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जिनसेन का अज्ञात मंदिर और नन्दों का खज़ाना 5 वां अंतिम भाग

जिनसेन का अज्ञात मंदिर और नन्दों का खज़ाना 5 वां अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आप का एक बार फिर से स्वागत है । हमारी कहानी जिनसेन का ज्ञान मंदिर और नंदो का खजाना अभी तक चार भाग हो चुके हैं । और आपने जाना कि किस प्रकार से पिशाचिनीयों का आतंक इतनी तीव्रता से और उनकी माया इतनी तीव्रता से बढी कि उन्होंने लगभग हजार से भी ज्यादा सैनिकों का वध कर दिया था । उनके वध के कारण राजा भी अब परेशान हो गया था उसने आज्ञा दी थी कि जहां भी हो सके तांत्रिकों को बुलाया जाए । क्योंकि अंदर लगता है कोई तंत्र का प्रयोग किया जा रहा है जिसकी वजह से हमारी सेना वापस नहीं आ रही है । और जो लोग बच के आए भी है उसमें केवल एक मात्र है जो केवल उस द्वार पर खड़ा था जहां वह गुफा स्थित थी । और उसका कहना है कि अंदर जाने वाले वापस नहीं आ रहे । इधर राजा के सैनिक दौड़ गए और उन्होंने राज्य के सभी प्रकार के तांत्रिकों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया । इधर तांत्रिक कृतिका का पिशाच उसके पास आ जाता है और कृतिका होश गया होता है वह उससे बात करती है और एक गोपनीय मार्ग उसे बताती है । कृतिका जानती थी कि इस प्रकार से यहां से निकलना संभव नहीं है इतनी बड़ी सेना से उलझना उसके लिए संभव नहीं है । और उस पर तो स्पेशल इस बात के लिए ध्यान दिया जा रहा है इसी वजह से उसने अपने पिशाच को आज्ञा दी कि जाओ और जाकर के पिशाचिनीयो से बात करो । अवश्य ही उनको मेरा यह संदेश तुम देना जिसके कारण से वह तुम्हारी बात को अवश्य ही सुनेगी । पिशाच वहां से उड़ा और जाकर पिशाचिनीयो की रानी के पास जाकर खड़ा हो गया पिशाचिनीया उसे देख कर पहले ही समझ गई । और कहने लगी हमारी ही जाति का एक पिशाच अंदर आया है तो उनकी रानी ने कहा उसे लाओ मैं देखना चाहती हूं कि आखिर वह यहां क्यों आया है ।

पिशाच की बातों को सुनकर के वहां की पिशाचिनीया उनकी जो रानी थी वो हंसने लगी और उसने कहा यहां पर हमें इस बात के लिए ही नियुक्त किया गया है कि हमें खजाने की रक्षा करनी है और तुमको आश्चर्य होगा कि अब हमको कोई भी नहीं रोक सकता है । इसका कारण तुम लोग जान चुके हो यहां पर हजार से ज्यादा मनुष्यो की बलि मैं दे चुकी हूं वह भी उन्होंने अपनी इच्छा से ही अपने आप को हमारे हवाले किया हमारी काम शक्ति से पराजित होकर के उनका यहां पर अंत हो गया है । इसलिए अब यह खजाना संसार में कोई नहीं ले सकता है इस पर उसने कृतिका की कही हुई बात को समझा । तब पिशाचिनीयों ने कहा ठीक है हम नहीं चाहते कि हम सभी प्रकार की शक्तियों से उलझे कृतिका के साथ में मुझे यकीन है ऐसी शक्ति है जिसकी वजह से हम से खाजाना लिया जा सकता है । इसलिए मैं तुम्हें एक बात कहती हम जो कर रहे हैं हमें करने दो और कुछ भाग मैं तुम्हें स्वयं देती हूं यह भाग तुम उस कृतिका नाम की तांत्रिका को दे देना । और उससे कहना कि उसके साथ जो पुरुष है उसको यहां लेकर के ना आए अन्यथा परिणाम बहुत बुरा होगा । अंततोगत्वा केवल एक ही बचेगा और वह होगा भानु देव । हम इस तंत्र से बंधी हैं इसलिए अपनी जान का भय नहीं खाती है और इसी कारण से हम कृतिका का भी वध कर देंगी और तुम्हारा भी वध कर देंगी । और राजा का भी सर्वमूल नाश हो जाएगा । इस पर वह पिशाच  बोलने लगा शायद तुम नहीं जानती हो कृतिका बहुत ज्यादा शक्तिशाली है और राजा ने भी आज्ञा दे दी है कि वह पूरे नगर में स्थित जितने भी तांत्रिक उनको सबको बुलाया जाए अब तुम उन सब से कैसे और किस प्रकार से विजय प्राप्त करोगी ।

