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तांत्रिक की शमशान भैरवी साधना भाग 2

तांत्रिक की शमशान भैरवी साधना भाग 2

नमस्कार दोस्तों, धर्म रहस्य चैनल पर आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। तांत्रिक की श्मशान भैरवी साधना। आज दूसरे भाग के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे। तो जैसे कि आप लोग जानते हैं की यहाँ पर। एक व्यक्ति अपने जीवन में संतान सुख की। कमी के कारण एक गुरु के पास जाता है। और वह गुरु उसे एक साधना करने के लिए बोलता है। जिसके लिए उसे। शमशान भूमि में जा करके। यह साधना अपनी पत्नी के साथ निर्वस्त्र होकर करनी थी। तब वह गुरु से कुछ प्रश्न पूछता है। क्योंकि यह एक खतरनाक विद्या है, तो इसमें क्या प्राण जाने का भी खतरा बना रहेगा? तो गुरु कहते हैं। सबसे पहले मैं तुम्हें गुरु मंत्र प्रदान करूँगा, तुम दोनों इस मंत्र का बड़ी निष्ठा के साथ। एक मास तक। पालन करना। और तब तुम इस योग्य बनोगे की इस साधना को कर पाओ। यह एक महीने। पूरी मेहनत से आपको यह साधना करनी है। और उन्होंने। एक बीज मंत्र। उन्हें प्रदान किया। और कहा इसे रोजाना। 7-8 घंटे तक लगातार बैठकर तुम्हें जाप करना है। तभी तुम इस लायक हो पाओगे कि श्मशान भैरवी साधना को कर पाओ। तब उस धनी व्यक्ति ने। अपनी उन गुरु से पूछा। गुरु जी, मैंने आपको पूर्णतः गुरु के रूप में स्वीकार किया है। श्मशान भैरवी के। संदर्भ में मुझे बताइए यह विद्या क्या है, यह कैसे काम करती है और इससे क्या क्या लाभ हो सकता है? तब उन्होंने कहा, सुनो। इनकी साधना दो विधियों से होती है।

एक विधि है साधक अगर। स्त्री से युक्त नहीं है। अर्थात। वह वैवाहिक नहीं है। कुमारा है तो यह साधना शमशान में रहने वाली। श्मशान भैरवी को सिद्ध करता है। ओर उन्हें पत्नी के स्वरूप में प्राप्त कर सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है। वहीं दूसरी विद्या के अनुसार अगर सा झक शादीशुदा है। तब उसकी पत्नी ही। भैरवी का स्वरूप बनती है स्वयं भैरव बनकर सामने अपनी पत्नी को बगैर भी बनाकर श्मशान में। इस शक्ति को जगह कर अपनी ही पत्नी। मैं स्थापित किया जाता है। यह शक्ति तुम्हारी पत्नी के अंदर आ जाएगी और। यह बहुत ही अच्छी प्रकार से कार्य करेगी। तुम्हारी पत्नी साक्षात शमशान भैरवी का स्वरूप बन जाएगी। मैंने। तुम्हें यह विद्या इस लिए प्रदान की है ताकि तुम। निश्चित रूप से कितने बड़े भी पाप के कारण। या श्राप की वजह से? अगर संतान को उत् पन् नहीं कर पा रहे हो। तब भी। ब्रह्मा के लिखें। इस। विधि को भी काट दोगे? क्योंकि इसमें तुम्हारे साथ जो श्मशान की सबसे बड़ी शक्ति। जुड़ेंगी वहाँ। आप इति हैं उसकी शक्तियां। बहुत ज्यादा है और वह सब कुछ करने की सामर्थ्य रखती है। दूसरा। क्योंकि इस विद्या में हम वाम मार्ग साधना का प्रयोग करते हैं।

