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जिन्न का एक बुरा अनुभव भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे जिनकी एक। बुरी! शक्ति के अनुभव के बारे में।

एक ऐसा अनुभव जिसमें जिनके द्वारा एक साधक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा इसको हम जानेंगे तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और शुरू करते हैं आज का अनुभव!

नमस्कार गुरु जी, मैं आपको मेरा खुद का और मेरी मां का सच्चा अनुभव बता रहा हूं। यह अनुभव केवल मैं आपको ही भेज रहा हूं मेरा नाम। मत बताइएगा, मैं गुजरात से हूं, मैं आपका वीडियो रोज देखता हूं। बात आज से 6 साल पहले की है जब मैं दसवीं की परीक्षा की तैयारी कर रहा था। मैं पढ़ने लिखने में ठीक था, लेकिन मेरे परिवार में किसी की मुझसे ज्यादा उम्मीदें नहीं थी। मेरे परिवार में मेरी मां और पापा है। मेरे पापा की सरकारी नौकरी है इसलिए उनका ट्रांसफर होता रहता है। कुछ महीने बाद जब मेरी।

दसवीं की परीक्षा पूरी हो गई थी। तब मेरे पेपर भी ज्यादा अच्छे नहीं गए थे। फिर भी मैं 90 परसेंट से ज्यादा लाने में कामयाब रहा था। इसकी कहानी यहां से शुरू होती है। मुझे जिन्हें परसेंट आए थे उतने ही मेरे किसी और कजिन बहनों के टाइपिंग में नहीं आए थे। मेरे दसवीं में उनसे भी ज्यादा नंबर आए थे जबकि वह मुझसे ज्यादा होशियार थी। मेरी यह बहन है मेरी बड़ी मां की लड़कियां थी और उनका एक बेटा भी जब मेरा रिजल्ट सबको पता चला तो किसी को यकीन नहीं हुआ। जब हम मेरे दादी दादा और भाई बहन को मिलने उनके घर गए। तब दादा दादी ने आशीर्वाद दिया पर मेरी बड़ी मां और उनके बच्चों ने मुझसे सीधे मुंह बात तक नहीं की। मेरी बड़ी मां ने मुझ पर तंत्र का प्रयोग कर मुझ पर जिन बैठा दिया था। वह जिन मामूली नहीं था जहां तक मैंने उसकी शक्ति का आकलन किया है। वह बहुत ज्यादा ताकतवर था। कुछ समय बाद मेरी 11वीं की परीक्षाएं। और उसकी पढ़ाई की शुरुआत हुई। अब जब मैं जिनसे अपनी कर्मा दिखाना शुरू कर दिया था, मुझे अब हावी हो रहा था। मेरा पढ़ाई में मन लगना बंद हो गया। मैंने अपना ध्यान फोन की तरफ खींच लिया था। वह जिन काफी ज्यादा खराब था औरतों के मामले में उसने मुझे।

