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तक्षक मुखी नागिन और नागचंद्रेश्वर मंदिर कथा भाग 1

 एक ऐसी नागिन जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते है इस नागिन का नाम तक्षकमुखी है और यह तक्षक नाग की पुत्री मानी जाती है, तक्षक राज की वजह से इसकी प्रसिद्धि बहुत ही कम लोग जानते हैं इस नागिन से जुड़ी प्राचीन मठ मंदिर की कहानी आज आप लोग के लिए लाया हूं जिसको हम नागचंद्रेश्वर मंदिर के नाम से भी जानते हैं l इसकी कहानी उज्जैनी में स्थित जहां महाकालेश्वर विराजमान है वहां से शुरू होती है, इस संबंध में जो कथा है वह मैं आज आपके लिए लाया हूं तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं कि आखिर यह कहानी कैसी है और इस कहानी में क्या है ? नागिन ने  क्या किया और साथ ही साथ क्या रहस्य छिपा है इस मंदिर का, हजारो साल पुरानी एक कहानी मिलती है जब एक समय उज्जैन में एक शंभू नाम का व्यक्ति रहता था जिसके कोई भी कार्य नहीं बनते थे वह जो भी कार्य करता था उस कार्य में उसको असफलता ही मिलती थी, असफलता मिलने के कारण से वह हमेशा इस बात से परेशान रहता है कि क्या कारण है कि उसको हर कार्य में असफलता मिलती है हर बार मेहनत करके कारोबार करने की कोशिश करता लेकिन हर बार कारोबार में उसे धोखा और झटका ही मिलता था वह बडी समस्या में फंस जाता था कि आखिर मेरे साथ ऐसा क्यों होता है कुछ लोगों ने कहा आप किसी विशेष ज्योतिषी को दिखाइए शहर में एक महान ज्योतिषी रहा करता था, उन ज्योतिषी के पास वो गया और उनसे पूछने लगा की क्या कारण है कि मुझे हर कार्य मे असफलता ही देखनी पड़ती है आप मुझे कोई ऐसा मार्ग बताइए याकोई ऐसा रास्ता बताइए  जिससे मैं जिंदगी में सफल हो पाऊं तो ज्योतिषी ने कहा सबसे पहले तुम अपनी जन्मपत्री मुझे दिखाओ जन्म पत्रिका लेकर आओ l वह जन्मपत्रिका लेकर के अगले दिन ज्योतिषी के पास चला गया बड़ी देर तक देखने के बाद में बड़े आश्चर्य से शंभु के चेहरे को देखकर के ज्योतिषी ने कहा कि तुम पर भारी संकट है, उसने पूछा आखिर क्या संकट है तब ज्योतिषी ने कहा आप सर्प दोष से पीड़ित हो यह एक बहुत ही बड़ा दोष होता है जिसके कारण से आपके जिंदगी में कोई कार्य संपन्न नहीं हो पा रहे है, आप सर्प दोष से अगर बाहर नहीं आएंगे तो जिंदगी में कोई भी कार्य करेंगे आपको सफलता नहीं मिलेगी आपको इस सर्प दोष से बचना होगा उसके बचने के लिए आपको विशेष रूप से मंदिर में जाना होगा और मंदिर में महान शक्ति को याद करना होगा लेकिन वह महान शक्ति तुम्हें नहीं दिखाई देगी लेकिन कोई और शक्ति अगर तुम्हारे साथ हो गई तो निश्चित रूप से तुम सफल हो जाओगे तो ऐसा कहने पर उन्होंने कहा कि क्या इसका गोपनीय मार्ग कोई है तो ज्योतिषी ने बताया कि सुनो ऐसा करना मैं तुम्हें इस मंदिर का मार्ग बताता हूं यह मंदिर केवल 1 दिन के लिए खुलता है आप ऐसा करना इस मंदिर में रात्रि बिताना और सुबह होते ही किसी कोने में छुप जाना जिससे एक रात्रि तुम और वहां निवास कर सको साथ ही साथ भगवान शिव का शिव कवच धारण अवश्य कर लेना ताकि तुम्हारे प्राणों की रक्षा हो सके, अगर एक रात्रि और तुम वहां बिता करके आ गए तो निश्चित रूप से तुम्हारी जीवन की सारी समस्याओं का हल हो जाएगा ऐसी अद्भुत बातें सुनकर के जरूर इस बात पर शंभू को हंसी आई, लेकिन उसने सोचा कि चलो ज्योतिषी जी अगर कह रहे हैं तो मुझे यह कार्य करके देखना चाहिए, तो ज्योतिषी ने बताया कि आप क्योंकि उज्जैन नगर में रहते हैं तो नागचंद्रेश्वर मंदिर यहां का प्रसिद्ध मंदिर है और अभी पूरी तरह से तीर्थ स्थल नहीं बन पाया है और शायद भविष्य में एक महान मंदिर के रूप में इसका निर्माण होगा यहां की कथा सबसे पहले जान लो तो उन्होंने उसकी कथा उनको सुनाई और बताया कि यह नागचंद्रेश्वर मंदिर आज से नहीं कई हजार सालों से यहां पर .