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ज्वाला यक्षिणी साधना का प्रत्यक्ष दर्शन अनुभव

ज्वाला यक्षिणी साधना का प्रत्यक्ष दर्शन अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज का जो हमारा अनुभव है, यह होली पर की गई ज्वाला यक्षिणी साधना के विषय में है। चलिए पढ़ते हैं इस पत्र को और जानते हैं साधक महोदय की साधना  जय गुरुदेव गुरु जी के चरणों में मेरा शत शत नमन गुरु माता के चरणों में भी मेरा शत-शत नमन गुरुदेव मैं आपका शिष्य गुरुदेव आपसे मैंने आज्ञा प्राप्त की होली पर की जाने वाली ज्वाला यक्षिणी साधना की तो आपने उसे अनुमति प्रदान की थी और मैं इस साधना को करने के लिए भी तत्पर हुआ था। इस साधना को मैंने किया। गुरुदेव बहुत आभारी हूं और अपने गुरु भाई का भी बहुत आभारी हूं। उन्होंने मुझे इस साधना को खरीदने में मदद की थी और मैं साधना को कर रहा था। मुझे बहुत ही अच्छा लाभ हुआ। इस साधना से बहुत ही अच्छे अद्भुत अनुभव और दर्शन हुए हैं। अद्भुत अनुभव हुए, मैं क्या कहूं? गुरुदेव मैं इस साधना को करके इतना खुश और लाभान्वित हुआ हूं जिसे लफ्जों में मैं वर्णन नहीं कर सकता। इस साधना को करके बहुत ही प्रसन्न हूं क्योंकि मुझे प्रत्यक्ष दर्शन हुए देवी के परन्तु गुरुदेव मेरा सौभाग्य या दुर्भाग्य कहें कि मैं उनका प्रत्यक्ष दर्शन भी किया परंतु मैं उनका चेहरा नहीं देख पाया। मात्र उनके स्पर्श को महसूस किया। उनकी साड़ी को स्पर्श किया। उनकी आवाज जाते जाते मुझे वह कुछ बोल कर गई। गुरुदेव परंतु मुझे उनकी बात याद नहीं रही। कुछ ऐसी बातें बोली जो कि मेरे लिए अच्छी बातें थी। परंतु तुरंत बाद ही मैं उसे भूल गया, क्योंकि गुरु जी इतना ज्यादा थक गया था। इसके कारण मुझे याद ही नहीं रहा।

और इतनी ज्यादा दिन मैंने किया था कि मुझे नींद आ रही थी। मैंने इसको ग्रहण किया था और फिर बिस्तर पर गहरी नींद में चला गया। मुझे कुछ भी याद ही नहीं रहा। देवी ने मुझे क्या बोला। हल्की-हल्की इतनी बातें याद है कि देवी ने मेरे समक्ष प्रत्यक्ष रुप में आइ। मेरा सर को सहलाया मुझे आशीर्वाद स्वरूप से कुछ बोली और कुछ प्रदान किया। यह तो मुझे उनके स्पष्ट आवाज से नजर नहीं आया कि उन्होंने क्या बोला, मेरे सर को हिलाते हुए मैंने उनको स्पर्श किया। गुरुदेव मैंने उनकी साड़ी को स्पर्श किया। लाल रंग की साड़ी उनहोने पहन रखी थी और जमीन की साड़ी को स्पर्श किया तो मुझे लगा कि कितनी खूबसूरत चीज मैंने स्पर्श की है। बहुत ही अच्छा लगा जैसे कि वह आए तो मेरे बगल में ही बहुत ही खुशबू आने लगी थी और खूबसूरती और मदहोशी मुझ पर छाई लगी। किसी तरह का मैंने अपने आप को उस वक्त नियंत्रित करते हुए उचित रूप में दर्शन किया, परंतु मेरा दुर्भाग्य है कि उनके चेहरे को मैं स्पष्ट रूप से नहीं देख पाया। गुरु जी मैं अपना अनुभव पर अब आता हूं और आपको अनुभव बताता हूं।