इन चीजों में लगाए रखा ताकि मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान ना दे सकूं। बहुत मुश्किल से मैंने 11वीं की परीक्षा पास की मैं साइंस का स्टूडेंट हूं और साइंस में बहुत पढ़ना पड़ता है। पर यह मुझे किसी भी विषय में फोकस नहीं करने देता था। और साथ ही मेरा चरित्र भी बिगाड़ रहा था। मेरा ध्यान अब उसने स्त्रियों लड़कियों पर बुरी नजर से लगाना शुरुआत करवा दिया था। पता नहीं कैसे पर मैं अपने आप पर काबू कर लेता था। कुछ वक्त बीतने के बाद अब 12वीं की परीक्षा का की तलवार मुझ पर आ चुकी थी। मैंने यह परीक्षा भगवान का नाम ले कर दी। मुझे पढ़ने लिखने में इतनी तकलीफ हो रही थी कि मुझे कई बार रोना आ जाता था क्योंकि मुझे पता था कि मैं पढ़ने में इतना बुरा नहीं था, पर फस गया हूं। मैं मानसिक रूप से बहुत ही। फर्स्ट! चुका था कुछ भी याद करना कठिन हो रहा था 12वीं के बाद। मुझे बड़ी मुश्किल से 59% आए तब ऐसा सोचा कि मैं बहुत ही नालायक लड़का हूं जो अपने पिता के पैसे डूब आता है क्योंकि मैंने इंजीनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम के लिए। ट्यूशन लगवाए थे जो कि वह भी कुछ काम नहीं आए। मैं ड्राइविंग सीखने का ड्राइविंग स्कूल जाने लगा। वहां भी निराशा ही हाथ लगी। 20 दिनों में मैं कुछ भी नहीं सीख सकता पर मुझे पता था। मेरी जिंदगी में बदलाव होंगे। यह सोचकर मैंने भगवान की शरण ली। इस बीच मेरा एडमिशन पास के ही साइंस कॉलेज में हो गया। मैंने भगवान की सेट। ली आपके वीडियो को देखने से ही मेरे में ऐसी सोच विकसित हुई। एक कुछ 2010, 18 में मैंने कॉलेज शुरू होने से पहले आपके चैनल पर वीडियो देखना प्रारंभ किया था। बस मेरी जिंदगी वहीं से बनी थी। इससे पहले के हालात ऐसे थे कि मुझे घर से भागने का मन होता था। मुझे रात को सोते समय। अजीब से सपने आते थे। मैं सीढ़ियों से गिर गया। ऐसा रोज होता था। मैंने अपने आप को संभाल लिया। मुझे नहीं पता था कि अब हालात और भी अधिक खराब होने वाले हैं। दो हजार अट्ठारह के। एग्जाम के बाद मैंने पूजा-पाठ चालू कर दिया था।

शुरू करने पर मुझे बहुत अच्छी सुगंध आने लगी। जो मुझे साधना करने पर आती थी, मैं रोज त्राटक और पूजा पाठ करने लगा। बाद में मैंने किसी वीडियो में सुना की हनुमान चालीसा का पाठ हर शनिवार को 7 बार करना अच्छा होता है। मैं अपनी बुरी हालात के पीछे अपने ऊपर चल रही शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या समझ रहा था। इसलिए मैंने हर शनिवार यह पाठ 7 बार पढ़ना साथी हनुमान जी को तुलसी के पत्ते का। प्रसाद चढ़ाने लगा। जिस दिन मेरा करता मुझे दूं या लोबान की खुशबू आने लगती मेरी हालत बदतर होने लगी थी पर फिर भी मेरा ध्यान पढ़ाई में कम लगता है।

यानी कि अब कुछ स्थिति संभाल रही थी लेकिन पढ़ाई अभी भी अच्छी नहीं थी। इसी बीच मुझे अनुभूति होती कि मेरा आज्ञा चक्र जैसे जाग रहा जो कि शायद त्राटक की वजह से हुआ होगा। जब भी मुझे पूजा के बाद शनिवार के दिन अच्छी सुगंध आती। मैं सोचता कि भगवान मेरी पूजा से खुश है तो मैं इसे और अधिक अच्छी तरीके से करने लगा। अब मैं दिन में दो बार पूजा करने लगा। साथ ही आपके वीडियोस को देखने लगा और उनसे बहुत कुछ सीखने को मुझे मिला। 2019 में भी मेरे में कोई बदलाव नहीं थे। मुझे ऐसा लगता है कि जो मेरे साथ है वह मेरे माता पिता नहीं है। मैं उनके साथ ठीक से बात नहीं करता था। ना ही उनकी बातें मानता था। मुझे लगता था कि इनके साथ क्यों रहूं। मेरे पैलेस मेरी चिंता करते। वह मुझे समझाते पर उनकी बात में अनसुना कर देता। मैं कई बार अपनी मां के साथ लड़ बैठता। छोटी-छोटी बातों पर अपने रिश्तेदारों के साथ भी मुझे अपनापन नहीं लगता था। मेरी रुचि गलत चीजों में बढ़ गई। पर फिर भी मैं सिर्फ अपने कमरे में बैठा रहता। 920 देखता यह वह साल था जब मैंने कई खतरनाक अनुभव अपने जीवन में पहली बार अनुभव की। इसमें खास दिया था कि जिस दिन ग्रहण होता उस दिन मुझे वह जिन मेरे दादा के रूप में मुझे सपने में दिखता और बात करता मेरी बड़ी मां का शिकार केवल मैं नहीं था। इससे पहले तंत्र का प्रयोग मेरे पापा को जान से मारने की उसने कोशिश की थी। उन्होंने बहुत पहले पापा पर कुछ। लगा दिया था। मेरे माता-पिता के संबंध भी ठीक नहीं चल सके। उन्होंने आज से लगभग 10 15 साल पहले मेरी मां पर।