बहुत ही सुंदर स्थान के रूप में इस नगर में स्थित है, पहले यहां पर तक्षक नाग राज करते थे अर्थात राजा तक्षक ने यहां पर भगवान शिव की तपस्या की थी और भगवान शिव के गले का हार बने और साथ ही साथ अमृत प्राप्त किया था l तक्षक नाग वह सर्पराज कहलाते हैं और भगवान शिव की घोर तपस्या करने के कारण बाद में भोलेनाथ उससे प्रसन्न हो गए थे और उन्होंने फिर  तक्षक को नागों का राजा और अमरत्व का वरदान दिया था उसके बाद से तक्षक नाग प्रभु के सानिध्य में यहीं पर वास करना शुरू कर दिये लेकिन महाकाल वन में वास करने की उनकी पूर्व मंशा ऐसी थी कि वह एकांत में यहां पर रहे बिना किसी विघ्न के तो वह इस प्रकार से रहने लगे कि सिर्फ एक दिन नाग पंचमी के दिन ही उनके दर्शन उपलब्ध होते है और बाकी के दिनों में वो गोपनीय रूप से रहने लगे l यह मंदिर ऐसा था जैसे  कि खुला हुआ वातावरण इसलिए उस वक्त यहां पर कोई भी विशालकाय इमारत नहीं थी क्योंकि यह बात प्रसिद्द थी कि नाग पंचमी के दिन के अलावा यहां आना वर्जित है l कोई भी यहाँ नहीं आता था l तुमको यही कार्य करना है कि मंदिर में जाना है और सर्प दोष से मुक्त होने के लिए प्रयास करना है, लेकिन याद रखो क्योंकि सर्पदोष से मुक्ति तुम्हारी तभी संभव होगी जब तुम वहां पर एक रात और बिता करके आओगे कारण कि तुम्हारा सर्प दोष  बहुत ही तीव्र है तुम वहां जाकर के एक रात और बिता करके आ जाते हो तो निश्चित रूप से तुम सर्प दोष से मुक्त हो जाओगे फिर जिंदगी में तुम्हारे समस्त कार्य बनने लगेंगे और केवल नाग पंचमी के दिन वहां जाकर के इस प्रकार से अपने आप को वहां पर छुपा लेना ताकि तुम्हें कोई देख न पाए और अगली रात के तुम अद्भुत नजारे और चमत्कार देखोगे वह तुम्हारी समझ से परे होंगे मैंने तुमसे पहले ही कहा है भगवान शिव का रक्षा कवच अपने साथ जरूर धारण करना इसकी विधि क्या है इस पर उन महान ज्योतिषी ने बताया कि भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना होता है और गोपनीय दुर्लभ शिव कवच का पाठ करना होता है l तो तुम यह प्रक्रिया आज से ही शुरू कर दो क्योंकि 1  महीने बाद में नाग पंचमी आएगी तुम्हें वहां जाकर के अपने कार्यों को संपन्न करना होगा उस दिन से उन्होंने ज्योतिषी से शिव कवच की दीक्षा प्राप्त की और शिव कवच की दीक्षा लेने के बाद में वह रोज तीन माला मंत्र जाप करने लगे, भगवान शिव के कवच का  प्रभाव से उनके अंदर आध्यात्मिक शक्तियों पैदा होने के साथ-साथ ऐसी गोपनीय शक्तियां भी आने लगी ताकि कठिन से कठिन परिस्थितियों में उनकी रक्षा हो सके शिव कवच की उपासना  प्राचीन काल से चली आ रही है, इस प्रकार से वह साधना करने लगे और स्वप्न मैं उन्हें भगवान शिव के कैलाश के दर्शन भी होने लगे यह बात जब उन्होंने अपने गुरु को बताई अर्थात उन ज्योतिषी को बताई तो उन्होंने बहुत ही प्रसन्नता से कहा कि हां बहुत ही अच्छी बात है निश्चित रूप से तुम्हारा मंत्र सिद्ध हो गया है क्योंकि ऐसा होने पर ही तुम अब अपने कार्य को संपन्न कर सकने लायक हो गये हो लेकिन याद रखना यह स्थान बहुत ही खतरनाक है और अपने सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए तुम्हें वहां एक रात और बितानी होगी । जिस दिन नागपंचमी का दिन आया उस दिन शंभू वहां के लिए प्रस्थान कर गया और नागचंद्रेश्वर मंदिर पर जाकर के सभी लोग जैसे कोई दूध कोई अन्य प्रकार की बेल पत्र  चढ़ा रहे थे शम्भू  वहां के जो मूल पंडित जी थे उनसे मिले और कहा कि मैं भगवान शिव की पूरी रात आराधना करना चाहता हूं आज, तो उन्होंने कहा ठीक है उन्होंने