Site icon Dharam Rahasya

तक्षक मुखी नागिन और नागचंद्रेश्वर मंदिर कथा भाग 3

उसने संभु से कहा कि मेरे साथ क्या-क्या घटित हुआ है, कैसे डाकू ने उन पर हमला किया और पूरे परिवार को मृत्यु के घाट उतार दिया केवल  सिर्फ वही बची हुई  है और उसने अपनी पोटली की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इसे संभाल लीजिए और अब मैं कहां जाऊं क्या करूं मेरा दुनिया में कोई भी नहीं है रोते हुए वो गले लग गई शंभू के गले लगते ही शंभू ने उससे कहा की आप चिंता मत कीजिए आप मेरे घर में ही रहे मैं आपकी रक्षा सुरक्षा करूंगा जब तक की आपके परिवार या बाकी रिश्तेदार नहीं मिल जाते ऐसा कहने पर उस कन्या रूपी तक्षक मुखी नागिन ने उसे कहा कि अब जब सब कुछ आप मेरे लिए कर ही रहे हैं तो मेरे पास जो कुछ भी है वह सब आपका ही है कृपया आप इसका उपयोग करें उन्होंने पोटली की तरफ इशारा दुबारा किया और संभु ने जाकर के उस पोटली को जैसे ही खोला तो उसने  देखा कि उसके अंदर सोने और चांदी के बहुत सारे सिक्के पड़े हुए थे उन्हें देखकर उसे बड़ा ही आश्चर्य  हुआ और कहा यह क्या है ?  जवाब देते हुए नागिन ने कहा की यह मेरे परिवार की संपूर्ण संपत्ति है और अब क्योंकि परिवार ही नहीं रहा मेरा जीवन नष्ट हो चुका है तो आप इसका उपभोग कीजिए ऐसा कहकर के उसने कहा आप चाहे तो इसका उपयोग कर सकते है जिससे आपका जीवन भी सुधर जाएगा क्योंकि अब मेरे जीवन का तो कोई लक्ष्य ही नहीं बचा हैं l उसके प्रभाव से उसने उस पोटली को अपने पास रख लिया और पत्नी को दिखाने के लिए घर के अंदर प्रवेश किया अंदर कमरे में जाकर उसने देखा वहां उसकी पत्नी लेटी हुई थी उसने उसे उठाया लेकिन वह उठ ही नहीं रही  थी, अत्यंत ही आश्चर्य में पड़ा हुआ शंभू एक बार फिर से अन्य कमरे में गया अपनी मां को देखने के लिए उसने मां को बड़ी ही बुरी  हालत में एक बड़े से पलंग पर लेटे हुए देखा जो उसे इशारा करके बुला रही थी जब वह उनके पास पहुंचा तो देखा कि शरीर को लकवा मारा हुआ है, इस वजह से यह ढंग से न कुछ बोल पा रही हैं और न ही हिल डुल पा रही है वह बड़ा ही परेशान हो गया इसके बाद उसने तुरंत ही वहां के सबसे श्रेष्ठ वैद्य को बुलाया और कहा आप धन की चिंता मत कीजिए किंतु मेरी पत्नी और मेरी मां को तुरंत ठीक कीजिए वैद्य ने उनका उपचार करने की प्रतिज्ञा ली कि मैं तुम्हारे रिश्तेदारों को अवश्य ठीक करूंगा, सोने की कुछ अशरफियां शंभू ने उस वैद्य को दे दी वैद्य बहुत ही खुश हुआ और सोचने लगा की यह कितना धनवान व्यक्ति है लेकिन उसका दुर्भाग्य देखो की इतनी गंभीर बीमारी से इसके परिवार के दोनों ही सदस्य मृत्यु जैसी अवस्था में चले गए हैं, वैद्य अपनी जड़ी-बूटी का व्यवस्था करने लगा और रोज आकर उनका इलाज करने लगा उसकी मां को तो थोड़ा बहुत फायदा हुआ पर वैद्य बड़े ही आश्चर्य में था की उसकी बीवी का कुछ भी भला नहीं हो पा रहा था वह जाग नहीं रही थी वैद्य ने  