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तक्षक मुखी नागिन और नागचंद्रेश्वर मंदिर कथा 5वां अंतिम भाग

जल पिशाचनी स्वयं शंभू के सामने प्रकट हो गई और अपने माया जाल में उसे फसा लिया इधर बेचारा शंभू इस बात को नहीं समझ पा रहा था की यह वास्तव में स्त्री कौन है क्या यह नागकन्या है जिसकी मैं पूजा कर रहा हूं उसकी सिद्धि हो गई है अथवा यह कोई और शक्ति है यह उसके समझ से परे था, कारण कि वह इन माया जालों को नहीं जानता था तभी जल पिशाचिनी उसके सामने प्रकट होकर उससे वरदान मांगने को कहने लगी लेकिन तभी उसने देखा कि उसके पैर पीछे की और हैं यह देख कर के उसे बड़ा आश्चर्य हुआ उसने सोचा  की कुछ भी हो लेकिन नागिन के पैर पीछे की तरफ नहीं होते हैं कुछ तो गड़बड़ जरूर है मन ही मन उसने नाग कवच का इस्तेमाल किया उसके मंत्रों का वह जाप करने लगा मन ही मन जप करने की वजह से अचानक ही कवच उसकी चारों तरफ प्रकट हो गया और इसके प्रभाव से  अब उसकी दृश्य क्षमता बढ़ गई और वह उस रहस्य को देख पा रहा था जो अभी तक उसे दिखाई नहीं दे रहा था कारण की अब धीरे-धीरे उसके पैर  दिखने लगे और नीचे का पूरा भाग कंकाल नजर आने लगा ऊपर तो इतनी सुंदर स्त्री और कमर के नीचे बिल्कुल हड्डियों का एक कंकाल सा दिख रहा था ऐसा अद्भुत दृश्य देख करके शंभू के मन में विचार आया कि आज तो मेरी साधना का अंतिम दिन भी नहीं है फिर यह शक्ति कैसे प्रकट हो गई है और जैसे-जैसे में नाग रक्षा कवच मंत्र का इस्तेमाल करता जा रहा हूं पूरा शरीर बदलता जा रहा है उसने उससे कुछ देर बात नहीं की और नाग रक्षा मंत्र को देर तक जपने की सोचने लगा नाग रक्षा कवच जोकि तक्षक मुखी नागिन ने बताया था वह जपते रहा कुछ देर जल पिशाचनी उसके सामने खड़ी मुस्कुराती हुई अपनी यौवन अंगों का प्रदर्शन करती रही लेकिन कवच के कारण उसका स्वरूप स्पष्ट होने लग गया था धीरे-धीरे करके पूरा का पूरा शरीर एक चुड़ैल की भांति नजर आने लगा जो पूरी तरह से जली हुई स्त्री और हड्डियों का कंकाल जैसी नजर आ रही थी l अब जाकर शंभू को सामने का दृश्य देखकर भय उत्पन्न हुआ आखिर यह कौन है उसने देखा कि भयंकर सी दिखने वाली स्त्री जिसके मुंह में और दांतों में रक्त लगा था उसके सामने खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी । उसे दिखाई देने लगा की यह  कोई रूपवती कन्या नहीं बल्कि एक भयंकर स्वरूप वाली जल पिशाचनी है और शायद वह यहां पर रहा करती होगी अब उसने सोचा कि इससे कैसे छुटकारा पाया जाए तो वह और भी ज्यादा नाग मंत्रों का इस्तेमाल करने लगा इधर अचेत पढ़ी हुई तक्षक मुखी नागिन को भी होश आ गया तक्षकमुखी दूर से देखा और वह  इस बात को समझ गई उसने सोचा कि शंभू के प्राण खतरे में है अब शंभू के प्राणों को बचाने के लिए उसके पास कोई विकल्प नहीं है क्योंकि वह दूर खड़ी देख रही थी जल में उसकी शक्तियां कमजोर थी थल पर अगर उससे कोई युद्ध करता तो शायद ही जीत सकता था लेकिन जल में जल पिशाचनी की शक्ति  ज्यादा ताकतवर होती है इस कारण से उसे