जब आपने मुझे इसके लिए आज्ञा प्रदान की तो मैं सुबह के सुबह अपने घर की छत पर जाकर एकांत कमरे का चयन किया। उस कमरे को मैंने साफ सुथरा और स्वच्छ किया अपने ही हाथों से, रात्रि होने का इंतजार किया। मैंने हवन कुंड का निर्माण किया। लकड़ी का इंतजाम किया। सब कुछ जैसे आपने विधि में बताया है। सब कुछ विधि पूर्वक सारी चीजों का मैंने बंदोबस्त किया। रात्रि होने पर इंतजार किया। जब रात्रि हुई तो मैं जग रहा था कि कब होलिका दहन होगा। हमारे गांव में गुरु जी होलिका दहन काफी लेट में हुआ मैं बहुत ही देर इंतजार करता रहा कि होलिका दहन कब होगा परंतु गुरु जी हमारे गांव वालों को क्या पता वह तो होलिका दहन रात्रि के 11:00 बजे करने गए थे। तब मैं बहुत इंतजार किया कि होली का दहन इतनी जल्दी क्यों नहीं हो रहा है। ऐसा लग रहा था। शायद होलिका का इंतजार करते करते ही समय बीत जाएगा। मेरी साधना भी नष्ट हो जाएगी। पर मैंने अलग से हवन कुंड इसके लिए प्रज्वलित कर रखा था। उसी से ज्वाला यक्षिणी का आवाहन का साधना को प्रारंभ किया गुरुजी। सोचा कि गुरु जी कुछ मुझे पता तो चल ही गया था। होलिका दहन हो रहा है। अब लगभग 11:30 बजे दहन हुआ और मैं भागते भागते लकड़ी के कपड़े पर बांधकर वह आग लाया और ज्वाला देवी के आवाहन मंत्रों और उनकी ज्वाला को अपनी साधना के लिए घर पर स्थापित किया। जैसे गुरु जी तुरंत ही मैंने कुंड का निर्माण किया और विधि जैसा आपने बताया है। उन्हीं नियमों का पालन करते हुए साधना को तुरंत प्रारंभ कर दिया। साधना के मात्र आधे घंटे के अंदर मुझे अनुभव होने शुरू हो गए। अनुभव के बाद गुरुजी 5 मिनट से लेकर कम से कम आधे घंटे तक मैं बहुत परेशान रहा, क्योंकि आधे घंटे तक जब मैं अनुभव होना शुरू नहीं हुआ तब मैं कुछ ज्यादा ही परेशान था क्योंकि हमारे सामने जलती हुई अग्नि और ज्वालामुखी मुझे प्रताड़ित कर रही थी मेरा शरीर पूरा पसीने। तरबतर हो गया। मैं बहुत ज्यादा परेशान था। मैदान में भी शरीर से पसीने छूट रहे थे क्योंकि गुरु जी मैं।

गमछा और जांघिया में था। फिर भी मुझे साधना में बहुत ही ज्यादा परेशानी हो रही थी। उसके बाद गुरुजी! कुछ देर बाद मुझे मच्छरों के काटने का भी महसूस हुआ पर फिर भी मेरा ध्यान एकत्रित ही रहा। मैं परेशान तो था लेकिन फिर धीरे-धीरे एक घंटा बीत गया। मैंने मां से प्रार्थना की हे देवी मां मुझे साधना करने में समस्या हो रही है। इस अग्नि के कारण कुछ कीड़े मकोड़े मच्छर मुझे परेशान करें। कृपया मेरी साधना को फलीभूत करने में सहायता प्रदान करें ताकि मैं इस वक्त इस साधना को संपन्न कर सकूं। आपकी कृपा और शक्ति सिद्धि से जब मैंने प्रार्थना किया तो धीरे-धीरे मच्छर मुझसे दूर होने लगे और अग्नि भीतर शांत पड़ने लगी। काफी देर तक जलती रही धीरे-धीरे अग्नि भी बुझने लगी। आपने बताया था कि नेत्र नहीं खोलना है तो मैंने ध्यान नहीं दिया। अग्नि जल रही है या नहीं जल रही थी बस आप की कसम के अनुसार मैं आगे साधना करता चला गया। सुबह 4:00 बजे तक अपने। मैं कहा था कि आंखें नहीं खोलनी है तो गुरु जी मैंने अपनी आंखें नहीं खोली। 4:00 तक साधना को लगातार करता रहा। गुरुजी मुझे एहसास हो रहा था कि मेरा शायद हवन कुंड बुझ गया। करते-करते लगभग डेढ़ घंटे से ज्यादा हो गए। गुरु जी ख्याल से आने लगे थे और यहीं से अनुभव आना शुरू हुआ और अनुभव हुआ कि मैंने गेट बंद किया है और।