बताया की आपकी बीवी  एक प्रकार के  जहर से ग्रसित है जहर  ऐसा है की यह कभी ना ठीक होने वाला सा महसूस हो रहा है पता नहीं इसका क्या इलाज होगा लेकिन मैं अन्य देशों के वैद्य से भी बात करूँगा इस संबंध में और पता लगाने की कोशिश करूंगा की इसे किस प्रकार से ठीक किया जा सकता है इधर शंभू ने उस रुपए पैसों को लेकर के अपने व्यापार को शुरू किया उसे सफलता मिलने लगी कारण कि उसके पास पर्याप्त मात्रा में धन था तो कोई भी वस्तु का व्यापार कर सकता था और उन्हें अच्छे दामों पर बेच सकता था और जल्दी ही वह धनवान होने लगा और इसी के साथ उसके परिवार के अन्य सदस्य उसका सहयोग करने लगे  कारण की जिसके पास भी धन होता है उसके रिश्तेदार जरूर उसके पास खींचे चले आते हैं यह बात नागिन को अच्छी नहीं लग रही थी वह इस बात को समझ रही थी की अगर अत्यधिक मनुष्यों से यह व्यक्ति घिर जाएगा तो अपने लक्ष्य से भटक जाएगा इसलिए उसने एक बार फिर से अपने नया मायाजाल को रचा, रात्रि के समय में उसने  अपनी समस्त सहेलियों का आवाहन किया उसकी सहेलियां नाग लोक से दौड़ी चली आए और कमरे में आ गई सभी सहेलियों ने उसे कहा क्या वजह है की तुमने हमें बुलाया है उसने बताया की मुझे किसी भी तरह शंभू को फिर से रोकना होगा  वह धन के कारण शक्तिशाली हो चुका है और मुझ पर ध्यान नहीं दे रहा है मैं जिस क्रिया के लिए यहां पर आई हूं वह  संपन्न नहीं हो रही है और मैं किस प्रकार अपने लोक में वापस जा पाऊंगी तो फिर उसकी सहेली ने पूछा की तुम्हारे मन में क्या विचार है हमें बताओ अपनी सहेलियों को  उसने कहा की तुम जल्दी ही एक राजा और उसकी सेना के साथ में यहां उपस्थित हो जाओ और इसका समस्त धन छीन लो और कहो की यह धन तो राजा का था मैं इन सब को देख करके पहचान सकता हूं की यह राजा के सिक्के हैं आखिर तुम्हारे पास कहां से आ गए इस प्रकार विडंबना वाली बातों को देखते हुए निश्चित रूप से यह हमारे जाल में ऐसे फसेगा जैसे बहेलिये के जाल में मछलियां फंस जाती है l सभी ने अपने अपने कार्यों का संपादन करने की प्रतिज्ञा ली और वहां से चली गई अगले दिन जब अपने व्यापार में अपनी दुकान पर बैठा शंभू अपने ग्राहकों का इंतजार कर रहा था तभी वहां पर कुछ सैनिक आए और उन्होंने कहा की आप इस वस्तु को हमें दीजिए फिर जब उस वस्तु को  प्राप्त किया तो फिर राजा के सैनिकों ने उन्हें हीरा दिया संभु ने कहा क्या आपके पास इतनी बहुमूल्य वस्तु है क्या आपके पास सोना चांदी ही नहीं है इसको तो आप सोने चांदी दे कर भी खरीद सकते हैं हीरे का मूल्य तो बहुत अधिक होता है तो सैनिकों ने कहा आप परेशान मत होइए जितने मूल्य का यह हीरा है उसके बाद जितने पैसे बच जाते हैं उतने सोना चांदी हमें वापस कर दीजिए और हमें यह वस्तु दे दीजिए, संभु ने कहा ठीक है और उसने उस हीरे के बदले में वस्तु और साथ ही बचे हुए सोने के सिक्के और चांदी उसको दिए सोना चांदी और वस्तु लेकर के  सैनिक चले