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जादूगर चुड़ैल से सामना भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम जो अनुभव लेने जा रहे हैं यह एक व्यक्ति से चुड़ैल की मुलाकात के विषय में दर्शाता है। तो चलिए शुरू करते हैं और पढ़ते हैं इनके पत्र को।

नमस्कार गुरु जी, यह अनुभव असल में मेरे नाना जी का है। हमारे परिवार में इसे कई बार बताया गया है। इसीलिए मैं आज आपको इस अनुभव के विषय में बताना चाहता हूं। गुरु जी मेरे नाना जी रेलवे में काम करते थे। वह दौर था जब अंग्रेजों का शासन था। वह एक बार पटरी की निगरानी के लिए। उस क्षेत्र में जहां पर वह काम करते थे गए हुए थे।

उन्होंने जब पटरी को टूटे हुए देखा। तो उन्होंने अपने साथियों से कहा कि जल्दी से इसके मैकेनिक को बुला लिया जाए, वरना रेलवे में दुर्घटना हो सकती है। इसी कारण से उन्होंने अपने सभी साथियों को भेज दिया। और कहा जल्दी से आप लोग यहां के लिए मकैनिक लिए आइए क्योंकि अगली ट्रेन सुबह आएगी?

अंग्रेजों का शासन काफी कड़ा था। इसी कारण से उनके पास और कोई विकल्प नहीं था। सुबह तक पटरी की मरम्मत कर देना आवश्यक था। इसी कारण से उन्होंने अपने साथियों को भेज दिया। वह और उनके एक साथी वहीं पर इंतजार करने लगे। उस स्थान के थोड़े ही पास में एक तालाब था। गुरुजी वह तालाब भूतिया कहलाता था। और कहा जाता था कि यह तालाब प्रेत आत्माओं से भरा हुआ है? गुरु जी मैं आपको अब आगे के घटना के विषय में बताता हूं रात तक मकैनिक के ना पहुंचने पर। मेरे नानाजी परेशान होने लगे। उन्होंने अपने साथी से कहा, यह तो बड़ी ही गलत बात है। इतने सारे कर्मचारियों को भेजा था लेकिन कोई भी मकैनिक को लेकर नहीं आ पाया। लोहे को अगर जोड़ा नहीं गया तो यह घटना बुरी हो सकती है। और उन्होंने! कहा ठीक है तब तक हम लोग इंतजार करते हैं? इंतजार करना आवश्यक भी था क्योंकि यह नहीं पता था कि आगे कितना समय लगता है। सुबह ट्रेन आएगी तब तक उन्हें पटरी मरम्मत कर देना आवश्यक है। इस जगह कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है। इसी कारण से उन्होंने यह कार्य तीव्रता से करवाने की सोची थी।

लेकिन जब समय साथ नहीं देता तो ऐसा हो जाता है। मेरे नाना जी को प्यास लग गई और भूख तो लग ही रही थी। उन्होंने कहा। क्या यहां आस-पास कोई गांव नहीं है, अगर हो तो वहां से भोजन और पानी का प्रबंध किया जाए? उनके साथी ने कहा, अब तो ऐसा लगता है कि मकैनिक आज नहीं आ पाएगा लेकिन इंतजार करना तो आवश्यक है। क्योंकि अगर रात को 12:00 बजे भी वह आता है तो भी उसकी सहायता से सुबह तक काम फटाफट हो जाएगा। ट्रेन को रोकना सही नहीं है कि लाल झंडी लगाकर ट्रेन रोकी जाए। इससे अंग्रेज अफसर नाराज होंगे। उन्होंने और उनके साथी ने कुछ देर तो इंतजार किया। फिर भूख लगने पर उनके पास और कोई विकल्प शेष नहीं रहा तो उन्होंने किसी गांव की ओर बढ़ना आवश्यक समझा। उन्होंने! और उनके साथी ने एक रास्ता चुना सोचा कोई भी गांव मिलेगा। वहां से भोजन और पानी का प्रबंध कर लिया जाएगा। ज्यादा दूर जाना भी ठीक नहीं है। नजदीक कहीं कोई गांव है जहां से खा पीकर हम लोग तुरंत वापस चले आए। मेरे नाना जी और उनका वह साथी! एक और बढ़े तभी उन्हें एक तालाब दिखाई दिया। उस तालाब के किनारे एक औरत पानी भर रही थी। उसे देखकर मेरे नाना जी ने उस औरत को कहा, सुनिए! क्या यहां आस-पास कोई गांव है?

वह औरत कुछ नहीं बोली। मेरे नाना उसके पास जाकर खड़े हो गए और उससे कहने लगे। यहां अगर कोई आसपास गांव है तो हमें कृपया भोजन चाहिए था। हमें प्यास भी लगी है। वह औरत बिना कुछ बोले अपने हाथ की उंगलियों से इशारा देकर अपने पीछे चलने को कहने लगी। मेरे नाना जी ने अपने साथी को कहा चलो अगर यह इशारा देकर कह रही है तो हमें इसके पीछे जाना चाहिए। और वह! उस स्त्री के पीछे चलने लगे। वह स्त्री एक घने जंगल में आ गई। वहां पर उसकी एक कुटी बनी थी। उस कुटी को देखकर। मेरे नाना जी ने सोचा शायद यहां पर रहती है। लगता है आस पास कोई गांव नहीं है, लेकिन इसका घर तो है चलो इससे ही सहायता मांगते हैं। मेरे नाना जी ने उससे कहा, आप क्या यहां पर अकेली रहती हैं? स्त्री अब भी कुछ नहीं बोली और उसने कुटी की ओर उंगली दिखा कर कहा। उसके सिर्फ इशारे थे। वह मुंह से कुछ भी नहीं बोलती थी। मेरी नानी ने सोचा कि चलो इसकी कुटी में विश्राम किया जाए और अगर! भोजन नहीं। तो पानी तो हमें मिल ही जाएगा क्योंकि यह पानी तो भरकर स्वयं आई है। और इस प्रकार मेरे नाना जी और उनके मित्र उस कुटी में प्रवेश कर गए।

