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जमाल खान और असम की जादूगरनियाँ भाग 1

जमाल खान और असम की जादूगरनियां भाग 1

धर्म रहस्य चैनल में आपका एक बार फिर से स्वागत है मैं आज आपके लिए एक ऐसी अनोखी ना सुनी हुई लोक कथा और दंतकथा लाया हूं । जो तंत्र-मंत्र की कहानियों पर ऊपर आधारित है । और एक ऐसे अजीब से दृश्य को दिखाती है जो ना किसी ने सुना है और ना ही जाना है ।इसलिए आप चाहे माने या ना माने लेकिन इन कहानियों का आप लोग आनंद ले । जैसे पिछली कहानियों को आप लोगों ने बहुत पसंद किया है । और बहुत ही रिसर्च करके इन कहानियों को निकाला था मैंने । और यहां पर भी असम के काले जादू और वहां पर गए हुए मुगल सैनिक की कहानी है । तो उसको आज मैं बताने जा रहा हूं आप लोगों को यह कहानी जरूर पसंद आएगी तो चलिए शुरू करते हैं  । एक मुगल सैनिक जिसका नाम जमाल खान था । वह बचपन से ही बड़ा वीर था । उसे यह  शौक था मुगल सेना में जल्द से जल्द भर्ती हो जाए मुगल सेना में भर्ती होकर के वह सब कुछ जीतना चाहता था । यह वह दौर था जिस समय मुगल सेना कहीं भी पराजित नहीं हो रही थी । पूरे भारतवर्ष में ही नहीं पूरे एशिया तक मुगल साम्राज्य का चर्चा थी । मुगल सेना हर प्रकार से हर जगह ही इन्हें अपराजय ही समझा जाने लगा । इसी दौर में एक भयंकर घटना घटी थी यह कहानी उसी पर आधारित है । और यह एक सैनिक की कहानी है जो तंत्र-मंत्र के फेर से होता हुआ उस महान युद्ध को देख सका ।

तो जमाल खान बचपन से ही मुगल सेना में भर्ती होना चाहता था । मुगल सेना में भर्ती होना उन दिनों बहुत बड़ी बात मानी जाती थी । क्योंकि मुगल सेना का सैनिक की अच्छी तनख्वाह अच्छे वस्त्र और समाज बड़ी इज्जत होती थी । क्योंकि वह मुगल सेना में कार्य कर चुका है और यही नहीं बाद में बच्चे या उनके खानदान के लोग उस सेना में भर्ती होने का योग प्राप्त होता था । 18 साल का होने पर उसकी भर्ती कर ली गई । और धीरे-धीरे करके क्योंकि उस दौर का जमाना ही ऐसा था उस जमाल खान की चार शादियां हो गई मुगल सेना में भर्ती होने की वजह से चारों बीवियों का पालन पोषण उसके लिए कोई कठिन बात नहीं थी । और चारों बीवियां उससे खुश थी । और उसकी चारों बीवियां बहुत ही सुंदर थी । एक बार जमाल खान एक शाही दरवेश के पास गया । और शाही दरवेश से बात करने लगा शाही दरवेश ने कहा कि सुनो बच्चे अपनी पांचवीं बीवी से बच के रहना याद रखना हो सके किसी भी प्रकार से पांचवीं बीवी अपनी ना बनने देना ।

