकी यात्रा के कारण आप शायद मेरा अनुभव जल्दी प्रकाशित नहीं कर पाए हैं। किंतु गुरु जी इसका यह आखरी भाग अवश्य ही दर्शकों तक पहुंचाएं तो गुरु जी मैं देर न करते हुए अपने अनुभव पर आता हूं। जब गुरुजी तीरों की बारिश होने लगी थी। तब मैं नीचे बैठ गया था और फिर उसने मुझसे कहा, तुम चुपचाप यहां से घर निकल जाओ। मैंने उससे कहा। यह तीरों की वर्षा मेरे ऊपर और आपके ऊपर क्यों हो रही है? तब उसने कहा, यह तुझे मैं बाद में बताऊंगी ऐसा कर! तू यहां से निकल जा और मैंने तुरंत वहां से भागना ही उपयुक्त समझा। मेरे पर तीरों की बारिश हो रही थी लेकिन एक भी तीर मुझे नहीं लगा। मैं चुपचाप अपने घर पहुंच गया। अगले दिन मैं बेसब्री से इंतजार करने लगा। अपनी इस खूबसूरत प्रेमिका से मिलने के लिए और जैसे ही रात हुई, मैं तेजी से तालाब की ओर गया। तब वहां पर मैंने एक व्यक्ति को तालाब में मटके से जल डालते हुए देखा।

तब मैंने उससे पूछा भाई! तालाब से तो पानी लिया जाता है। आप तो तालाब में पानी डाल रहे हैं। इसका क्या मतलब है तब वह हंसते हुए कहने लगा। यह स्थान बहुत पवित्र है और मैं वर्ष में एक बार यहां आकर चंद्रताल का जल इसके अंदर डालता हूं। जिससे यह भी चंद्रताल की तरह शुद्ध हो सके। मेरा यही कार्य है।

मैं? इस बात को समझ गया कि क्यों मेरी यहां साधना बिल्कुल अच्छे से चल रही है? और मैं फिर साधना करने बैठ गया। साधना खत्म होने के बाद मैं जैसे ही उठा, वह मुझे स्पष्ट रूप से नजर आई। उस ने मुस्कुराते हुए कहा। आ गए आप? कल के लिए मैं आपसे क्षमा चाहती हूं। मैंने आपसे! बहुत ही तीव्र भाषा में बात की। पर मैं क्या करती आपकी रक्षा करना भी तो जरूरी था। तब मैंने उससे पूछा आखिर? आप ऐसा क्यों कह रही थी? वह तीर चलाने वाले कौन थे? और हमें वहां से भागने के लिए आपने क्यों कहा था?

उसने कहा ठीक है, मैं तुम्हारे सारे प्रश्नों के उत्तर दूंगी। लेकिन तुम अपने साथ यह मदिरा की बोतल क्यों लेकर आए हो? तब मैंने देखा मैं बीयर की बोतल अपने साथ लेकर आ गया था। शायद मेरा खुद ही दिमाग खराब था।

लेकिन? उसने कहा, ऐसी चीजों से दूर रहना चाहिए। लेकिन इसे यहां भी खुले में मत छोड़ना इसे अपने साथ ही रखो। मैं आपको अपने आश्रम में ले चलती हूं, तब वह मुझे अपने आश्रम लेकर जाने लगी।

जंगल के बीच घने अंधकार से चलते हुए हम धीरे-धीरे चंद्रमा की रोशनी से सजे हुए खूबसूरत आश्रम में पहुंच गए। आश्रम सच में बहुत सुंदर था। जैसे कि देवताओं ने उसे बनाया हो और मैं जब अंदर गया तो वह मेरे साथ जाने से पहले मेरे माथे पर चुम्बन ली ।

उसने ऐसा क्यों किया, मुझे समझ में नहीं आया लेकिन ऐसा लगा जैसे मेरा तीसरा नेत्र खुल गया है। मैं उसका हाथ पकड़ कर अंदर जाने लगा। वहां पर बहुत सारी स्त्रियां थी। सभी कुंवारी कन्याएं मुझे दिखाई दे रही थी। तब मैंने सोचा यह कैसा स्थान है जहां पर इतनी अधिक मात्रा में स्त्रियां रहती है?