खिड़की खोली है अग्निकुंड से हवा वहां आने लगा और कुछ देर बाद वह बंद हो जाता। फिर मैंने देखा दरवाजा अपने आप ही खुल गया। दरवाजा खोलने के कारण आसपास में हमारे गांव में लोग जितने लोग थे जो पटाखे जला रहे थे, उनकी आवाज बड़ी तेजी से मेरे कानों में आने लगी जिससे मेरा ध्यान भी भटकने लगा। दरवाजा खोलने के कारण धीरे-धीरे ठंडी ठंडी हवा भी आने लगी। मुझे अच्छा लग रहा था। मुझे यह पता चल गया था कि दरवाजा अपने आप खुल गया है। शायद अनुभव होने प्रारंभ हो गए थे। मेरे साथ जब दरवाजा अपने आप खुला गुरुजी तो मैं अपने आप को परीक्षा के लिए एकदम तैयार कर लिया। जैसा भी हो अपनी परीक्षा में सफल हो कर ही रहूंगा। मैं दृढ़ निश्चय ही होकर गुरुदेव धीरे-धीरे साधना को आगे बढ़ाता जा रहा था। गुरुजी दरवाजा खोलने के बाद कुछ क्षण के बाद अनुभव स्टार्ट हो गए। मैंने जो सुरक्षा रेखा खींचा था, उसके चारों और कोई तेजी से घूमने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई अच्छी

या बुरी शक्ति है, मैं नहीं जानता लेकिन ध्यान से भटकना नहीं है। मुझे तो साधना में आगे बढ़ना है। घूमते घूमते हैं कि काफी देर मुझे उसके स्पष्ट फिर कुछ देर धीमी गति के अनुभव हुए। फिर रुक रुक कर ऐसा लग रहा था कि अब अनुभव होने फिर से बंद हो गए हैं। अब फिर तभी अचानक से अनुभव फिर से शुरू हो जाते। कोई जब मैं ध्यान में था तो मेरी। पीठ पर अपनी उंगलियां धीरे-धीरे सहलाने लगा। नीचे से लेकर ऊपर तक उंगली से चढ़ने लगा। फिर मुझे इसमें इतना अच्छा लग रहा था कि मैं चाह रहा था कि यही अनुभूति मुझे बार-बार होती रहे। वह स्पर्श धीरे धीरे मेरी पीठ की उंगली से चलाने पर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। गुरुदेव मुझे साधना के दौरान ना ही किसी की आवाज आई नहीं कोई भयानक अनुभव हुआ। मैं तो बार-बार ही सोच रहा था कि अनुभव तो बंद ही है पर गुरुदेव डेढ़ घंटे बाद मुझे तकलीफ होने लगी और मैं परेशान था लगा साधना में काफी ज्यादा करने लगा। फिर भी मैंने अपने दिल को मजबूत रखा धीरे-धीरे मुझे बहुत तेज नींद भी आ रही थी। मंत्र जाप करना मैं भूल रहा था और मैं मंत्रों के पढ़ने में मुझे दिक्कत होने लगी फिर अपने।