अगर तुम्हारी पांचवीं बीवी बनी तो तुम मौत के करीब जा सकते हो यह बात तुम हमेशा याद रखना हंसते हुए ।जमाल खान ने कहा बाबा चार बीवियां तो झेलना वैसे ही कठिन होता है । पांचवी में कहां से झेलूंगा । पांचवीं बीवी करना ही नहीं है मुझे । वैसे भी काम में मुगल सेना में भर्ती हो चुका हूं । मेरा सपना था मुगल सेना में भर्ती होना । और आज इतना समय ही नहीं मिल पाता है । मैं अपने बच्चे और बीबियो से मिल पाऊ । और मैं चार बीवी से खुश हूं ।उनको आप सदा सुहागन रहने का वरदान दीजिए । मेरी छत्रछाया इन पर बनी रहे । मैं भी इनका प्रेम प्राप्त कर सकूं  । बाबा ने हंसते हुए कहा जो ऊपर वाले ने लिखा है वह होकर ही रहेगा । मैंने तुझे आगाह किया है याद रखना मेरी बात को कुछ भी करना लेकिन पांचवीं बीवी मत करना । ऐसा कहकर हंसते हुए बाबा वहां से चले गए । और जमाल खान भी इस बात की गंभीरता को ना समझ सका । लेकिन उसने कहा चलिए ठीक है जो होगा वह देखा जाएगा पांचवीं बीवी करनी ही किसको है ।

मैं वैसे भी देखता हूं अगर मैं एक को प्यार करूं तो दूसरी मुझसे जुड़ जाती है किसी एक के बच्चे को प्यार करूं तो दूसरी का बच्चा मुझसे चिढ़कर बोलता है पापा क्या वही तुम्हारे लिए है । हम नहीं और कहते हैं अब्बा जान क्या आप उन्हीं को ज्यादा मोहब्बत करते हैं । यह एक साधारण सी बात है यह हमेशा होता रहता है । सभी के बच्चे होने पर घर में लड़ाई तो हमेशा होगी । इसलिए मेरे लिए अच्छा है की पांचवीं बीवी ना करूं । और सैनिक के रूप में जब मैं इधर से उधर जाने से कम समय मिलता है घर में आने का । और इतने समय बाद जाता हूं तो घर में खुशियां ही आती है । इसी प्रकार करते-करते जमाल की जिंदगी बीत रही थी । तभी 1 दिन कहीं से एक फरमान आया । आपको राजा राम सिंह की सेना में शामिल होना है । महाराजा रामसिंह जी उस वक्त के महानतम राजा में से थे मुगल सेना के अच्छे शक्तिशाली सेनापति कहलाते थे । यह राजा राम सिंह मिर्जा राजा जय सिंह के बेटे थे ।

और इनकी माता का नाम चौहान रानी था । इनके माता-पिता दोनों ही बड़े पराक्रमी थे । इस वजह से राजा राम सिंह के अंदर इनके गुणों का आना स्वाभाविक था । महाराजा राम सिंह ने अपनी शिक्षा वाराणसी से की थी । और धीरे-धीरे करके वह हर एक प्रकार के वस्त्रों में और विभिन्न प्रकार के गुणों में निपुण हो चुके थे । मुगल साम्राज्य की सेवा में रहते हुए सन 1667 68 यानी कि यह दौर औरंगजेब का था । इन्होंने 1671 ईस्वी में इन्हें असम को जीतने का कार्य सौंपा गया । तब गुवाहाटी तक को जीत लिया गया था । लेकिन पूरी तरह से यह कामरु असम का क्षेत्र जीत में नहीं आ पा रहा था । इस कार्य से मुगल सेनापति को इस को जीतने के लिए पश्चिमी से पूर्वी सीमा पर भेजा गया । फिर वहां से यह अपने मिशन पर आगे बढ़ चले । यह वह क्षेत्र था जहां पर बहोम राजाओं का राज्य था  । यहीं पर बाद में एक भयंकर लड़ाई हुई 1671 ईस्वी में सराई घाट की लड़ाई के नाम से प्रसिद्ध है वो लड़ी गई ।

