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चंद्र ग्रहण पर रुद्राक्षी देवी साधना

चंद्र ग्रहण पर रुद्राक्षी देवी साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। इस वर्ष सूर्य ग्रहण के बाद अब चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। ऐसे में ऐसी कोई तांत्रिक साधना जो अत्यंत ही गोपनीय हो और जिसके माध्यम से अभूतपूर्व सिद्धियां प्राप्त की जा सके। इस के संदर्भ में आज मैं आपको बताने जा रहा हूं। यह एक अति गोपनीय योगिनी शक्ति की साधना है। कौन है यह योगिनी और क्यों इसे चंद्र ग्रहण पर सिद्ध करके विभिन्न प्रकार की तंत्र सिद्धियां प्राप्त की जा सकती है। इसके विषय में आज के वीडियो के माध्यम से जानेंगे और इसकी तंत्र साधना जो कि काफी सरल है उसको आप मेरे इंस्टामोजो अकाउंट से प्राप्त कर सकते हैं जिसका लिंक मैंने इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे रखा है। चलिए शुरू करते हैं इस रहस्यमई साधना के विषय में ज्ञान को प्राप्त करना तंत्र साधना में एक ग्रंथ है। धर्मसिंधु उसमें कहा गया है कि ग्रहण लगने पर स्नान, ग्रहण के मध्यकाल में हवन और देव पूजन श्राद्ध आदि करना चाहिए। ग्रहण जब समाप्त हो तब दान और फिर उन्हें स्नान करना चाहिए।

तंत्र शास्त्र के अनुसार तंत्र साधना इस वर्ष बहुत अधिक कामयाब होती हैं। जब सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण लगता है। अघोरी औगढ़ विभिन्न प्रकार के तांत्रिक। जो कि जंगल और गुफाओ इत्यादि में रहते हैं, सिद्धि प्राप्त करने की कोशिश करते हैं और निश्चित रूप से उन्हें अति गोपनीय सिद्धियों की प्राप्ति अवश्य होती है। इसी में एक कथा के माध्यम से इस? शक्ति जिसे हम रुद्राक्षी कहते हैं, योगिनी सिद्धि को प्राप्त किया जा सकता है। इस संबंध में यह कहा जाता है। यह साधना सूतक लगते ही प्रारंभ कर देनी चाहिए और ग्रहण समाप्ति तक आपको करनी होती है। इसके बारे में गोपनीय रूप से यही बताया गया है कि कोई भी ग्रहण कालीन साधना सूतक लगते ही प्रारंभ कर देनी चाहिए। तभी उसका पूर्ण फल मिलता है। इसलिए जैसे ही चंद्र ग्रहण का सूतक लग जाए तभी से साधक इस साधना को किसी एकांत स्थल में बैठकर करने लगे और ग्रहण समाप्त होने पर। इस साधना को पूर्ण कर स्नान करें। यह साधना बहुत ही तीव्र और मनोवांछित तभी सभी प्रकार की तंत्र सिद्धियों को देने वाली है इस साधना के संबंध में। जो कथा आती है वह इस प्रकार से है एक बार जब। भगवान शिव साधना में लीन थे उस वक्त चंद्रग्रहण जब पड़ा तब। राहु

चंद्रमा को अपने ग्रहण में लेने की कोशिश की चंद्रमा जो कि भगवान शिव के सिर पर विराजित हैं।

वह उस वक्त भगवान शिव से प्रार्थना करने लगे। प्रभु अगर इसने मुझे इस वक्त अपने ग्रहण में ले लिया तो चंद्रलोक में मेरी पत्नियों का क्या होगा? क्योंकि मैंने सुना है कि विभिन्न प्रकार के राक्षस चंद्रग्रहण पर हमला करने की सोच रहे हैं। ऐसे में मेरी सभी 27 पत्नियां उनके अधिकार में आ जाएंगी क्योंकि ग्रहण की वजह से मैं उनकी रक्षा नहीं कर सकता हूं। तब भगवान शिव ने संकेत दिया कि मेरे शरीर पर देखो खासतौर से मेरे सिर को देखो। यहां पूरे रुद्राक्ष भरे हुए हैं। अब यही तुम्हारी रक्षा करेंगे। यह कहकर भगवान शिव ने अपने नेत्र बंद कर लिए। तब चंद्रमा ने अपनी शक्ति रुद्राक्ष पर डाली और भगवान शिव के सिर पर रखे हुए सारे रुद्राक्ष चमकने लगे। वह मुकुट पूरा बन गया और भगवान शिव के शरीर के सारे रुद्राक्ष एक साथ मिलकर प्रकाशित रूप में एक छोटे से रुद्राक्ष में बदल गए जो चंद्रलोक की ओर गमन कर गया। वहां पहुंचकर। जैसे ही चंद्र ग्रहण लगा चंद्रमा ने अपनी सारी शक्तियां खो दी।