इसलिए यह क्रिया भी बड़ी आसानी से। तुम अपनी पत्नी के साथ कर सकते हो। निश्चित रूप से एक वर्ष के भीतर ही। तुम खुद ही खुशखबरी सुनाओगे। यह सुनकर वह साधक बहुत प्रसन्न हो जाता है। हमारे गुरु परंपरा के। उन गुरु को। तंत्र विद्या में बहुत निपुणता थी। वह बहुत जल्दी किसी को भी देखकर समझ लेते थे कि इसकी सामर्थ्य क्या है? वह यह बात जान गए थे कि। यह व्यक्ति। और इसकी पत्नी मिलकर। श्मशान भैरवी साधना को संपन्न कर सकते हैं। लेकिन उनके मन में भी एक संकोच था। तो उन्होंने। थोड़ी देर साधक की पत्नी को देखकर। कहा, आप अपनी पत्नी को थोड़ी देर के लिए बाहर बैठा दीजिए। मैं आपके साथ एकांत में वार्तालाप करना चाहता हूँ। यह बात सुनकर। पति थोड़ा घबरा गया। उसे लगा जरूर मेरी पत्नी में कोई कमी है। तभी गुरु जी ने ऐसा कहा है। गुरु की आज्ञा सर्वोपरि होती है। इसलिए उसने बिना कोई देर किए अपनी पत्नी से कहा चलो। कुटी से बाहर चलते हैं। और यहाँ थोड़ी देर तुम आराम करो। मैं थोड़ी ही देर में। अपने गुरु से वार्तालाप करने के पश्चात आता हूँ। उसकी पत्नी उसके इस कार्य के लिए मान गई और वह अपनी पत्नी को। बाहर छोड़कर अंदर। अपने गुरु के पास पहुँच गया। गुरु ने। उसे देखते है कहा। तुम्हारे अंदर मुझे एकाग्रता दिखाई देती है। लेकिन तुम्हारी पत्नी के अंदर बहुत व्यग्रता हैं। इसके कारण मुझे लगता है कि क्या वह यह साधना संपन्न कर पाएगी? एक बात 100% अच्छी तरह इस बात को गांठ बांध लो।

कि अगर। इस साधना में। आपकी पत्नी उस शक्ति को धारण नहीं कर पाई। तो कुछ भी हो सकता है। व्यक्ति ने घबराते हुए पूछा गुरु जी? इसका क्या मार्ग है? तो उन्होंने कहा मैं जो आपको गुरुमंत्र दे रहा हूँ। यही इसका एकमात्र मार्ग है। आपको अपनी पत्नी के साथ बड़ी निष्ठा। और तत्परता से। जितना मैंने बताया उतना जब एक महीने में करना आवश्यक है। आपको। कम से कम रोजाना 10 सहस्त्र मंत्र जाप करते हुए एक माह। तक आवश्यक ही इसका जाप करना है। इसमें कोई कमी नहीं रखनी है। अन्यथा शरीर में इतनी ऊर्जा नहीं होगी। की शक्ति का वेग सहन हो पाए। इसके अलावा मैं आपको एक दिव्य माला भी प्रदान करूँगा। इसे ही पहनकर आप और आपकी पत्नी साधना करेंगे। यह सिद्ध माला है। इससे आपकी हर प्रकार से बुरी शक्तियां से रक्षा होगी। गुरु को धन्यवाद कहकर उस व्यक्ति ने। यह सोचा कि मुझे अपनी पत्नी को यह बात गंभीरता पूर्वक बतानी होगी तभी वह इस बात के लिए तैयार हो पाएगी।

और वह। उस कुटी के बाहर निकल गए। उसके पास जाकर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा। सुनो। गुरूजी ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि हमें गुरु मंत्र का जाप अखंड हो करके करना पड़ेगा। इसमें कोई कमी नहीं कर सकती है। तुम्हें हर प्रकार से इस चीज़ की कमी नहीं रखनी है। तब उसकी पत्नी ने कहा कोई बात नहीं मैं अवश्य ही आप की आगया और गुरु की आज्ञा का पालन करूँगी। इस प्रकार वह दोनों दम्पत्ति अपने घर में आ गए। अपने घर पहुँच कर। गुरु से प्राप्त मन्त्रदीक्षा और मंत्र का जाप करना अब शुरू कर दिया था क्योंकि उन्हें एक मास तक लगातार इस मंत्र का अखंडित होकर जाप करना था। लेकिन उसकी पत्नी ने थोड़ी कमी दिखा दी। रोजाना। पति के साथ बैठकर मंत्र जाप करने के बाद। वहाँ उठ जाती। और पति के लिये खाना बनाने लगती। का भी उसके लिए शयन वाला बिस्तर सजा देती। क्योंकि ज्यादा देर बैठकर वह जाप नहीं कर पाती थी। उसे नहीं पता था कि गुरु की कही गई बात साधारण नहीं होती है। इसीलिए। उसकी यह कमी अब उस पर भारी पड़ने वाली थी। इस प्रकार पूरा महीना बीत गया।