जल के बाहर लाना आवश्यक था अब कोई उपाय ना देखते हुए उसने सोचा कुछ ना कुछ ऐसा किया जाए जिससे जल पिशाचनी वहां से बाहर आ जाए उसने अपने मंत्रों के द्वारा वहां नाग सेना खड़ी कर दी सेना ने ऐसा  जाल रचा की वह सारे के सारे शंभू के चारों तरफ इकट्ठा हो गए शंभू नागों को चारों तरफ देख कर के तेजी से जल से बाहर भागने लगा और जल पिशाचनी ने भी इसका प्रति उत्तर नहीं दिया वह सोचने लगी कि आखिर इसे बाहर तो आना ही था जल में कब तक रहता जल पिशाचनी भी दौड़ कर उसके पीछे चलने लगी उसे इस बात का पता नहीं था की उसका वास्तविक रूप स्वरूप शंभू को दिखाई देने लग गया है जैसे ही वह जल से बाहर आया तुरंत जल पिशाचनी  बाहर आकर उसके गले लग गई प्रेम पूर्वक वार्तालाप करने की सोचने लगी इधर शंभू के डर के मारे हाथ पैर फूलने लगा वास्तविक रूप स्वरूप उसे दिखाई दे रहा था हड्डियों का ढांचा उसके गले में लगा हुआ था और वो अपनी जीभ से उसकी गर्दन के हिस्से को चाट रही थी ऐसी खतरनाक स्वरुप वाली उस जल पिशाचिनी को देख कर के अत्यंत भय लग रहा था इधर तुरंत ही तक्षक मुखी नागिनी उड़ते हुए उस नदी को पार कर दूसरे किनारे पर आ गई थी साथ साथ तीव्र स्वर में जल पिशाचिनी के ऊपर हमला कर दिया उस हमले में उसने अपनी कुंडली में चारों तरफ से उसको जकड़ लिया उसके बाद जैसे ही जल पिशाचनी मंत्र बोलने की कोशिश करती तो  उसके मुंह को भी अपनी कुंडली में लपेटकर पूरा का पूरा शरीर नागिन ने चारों तरफ से कुंडली मार के जकड़ लिया इस वजह से अब जल पिशाचनी कुछ भी नहीं बोल पा रही थी नागिन अपनी पकड़ को धीरे-धीरे करके बढ़ाते चली गई और पूरी शक्ति के साथ उसने उसको लपेट के रख लिया, कुंडली में लपेटने की वजह से धीरे-धीरे करके उसे चकनाचूर कर दिया उसकी कुंडली में ही दब करके उस जल पिशाचिनी की सारी शक्तियां नष्ट हो गई और कहा भी जाता है नाग पाश से कोई नहीं बच पाता l  तक्षक मुखी जानती थी इसीलिए उसने जल पिशाचिनी को बुरी तरह से  लपेट के रखा हुआ था और तब तक दबाव और शक्ति बढ़ाती रही जब तक कि वह पिशाचिनी पूरी तरह से उसमें दबकर के समाप्त नहीं हो गई इसके बाद उस जल पिशाचिनी को नागो ने थोड़ा-थोड़ा करके चाट चाट कर उसे खा लिया, कारण अगर उसके शरीर की अस्थि पंजर वहां पड़े रहती है  तो और वो जैसे ही जल के संपर्क में आते तो वह एक बार फिर से वह जीवित हो जाती l नाग लोक की शक्तियों ने इस प्रकार से शंभू की रक्षा की तभी वहां शंभू डर के मारे नागलीला को देखकर भागने लगा इधर-उधर दौड़ने लगा उसे लग रहा था कि वह दो लोगों के बीच में फंस गया है और उसके लिए कुछ भी करना संभव नहीं होगा और वह चुपचाप उस रास्ते से भागता हुआ अपने घर की ओर चला गया घर आने पर उसने एक बार फिर से उस कन्या से जो तक्षक मुखी नागिन थी उससे बातचीत आरंभ की और कहा कि आज उसके साथ में यह यह सब कुछ घटित हुआ तक्षकमुखी ने कहा कि चिंता ना करो तुम अपने स्वभाविक कर्म के आधार पर कर्म करते रहो और निश्चित रूप से तुमको इसमें सफलता मिलेगी आज के बाद अब तुम्हें कोई भय की