तब उस रानी ने कहा उसकी चिंता तुम मत करो क्योंकि जो काम हमें करना था वह हो चुका है लगभग एक हजार आठ मनुष्यों कि ही मुझे बलि देनी है उसके बाद यह खजाना हमारी इच्छा के बिना कोई नहीं ले जा सकेगा । पिशाच कुछ समझा और वहां से उड़ लिया उसने यह बात जाकर के कृतिका तांत्रिक को बताई कृतिका ने कहा मुझे लगता है कि जब तक हम वहां पहुंचेंगे तब तक सच में देर हो जाएगी । इसलिए अपने मन की भाषा से तुम वहां यह संदेश पहुंचा दो कि हमें जितना भी देना हो वह अलग रख दें और बाकी उसकी इच्छा कि वह उसका क्या करना चाहती है हम बाद में देख लेंगे । क्योंकि अभी हमारे पास राजा भी हमारे पक्ष में नहीं है और ना ही हमारे साथ और कोई पक्ष में इसके कारण से हमारे पास बहुत बड़ी एक समस्या आ चुकी है । इसी वजह से अब हमको कुछ ना कुछ अलग तरीके से सोचना होगा । तांत्रिक कृतिका ने कहा ऐसा करो तुम मनुष्य रूप धारण करके राजा के पास जाओ और उससे कहो कि कृतिका को आजाद कर दे क्योंकि कृतिका के बिना किसी भी प्रकार से कुछ भी प्राप्त करना संभव नहीं है । पिशाच ने कहा ठीक है मैं शरीर मनुष्य का रूप धारण करके उसके पास जाता हूं और उसे अपनी बात समझाने की कोशिश करता हूं । कृतिका के इस प्रकार से कहने पर और इस काम के लिए तैयार होने के लिए उसने जिस प्रकार से कहा उस बात को समझ करके एक गोपनीय तरीके का एक मायाजाल रचा गया । उस मायाजाल का इस प्रकार का प्रभाव पड़ा कि आप राजा पूरी तरह से वशीकृत हो सकता था । सबसे पहले तांत्रिक कृतिका की बताई कई तरीके को लेकर के एक वृद्ध आदमी का रूप लेकर के पिशाच राजा के पास पहुंचा । और राजा को पान अर्पण किया राजा ने कहा कि यह पान मुझे क्यों दे रहे हो ।

तब उस व्यक्ति ने कहा यह अति शुभ पान है इसको खा लेने के बाद में आपके मन में पूरी तरह से एक ताजगी आ जाएगी साथ ही साथ आपके जो भी दुर्भाग्य है आपका संकट बना हुआ है उसके लिए मार्ग खुलेगा । राजा ने पान खाया  सच में उस पान को खा कर के उसका मन प्रफुल्लित हो गया यानी कि आनंदित हो गया । क्योंकि वह एक तांत्रिक पान था जो कृतिका ने अपने इस पिशाच को दिया था । पिशाच ने अब आगे उस वृद्ध के रूप में बोलकर अपनी बात को रखा वह कहने लगा । हे राजा तूने एक तांत्रिका है जिसका नाम है कृतिका उसको अपने पास कैद कर रखा है उससे मुझे मिलवा दे वह खजाना निकालवाने मे पारंगत है । मेरे घर में भी एक खजाना गड़ा हुआ है और वह उसे निकालने में मेरी मदद करने वाली थी शायद वहीं है जिसे आपने उसे कैद कर रखा है मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप उस कृतिका को किसी तरह से आजाद कर दे । और मेरा कार्य संपादित होने दे । इस पर राजा ने कहा क्या सच में कृतिका तुम्हारा कार्य संपन्न करेगी फिर उस वृद्ध व्यक्ति ने कहा अवश्य । क्योंकि वह जिसको एक बार अपना वादा कर देती है उस वादे को कभी नहीं डीगती है वह उस बात को वचन के रूप में ले लेती है । मुझे तो लगता है आपको भी उस से वचन ले लेना चाहिए आपकी भविष्य में भी इस प्रकार का कोई कार्य होंगे तो वह आपके बना सकती है । राजा ने उसकी बात पर विचार किया और कहा ठीक है आप जाइए मैं आपको संदेश भिजवाता हूं । इस प्रकार वृद्ध व्यक्ति वहां से चला गया पिशाच उड़ कर के कृतिका के पास गया और उससे कहने लगा की देवी मैंने आपका कार्य कर दिया है । निश्चित रूप से अभी राजा के सैनिक आएंगे यहां पर और आपसे इस बात के लिए वार्तालाप करेंगे । कृतिका ने कहा ठीक है कुछ ही देर बाद एक मुख्य प्रधान राजा का वहां पर आ गया और उसने आकर के कृतिका से बात की उसने कहा अगर तुम हमारा साथ देने का वचन दो तो अवश्य ही मैं तुम्हें यहां से आजाद करा दूंगा ।