और यह क्षेत्र कामरु को अधिकार प्राप्त करने के लिए यह कार्य किया गया था । और यह बहुत ही परिवर्तन त्तीवतम युद्ध हुआ था । लेकिन उससे पहले जब उनकी सेनाए धीरे-धीरे करते हुए उस क्षेत्र को जीतते हुई कामरूप के क्षेत्र को जीतने के लिए तो ऐसी स्थिति पैदा हो गई । उन राजाओं से युद्ध अब अनिवार्य हो गया । हालांकि दोनों राजाओं के बीच में काफी समझौता की गई । लेकिन किसी को कुछ समझ में नहीं आया । और अहोम सेनाएं तैयार नहीं थी । अब एक दल गुपचुप तरीके से उन पर आक्रमण करने के लिए आहोम राज्य की तरफ भेजा गया । दल में 12 से 13 लोग भेजे गए । उन सैनिकों में जमाल खान का भी चयन कर दिया गया । इनका उद्देश्य यह था अहम सेनाओं के बारे में जाने और वहां के राजा के बारे में जानना साथ ही कामरु के बारे में जानना और उस राज्य को जीतने में कोई समस्या ना हो इसलिए उनको भेज दिया गया । अब यह चुपचाप धीरे-धीरे करके उस क्षेत्र में प्रवेश कर गए । जब यह लोग धीरे-धीरे करके कामरु प्रवेश में पहुंचे तो । उन्हें यह एहसास हुआ यह क्षेत्र भयंकर तांत्रिकों का क्षेत्र माना जाता है तो हमें इस क्षेत्र की उन चीजों को भी जाना होगा ।

ताकि हमें कोई समस्या ना हो । इस काम के लिए सभी सैनिकों ने जमाल खान को कहा तुम तो दरवेश वगैरह से मिलते रहते हो कुछ तंत्र मंत्र भी धीरे-धीरे तुम जानने लगे हो क्यों ना तुम ऐसा करो कि तुम ही इस क्षेत्र में जाकर के उन क्षेत्रों की विशेषता जानो और ऐसे रहस्य का तुम पता लगाओ जिससे कहीं ऐसा ना हो कि सेना कोई तंत्र मंत्र का प्रयोग करती हो । क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इस क्षेत्र में युद्ध होने पर सैनिकों को हार ही मिलती है । कारण क्योंकि यह क्षेत्र अत्यधिक रूप से तांत्रिक क्षेत्र से प्रवेश किया गया है । ऐसी स्थिति को सोचते हुए अब जमाल खान को यह बहुत ही अजीब सा महसूस होने लगा कि और जमाल खान धीरे-धीरे करके ऐसे क्षेत्र में पहुंच गया । जहां पर बहुत सारे कन्या अलग-अलग कुटिया बनाकर रहती थी । उस क्षेत्र के बारे में जानने के लिए उन लोगों को यह कहा गया था कि ।सब के सब अलग-अलग जगह जाकर कुछ ना कुछ जानने की कोशिश करें और वह सैनिक तांत्रिकों के बारे में जानने की कोशिश कर रहे थे । जब वह दल जब तांत्रिकों के गांव में पहुंचे थे तब इन्हें यह पता लगा कि यहां की स्त्रियां भी बड़ी-बड़ी तांत्रिक है । तभी उन्होंने एक लड़की देखी उसका नाम रूपा था रूपा दिखने में बहुत ही सुंदर थी ।

और वह इसे देखकर के मन में एक भाव पैदा हुआ कि । क्योंकि वह अत्यधिक रूप से सुंदर थी लेकिन वह यह बात नहीं जानते थे यह पूरा क्षेत्र तांत्रिक से भरा हुआ है । और तंत्र मंत्र में आकर्षण बहुत ही तेजी से किया जाता है । रूपा को जब से इन्होंने देखा इसके प्रति उसके लिए प्रेम उत्पन्न होने लगा ।रूपा ने भी यह देखकर बड़ी सरलता से मुस्कुराए और कहने लगी मेरा अतिथि तो ग्रहण कीजिए । क्या सिर्फ आप मुझे देखते ही रहेंगे उसकी बात सुनकर के जमाल खान को बड़ा ही आश्चर्य हुआ । जमाल ख़ान ने कहा ठीक है अगर आज की एक रात की मुझे बैठने या रहने के लिए मिल जाए तो मेरे लिए यह अच्छी बात होगी । सुना है आप लोग अच्छा भोजन भी पकाते हैं तो रूपा ने कहा हां । आप हमारे यहां का एक बार भोजन ग्रहण करेंगे तो आप सब कुछ भूल जाएंगे और वह हंसते हुए मुस्कुरा दी । उसकी मुस्कुराहट जमाल खान को बहुत पसंद आई धीरे-धीरे करके बातचीत बढ़ने लगी और आंखों ही आंखों में प्रेम भाव पैदा होने लगा । और दोनों एक दूसरे के नजदीक आने लगे । रूपा ने जमाल खान का हाथ पकड़ा और उन्हें कुटिया के अंदर ले गई ।