और शांत हो गया।

तभी राक्षसों ने चंद्रलोक पर चंद्रमा की 27 पत्नियों को अपने अधीन करने और अपनी रानी बनाने के लिए।

चंद्रलोक पर आक्रमण कर दिया किंतु सामने उन्होंने शरीर पर रुद्राक्ष पहने एक शक्तिशाली कन्या को खड़े हुए देखा। यह बहुत ही शक्तिशाली थी और इसने लगभग सभी राक्षसों का वध कर दिया। सभी चंद्रलोक की रानियां इन्हें प्रणाम कर इनका नाम पूछने के लिए उनके सामने उपस्थित हुई। तब उन्होंने कहा देवी मां भगवती की कृपा से आपने हमारी रक्षा की है। आप कौन हैं तब वह कहने लगी। मुझे नहीं पता मैं तो सिर्फ? भगवान शिव की पुत्री स्वरूपा एक अंश मात्र हूं और उनकी इच्छा से यहां पर रुद्राक्ष के रूप में प्रकट होकर आप सभी की रक्षा के लिए आई हूं। तब सभी ने उन्हें रुद्राक्षी कहकर पुकारा। यही रुद्राक्षी! महाशक्तिशाली योगिनी के रूप में संसार में व्याप्त हो गई और यह केवल भगवान शिव की आज्ञा से केवल चंद्रग्रहण के समय ही जागृत होती हैं। इसीलिए इनकी साधना चंद्र ग्रहण पर सूतक लगते ही शुरु कर देनी चाहिए। इसीलिए ग्रहण समाप्त होते ही देवी किसी ना किसी रूप में साधक को दर्शन देकर उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करती हैं। यह साधक को प्रेमिका पत्नी, माता, बहन, मित्र इत्यादि सभी रूपों में सिद्ध हो जाती है लेकिन? याद रखें पत्नी या प्रेमिका रूप में सिद्ध करने वाला साधक संसार में किसी अन्य स्त्री के साथ। अपना संबंध नहीं बना सकता है।

और पूरी तरह भगवान शिव की तरह ही योगी आजीवन बनकर रहने वाले साधक को ही यह सिद्धियां प्रदान करती हैं और उसे संसार की सभी सिद्धियां देने में सक्षम मानी जाती हैं।

जिस प्रकार भगवान शिव पूरे शरीर में रुद्राक्ष धारण करते हैं इसी प्रकार इनकी साधना के वक्त भी शरीर पर।

यानी अपने शरीर के ऊपर! पूरी तरह रुद्राक्ष धारण करें पूर्ण नग्न होकर शरीर के सभी अंगो को रुद्राक्ष से आच्छादित कर ले खासतौर से अपने सिर को पूरी तरह से ढक ले। रुद्राक्ष के माध्यम से इस प्रकार का मुकुट बना लें। अब इस बने हुए मुकुट और शरीर पर पहने गए रुद्राक्ष को धारण कर लाल रंग के ऊनी आसन पर बैठकर सामने घी का दीपक प्रज्वलित कर।

बिना किसी माला और चित्र!

मूर्ति इत्यादि सभी चीजों को छोड़कर मात्र आंखें बंद करके देवी का ध्यान करते हुए मंत्र का अखंड जाप लगातार सूतक काल से लेकर और ग्रहण समाप्त होने तक करें।

इसके अलावा इस तंत्र साधना में कुछ विशेष चीजों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह साधना सरल है किंतु जब देवी प्रकट होती है तब आपको अनियंत्रित नहीं होना है और इनकी विभिन्न प्रकार की परीक्षा में आपको सफल रहना है। उसके बाद साधक इन्हें सिद्ध करके सभी प्रकार के अपने कार्यों को संपादित कर सकता है। यह साधना विभिन्न प्रकार की सिद्धियों को देने वाली है।

जो भी साधक इन्हें पत्नी स्वरूप में प्राप्त कर लेता है वह साक्षात भूमि पर निवास करने वाले भगवान शिव के समान हो जाता है क्योंकि वह केवल 24 घंटे साधना ही किया करता है जैसे कि आपने साधु लोगों को देखा ही है। लेकिन जब यह आपके नजदीक आती हैं तो अवश्य ही सुगंध आपको महसूस हो जाती है।

इसके अलावा कभी-कभी साधक को डमरू के बजने की आवाज रुद्राक्ष के गिरने की आवाज और इनके शरीर से आती खुशबू!

और शक्तियों का शरीर को हल्के से छूकर गुजर जाने जैसे अनुभव साधना के दौरान होते हैं। यह देवी बहुत शक्तिशाली है और एकमात्र इनकी पूर्ण सिद्धि हो जाने मात्र से किसी अन्य सिद्धि की आवश्यकता तक नहीं रहती।

इस साधना को आप मेरे इंस्टामोजो से खरीद सकते हैं। जिसका लिंग मैंने नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे दिया है।

आप सभी का दिन मंगलमय हो धन्यवाद!

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