शम्भू को स्थान प्रदान किया और वह भी पंडित जी के साथ में वहां पूजा करने लगा इस प्रकार नाग पंचमी की रात समाप्त हुई और पंडित जी ने कहा कि अब इसके द्वार बंद करने का समय हो चुका है अब आपको यहां से चले जाना चाहिए क्योंकि अब 1 वर्ष बाद ही यह मंदिर खुलेगा इसको इसलिए बंद रखा जाता है ताकि तक्षक  को किसी भी प्रकार की समस्या ना आए और तक्षक नाग बड़े आराम से यहां आकर के भगवान शिव की आराधना साधना करते रहें आपको अब यहां से चले जाना चाहिए उनकी बात को समझते हुए उनके इशारों को समझते हुए शम्भू  ने कहा ठीक है मैं चला जाऊंगा लेकिन कम से कम थोड़ा देर और मुझे यहां रुकने दीजिए द्वार मैं बंद कर दूंगा और मुझे बाकी चीजें बताइए कि किस प्रकार से मुझे ये द्वार बंद करना है उस पे विश्वास करके पंडित जी ने उन्हें द्वार बंद करने की विधि और सारी चीजें बता दी और कहा कि मैं जा रहा हूं आप जल्दी ही आ जाइएगा और शम्भू वहीं पर रुक गया, उन्होंने अपनी चारों ओर लाल सिंदूर से सुरक्षा घेरा बना लिया इसी प्रकार से उन्होंने व रुद्राक्ष की माला जिससे वह जप किया करते थे उसे अपनी गले में धारण किया और इसी प्रकार 3 माला मंत्रो  का जाप करने लगे, तीन माला जाप पूरा होने के बाद अब वह निश्चिन्त थे कि अब जैसी  भी स्थिति हो मैं झेल लूंगा और वहां बैठ के अंदर चुपचाप एक कोने पर फूल पत्तियों के बीच वो बैठ गए ताकि चुपचाप वहां का नजारा देख सके कि आखिर क्या होता है, कुछ देर बाद जब रात्रि संपन्न हो गई तो एक बहुत विशालकाय नाग द्वार के बगल से होता हुआ आया और  भगवान शिव के स्वरूप को चारों तरफ से उसने घेर लिया और उन्हें लपेट करके अपने फन फैला दिए विशालकाय नाग को देख करके एक बार तो शंभू के मन में भयंकर भय उत्पन्न हुआ तभी एक और छोटा सा नाग उनके नजदीक आया और वह तक्षक नाग की गोदी में बैठ गया फिर अचानक से तक्षक नाग ने मानव रूप धारण किया और वो छोटी सी नाग ने एक कन्या का रूप धारण किया वह कन्या तक्षक मुखी नागिन अर्थात वह राजा तक्षक की पुत्री थी और सर्प राज तक्षक ने उसे प्यार से गोदी ने उठाते हुए कहा कि अब तुम यहां आ ही गई हो तो मैं तुम्हें शक्ति प्रदान करता हूं, वैसे मेरे पीछे-पीछे आना अच्छी बात नहीं है तब उन्होंने उसके मस्तक पर एक मंत्र को फूकते हुए अपने फन से उसके माथे के छुआ  इससे वह तरुण स्त्री के रूप में परिवर्तित हो गई अर्थात अब 20-21 वर्षीय कन्या के रूप में परिवर्तित हो चुकी थी कारण कि नाग नागिन को इच्छा अनुसार अपनी आयु को बना लेने की क्षमता होती है और यह शक्ति अब उसने अपने पिता से प्राप्त कर ली थी तक्षक राज ने कहा की ठीक है अब मैं अपने लोक को जाता हूं तुम जल्दी ही पूजा संपन्न करके वापस आ जाना जल्दी ही लौट आना कारण यह है कि अब कोई मनुष्य यहां पर तुम्हें देख ना पाए क्योंकि अगर कोई मनुष्य तुम्हें देखता है तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं इसलिए तुम यहां जल्दी से पूजा करके आना और मैं अपने लोक को वापस जा रहा हूं, इस प्रकार से पूजा करके तक्षक वहां से निकल गए कन्या जो अब 20- 21 वर्ष की लड़की बन चुकी थी उसने मानव रूप में ही भगवान शिव की पूजा और उपासना करनी शुरू कर दी अभी उसने सोचा कि कुछ फूलों को और भगवान शिव पर चढ़ाया जाए तभी वह इधर-उधर फूल ढूंढने लगी फूल ना दिखने पर एक झाड़ी की तरफ बढ़ी और सोचा कि शायद यहां पर उसे कोई फूल  मिल जाए और उसने वहां से एक फूल लेकर के झाड़ी को खींचा उसके अंदर बैठे हुए शंभू के ऊपर से सारा आवरण हट गया उसके सामने वह प्रत्यक्ष हो गया, ऐसा देख कर के वह तुरंत ही घबरा करके नागिन रूप में प्रकट हो गई और उसे भयभीत करने लगी।..

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