कृतिका ने कहा ठीक है मैं आपकी सहायता करने का वचन देती हूं लेकिन मुझे भी आप आजाद करने का वचन दीजिए । इस प्रकार कहने पर उस व्यक्ति ने कहा ठीक है मैं भी आपको वचन देता हूं कि आपको आजाद कर दिया जाएगा । आप हमारे कार्य में हमारी सहायता कीजिए । इस प्रकार से तांत्रिक कृतिका आजाद करके राजा के पास लाया गया । कृतिका ने कहा पुराना सब मैं भूलती हूं आप सिर्फ इतना जान लीजिए खजाना आप किसी भी तांत्रिक के माध्यम से प्राप्त नहीं कर सकते हैं । अगर कोई सच में वह खजाना प्राप्त कर सकता है तो केवल और केवल में ही हूं । क्योंकि उसका गोपनीय राज मैं जानती हूं । राजा ने कहा ठीक है जो कुछ भी पुराना हुआ मैं भी उसे भूल जाता हूं आपको मैं आजाद करता हूं । आप मेरी मदद कीजिए और साथ ही साथ में आपको इस राज्य का मुख्य तांत्रिक होने का पद भी दूंगा साथ ही साथ आपकी जो भी सेवा सत्कार के लिए अनेक प्रकार के सेवक और उनकी आवश्यकता होगी वह भी इस राज्य की तरफ से आपको दिया जाएगा आपको सम्मान राज्य में स्थापित किया जाएगा । कृतिका ने कहा ठीक है तो सुनिए सबसे पहली बात है कि आप अंदर किसी ऐसे व्यक्ति को ही भेजिए जो साधना क्षेत्र में निपुण हो अच्छा हो दिल का साफ हो ऐसा व्यक्ति ही वहां जाए और याद रखिएगा ऐसे आठ मनुष्य का आठवां भाग लगे जाने की ऐसे केवल 8 मनुष्य ही वहां भेजिएगा उससे ज्यादा नहीं और यह आप पर निर्भर करेगा आप क्या उस पर निर्णय लेते हैं मैं सिर्फ आप की शुरुआत में इतनी ही सहायता कर सकती हूं । तांत्रिक कृतिका मन ही मन में इस बात से बहुत ही क्रोधित थी कि उसके साथ ऐसा किया गया था वह राजा को सबक सिखाना चाहती थी वह जानती थी कि 1000 बलि के बाद अगर 8 बली हो जाती है तो वह संख्या 1008 हो जाती है ।