को नियंत्रित किया और धीरे-धीरे मुझे इसके लिए मैंने आपसे प्रार्थना की कि हे गुरुदेव मेरे तपोबल में वृद्धि कीजिए ताकि मै यह साधना संपन्न कर सकूं। जैसे ही गुरुदेव मैंने यह बोला, अचानक से मेरे अंदर एक नई ऊर्जा की अनुभूति होने लगी। फिर कुछ देर साधना करने के बाद मुझे लगभग 2:00 बज गए थे। परेशान होकर ऐसा लग रहा था। गुरु जी मुझे तेज चक्कर भी आने लगे। 2:00 बजे के बाद फिर आसन में इतनी तेजी से मेरा सिर हिलने लगा और इतना तेज चक्कर आया कि मैं बाहर जाकर दीवार से टकरा गया क्योंकि मैं अपने आप को खड़ा नहीं रख पा रहा था और तीव्रता से और नींद के कारण शायद, तीव्रता के चक्कर की वजह से शरीर को नहीं संभाल पाया और फिर मैंने अपनी पूजा बंद कर दी और सीधे अपने रूम में आ गया। जहां मुझे अभी भी चक्कर आ रहे थे। मैंने अपने बेड में अपने। आप को गिरा लिया और देवी से प्रार्थना की कि मुझे इसके लिए उचित फल प्रदान कीजिए और मेरी इस गलती के लिए क्षमा कीजिए। प्रार्थना करने के बाद बेड पर जाकर सोया ही था कि कुछ ही देर में मैं बहुत ही गहरी नींद में चला गया। उसके कुछ समय पश्चात ही प्रत्यक्ष रूप में मेरे सामने आकर बैठ गई और मेरे सर को सहलाने लगी। मुझे सब कुछ अच्छी प्रकार दिखाई दे रहा था।

अंधेरा होने के कारण रूम में मैं उनके चेहरे को नहीं देख पा रहा था। साड़ी को मैं अच्छी प्रकार से महसूस कर रहा था। हल्के हल्के लाल रंग की साड़ी उनकी थी और उनके ओर हाथ को बढ़ाते हुए मैंने फिर उनकी साड़ी को भी पकड़ा साड़ी को छूने का एक अद्भुत आनंद मुझे प्राप्त हुआ। फिर मैंने सोचा कि मैं उनका चेहरा देख सकूं। मैंने कोशिश की उन्होंने उस वक्त अपने मुख से कुछ बातें बोली जिनको मैं अब बाद में याद ही नहीं रख पाया। फिर वह मेरे सिर के पास बैठ गई और फिर कुछ सहलाने लगी। गुरुदेव मैं उनकी कथन सुन नहीं पा रहा था और तब मुझे छोड़ कर के चली गई, फिर मैं गहरी नींद में चला गया। अब सुबह सोकर उठा। मुझे यह सारी चीजें स्पष्ट रूप से याद की, लेकिन मैं यह समझ नहीं पा रहा था कि उन्होंने क्या कहा है। मेरी अंदर एक नई ऊर्जा की अनुभूति थी। मैं शरीर से काफी मजबूत महसूस कर रहा था । लगभग में देर तक सोता रहा और 10:00 बजे सो करके उठा था। मैंने अपने गुरु भाई को फोन किया। अपनी साधना के अनुभव को भी बताया कि मैं सुबह होते ही कल सुबह गुरूजी को मेल भी कर लूंगा। आप मेरा अनुभव गुरुदेव के मुख से अवश्य सुनेंगे। गुरुदेव में चाहता हूं कि मेरी जितनी भी गुरु भाई बहन हैं। मैं यही चाहता हूं कि सभी होली के अवसर पर इस प्रकार की साधना और शक्ति?