उसके पति को इस बात का पता नहीं चलता था कि जितनी देर वह मंत्र जाप आंखें बंद करके करता है, उसकी पत्नी उसके साथ में बैठकर उतनी देर जाप नहीं करती है। इस प्रकार समय समाप्त हुआ। दोनों गुरु के पास पहुँच गए। गुरु ने कहा अब श्राप से बाहर निकलने का समय आ चुका है। मैं तुम्हें इसकी विद्या प्रदान करता हूँ। तुम दोनों सर्वथा निर्वस्त्र होकर पहले नदी में जाकर स्नान करो। और फिर रात्रि के पहले प्रहर में एकांत स्थान में उस शमशान भूमि में जाकर एक दूसरे के सामने बैठकर। मंत्र जाप और हवन करने। इस मंत्र का आपको गोपनीय तरीके से इ जाप करना है और लगातार यह जाप करते रहना है। भाई, अभी धोनी की आवश्यकता नहीं है। अन्यथा समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस प्रकार दोनों गुरु से आज्ञा प्राप्त करके चले जाते हैं। उस नदी के किनारे के पास। वहाँ जाकर अपनी वस्त्रों को उतारकर दोनों स्नान करने लगते हैं। स्नान करने के बाद दोनों आकर एक विशिष्ट स्थान पर गुरु की दी हुई माला को पहन लेते है। और दोनों मंत्र का जाप। निर्वस्त्र होकर करने लगते हैं। इस प्रकार समय के साथ मंत्र जाप तीव्रता के रूप में आगे बढ़ने लगता है।

कि तभी अचानक से वहाँ चारों ओर। भूत प्रेत पिशाच विभिन्न प्रकार के। काले रंग के चमगादड़ उड़ते हुए उस स्थान को भयभीत बनाने लगते हैं। यह देखकर उनकी पत्नी घबराने लगती है। पति उसे आँखों से इशारा करके मंत्रजाप पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहता है। क्योंकि ऐसा न करने पर बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती थी। लेकिन पत्नी लगातार डर रही थी। और दोनों आंखें बंद करके मंत्र जाप करने लगते हैं। ओके। तभी एक विचित्र घटना घटती है, भयानक आवाज आने लगती है जिसकी वजह से पत्नी अपनी आंखें खोल देती है सामने। एक नरभक्षी। पिशाच बैठा हुआ उसके पति की जगह पर दिखाई देता है जो उसे। खा जाने के लिए बिल्कुल तैयार था। और उसकी और बढ़ता आ रहा था। इसे देखकर वह बहुत घबरा जाती है और घबराकर वहाँ से दौड़ पड़ती है। दौड़ते दौड़ते वह नदी के पास पहुंचती है। ये तभी वहाँ पर। उसका पति? उससे कहता है। आ गई। चलो दुबारा नहा लेते हैं। और वह। यह देखकर अचंभित हो जाती है और उसके गले लग जाती है। वह उसे लेकर पानी में प्रवेश करने लगता है। और उसके साथ अंतरंग कामुकता का प्रदर्शन करने लगता है। इस बात से वह अचरज में पड़ जाती है। हर स्त्री अपने पति का इस स्पर्श समझती है। उसे लगता है कि यह तो कोई वासना से भरा हुआ पुरुष हैं। उसे। ज़ोर से धक्का देती है। तब वह इसका। सिर चोटी पकड़कर पानी के अंदर डुबोने लगता है। उसका सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसके आगे क्या घटित हुआ? जानेगे हम लोग अगले भाग में तो अगर ये जानकारी और कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइट करे, शेर करें, सब्सक्राइब करे, आपका दिन मंगलमय हो। जै माँ पराशक्ति।

तांत्रिक की शमशान भैरवी साधना भाग 3

 

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