इन पिशाचनियो को अगर 1008 मनुष्य की बलि दे दी जाए तो उनके पास अत्यंत ही गोपनीय शक्तियां प्राप्त हो जाती है । फिर उनसे जीतना संभव नहीं होता है क्योंकि वह फिर काली कुल मे प्रवेश कर जाती है । इसके कारण से वह मां कालिका का एक अंश प्राप्त कर लेती है और इस कारण उनको फिर पराजित करना संभव नहीं होता है । कृतिका यह बात जानती थी इसलिए वह भी उलझना नहीं चाहती थी और सिर्फ भानु देव को भेजने पर कोई फायदा नहीं था क्योंकि वह धन निकालना था तो सारा धन राजा छीन लेता । इधर बहुत सारे तांत्रिक भी उस जगह आकर इकट्ठा हो गए इस प्रकार 8 तांत्रिक चुने गए जो अंदर प्रवेश करने के लिए जाने वाले थे । राजा ने कहा तुम सब के सब अंदर प्रवेश करो और कृतिका की सहायता से उस जगह में जो भी तांत्रिक शक्तियां है उनको नष्ट करके आओ इस प्रकार 8 मनुष्य और प्रवेश कर गए । अंदर जाकर के वह फिर से उसी मायाजाल में फस गए क्योंकि एक बार फिर पिशाचनियो ने वही कहा और वही किया उसने कहा कि मेरे साथ भोग करो उसके बाद इस सोने को ले जाओ उनका मायाजाल इतना अधिक तीव्र था क्योंकि अब वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली हो चुकी थी । इसी बीच पीछे पीछे एक तांत्रिक और गुफा में प्रवेश कर गया वह तांत्रिक बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली था वह कुत्ते के रूप में अंदर उस गुफा में चला गया । क्योंकि वह यह जान रहा था कि मनुष्य रूप में जाने से कोई ना कोई हानि है जैसे ही उसने वहां प्रवेश किया उसने सारा नजारा देख लिया और भागते हुए वापस आया । आठो की बलि चढ़ चुकी थी शक्तियां प्रकट हो चुकी थी पिशाचिनीया बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली हो चुकी थी । तभी इस बात को समझते हुए उसने तुरंत ही वहां की रानी ने कुछ सोना कृतिका तांत्रिक के पास भेज दिया । क्योंकि वह जान गई थी कि भानु देव आ सकता है क्योंकि शक्तियों के कारण अब उसमें भी इस बात की समझ आ चूकी थी कि कौन है जो उनसे खजाना छीन सकता है केवल और केवल ऐसा भानु देव ही था । जो पूर्ण तरह से को कोमार्य वृत्त का पालन करने वाला था इसलिए कुछ खजाना तांत्रिका कृतिका के घर पर पहुंचा दिया गया ।

इसी के साथ तंत्रिका कृतिका ने भी राजा को प्रणाम किया और कहा मुझे यहां से जाना है अब आप का मालिक ईश्वर है राजा ने कहा ठीक है तुम यहां से जाओ लेकिन मेरी सहायता ना करने का अपराध का दंड तुमको अवश्य मिलेगा । जल्दी ही मेरे तांत्रिक सारा खजाना लेकर आ जाएंगे और तुम देखती रहोगी फिर मैं तुमसे पूछूंगा । बात बिगड़ चुकी थी इसलिए तांत्रिक कृतिका ने सोचा यहां से भाग लेना ही आवश्यक है क्योंकि 8 तांत्रिकों की बलि हो चुकी थी 1000 मनुष्य की और 8 तांत्रिकों की बलि इसके बाद अब उनमें ऐसी गोपनीय शक्तियां आ चुकी थी जिनका सामना कोई नहीं कर सकता था । जैसे राजा ने सारी बात समझी उस तांत्रिक के माध्यम से जो कुत्ता बन के अंदर गया था राजा ने कहा तुम सब के सब एक साथ हमला अंदर कर दो और जहां हो वहां आग लगा दो । देखते हैं कि कौन सी पिशाचनिया हमें रोक पाती है सबके सब इसी लिए वहां जाकर भ्रमित हो जा रहे हैं । और हुआ भी इसी प्रकार राजा के सैनिक तीर चलाते हुए आग बरसाते हुए हर जगह आग लगाते हुए अपने साथ घास फूस अंदर ले जाकर के उसमें आग लगाकर अंदर प्रवेश करने लगे । ताकि कुछ भी अंदर जलकर भस्म हो जाए लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी 1008 मनुष्य की बलि पा करके सारी पिशाचिनीया एक शरीरवान हो गई । उस महाविनाशनी के हजार हाथ यानी कि वह एक हजार मनुष्य भी पिशाच बन कर के उसके शरीर के अंदर प्रवेश कर गए वहां पर वह पिशाचिनी महाशक्तिशाली हो चुकी थी ।