आवश्यकता नही होगी जल्दी से जाकर अपनी साधना को संपन्न करो इस प्रकार वह अपनी साधना को पूर्णता के साथ संपन्न करता रहा और  अब उसे कोई खतरा या भय नहीं लग रहा था अन्तोगत्वा साधना का आखिरी दिन आ गया जैसे ही उसने आखरी मंत्र बोला उसे एक आवाज सुनाई दी कोई उसका नाम शंभू शंभू शंभू शंभू इस प्रकार से बोल रहा था और जैसे ही उसने सुना और जैसे ही उसने अपनी आंखें खोली तो उसके सामने वही तक्षक मुखी नागिन भयंकर विकराल स्वरूप में बहुत ही विशालकाय नाग के रूप में स्थित थी यह देख करके अब शंभू ने उसे कहा हे देवी आप कौन हैं तब तक्षक मुखी ने कहा मैं तक्षक मुखी नागिन हूं तुम्हारी पूजा और तपस्या से प्रसन्न होकर के प्रकट हुई हूं अब बताओ क्या इच्छा है तो शंभू ने अपनी सारी बातें बता दी किस प्रकार उसके साथ क्या-क्या घटित हुआ है और उसने धन की लालसा से यह सब कुछ करने की सोची इस पर तक्षक मुखी ने कहा कि अगर तुम मुझे  पत्नी रूप में प्राप्त करोगे तो ही मैं सब कुछ तुम्हें देने में समर्थ होंगी शंभू ने कहा मैं आप को पत्नी रूप में कैसे स्वीकार कर सकता हूं आप तो बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली और अमानवी शरीर वाली है आपका शरीर मानवो का नहीं है इस पर उसने कहा कि ऐसा करो किसी कन्या को उसके पास जाकर के उसकी मांग में सिंदूर भर दो मैं उसके शरीर में ही प्रवेश कर जाऊंगी और मैं तुम्हें अपना एक सिंदूर दूर देती हूं इसके बाद वह मानवी रूप के अंदर मेरी शक्तियों का वास होगा अर्थात मैं उसके अंदर रहूंगी और परेशान होने की आवश्यकता नहीं है यहां से जाने के बाद जब तुम घर पहुंच जाओगे जो सबसे पहले तुम्हें जो  स्त्री  दिखाई दे उसकी मांग में सिंदूर भर देना संकोच मत करना चाहे वह कोई भी हो  उसकी आज्ञा मान करके अब शंभू घर जाता है तो वहां पर उसे वही तक्षक मुखी रूपी कन्या दिखाई देती है मन मे संकोच करते  हुए उसके पास जाता है और कहता है देवी मुझे ऐसी आज्ञा हुई है कि जो भी कन्या मुझे सबसे पहले दिखाई दे मैं उसकी मांग में सिंदूर भर दूं मैं आपकी मांग में क्या सिंदूर भर सकता हूं तभी तक्षक मुखी नागिन मुस्कुराते हुए कहती है आपने मेरा संरक्षण किया है और हर प्रकार से मेरी जीवन की रक्षा की है और आगे भी आप मेरे को संरक्षण देते रहेंगे इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है लेकिन क्योंकि आपके तो पत्नी है इसलिए अगर मुझे पत्नी बनाना है तो याद रखिएगा कि आप किसी भी प्रकार से अपनी पत्नी से संपर्क नहीं रख सकते हालांकि वह अभी बेहोश है लेकिन फिर भी अगर आप मुझसे अगर विवाह करना चाहते हैं तो आपको अपनी पत्नी को त्यागना होगा उसकी शर्तों को मान करके शंभू ने उसकी मांग में सिंदूर भर दिया और उसी समय वह कन्या तेज़ ज्वाला से प्रकट हो गई अर्थात अपने अंदर तेज प्रकाश महसूस करने लगी और उसने मुस्कुराते हुए कहा कि मेरे अंदर ऐसा लगता है कोई दिव्य शक्ति आ गई है शंभू ने कहा तुम्हारे अंदर नाग शक्ति का प्रवेश हुआ है हालांकि नाग शक्ति तो स्वयं ही थी लेकिन उसने