वहां जा कर यह दोनों लोग आराम करने लगे तभी वहां पर।

बंधा हुआ बकरा देखकर सभी लोग चौक गए वह बकरा। इंसानी आवाज में बोला। भाग जाओ यहां से।

यह देखकर मेरे नानाजी चकरा गए। उन्हें समझ में नहीं आया कि यह कैसे संभव है कि कोई बकरा इंसानी आवाज में बोल सकता है?

वह जोर-जोर से कहने लगा। मैंने कहा ना आप लोग यहां से भाग चाहिए वरना मेरी तरह फंस जाएंगे और मारे जाएंगे। तभी वह औरत वहां पर आ गई और उसने एक जोर से डंडा उस बकरे को मारा। बकरा बेचारा चिल्लाता हुआ बैठ गया।

और इस पर मेरे नाना जी ने उस स्त्री से पूछा, यह इंसानी आवाज में कैसे बोल लेता है? इस पर वह स्त्री पहली बार अपना मुंह खोलते हुए बोली। अरे इसे मैंने खुद सिखाया है। कैसे इंसानों से बातचीत की जाए इसीलिए यह बोल लेता है।

तभी मेरे नाना जी ने एक दृश्य देखा जिसे देखकर वह समझ गए कि वहां पर अब उनका रुकना। बिल्कुल भी सही नहीं है उन्होंने! उस स्त्री के पैरों की तरफ देखा। उसके पैर दिखाई नहीं पड़ रहे थे। फिर उन्होंने जब गौर से देखा तो उसके पैर पीछे की ओर मुड़े हुए थे। यह देख कर! उनकी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। अब उन्होंने अपने मित्र को इशारे से कहा, उसके पैर की और देखो! और जब उसने भी! उस स्त्री के पैर देखे तो अब उनकी जान हलक में अटक गई थी। उस स्त्री ने कहा, आप लोग? थक गए होंगे चलिए मैं आप लोगों के लिए भोजन पका देती हूं।

अब मेरे नाना जी वहां से भागने की सोच रहे थे पर यह सब इतना आसान नहीं था क्योंकि उसका किचन दरवाजे के ठीक बगल में था और वह उसके सामने से निकल नहीं सकते थे। मेरे नाना जी ने उस बकरी की ओर देखकर कहा। तू कौन है और इंसानी आवाज में कैसे बात कर रहा है? वह बकरा अब कुछ भी नहीं बोल रहा था। उसकी तो बोलती ही बंद हो गई थी।

उसको ऐसा देखकर अब मेरे नाना जी घबरा गए थे। उन्होंने अपने मित्र से कहा, चलो यहां से निकलते हैं। कोई बहाना बनाकर इसके घर से बाहर जाना आवश्यक हो गया है।

पहले तुम निकलो फिर मैं आता हूं। और इस प्रकार! जैसे ही पहले। उनका साथी घर के बाहर निकला। वह!

मिमीआने आने लगा।

उसकी आवाज सुनकर मेरे नाना की सिट्टी पिट्टी फिर से गुम हो गई। उन्होंने देखा वह औरत घर के बाहर गई और एक बकरा और पकड़ कर ले आई। और वह बकरा लाकर बांध दी और कहने लगी। मैं तो सोच रही थी, सिर्फ एक बकरे का मांस खाऊंगी। पर यहां तो एक और मिल गया।

सुनो तुम और मैं। बकरा अवश्य ही खाएंगे।

मैं जानती हूं तुम मांसाहारी हो इसलिए बकरे को। खाना आवश्यक हो गया है।

क्योंकि मैं भी कई दिनों से भूखी थी।

अच्छा तो मैं? इनमें से किस बकरे को काटू? तुम ही बता दो।

और तब उस स्त्री ने कहा, मुझे तो यह नया वाला बकरा ज्यादा पसंद है। उसकी बात सुनकर मेरे नाना शायद जीवित थे यही बड़ी आश्चर्य की बात थी क्योंकि वह जान चुके थे। यह बकरा और कोई नहीं उनका साथी है तो क्या वह अपने ही साथी का मांस खाएंगे?

वह कैसे ऐसी बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं, वह सोच भी नहीं पा रहे थे।

गुरुजी उसके बाद एक विचित्र घटना घटी जिसके विषय में मैं आपको अगले पार्ट में बताऊंगा। नमस्कार गुरु जी!

यहां पर इन्होंने अपने नाना के जीवन में। एक! चुड़ैल की लीला को देखा और उसका वर्णन यहां पर किया है?

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जादूगर चुड़ैल से सामना भाग 2

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