उस 1000 हाथों वाली महा विशाल पिशाचिनी ने अपनी तलवारों से लगभग सारे सैनिकों का वध कर डाला । गुफा का द्वार भी बड़ा करके वह अंदर से बाहर निकल कर आई और वहां मौजूद जितने भी पुरुष और राजा की सेना में मौजूद सेनापति सेनानायक सब के सब यहां तक कि घोड़े सब का वध उसने कर दिया । इस महान पिशाचिनी को देखकर लगता था जैसे कि मां काली का अंश उसके अंदर आ गया है इस प्रकार उसने सभी की बलि ले ली । और पिशाचिनिया इसीलिए बली लेते हैं क्योंकि इनकी बलियों को प्राप्त करके और भी शक्तिशाली हो जाती हैं । जितने की भी वह वध कर डालती हैं उन सब की आत्माएं उनके वश में हो जाती है । इस प्रकार उस स्थान पर कुछ भी नहीं बचा पिशाचिनी ने भयंकर बवंडर बनाया उस बवंडर के आधार पर पूरी गुफा और पूरा क्षेत्र पूरा का पूरा मिट्टी से थक गया । और वह खजाना और वह पिशाचिनी या हमेशा हमेशा के लिए गायब हो गए । इधर कृतिका अपने जब घर पर पहुंची तो उसे अपना कमरा सोने से भरा हुआ दिखाई दिया उस सोने को देख करके बहुत खुश हुई । और उसने भानु देव से कहा कि तुम जैसा पुरुष मिलना संभव नहीं है क्या तुम मुझसे विवाह करोगे । भानु देव ने प्रार्थना कर उससे हाथ जोड़ते हुए कहा देवी मैं अपना ब्रह्मचर्य नहीं तोड़ना चाहता वैसे भी जब मैं आपके शरीर का उस प्रकार से सेवा कर रहा था तब मैंने आपको अपनी मां बहन के रूप में ही देखा था । इसलिए आप मुझे क्षमा कीजिए तांत्रिक कृतिका मुस्कुराई और कहने लगी सच में भानु देव तुम धन्य हो इस प्रकार तांत्रिक कृतिका ने एक बार फिर भानु देव के पैर छुए ।

भानु देव ने कहा अब मैं अपनी साधना के लिए वापस अपने गुरु के पास वापस जाना चाहता हूं और इस महानतम खजाने को जब इसका समय आएगा कोई ना कोई ब्रह्मचारी अवश्य ही प्राप्त करेगा इस प्रकार तांत्रिक कृतिका अपने तंत्र कार्य में विलीन हो गई और इसी तरह भानु देव अपने साधना क्षेत्र में फिर से चला गया और दोनों ने कुछ कुछ हिस्सा उस सोने का बांट लिया ताकि जीवन सामान्य रूप से अच्छे प्रकार से चल सके तांत्रिक कृतिका एक महान साधिका हुई और बाद में उसने शक्तिशाली भैरवी का रूप भी धारण किया योगनीयों शक्तियों से वह 1 दिन भैरवी बनी इसी कारण से उसको बहुत ही ज्यादा लोग मानने लगे भानु देव भी महानतम सिद्ध साधक आजीवन ही ब्रह्मचर्य का पालन करते रहे और अंततोगत्वा ब्रह्मचार्य में ही जीवन व्यतीत करके अंततोगत्वा उन्होंने मोक्ष की प्राप्ति की तो इस प्रकार से वह खजाना आज भी अज्ञात रह गया और केवल भानु देव के शिष्य और तांत्रिक कृतिका की शिष्याओ के कहानी के रूप में वह केवल और केवल आज जीवित है तो इस प्रकार से आज भी वह खजाना कहीं गंगा नदी के किनारे गड़ा हुआ है और वह नंदों का खजाना जिसने 1008 मनुष्य की बलि ली थी केवल आज भी वही व्यक्ति उसे निकाल सकता है जो पूरी तरह से ब्रह्मचारी जीवन भर रहा हो । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

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