और कहा आज मेरी थोड़ा सा मेहमान नवाजी हमसे भी लीजिए । और उनसे भोजन करने को कहा और उन्होंने भोजन किया हंसते खेलते हुए पूरी रात कटने लगी । अब जमाल ने पूछा आप लोग तंत्र मंत्र जानते हैं तो क्या आप लोग युद्ध में या सेना में इसका उपयोग होता है । तो उसने मुस्कुराते हुए कहा हां । कामरु तो इस बात के लिए प्रसिद्ध है ही । और हमेशा प्रसिद्ध रहेगा । लेकिन आपसे एक बात मैं कहना चाहती हूं कामरु की स्त्रियां दिखने में जितनी सुंदर है उतनी ही समर्पित भी होती है । आपको देखकर मुझे बहुत ही प्रेम आ गया है मैं चाहती हूं कि आप से मेरा विवाह हो जाए । और यह कहते ही उसने जमाल खान के गालों को चूम लिया । जमाल खान प्रत्याशित ही रह गए । उन्होंने उसके प्रेमभाव को समझा और कहा ठीक है लेकिन मेरी चार बीवियां पहले से ही है । अगर तुम मेरी पांचवीं बीवी बनोगी तो मुझे तुम्हें उस दुनिया में ले जाना ही पड़ेगा ।

रूपा ने कहा कोई आवश्यकता नहीं है यहां पर हमें केवल आप पति के रूप में प्राप्त हो जाए । क्या करूंगी मैं आपकी दुनिया में वहां जाकर इतनी दूर देशों में जा करके आपके पास जब भी समय मिले मुझसे मिलने यहां आ जाया कीजिएगा । लेकिन आप मुझसे विवाह कर लीजिए । निकाह की बात सुनकर जमाल खान प्रसन्न हो गया और प्रेम पूर्वक उसके साथ वार्तालाप करने लगा । रात के लिए ऐसा शादी का एक माहौल तैयार किया गया । रूपा ने अपने रिश्तेदारों को बुला लिया और वह जमाल खान से शादी करना चाहती थी । जमाल खान सोचते हुए की मेरी एक बीवी और बढी वह इतनी खूबसूरत है । मेरी और बीवीया इससे प्रभावित हो जाएंगी । ऐसा सोचते हुए उसने शादी के लिए हां बोल दिया  ।

और शाम का समय हुआ तो जमाल खान ने कुछ घूमने के लिए निकले । क्योंकि अभी कुछ दिन बाद ही विवाह होना था । इधर वह जो जानकारी जुटाने आए थे और वह थोड़ा आगे इधर-उधर बढ़ गए । तभी एक लड़की सामने आ गई वह भी दिखने में अधिक सुंदर और उसके नैन नक्श बड़े ही सुंदर थे । वह आई और आते ही उसने जमाल खान का हाथ पकड़ लिया और कहा चलो मैं तुम्हें कब से देख रही हूं । और मैं तुमसे प्रेम करती हूं मेरे साथ मेरी कुटिया में चलो । यह उस आवाक से कुछ बोल नहीं पाए । और वह लड़की इनका तुरंत हाथ पकड़ कर अपनी कुटिया में इन्हें ले गई ।और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया । अब आगे क्या हुआ यह जानने के लिए इस कहानी का दूसरे भाग में जानेंगे

। धन्यवाद आपका दिन मंगलमय हो ।

जमाल खान और असम की जादूगरनियाँ भाग 2

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