गए कुछ देर बाद वहां काफी भीड़ इकट्ठा हो गई राजा और उसके काफी सैनिक वहां पर आ गए और शंभू को बाहर निकालते हुए कहने लगे कि तू चोर है तो शंभू ने कहा ऐसा क्या कर दिया मैंने तब उन्होंने कहा यह सारे सिक्के सोने चांदी हमारे हैं और यह सिक्के को हम  अच्छी तरह पहचानते है क्योंकि इन पर जो चिन्ह बना हुआ है वो राजा का है और राजा ने इसे कहीं पर भी अभी तक नहीं बेचा है फिर यह तेरे पास कहां से आया और उन्होंने उसके सारे सोने चांदी के सिक्के और धनराशि जितनी भी उसके पास थी सब ले ली और कहने लगे या तो तुझे मृत्यु दंड देते हैं या तो यह सब सिक्के  वापिस कर शंभू ने अपनी जान पर बनी देख कर के अन्य व्यापारियों के सहयोग से सारे सोने चांदी के सिक्के उसे वापस कर दिये और कहा की राजा के आगे भला उससे प्रबल कौन हो सकता है इसलिए सारे व्यापारियों ने प्रार्थना की और कहा यह सिक्के ले जाइए शायद किसी गलती की वजह से उसके पास आ गए होंगे और इस व्यापारी को छोड़ दीजिए यह बड़ा ही भला व्यक्ति है यह कभी भी किसी का बुरा नहीं चाह सकता है आप सब इसे माफ कीजिए और आप इसके सोने चांदी के सिक्के रख सकते हैं हमारी जिम्मेदारी है की हम किसी प्रकार से भी गलत धन का उपयोग न होने दे सारे व्यापारियों की प्रार्थना पर राजा और उसके सैनिक उसका सारा सोना चांदी ले करके चले जाते हैं और शंभू की जान बच जाती है लेकिन शंभू दुःख के मारे घर वापस आता है इधर तक्षकमुखी नागिन उसको रोते हुए देखती है और उसके पास आकर के उसके आंसू पोछते हुए कहती है आपने मुझे सहारा दे रखा है आप इतने दुखी क्यों हैं तब् शंभू कहता है मैं सच में परेशान हूं सब कुछ सही हो चुका था ज्योतिषी जी ने कहा था की तुम्हारे पास धन की वर्षा होगी बिल्कुल वैसा ही हो रहा था पर आज पता नहीं अचानक क्या हुआ की मेरा सारा धन राजा के सैनिक ले गए और आपने जो सिक्के मुझे दिए थे वह सिक्के कैसे राजा के सैनिक के सिक्के निकले  आपने कहा था कि वह आपके परिवार का धन था आप कौन हैं ? यह क्या बात है ? इस पर राजा ने किस प्रकार से आपको इस बात के लिए दोषी समझा  ऐसी  बाते सोच करके तक्षकमुखी नागिन ने एक बार फिर  से उससे कहा की हो सकता है की यह वही सिक्के हो जो राजा के एक मंत्री के पास थे और वह जंगल में दौड़ रहा था पता नहीं किस कारण से शायद राजा के सिक्के चुरा कर भाग रहा हो वह एक कुएं में जाकर के गिर गया और वह सर्पों के बीच में गिर गया और उसे सर्पो ने काट लिया जिससे वह मर गया इस प्रकार सर्पो  के बीच में वह धन पड़ा रहा होगा इसके बाद हमारे परिवार के लोगों को वह धन प्राप्त हुआ था और हमने सर्प पूजा के द्वारा वहां से सर्पो को हटा दिया था आप भी  वास्तव में फिर से धन प्राप्त कर सकते हैं मैं कई गोपनीय मार्ग जानती हूं जो धन का भंडार है क्योंकि समस्त धन पर नाग बैठते हैं और उनके हाथ में यह धन सदैव रहता है इसलिए आपको जो मैं विधि  बताऊंगी आप उसके अनुसार कीजिएगा इससे