मैंने उससे पूछा, आपका आश्रम क्या सिर्फ कन्याओं और स्त्रियों का ही आश्रम  है? ऐसा क्या है कि आश्रम में केवल स्त्रियां ही दिखाई दे रही हैं। यहां तो कोई पुरुष दिखाई ही नहीं दे रहा?

तो उसने कहा, अभी से इतने प्रश्न चलो मैं तुम्हें अंदर ले चलती हूं। मैं अंदर गया। वहां एक विशालकाय भवन था।

दरवाजा खोलने पर मुझे लगा था, छोटी सी कुटिया होगी। लेकिन यहां पर तो एक विशालकाय राज महल सा भवन था। मैं उसके अंदर गया जैसे राजा लोग बैठे होते हैं ठीक उसी तरह उस स्थान पर ठीक सामने एक सिंहासन पर बैठी हुई स्त्री थी और उसके चारों तरफ बहुत सारी स्त्रियां वैसे ही बैठी हुई थी। जैसे स्वर्ग में इंद्रदेव के चारों तरफ देवताओं का आसन होता है। मैं बिल्कुल अचरज में था। मैं उसके साथ जैसे-जैसे कदम आगे बढ़ा रहा था, मन में डर बढ़ता ही जा रहा था। मैं सोच रहा था। यह कैसी जगह है? तब उसने कहा, चुप एकदम शांत रहो और चलकर हमारी गुरु से वार्तालाप करो।

मैंने तो सोचा था कि गुरु मतलब कोई पुरुष होगा।

पर यहां पर तो स्त्री गुरु थी।

तो मै वहां पर पहुंचा। तब सामने उन्हें देखा वह अत्यधिक सुंदर दिव्य प्रकाश से भरी हुई और सभी गहने आभूषणों से लदी हुई थी। उन्हें देखकर मन एकदम शांत हो गया। मैंने उन्हें प्रणाम किया तब उन्होंने हंसते हुए कहा। मेरी आराधना कर रहे थे। चलो मैंने भी सोचा तुम्हें दर्शन दे ही दूं।

तब उन्होंने कहा ठीक है लेकिन परीक्षा भी होगी। मैंने उनसे पूछा, आप कौन हैं? और दर्शन देने वाली बात का क्या मतलब है? तो वह कहने लगी। मैं चंद्रा अप्सरा हूं।

और यह सारी जितनी भी कन्याएं तुम देख रहे हो यह सारी अप्सराएं हैं। यह सारी मेरे साथ मेरी ही शिष्यता में रहती है।

अर्थात ऐसा समझो कि मैं इनकी गुरु और यह सारी मेरी शिष्या है।

मैंने कहा तो क्या मैं आपके ही दर्शन अभिलाषा के लिए और आपको प्राप्त करने के लिए?

साधना कर रहा था।

उन्होंने हंसते हुए कहा। मुझे प्राप्त करना किसी भी मनुष्य के लिए बहुत ज्यादा कठिन है। हां, इतना जरूर है कि तुम मेरी किसी भी शिष्य अप्सरा को प्राप्त कर सकते हो? लेकिन उसमें भी परीक्षा होगी। मुझे तपस्या करते हुए कई हजार वर्ष बीत चुके हैं। मेरे बराबर बड़ा तपस्वी ही मुझे प्राप्त कर सकता है। मैं उसका इंतजार भी कर रही हूं जल के रूप में मैं चंद्र ताल में स्थित हूं।