अवश्य करें, सभी लाभांवित होंगे। बस आप साधना के दौरान दृढ़ निश्चय ही हो करके साधना करें। गुरुदेव जैसे पीडीएफ़ में बताया गया था कि बहुत डरावना अनुभव हो सकते हैं। इसलिए मैंने सुरक्षा कवच भी लगाया था, पर आपकी कृपा से कोई डरावना अनुभव नहीं हुआ और बहुत ज्यादा इस बात से मैं प्रसन्न हूं। एक नई ऊर्जा की अनुभूति मुझे हो रही थी। गुरुदेव मंत्र की तीव्रता इतनी अधिक थी कि मै इस ऊर्जा को अगर मैं सह जाता तो शायद एक ही दिन में कुंडली चक्र को भेज सकता था। गुरुदेव इतना ज्ञान तो मुझे नहीं है। कुंडली चक्र कैसा है, कितना एक्टिव है। परंतु में स्पष्ट रूप से कह सकता हूं कि शायद मेरे शरीर में चार या पांच चक्र उस वक्त एक्टिव हुए थे क्योंकि इनकी तीव्रता के कारण अद्भुत ही अनुभव हुआ था । लगभग मैंने साधना को किया है और सिद्धि पाने के लिए प्रयास भी किया है। गुरु मंत्र का 21 लाख मंत्र जाप मैं कर चुका हूं। सिद्धि के लिए मैं यह सब करना चाहता था। गुरुदेव आपने वीडियो में बताया है कि होली के दिन ही साधना की जा सकती है। अगर कोई साधक 1 दिन की सिद्धि प्राप्त करने की साधना करना चाहे तो यह साधना कर सकता है और फिर मैंने इसके लिए अलग ही साधना का एक तरीका और विधान प्राप्त किया था। सिद्धि प्राप्त करने के लिए आपको लगातार लगे रहना पड़ता है।

आप कृपया इसके विषय में और भी बताइए और क्या अगर मैं इस मंत्र का 21 लाख मंत्र जाप अनुष्ठान करूं तो क्या मुझे पूर्ण सिद्धि की प्राप्ति हो सकती है? जय गुरुदेव जय मां शक्ति।

सन्देश- तो देखिए निश्चित रूप से ज्वाला यक्षिणी एक बहुत ही शक्तिशाली यक्षिणी है। होली के दिन की जाने वाली इनकी यह साधना अद्भुत फलों को देने वाली है और जो अग्नि तत्व हमारे सभी के अंदर होता है वह कुंडली ऊर्जा को हमेशा जागृत करता ही है। इसी कारण से कुंडली ऊर्जा भी जागृत हो सकती है। गुरु मंत्र के अनुष्ठान के बाद जब हम इस तरह की साधनाएं करते हैं तो इनका हमें 2 गुना फायदा मिलता है। आपको बहुत अच्छा अनुभव हुआ है। आप किसी भी मंत्र को लगातार अगर जपते रहेंगे। विधिवत तरीके से जैसा किया गया है तो उसकी पूर्ण सिद्धि आपको मिल सकती है लेकिन सिद्धि के लिए लगातार लगन से हमेशा लगे रहना पड़ता है। तभी आपको उसकी सिद्धि मिल पाती है क्योंकि हमारे अंदर बहुत सारी कमियां हैं। उन कमियों और दोषों को दूर होने के बाद शरीर शुद्धि होने के बाद।

आपके पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होने के बाद! तब जाकर सिद्धि आप से प्रसन्न होकर के आपको प्रत्यक्ष रूप में प्राप्त हो जाती है।  इसके अलावा जो लोग भी जिला अध्यक्ष बनना चाहते हैं वह। ट्रस्ट के अकाउंट में। निश्चित धनराशि जमा करके जैसा कि मैंने पिछले वीडियो में बताया है। आप ट्रस्ट के अध्यक्ष बन सकते हैं। इसमें बहुत सारे फायदे आपको मिलेंगे। आप धर्म के प्रचार के साथ समाज में बहुत ही प्रतिष्ठित और ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध व्यक्ति बन जाएंगे। ऐसी पूरी एक कार्यप्रणाली का निर्माण किया गया है। आशा करता हूं। ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ेंगे और मंदिर निर्माण हेतु दान धनराशि देंगे ताकि जल्दी से जल्दी मां पराशक्ति का मंदिर और आश्रम का निर्माण हो सके। आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां शक्ति।

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