आपको धन वापस मिलेगा और अत्यधिक धन आप के पास हो जायेगा, लेकिन वचन दीजिए की जो जो बातें में बोलूंगी वह आपको करनी होंगी शंभू ने कहा ठीक है अगर किसी प्रकार से मैं  फिर से धनवान बन सकता हूँ तो मैं वह कार्य बिल्कुल करूंगा उसने कहा सबसे पहले आप मुझसे मंत्र की दीक्षा लीजिए और उसके लिए आपको मुझे अपना गुरु मानना होगा शंभू बोला ठीक है मैं आपको अपना गुरु मानता हूं और आपसे मंत्र की दीक्षा भी लूंगा आप बताइए क्या करना होगा तक्षकमुखी नागिन  बनी उस कन्या को अपना गुरु मानकर के शंभू ने उससे गोपनीय नाग मंत्र की दीक्षा ली उसने उसे मंत्र प्रदान किया l इस मंत्र का जाप करने के लिए आपको एकांत स्थान किसी जंगल के करीब उसके बीच में तालाब का चयन करना होगा जहां पर नाग लोक स्थित हो इस प्रकार कहने पर संभु ने कहा  मुझे कैसे पता चलेगा की नाग लोग कहां स्थित है  किस दिशा में स्थित है हम मनुष्य भला कैसे जान सकते है इस बात पर तक्षकमुखी नागिन मुस्कुराते हुए कहा कि सुनिए इस समय उज्जैन नगरी से थोड़ी दूर स्थित बना हुआ एक कृत्रिम तालाब है उस तालाब पर जाकर के जंगल के बीच में पहुचिये वहां पर आपको स्थान मिलेगा जहां पर कई सारी बांबियां होंगी उसी  तालाब में  बीच में जा कर के आप कमर भर पानी में खड़े हो कर के इस मंत्र का जाप कीजिए रोज 10000 मंत्रों का जाप करे आप 14 दिन में इस मंत्र की सिद्धि कर पाएंगे मैं जो विधि आपको बताती हूं उसी अनुसार आप करना, इस प्रकार उस से आज्ञा लेकर के वह इस मंत्र की उपासना करने के लिए उस जंगल के करीब पहुंच गया इससे पहले नागकन्या ने कहा इस मंत्र की उपासना के लिए तुम्हें एक बात को जानना आवश्यक है जब नाग शक्ति की नागकन्या प्रकट हो तो तुम्हें उसको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करना होगा और जो बीच  मै वचन बताती हूं  उन वचनों का तुम्हें पालन करना होगा और अपनी सिद्धि को बढ़ाना होगा इसके बाद वह तुम्हें अतुलनीय धन प्रदान कर सकती है साथ ही साथ जीवन के हर मार्ग में तुम्हारी रक्षा सुरक्षा भी करेगी इस प्रकार से तुम जीवन में हर प्रकार से आर्थिक रूप से और सांसारिक सुखों से संपन्न हो जाओगे और यह गोपनीय बातें तुम्हें करनी होंगी इस प्रकार से उस कन्या ने उसे कई बातों की और इशारा किया और उसकी बातों को सुनकर के शंभू ने कहा ठीक है मैं वचन देता हूं कि मैं आपकी आज्ञा का पालन करूंगा और इस प्रकार से ही करूंगा l अगले दिन जाकर उसी स्थान का चयन किया जहां पर उसे साधना करनी थी कमर तक पानी में खड़े हो कर के वह साधना करने लगा, पहली रात्रि को अचानक ही उसकी कमर की चारों तरफ सर्प लिपट गए और वह भय से व्याकुल होने लगा एक सर्प से उसकी नाक के अंदर घुसने का भी प्रयास किया लेकिन उसने अपने मंत्र का जाप नहीं छोड़ा वह सर्प लगातार उसकी नाक के अंदर घुसने की कोशिश करने लगा।

तक्षक मुखी नागिन और नागचंद्रेश्वर मंदिर कथा भाग 4 link

Exit mobile version