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चाइल्ड स्पेशिलिस्ट लेडी डॉक्टर की ब्रम्ह पिशाच अनुभूति 2 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। ब्रह्म पिशाच साधना अनुभव यह दूसरा और अंतिम भाग है। इस साधना के अनुसार यहां पर जो भी अनुभव सामने प्रकाशित हुआ है वह कुछ विशेष तरह की18+ कंटेंट है तो आप लोग इसे ध्यान से ही ले और किसी प्रकार की मर्यादा का उल्लंघन ना करें क्योंकि कोई अपने जीवन में घटित हुई विशेष अनुभव को बड़ी मुश्किल में लिखता है तो चलिए आगे बढ़ते हैं और पढ़ते हैं इनके पत्र को। कैसे जीवन में आखिर ऐसा अनुभव घटित हुआ था?

पत्र – गुरु जी के आदेशानुसार उस जगह में पहुंचने की सब तैयारी करने लगे थे। हम लोग वहाँ लगभग रात के 10:00 बज चुके थे। रात अपनी अंधेरे की सीमा को बढ़ाते हुए घनघोर सी प्रतीत होती थी। वहां का माहौल पूरी तरह से बदल चुका था हर चीज अपने सही क्रम से यहां पर पूरी की जानी थी और इन चीजों का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए था। क्योंकि गलती की कोई यहां पर गुंजाइश नहीं थी।

साथ ही गुरु जी ने अपनी सुरक्षा के लिए भी थोड़ी दूर पर अपनी व्यवस्था की हुई थी। वह इतनी दूरी में अपना स्थान बनाए थे कि दोनों एक दूसरे को सिर्फ देख भर सकें। अब हम दोनों अपनी अपनी जगह की तरफ चल पड़े और इस कार्य की तैयारी को करने लगे। मैं उस छोटी सी नदी में उतरी और फिर एक सफेद साड़ी ओढ़ी और नदी में डुबकी लगाने लग गई।

डुबकी लगाने के बाद वैसे ही गीली साड़ी के साथ में मैं उस हवन कुंड की तरफ आ चुकी थी जो एक सुरक्षा घेरे के अंदर पहले ही हम लोगों द्वारा बना दिया गया था। सब कुछ फिर दोबारा चेक करने के बाद मैं साधना के लिए बैठ गई । गुरुजी दूरी से वह मुझे देख रहे थे और अपने सुरक्षा घेरे के अंदर मैं बैठी हुई थी पर मेरी सब गतिविधि को समझा जा सकता था। बस मेरे कान में ब्लूटूथ के हेडफोन के जरिए सब कुछ वह बता रहे थे कि आगे किस प्रकार से करते रहना है।

मैं हवन कुंड के पास आ गई जो कि सुरक्षा घेरे के अंदर बना हुआ था और उसमें आग जला ली। आग को चलाएं रखने के लिए उसमें आहुति देनी पड़ती थी। इस बात का ध्यान रखना था। मैं अपनी साड़ी को खोलकर पूर्णतः नग्न शरीर में, खुद के पास बैठ जो हवन कुंड था वहाँ अपनी क्रियाओं को शुरू करने लगी। इधर मंत्र जाप चल रहा था और उसमें उस हवन मे आग लगी हुई थी। बाकी हर चीज को मंत्र बोल करके करना था। मंत्र जाप मैंने 12:00 से थोड़ी देर पहले ही शुरू करके, साधना शुरू कर ली और मंत्र जाप के साथ आहुति भी दे रही थी।

मेरे! शायद 30 से 45 मिनट बीत चुके होंगे। एक अजीब सी बदबू आने लगी और ऐसा लगा कि पूरी जगह जली हुई लाशों के ढेर से लग गए हैं। बहुत ही बुरी बदबू वहां के वातावरण को प्रदूषित कर रही थी। अजीब बात यह थी कि गुरु जी को भी इस चीज का आभास हो गया था और उनको भी बदबू आ रही थी। वह ब्लूटूथ के माध्यम से बोले कि अब समय आ चुका है। अपना मंत्र जाप पूरा करो पूरा करने के बाद ही उसकी तरफ ध्यान दे सकती हो।

मेरे अंदर भी अब डर बैठ चुका था। ऐसा डर कि मैं मंत्र जाप। अधूरा ही छोड़ दूँ, लेकिन फिर भी मैं लगातार लगी रही । कुछ समय के बाद ऐसा लगा जैसे कि मेरे पीछे की झाड़ी में से मुझे कोई देख रहा है और झाड़ी के हिलने की आवाज जोर-जोर से बढ़ने लगी और ऐसा महसूस हुआ कि उधर से कोई निकलने ही वाला है। महसूस हो रहा था जैसे कि कोई पीछे से मेरे सामने की तरफ आने ही वाला है और धीरे-धीरे मेरी तरफ आ भी रहा है। अब सब कुछ मेरी आंखों के सामने हो रहा था जो सब गुरु जी ने बताया भी था।

मंत्र जाप करते अपनी आंखें उठाकर सीधे आगे देखने लगी। मुझसे लगभग 10 से 12 फुट की दूरी पर कोई था। पहले वहां एक काली सी आकृति को मैंने आते हुए सा देखा जो कि पास ही आ रहा था। वह सुरक्षा घेरा तक आकर रुक गया। मेरी नजर पड़ी उस पर । इतना भयानक रूप शायद किसी मुर्दे का भी नहीं होगा। चेहरा सड़ा हुआ था और उसमे कीड़े लगे थे।

दांत भी बाहर से निकले महसूस हो रहे थे। लाल आंखें थी। उसका पूरा शरीर सड़ के गल चुका जैसा भयानक दानव नजर आता था।