3:00 पर छोड़ दिए थे। उसके हाथ में अब तीनों की जान थी। दरअसल ऐसा है कि कुछ लोग ही होते हैं जो अपनों का भला नहीं देख सकते। मेरी बड़ी मां का डाइवोर्स हुआ था जिस कारण वह।

वह इस डाइवोर्स का कारण खुद ही थी। वह मेरे भाई-बहन छोटे थे। पर एक बात बता दूं कि वह खुद एक बैंक में काम करती थी और अच्छा खासा कमा लेती थी पर उनको हमसे जलन थी। मेरी मां के पास कितना प्यार? और दो इसके साथ ही पति यह सब उनके पास था। वह चाहती थी कि मेरे पापा मेरे भाइयों और बहनों का ध्यान रखें और उनका भी जब उन्हें लगा कि इसका पुत्र होशियार है तो उसने मुझ पर इतना खतरनाक प्रयोग किया कि वह मेरी बर्बादी कर सकें। अब जब मुझे पूजा पाठ के साथ 6 से 7 माह बीत गया। मुझे घर में ही इतने अनुभव हो गए कि अब मैं अपने घर में रहते डरने लगा था। एक दिन मैं अपनी मां के बेडरूम में आराम कर रहा था। तब मैं घर में अकेला था तब मुझे बिस्तर पर किसी के होने का एहसास हुआ। मुझे महसूस हुआ कि मैंने शिवजी का मंत्र फिर उच्चारित करें। तीन बार बोला और ऐसा ऐसा होना फिर वह बंद हो गया। अब जब मैं शाम को पूजा करता तो मुझे ऐसा महसूस होता है। मुझे कुछ दूर एक साया देख रहा है जो मुझे पूजा करते वक्त आंख बंद होने पर दिखता था। अब रात को भी मैं डिम लाइट जला कर सोने लगा। मेरा डर बहुत बढ़ चुका था। धीरे-धीरे यह साल भी खत्म हो गया। अब 2020 आ चुका था। तब मैंने सोचा कि आप से गुरु दीक्षा ले लूं। लेकिन कई कारणों की वजह से यह संभव नहीं हो पाया। मार्च 2020 में मेरे साथ ऐसी घटना बनी कि मैं यह बात अपनी मां से शेयर कर उन्हें मुझ पर जबकि विश्वास था। पर पिताजी कुछ नास्तिक नेचर के थे। वह यह सब चीजों को धर्म मानते थे या घटना क्या थी इसके बारे में जिसकी वजह से मेरी जिंदगी में भूचाल सा आ गया। यह मैं आपको अगले भाग में बताता हूं।