और यहां पर जब तुमने साधना करने के बारे में सोचा। तो? इस भावना से प्रेरित होकर मेरी इस शिष्या ने एक गंधर्व को भेजकर। चंद्रताल का जल यहां तालाब में गिरा दिया था।

जिससे तुम अभी मिलकर आ ही रहे होगे।

ठीक है जाओ आनंद लो अपनी इस मित्रता का। तब वह! जिसे मैं प्रेम करता था, उसका हाथ पकड़कर महल के अंदर दूसरी तरफ गया।

मुझे इधर-उधर घुमाने लगी। अब उसके प्रति मेरा प्रेम बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। पता नहीं मेरे अंदर कैसे उसके प्रति? वासना भी जन्म लेने लगी। तब उसने कहा, चलो जल के अंदर चल कर थोड़ा बहुत खेलते हैं। और मैं और वह जल में चले गए। तब मैंने देखा, मैं वस्त्र विहीन था।

और वह भी!

इस प्रकार हम दोनों के बीच में नजदीकियां बढ़ने लगी और न चाहते हुए भी मैंने उसके साथ रतिक्रिया की।

इस प्रतिक्रिया के बाद मैं बहुत ज्यादा खुश था तब उसने! मेरे होठों पर चुंबन करते हुए कहा। तुम्हारा और मेरा साथ बस इतना ही था।

गुरु माता का आदेश है, तुम्हें छोड़ना पड़ेगा। पर इस प्रकार से मुझे बहुत तेज नींद आ गई और मैं सो गया। सुबह के प्रकाश निकलने के समय मैंने देखा कि मैं बीच जंगल में पड़ा हूं।

और मेरे बगल में बियर की वही बोतल पड़ी हुई थी।

आप सभी के मन में एक प्रश्न आएगा कि क्या मैंने सब कुछ? शराब पीने की वजह से नशे में देखा। ऐसा नहीं है जिस पर बीतती है वही जानता है। किंतु उसके बाद मैंने बहुत प्रयास किया। साधना की पर कोई अनुभव नहीं हुआ। मैं जानता हूं कि कुछ ना कुछ गलती मुझसे हो गई। पर मैंने स्पष्ट रूप से देवी चंद्रा को देखा है। उनकी अप्सराओं को देखा है।

उनकी साधना करने वाले को अप्सरा वह स्वयं प्रदान कर देती हैं और इस बात का इंतजार कर रही है कि कौन उन्हें स्वयं वरण करने की शक्ति रखता होगा और उन्हें प्राप्त करेगा।

गुरु जी यही मेरी! सच्ची अनुभव की छोटी सी घटना है। कृपया मेरा नाम पता ईमेल कुछ भी प्रकाशित ना करें। मैं जानता हूं समाज में ऐसी चीजों को लोग सत्य नहीं मानते हैं।

मैं भी प्रमाण के रूप में सिर्फ अनुभव ही भेज पा रहा हूं। क्योंकि उस जंगल में ना तो कोई आश्रम मुझे दोबारा दिखा नहीं। वह कन्या और ना ही वह व्यक्ति जो तालाब में जल डाल रहा था।

गुरु जी आपको? प्रणाम करता हूं और अपने पत्र को समाप्त करता हूं।

सन्देश- इस प्रकार आप लोगों ने देखा कि कैसे शक्तियां परीक्षा ले लेती हैं। सब कुछ प्रदान भी करती हैं, लेकिन अगर आप उनकी परीक्षा में किसी समय भी गलती करते हैं तो फिर वह आपको छोड़कर चली जाती हैं। जैसा कि उन्होंने गलती की इसी की वजह से इनके साथ यह सब कुछ हुआ और इसी प्रकार वह गायब भी हो गई। इस साधना को अगर आप खरीदना चाहते हैं तो इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक दिया है। वहां से इंस्टामोजो पर जा कर यह साधना भी खरीद सकते हैं। अगर आज की कहानी आपको अच्छी लगी है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

https://youtu.be/JoxtsGuAi0I
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