कोई शरीर उसके रंग जैसा लग ही नहीं रहा था। मैं मंत्र जपती रही और वह उस सुरक्षा घेरे के बाहर तिल मिलाया हुआ था। गुस्से से घूर रहा था और उसके गुर्राने की जैसी आवाज सी महसूस हो रही थी। उसी टाइम गुरु जी की आवाज आई। मंत्र जाप पूरा करो और वचन मांगो और भोग के लिए तैयार रहो।… मैं अपने काम में लगी रही और मंत्र जाप पूरा किया। फिर उसी तरफ देखा। वह बोला और पूछा मुझे क्यों बुलाया है तूने? मेरे अंदर डर समा चुका था पर अभी डर से मै, काम! से पीछा नहीं छुड़ा सकती थी।

मैं ऊंची आवाज़ में बोली, मैंने तुझे अपने कामों के लिए बुलाया है और तेरी सिद्धि मुझे चाहिए। वह बोला, मैं पिशाच किसी का काम नहीं करता जब तक कि मैं किसी से खुश नहीं हो जाता हूं। वैसे भी तू एक स्त्री है। मैं बोली ठीक है, तुझे खुश करूंगी पर मुझे वचन तुझे देना होगा। मैंने उसे अपने वचनों में गुरुजी बांध लिया और उसने तीन वचन मुझसे ले लिए । मैं अपनी जगह से उठी और खड़ी हो गई।

वह मेरे नग्न शरीर को ऐसे घूर रहा था जैसे कि कोई हवस का पुजारी हो। मैं उससे यह वचन ले चुकी थी कि मुझे वह नुकसान नहीं पहुंचाएगा। इस कारण से मैं धीरे से बाहर आई और उसके शरीर को छुआ। सच में उसके शरीर को महसूस कर सकती थी कि वह एक सड़ा हुआ सा इंसानी शरीर लग रहा था। उसके शरीर पर कीड़े भी थे। आगे कुछ महसूस होता कि उसने मुझे अपने कंधे में उठा लिया।

वह उठाकर मुझे दूर ले जाने लगा। मेरे हाथ उसकी पीठ की तरफ थे जिससे मुझे लगा था कि उसकी पीठ पूरी खोखली है बस पिंजर की हड्डी दिखाई पड़ती थी। उसने लगभग मुझे 50 से 70 फीट की दूरी में नीचे पटक दिया।

फिर मेरे शरीर के साथ वह खेलने लगा। यह सब मुझे घिनौना सा लग रहा था, परंतु मैं वचन में बंध चुकी थी। इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था। वह मेरे से खेल रहा था और फिर उसने अपने प्राइवेट पार्ट का प्रयोग करना शुरू कर दिया। गुरुजी ये बातें बतानी तो नहीं चाहिए पर मेडिकल फील्ड में होने के कारण मैं तीन-चार बार पहले ही इंटीमेट हो चुकी थी पर इसका एहसास कुछ अलग ही था। उस समागम में भरपूर आनंद मिल रहा था। उसके करने का तरीका इंसानी मनुष्य से बिल्कुल अलग था।

मैं उसके उस कार्य से बहुत ही अधिक! उत्तम महसूस कर रही थी। इस प्रकार उसने वह कार्य समाप्त किया। मेरे साथ संभोग कर लेने के बाद में उसने कहा कि मेरे लिए मंत्र को 7 बार बोलने पर ही मैं आ जाऊंगा। गुरु जी आज भी वह मेरे साथ है और कुछ खास काम होने पर ही मैं उसे बुलवा लेती हूं। हां इतना है कि मुझे अब दूसरे पुरुषों में कोई रुचि नहीं ररी। जब वह आता है तो वो मुझसे संभोग करता है और वह दिन अमावस्या का होता है। गुरु जी यह मेरी कहानी है। इसमें कुछ पर्सनल सेक्स कंटेंट होने के कारण आप अपने हिसाब से ही यहां पर बताइएगा।आप इस घटना को प्रकाशित करें। और अपने ही शब्दों में इसे कहिए।

मैं बहुत कुछ डिटेल में बता सकती थी किंतु! कुछ मर्यादाओं के कारण मैं यहां पर नहीं बता सकती

और मैं दर्शकों से निवेदन करना चाहती हूं कि कृपया किसी भी चीज को हल्के में या मजाक में ना लें क्योंकि दुनिया में वही चीज सत्य होती है जो अक्सर मजाक में उड़ा दी जाती है

धन्यवाद गुरु जी

संदेश – यहां पर इनके जीवन में किस प्रकार से सिद्धि इनको हो गई और ब्रह्म पिशाच इनको सिद्ध हो गया है, लेकिन वह इन्हें अपनी पत्नी की तरह भोग रहा है। यह चीज आपके कार्यों को तो करती रहेगी लेकिन भविष्य में आपके लिए समस्या और संकट उत्पन्न कर सकती हैं। इसके अलावा पूरी जिंदगी इस की सिद्धि अगर आपको बनी रही तो आपको यह अपने लोक में खींचने की कोशिश भी करेगा। इन बातों को ध्यान देते हुए आपको कोई बड़ी सिद्धि, योग गुरु मंत्र या इष्ट मंत्र की सिद्धि कर लेनी चाहिए ताकि मृत्यु के बाद आप की गति खराब ना हो। दूसरी बात भौतिक जीवन में भी आप अपने साथी को चुन लीजिए और अपने जीवन को उत्तम बनाइए यह कार्य शक्तियां। केवल और केवल अपने जैसा दूसरे को बनाने की कोशिश करती हैं कुछ समय तक के लिए तो इनसे काम लिया जा सकता है। लेकिन पूरी जिंदगी इन्हें रखना उत्तम नहीं होता है। इससे गति बिगड़ जाती है। अगर आप लोगों को यह पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें चैनल को, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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