चिराग यहां से होती है कि जब मैं अपने कमरे में सो रहा था तब आधी रात में मेरे पैर पर कोई बैठा हुआ ऐसा मुझे महसूस हुआ और जब मैं उठा वहां कोई नहीं था। मैंने रजाई पर और तो रखी थी लेकिन रजाई का वजन इतना ही होता है जितना मुझे तब लग रहा था। मैं अपने कमरे से भाग कर अपने घर के मंदिर पर चला गया। तब सुबह के 4:00 बजे थे। मैं इतना डर गया था कि मेरी छाती में दर्द होने लगा था लेकिन अब भी! मैं सहन नहीं पकड़ पा रहा था जो मैं 1 साल से 7 बार शंकर ने कर हनुमान चालीसा का पाठ कर रहा था। उसका असर अब शुरू हुआ हुआ यूं कि जब मैं संकल्प लेने के बाद पानी नीचे गिरा तब उस वक्त मुझे कई सारे लोगों। मेरे घर से भागने का और वहां से मुझे छू कर जाने का एहसास हुआ। यह संकेत था कि कोई नकारात्मक शक्ति हमारे घर पर थी। मेरा शक यकीन में बदला कि जब हमारे घर में नकारात्मक शक्तियां लेती है, इस बीच कोविड-19 के चलते लॉक डाउन लग गया और यह अनुभव उस वक्त के पहले का जब मैं मां को घर से भागते लोगों की बात बताई तब उन्होंने कहा और मेरे पापा कमरे में टीवी देख रहे थे। उनके अलावा घर में तब कोई नहीं था। कुछ महाभारत में मां ने किसी यूट्यूब चैनल की बात को सुनकर घंटाकर्ण महावीर जी का फोटो मंदिर में रखा जो कि उसके बाद अनुभव की संख्या बढ़ने वाली थी मेरी मां ने। पापा को घर में सत्यनारायण की कथा रखने को कहा जो कि उन्होंने यह बात स्वीकार की। यह बात मेरे मां पापा कई साल तक कहती नहीं, पर वह नहीं मानते थे। कथा संपूर्ण हुई और होने पर मेरा। और मेरी मां का घर नकारात्मक शक्ति से मुक्त हुआ। मेरी मां की अब बारी थी। वह रोज रात को 3:00 बजे उठ जाती थी। उन्हें ऐसा महसूस होता कि था कि बिस्तर के पास कोई है जो उन्हें लगातार घूर कर देख रहा है। ऐसा रोज होने लगा। यही नहीं मैं उनका आसान शिकार था। वह जिन की गंदी नजरें अब मेरी मां पर थी जो कि वह मेरे जरिए देख रहा था। इतना असली खेल खेलता था कि सहन करना मुश्किल हो जाता था। मैं अपने आप पर बहुत ही ज्यादा मुश्किल से काबू कर पाता था। इस बीच एक बात और बता दूं। मैं मां महालक्ष्मी का भक्त बन चुका था। रूप में रोज पढ़ाई करते करते उनके मंत्र यूट्यूब से सुनता रहता था।

मुझे इसमें? काफी आनंद आता था। यह बात उस समय की है। जब लोग डाउन चल रहा था। मैं मां पिताजी के साथ ऐसी वाले रुम में सोता यह महीना था। जून-जुलाई 2020 का 1 महीने में 3 गए थे। जब भी मैं रात को एसी रूम से बाहर आता मुझे बहुत तेज सुगंधा थी। वही धूप और लोबान की। अतः उस वक्त ग्रहण भी था तब वह दिन गुस्से में एक लोटा पटक कर मेरे पापा के रूप में। आर के कहने लगा कि तुम पर मां लक्ष्मी की आशीर्वाद है। तुम्हारी मां पर भगवान सत्यनारायण की कृपा है और तुम्हारे पिता पर शिव जी की कृपा है। यह सब सुनकर मैं चौंक कर उठ बैठा किया। गलती मेरे पिताजी का रूप में सामने आया है। पिताजी तो नहीं थे पर यह ऐसा क्यों? बोल रहा! यह बात मैंने अपनी मां को बताई थी। इस बीच ऐसा हुआ कि मेरे घर में काम करने वाली एक आंटी ने मेरी मां को बताया कि उनके पहचान के एक बाबा है जिनमें हनुमान जी की सवारी आती है। वहां जाकर आप अपने ऊपर हो रहे इनाम लोगों का पहुंचना मेरी मां मुझे और पिताजी को बताए बगैर छुप-छुपकर जाने लगी। यह बात दो बार कर चुकी थी। वह अपनी सहेली का नाम लेकर उस बाबा के पास जाती। इस बीच एक ऐसा किस्सा हुआ कि मुझे अपनी मां की बात पर यकीन हो गया हुआ यूं कि एक रात में इन्हीं के एसी रूम में सोया हुआ था। तब मैंने अपनी आंखों से उस काले साए को मेरी मां के बेड के पास खड़े। देखा सिर्फ 5 सेकंड के लिए मैं उसे देख पाया था। इसके आगे की कहानी मैं आपको अगले भाग में बताऊंगा।

जिन्न का एक बुरा अनुभव भाग 2

 

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