यह सारा मायाजाल रचा था l कुछ समय बाद क्योंकि पति पत्नी रूप में अब वह दोनों रहने लगे तो धन और सोने चांदी की दुर्लभ वस्तुएं स्वतः ही प्रकट कर के  तक्षक मुखी नागिन शंभू को देने लगी और शंभू उस नगर का सबसे अमीर आदमी बन गया और अद्भुत रूप से वह ताकतवर होता चला गया फिर एक दिन शंभू ने कहा कि मुझे पुत्र की कामना है किंतु आपसे घबराता हूं तक्षक मुखी ने कहा हां यह सत्य है किंतु याद रखो मेरे और तुम्हारे बीच में संबंध नहीं बन सकते किंतु मैं तुम्हारे पुत्र की माता अवश्य बन सकती हूं उसके लिए एक गोपनीय प्रयोग होगा एक गोपनीय तंत्र तुम्हें करना होगा तुम्हें एक खिचड़ी बनानी होगी उस खिचड़ी को आधा अपने आप खाना होगा और आधा मुझे खिलाना होगा उसके बाद ही मैं उस दुर्लभ तंत्र का प्रयोग कर पाऊंगी इस प्रकार दोनों ने उस प्रयोग को किया और कुछ ही दिनों बाद वह नागिन गर्भवती हो गई 1 वर्ष बाद नागिन ने सुंदर बच्चे को जन्म दिया और वह बच्चा इधर-उधर कूदता था और बहुत ही तीव्रता से बड़ा होने लगा इधर नाग लोक की बहुत सारी नागकन्या तक्षक मुखी नागिन के पास आ गई और कहने लगी अब तुम्हारे लिए द्वार खुल गया है अब चलो हमारे साथ तक्षक राज ने आज्ञा दी है कि नागिन को वापस लाओ और हमें अब वापस जाना चाहिए भरे मन से तक्षक मुखी नागिन ने कहा कि हां अब वह समय आ चुका है मुझे जाना तो होगा ही लेकिन क्या करूं मुझे अपने पति से प्रेम हो गया था, अब मुझे सब कुछ उसे वापस लौटाना होगा और उसे सत्य भी बताना होगा साथ ही साथ इस बालक को भी हमें अपने लोक ही ले जाना होगा क्योंकि यह मानव लोक में सुरक्षित नहीं रह सकता है इस प्रकार से रात्रि के समय जब शंभू उसके सामने बैठा तो नागिन ने अपने स्वरुप से विशाल रूप धारण किया और उसके सामने सारे राज खोल दिए और कहने लगी कि अगर तुम उस दिन मुझे नहीं देखे होते तो इस प्रकार की घटना संपन्न नहीं होती और मैं अपने नाग लोक में चली जाती यह सब मेरा ही किया धरा है और अब मैं तुम्हें स्वेच्छा से तुम्हारी पत्नी को वापस लौटाती हूं साथ ही साथ तुम्हारी मां को भी ठीक होने की शक्ति प्रदान करती हूं और इस प्रकार दोनों ठीक हो गए l साथी ही साथ उसने एक अक्षय सोने का भंडार उसे प्रदान किया और उसे कहा इसे गोपनीय स्थान पर कही दबा दो और कभी-कभी जाकर के  निकालते रहना मेरे नाग इसकी रक्षा करेंगे इस प्रकार से वह अपने लोक को लौट गई, दुखी मन से शंभू ने उसको विदा किया लेकिन जो वास्तविकता है वह तो घटित होती ही है और अन्तोगत्वा यह प्रेम कहानी इसी प्रकार यहां पर समाप्त हो गई उसकी पत्नी ने भी स्वयं ही उसे विदा किया उसे सजा करके उस नागिन को उसके लोक में प्रवेश करने की आज्ञा प्रदान की, इस प्रकार से यह प्रेम कहानी संपन्न हुई आज भी शंभू का वह खजाना उज्जैनी में कहीं दबा पड़ा है जिसकी रक्षा नाग कर रहे हैं वह नाग और वह खजाना कहां पर हैं यह तो कहना मुश्किल है लेकिन एक प्राचीन कथा किवदंती के रूप में आज भी प्रचलित है ।

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